< לוּקָס 18 >
וגם משל דבר אליהם להתפלל תמיד ולא להתרפות׃ | 1 |
तब प्रभु येशु ने शिष्यों को यह समझाने के उद्देश्य से कि निराश हुए बिना निरंतर प्रार्थना करते रहना ही सही है, यह दृष्टांत प्रस्तुत किया.
ויאמר שופט היה בעיר אחת אשר לא ירא את האלהים ולא נשא פנים לאדם׃ | 2 |
“किसी नगर में एक न्यायाधीश था. वह न तो परमेश्वर से डरता था और न किसी को कुछ समझता था.
ואלמנה היתה בעיר ההיא ותבא אליו לאמר דינה את דיני ממריבי׃ | 3 |
उसी नगर में एक विधवा भी थी, जो बार-बार उस न्यायाधीश के पास ‘आकर विनती करती थी कि उसे न्याय दिलाया जाए.’
וימאן מיום אל יום ואחרי כן אמר בנפשו גם כי את האלהים אינני ירא ולאדם לא אשא פנים׃ | 4 |
“कुछ समय तक तो वह न्यायाधीश उसे टालता रहा किंतु फिर उसने मन में विचार किया, ‘यद्यपि मैं न तो परमेश्वर से डरता हूं और न लोगों से प्रभावित होता हूं
אעשה את דין האלמנה הזאת על הוגיעה אתי פן תבוא תמיד ותדכאני במלים׃ | 5 |
फिर भी यह विधवा आ-आकर मेरी नाक में दम किए जा रही है. इसलिये उत्तम यही होगा कि मैं इसका न्याय कर ही दूं कि यह बार-बार आकर मेरी नाक में दम तो न करे.’”
ויאמר האדון שמעו את אשר אמר דין העולה׃ | 6 |
प्रभु ने आगे कहा, “उस अधर्मी न्यायाधीश के शब्दों पर ध्यान दो कि उसने क्या कहा.
והאלהים הלא הוא יעשה דין בחיריו הקראים אליו יומם ולילה גם כי יתמהמה להושיעם׃ | 7 |
तब क्या परमेश्वर अपने उन चुने हुओं का न्याय न करेंगे, जो दिन-रात उनके नाम की दोहाई दिया करते हैं? क्या वह उनके संबंध में देर करेंगे?
אני אמר לכם כי יעשה את דינם במהרה אך בן האדם בבאו הימצא אמונה בארץ׃ | 8 |
सच मानो, परमेश्वर बिना देर किए उनके पक्ष में सक्रिय हो जाएंगे. फिर भी, क्या मनुष्य के पुत्र का पुनरागमन पर विश्वास बना रहेगा?”
ויוסף וישא משלו אל אנשים בטחים בנפשם כי צדיקים המה ואחרים נבזים בעיניהם ויאמר׃ | 9 |
तब प्रभु येशु ने उनके लिए, जो स्वयं को तो धर्मी मानते थे परंतु अन्यों को तुच्छ दृष्टि से देखते थे, यह दृष्टांत प्रस्तुत किया.
שני אנשים עלו אל המקדש להתפלל האחד פרוש והאחד מוכס׃ | 10 |
“प्रार्थना करने दो व्यक्ति मंदिर में गए, एक फ़रीसी था तथा दूसरा चुंगी लेनेवाला.
ויתיצב הפרוש לבדו ויתפלל לאמר אלהים אודך כי אינני כאשר האדם הגזלים והעשקים והנאפים או גם כמכס הזה׃ | 11 |
फ़रीसी की प्रार्थना इस प्रकार थी: ‘परमेश्वर! मैं आपका आभारी हूं कि मैं अन्य मनुष्यों जैसा नहीं हूं—छली, अन्यायी, व्यभिचारी और न इस चुंगी लेनेवाले के जैसा.
אני צם פעמים בשבוע אני מעשר את כל קניני׃ | 12 |
मैं सप्ताह में दो बार उपवास करता हूं और अपनी सारी आय का दसवां अंश दिया करता हूं.’
והמוכס היה עמד מרחוק ולא אבה אף לשאת את עיניו לשמים כי אם תופף על לבו לאמר אלהים סלח לי החוטא׃ | 13 |
“किंतु चुंगी लेनेवाला दूर ही खड़ा रहा. उसने दृष्टि तक उठाने का साहस न किया, अपने सीने पर शोक में प्रहार करते हुए उसने कहा, ‘प्रभु परमेश्वर! कृपा कीजिए मुझ पापी पर!’
אני אמר לכם כי ירד זה לביתו נצדק מזה כי כל המרים את נפשו ישפל ואשר ישפילה ירומם׃ | 14 |
“विश्वास करो वास्तव में यही चुंगी लेनेवाला (परमेश्वर से) धर्मी घोषित किया जाकर घर लौटा—न कि वह फ़रीसी. क्योंकि हर एक, जो स्वयं को बड़ा बनाता है, छोटा बना दिया जाएगा तथा जो व्यक्ति स्वयं नम्र हो जाता है, वह ऊंचा उठाया जाता है.”
ויביאו אליו גם את הילדים למען יגע בהם ויראו התלמידים ויגערו בם׃ | 15 |
लोग अपने बालकों को प्रभु येशु के पास ला रहे थे कि प्रभु येशु उन्हें स्पर्श मात्र कर दें. शिष्य यह देख उन्हें डांटने लगे.
ויקרא אתם ישוע אליו ויאמר הניחו לילדים לבוא אלי ואל תמנעום כי לאלה מלכות האלהים׃ | 16 |
प्रभु येशु ने बालकों को अपने पास बुलाते हुए कहा, “नन्हे बालकों को मेरे पास आने दो. मत रोको उन्हें! क्योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है.
אמן אמר אני לכם כל אשר לא יקבל את מלכות האלהים כילד הוא לא יבא בה׃ | 17 |
मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं; जो परमेश्वर के राज्य को एक नन्हे बालक के भाव में ग्रहण नहीं करता, वह उसमें कभी प्रवेश न कर पाएगा.”
וישאלהו קצין אחד לאמר רבי הטוב מה לי לעשות ואירש חיי עולמים׃ (aiōnios ) | 18 |
एक प्रधान ने उनसे प्रश्न किया, “उत्तम गुरु! अनंत काल के जीवन को पाने के लिए मैं क्या करूं?” (aiōnios )
ויאמר אליו ישוע מדוע קראת לי טוב אין טוב בלתי אחד האלהים׃ | 19 |
“उत्तम मुझे क्यों कह रहे हो?” प्रभु येशु ने कहा, “परमेश्वर के अलावा उत्तम कोई भी नहीं है.
את המצות אתה יודע לא תנאף לא תרצח לא תגנב לא תענה עד שקר כבד את אביך ואת אמך׃ | 20 |
आज्ञा तो तुम्हें मालूम ही हैं: व्यभिचार न करना, हत्या न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, अपने माता-पिता का सम्मान करना.”
ויאמר את כל אלה שמרתי מנעורי׃ | 21 |
“इन सबका पालन तो मैं बचपन से करता आ रहा हूं,” उसने उत्तर दिया.
וישמע ישוע ויאמר עוד אחת חסרת מכר את כל אשר לך וחלק לעניים ויהי לך אוצר בשמים ובוא ולך אחרי׃ | 22 |
यह सुन प्रभु येशु ने उससे कहा, “एक कमी फिर भी है तुममें. अपनी सारी संपत्ति बेचकर निर्धनों में बांट दो. धन तुम्हें स्वर्ग में प्राप्त होगा. तब आकर मेरे पीछे हो लो.”
ויהי כשמעו את זאת ויעצב מאד כי עשר גדול היה לו׃ | 23 |
यह सुन वह प्रधान बहुत दुःखी हो गया क्योंकि वह बहुत धनी था.
וירא ישוע כי נעצב ויאמר כמה יקשה לבעלי נכסים לבוא אל מלכות האלהים׃ | 24 |
उसे देखकर प्रभु येशु ने कहा, “धनवानों का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कैसा कठिन है!
כי נקל לגמל עבר בתוך נקב המחט מבוא עשיר אל מלכות האלהים׃ | 25 |
एक धनी के परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने की तुलना में सुई के छेद में से ऊंट का पार हो जाना सरल है.”
ויאמרו השמעים ומי יוכל להושע׃ | 26 |
इस पर सुननेवाले पूछने लगे, “तब किसका उद्धार संभव है?”
ויאמר מה שיפלא מבני אדם לא יפלא מאלהים׃ | 27 |
प्रभु येशु ने उत्तर दिया, “जो मनुष्य के लिए असंभव है, वह परमेश्वर के लिए संभव है.”
ויאמר פטרוס הן אנחנו עזבנו את הכל ונלך אחריך׃ | 28 |
पेतरॉस ने प्रभु येशु से कहा, “हम तो अपना घरबार छोड़कर आपके पीछे चल रहे हैं.”
ויאמר אליהם אמן אמר אני לכם אין איש אשר עזב את ביתו או את אבותיו או את אחיו או את אשתו או את בניו למען מלכות האלהים׃ | 29 |
प्रभु येशु ने इसके उत्तर में कहा, “सच तो यह है कि ऐसा कोई भी नहीं, जिसने परमेश्वर के राज्य के लिए अपनी घर-गृहस्थी, पत्नी, भाई, बहन, माता-पिता या संतान का त्याग किया हो
ולא יקח תחתיהם כפלים הרבה בעולם הזה ובעולם הבא חיי עולמים׃ (aiōn , aiōnios ) | 30 |
और उसे इस समय में कई गुणा अधिक तथा आगामी युग में अनंत काल का जीवन प्राप्त न हो.” (aiōn , aiōnios )
ויקח אליו את שנים העשר ויאמר להם הננו עלים ירושלימה וימלא כל הכתוב בידי הנביאים על בן האדם׃ | 31 |
तब प्रभु येशु ने बारहों शिष्यों को अलग ले जाकर उन पर प्रकट किया, “हम येरूशलेम नगर जा रहे हैं. भविष्यद्वक्ताओं द्वारा मनुष्य के पुत्र के विषय में जो भी लिखा गया है, वह पूरा होने पर है,
כי ימסר לגוים ויהתלו בו ויתעללו בו וירקו בפניו׃ | 32 |
उसे अन्यजातियों को सौंप दिया जाएगा. उसका उपहास किया जाएगा, उसे अपमानित किया जाएगा, उस पर थूका जाएगा.
ואחרי הכותם אתו בשוטים ימיתוהו וביום השלישי קום יקום׃ | 33 |
उसे कोड़े लगाने के बाद वे उसे मार डालेंगे और वह तीसरे दिन मरे हुओं में से जीवित हो जाएगा.”
והם לא הבינו מאומה ויהי הדבר הזה נעלם מהם ולא ידעו את הנאמר׃ | 34 |
शिष्यों को कुछ भी समझ में न आया. उनसे इसका अर्थ छिपाकर रखा गया था. इस विषय में प्रभु येशु की कही बातें शिष्यों की समझ से परे थी.
ויהי בקרבו אל יריחו והנה איש עור ישב על הדרך והוא משאל׃ | 35 |
जब प्रभु येशु येरीख़ो नगर के पास पहुंचे, उन्हें एक अंधा मिला, जो मार्ग के किनारे बैठा हुआ भिक्षा मांग रहा था.
וישמע את קול העם העבר וידרש לדעת מה זאת׃ | 36 |
भीड़ का शोर सुनकर उसने जानना चाहा कि क्या हो रहा है.
ויגידו לו כי ישוע הנצרי עובר׃ | 37 |
उन्होंने उसे बताया, “नाज़रेथ के येशु यहां से होकर जा निकल रहें हैं.”
ויצעק לאמר ישוע בן דוד חנני׃ | 38 |
वह अंधा पुकार उठा, “येशु! दावीद की संतान! मुझ पर दया कीजिए!”
וההלכים בראשנה גערו בו להחשתו והוא הרבה עוד לצעק ישוע בן דוד חנני׃ | 39 |
उन्होंने, जो आगे-आगे चल रहे थे, उसे डांटा और उसे शांत रहने की आज्ञा दी. इस पर वह और भी ऊंचे शब्द में पुकारने लगा, “दावीद के पुत्र! मुझ पर कृपा कीजिए!”
ויעמד ישוע ויצו להביאו אליו ויהי כאשר קרב וישאלהו לאמר׃ | 40 |
प्रभु येशु रुक गए और उन्हें आज्ञा दी कि वह व्यक्ति उनके पास लाया जाए. जब वह उनके पास लाया गया, प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया,
מה חפצך כי אעשה לך ויאמר אדני כי אראה׃ | 41 |
“क्या चाहते हो? मैं तुम्हारे लिए क्या करूं?” “प्रभु मैं देखना चाहता हूं!” उसने उत्तर दिया.
ויאמר אליו ראה אמונתך הושיעה לך׃ | 42 |
प्रभु येशु ने कहा, “रोशनी प्राप्त करो. तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है.”
ופתאם ראה וילך אחריו הלך ושבח את האלהים וכל העם בראותם זאת נתנו תודה לאלהים׃ | 43 |
तत्काल ही वह देखने लगा. परमेश्वर की वंदना करते हुए वह प्रभु येशु के पीछे चलने लगा. यह देख सारी भीड़ भी परमेश्वर का धन्यवाद करने लगी.