< לוּקָס 11 >
ויהי הוא מתפלל במקום אחד ויאמר אליו אחד מתלמידיו אחרי כלותו אדני למדנו להתפלל כאשר למד גם יוחנן את תלמידיו׃ | 1 |
फिर ऐसा हुआ कि वो किसी जगह दुआ कर रहा था; जब कर चुका तो उसके शागिर्दों में से एक ने उससे कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! जैसा युहन्ना ने अपने शागिर्दों को दुआ करना सिखाया, तू भी हमें सिखा।”
ויאמר אליהם כי תתפללו אמרו אבינו שבשמים יתקדש שמך תבוא מלכותך יעשה רצונך כמו בשמים כן בארץ׃ | 2 |
उसने उनसे कहा, “जब तुम दुआ करो तो कहो, ऐ बाप! तेरा नाम पाक माना जाए, तेरी बादशाही आए।
את לחם חקנו תן לנו יום יום׃ | 3 |
'हमारी रोज़ की रोटी हर रोज़ हमें दिया कर।
וסלח לנו את חובתנו כי סלחים גם אנחנו לכל החיב לנו ואל תביאנו לידי נסיון כי אם הצילנו מן הרע׃ | 4 |
और हमारे गुनाह मु'आफ़ कर, क्यूँकि हम भी अपने हर क़र्ज़दार को मु'आफ़ करते हैं, और हमें आज़माइश में न ला'।”
ויאמר אליהם מי בכם אשר יהיה לו אהב והלך ובא אליו בחצות הלילה ואמר אליו ידידי הלוני שלשת ככרות לחם׃ | 5 |
फिर उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है जिसका एक दोस्त हो, और वो आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, 'ऐ दोस्त, मुझे तीन रोटियाँ दे।
כי אהבי בא אלי מן הדרך ואין לי דבר לשום לפניו׃ | 6 |
क्यूँकि मेरा एक दोस्त सफ़र करके मेरे पास आया है, और मेरे पास कुछ नहीं कि उसके आगे रख्खूँ।
והוא מלפנים יענה ויאמר אל תוגיעני כי כבר נסגרה הדלת וילדי שוכבים עמדי במטה לא אוכל לקום ולתת לך׃ | 7 |
और वो अन्दर से जवाब में कहे, 'मुझे तकलीफ़ न दे, अब दरवाज़ा बंद है और मेरे लड़के मेरे पास बिछोने पर हैं, मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।
אני אמר לכם גם כי לא יקום לתת לו על היותו אהבו יקום בעבור עזות פניו ויתן לו ככל צרכו׃ | 8 |
मैं तुम से कहता हूँ, कि अगरचे वो इस वजह से कि उसका दोस्त है उठकर उसे न दे, तोभी उसकी बेशर्मी की वजह से उठकर जितनी दरकार है उसे देगा।
וגם אני אמר לכם שאלו וינתן לכם דרשו ותמצאו דפקו ויפתח לכם׃ | 9 |
पस मैं तुम से कहता हूँ, माँगो तो तुम्हें दिया जाएगा, ढूँडो तो पाओगे, दरवाज़ा खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।
כי כל השאל יקבל והדרש ימצא ולדפק יפתח׃ | 10 |
क्यूँकि जो कोई माँगता है उसे मिलता है, और जो ढूँडता है वो पाता है, और जो खटखटाता है उसके लिए खोला जाएगा।
ומי בכם האב אשר ישאל ממנו בנו לחם ונתן לו אבן ואם דג היתן לו נחש תחת הדג׃ | 11 |
तुम में से ऐसा कौन सा बाप है, कि जब उसका बेटा रोटी माँगे तो उसे पत्थर दे; या मछली माँगे तो मछली के बदले उसे साँप दे?
או כי ישאלנו ביצה היתן לו עקרב׃ | 12 |
या अंडा माँगे तो उसे बिच्छू दे?
הן אתם הרעים ידעים לתת מתנות טבות לבניכם אף כי האב מן השמים יתן את רוח הקדש לשאלים מאתו׃ | 13 |
पस जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी चीज़ें देना जानते हो, तो आसमानी बाप अपने माँगने वालों को रूह — उल — क़ुद्दूस क्यूँ न देगा।”
ויהי היום ויגרש שד והוא אלם ויהי אחרי צאת השד וידבר האלם ויתמהו העם׃ | 14 |
फिर वो एक गूँगी बदरूह को निकाल रहा था, और जब वो बदरूह निकल गई तो ऐसा हुआ कि गूँगा बोला और लोगों ने ता'ज्जुब किया।
ויש אשר אמרו בבעל זבוב שר השדים הוא מגרש את השדים׃ | 15 |
लेकिन उनमें से कुछ ने कहा, “ये तो बदरूहों के सरदार बा'लज़बूल की मदद से बदरूहों को निकालता है।”
ויש אשר נסוהו וישאלו ממנו אות מן השמים׃ | 16 |
कुछ और लोग आज़माइश के लिए उससे एक आसमानी निशान तलब करने लगे।
והוא ידע את מחשבותם ויאמר אליהם כל ממלכה הנחלקה על עצמה תחרב ובית יפל על בית׃ | 17 |
मगर उसने उनके ख़यालात को जानकर उनसे कहा, “जिस सल्तनत में फ़ूट पड़े, वो वीरान हो जाती है; और जिस घर में फ़ूट पड़े, वो बरबाद हो जाता है।
וגם השטן אם נחלק על עצמו איככה תכון ממלכתו כי אמרתם שבבעל זבוב מגרש אני את השדים׃ | 18 |
और अगर शैतान भी अपना मुख़ालिफ़ हो जाए, तो उसकी सल्तनत किस तरह क़ाईम रहेगी? क्यूँकि तुम मेरे बारे में कहते हो, कि ये बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकालता है।
ואם אני מגרש את השדים בבעל זבוב בניכם במי הם מגרשים אתם על כן המה יהיו שפטיכם׃ | 19 |
और अगर में बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकलता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसकी मदद से निकालते हैं? पस वही तुम्हारा फ़ैसला करेंगे।
ואם באצבע אלהים מגרש אני את השדים הנה הגיעה אליכם מלכות האלהים׃ | 20 |
लेकिन अगर मैं बदरूहों को ख़ुदा की क़ुदरत से निकालता हूँ, तो ख़ुदा की बादशाही तुम्हारे पास आ पहुँची।
בהיות הגבור שמר את חצרו והוא מזין והיה רכושו שלום׃ | 21 |
जब ताक़तवर आदमी हथियार बाँधे हुए अपनी हवेली की रखवाली करता है, तो उसका माल महफ़ूज़ रहता है।
ואם יבוא עליו חזק ממנו ותקפו ישא ממנו את נשקו אשר בטח בו ואת מלקחו יחלק׃ | 22 |
लेकिन जब उससे कोई ताक़तवर हमला करके उस पर ग़ालिब आता है, तो उसके सब हथियार जिन पर उसका भरोसा था छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।
כל אשר איננו אתי הוא לנגדי ואשר איננו מאסף אתי הוא מפזר׃ | 23 |
जो मेरी तरफ़ नहीं वो मेरे ख़िलाफ़ है, और जो मेरे साथ जमा नहीं करता वो बिखेरता है।”
הרוח הטמאה אחרי צאתה מן האדם תשוטט במקמות ציה לבקש לה מנוחה ולא תמצא אז תאמר אשובה נא אל ביתי אשר יצאתי משם׃ | 24 |
“जब नापाक रूह आदमी में से निकलती है तो सूखे मुक़ामों में आराम ढूँडती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, 'मैं अपने उसी घर में लौट जाऊँगी जिससे निकली हूँ।
ובבואה תמצא אתו מטאטא ומהדר׃ | 25 |
और आकर उसे झड़ा हुआ और आरास्ता पाती है।
ואחר תלך ולקחה שבע רוחות אחרות רעות ממנה ובאו ושכנו שם והיתה אחרית האדם ההוא רעה מראשיתו׃ | 26 |
फिर जाकर और सात रूहें अपने से बुरी अपने साथ ले आती है और वो उसमें दाख़िल होकर वहाँ बसती हैं, और उस आदमी का पिछला हाल पहले से भी ख़राब हो जाता है।”
ויהי כדברו את הדברים האלה ואשה אחת מן העם נשאה את קולה ותאמר אליו אשרי הבטן אשר נשאתך והשדים אשר ינקת׃ | 27 |
जब वो ये बातें कह रहा था तो ऐसा हुआ कि भीड़ में से एक 'औरत ने पुकार कर उससे कहा, मुबारिक़ है वो पेट जिसमें तू रहा और वो आंचल जो तू ने पिए।”
והוא אמר ואף כי אשרי השמעים והשמרים את דבר האלהים׃ | 28 |
उसने कहा, “हाँ; मगर ज़्यादा मुबारिक़ वो है जो ख़ुदा का कलाम सुनते और उस पर 'अमल करते हैं।”
ויקבצו עם רב ויחל לדבר הדור הזה דור רע הוא אות הוא מבקש ואות לא ינתן לו בלתי אם אות יונה הנביא׃ | 29 |
जब बड़ी भीड़ जमा होती जाती थी तो वो कहने लगा, “इस ज़माने के लोग बुरे हैं, वो निशान तलब करते हैं; मगर यहून्ना के निशान के सिवा कोई और निशान उनको न दिया जाएगा।”
כי כאשר היה יונה לאנשי נינוה לאות כן יהיה גם בן האדם לדור הזה׃ | 30 |
क्यूँकि जिस तरह यहून्ना निनवे के लोगों के लिए निशान ठहरा, उसी तरह इब्न — ए — आदम भी इस ज़माने के लोगों के लिए ठहरेगा।
מלכת תימן תקום במשפט עם אנשי הדור הזה והרשיעה אותם כי באה מקצות הארץ לשמע את חכמת שלמה והנה יש פה גדול משלמה׃ | 31 |
दक्खिन की मलिका इस ज़माने के आदमियों के साथ 'अदालत के दिन उठकर उनको मुजरिम ठहराएगी, क्यूँकि वो दुनिया के किनारे से सुलैमान की हिक्मत सुनने को आई, और देखो, यहाँ वो है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
אנשי נינוה יקומו במשפט עם הדור הזה והרשיעהו כי הם שבו בקריאת יונה והנה יש פה גדול מיונה׃ | 32 |
निनवे के लोग इस ज़माने के लोगों के साथ, 'अदालत के दिन खड़े होकर उनको मुजरिम ठहराएँगे; क्यूँकि उन्होंने यहून्ना के एलान पर तौबा कर ली, और देखो, यहाँ वो है जो यहून्ना से भी बड़ा है।
אין מדליק נר אשר ישימהו בסתר או תחת האיפה כי אם על המנורה למען יראו באי הבית את אורו׃ | 33 |
“कोई शख़्स चराग़ जला कर तहखाने में या पैमाने के नीचे नहीं रखता, बल्कि चराग़दान पर रखता है ताकि अन्दर जाने वालों को रोशनी दिखाई दे।
נר הגוף הוא העין לכן בהיות עינך תמימה גם כל גופך יאור ובהיותה רעה וחשך גם גופך׃ | 34 |
तेरे बदन का चराग़ तेरी आँख है, जब तेरी आँख दुरुस्त है तो तेरा सारा बदन भी रोशन है, और जब ख़राब है तो तेरा बदन भी तारीक है।
על כן השמר לך פן יחשך האור אשר בקרבך׃ | 35 |
पस देख, जो रोशनी तुझ में है तारीकी तो नहीं!
והנה אם גופך כלו אור ואין בו כל דבר חשך אז יאור כלו והיה כהאיר לך הנר בברק נגהו׃ | 36 |
पस अगर तेरा सारा बदन रोशन हो और कोई हिस्सा तारीक न रहे, तो वो तमाम ऐसा रोशन होगा जैसा उस वक़्त होता है जब चराग़ अपने चमक से रोशन करता है।”
ויהי בדברו ויבקש ממנו פרוש אחד לאכל אתו לחם ויבא הביתה ויסב׃ | 37 |
जो वो बात कर रहा था तो किसी फ़रीसी ने उसकी दा'वत की। पस वो अन्दर जाकर खाना खाने बैठा।
ויתמה הפרוש בראתו אשר לא נטל ידיו בראשונה לפני הסעודה׃ | 38 |
फ़रीसी ने ये देखकर ता'अज्जुब किया कि उसने खाने से पहले ग़ुस्ल नहीं किया।
ויאמר אליו האדון כעת אתם הפרושים מטהרים את הכום והקערה מחוץ והפנימי אשר בכם הוא מלא גזל ורשע׃ | 39 |
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “ऐ फ़रीसियों! तुम प्याले और तश्तरी को ऊपर से तो साफ़ करते हो, लेकिन तुम्हारे अन्दर लूट और बदी भरी है।”
הכסילים הלא עשה החיצון גם עשה את הפנימי׃ | 40 |
ऐ नादानों! जिसने बाहर को बनाया क्या उसने अन्दर को नहीं बनाया?
אבל תנו לצדקה את אשר בם והנה הכל טהור לכם׃ | 41 |
हाँ! अन्दर की चीज़ें ख़ैरात कर दो, तो देखो, सब कुछ तुम्हारे लिए पाक होगा।
אך אוי לכם הפרושים כי תעשרו את המנתא ואת הפיגם ואת כל הירק ותעברו את המשפט ואת אהבת אלהים והיה לכם לעשות את אלה ולא להניח גם את אלה׃ | 42 |
“लेकिन ऐ फ़रीसियों! तुम पर अफ़सोस, कि पुदीने और सुदाब और हर एक तरकारी पर दसवाँ हिस्सा देते हो, और इन्साफ़ और ख़ुदा की मुहब्बत से ग़ाफ़िल रहते हो; लाज़िम था कि ये भी करते और वो भी न छोड़ते।
אוי לכם הפרושים כי תאהבו את מושב הראש בבתי הכנסיות ואת שאלות שלומכם בשוקים׃ | 43 |
ऐ फ़रीसियों! तुम पर अफ़सोस, कि तुम 'इबादतख़ानों में आ'ला दर्जे की कुर्सियाँ और और बाज़ारों में सलाम चाहते हो।
אוי לכם הסופרים והפרושים החנפים כי אתם כקברים הנסתרים ובני האדם מתהלכים עליהם ולא ידעו׃ | 44 |
तुम पर अफ़सोस! क्यूँकि तुम उन छिपी हुई क़ब्रों की तरह हो जिन पर आदमी चलते है, और उनको इस बात की ख़बर नहीं।”
ויען אחד מבעלי התורה ויאמר אליו רבי בדבריך אלה תחרף גם אתנו׃ | 45 |
फिर शरा' के 'आलिमों में से एक ने जवाब में उससे कहा, “ऐ उस्ताद! इन बातों के कहने से तू हमें भी बे'इज़्ज़त करता है।”
ויאמר אוי גם לכם בעלי התורה כי עמסים אתם על בני האדם משאות כבדים מסבל ואתם בעצמכם אינכם נגעים במשאות גם באחת מאצבעותיכם׃ | 46 |
उसने कहा, “ऐ शरा' के 'आलिमों! तुम पर भी अफ़सोस, कि तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना मुश्किल है, आदमियों पर लादते हो और तुम एक उंगली भी उन बोझों को नहीं लगाते।
אוי לכם כי בונים אתם את קברות הנביאים ואבותיכם הרגו אותם׃ | 47 |
तुम पर अफ़सोस, कि तुम तो नबियों की क़ब्रों को बनाते हो और तुम्हारे बाप — दादा ने उनको क़त्ल किया था।
וכן אתם מעידים ורוצים במעשי אבותיכם כי המה הרגו אותם ואתם בונים את קבריהם׃ | 48 |
पस तुम गवाह हो और अपने बाप — दादा के कामों को पसन्द करते हो, क्यूँकि उन्होंने तो उनको क़त्ल किया था और तुम उनकी क़ब्रें बनाते हो।
בעבור זאת גם אמרה חכמת האלהים אשלח אליהם נביאים ושליחים ומהם יהרגו וירדפו׃ | 49 |
इसी लिए ख़ुदा की हिक्मत ने कहा है, मैं नबियों और रसूलों को उनके पास भेजूँगी, वो उनमें से कुछ को क़त्ल करेंगे और कुछ को सताएँगे।
למען ידרש מן הדור הזה דם כל הנביאים אשר נשפך למן הוסד הארץ׃ | 50 |
ताकि सब नबियों के ख़ून का जो बिना — ए — 'आलम से बहाया गया, इस ज़माने के लोगों से हिसाब किताब लिया जाए।
מדם הבל עד דם זכריהו אשר נהרג בין המזבח ולבית הן אמר אני לכם דרוש ידרש מן הדור הזה׃ | 51 |
हाबिल के ख़ून से लेकर उस ज़करियाह के ख़ून तक, जो क़ुर्बानगाह और मक़्दिस के बीच में हलाक हुआ। मैं तुम से सच कहता हूँ कि इसी ज़माने के लोगों से सब का हिसाब किताब लिया जाएगा।
אוי לכם בעלי התורה כי הסירתם את מפתח הדעת אתם לא באתם ואת הבאים מנעתם׃ | 52 |
ऐ शरा' के 'आलिमों! तुम पर अफ़सोस, कि तुम ने मा'रिफ़त की कुंजी छीन ली, तुम ख़ुद भी दाख़िल न हुए और दाख़िल होने वालों को भी रोका।”
ויהי כדברו להם את אלה ויחלו הסופרים והפרושים לשטם אותו מאד ולהקשות לו בדברים רבים׃ | 53 |
जब वो वहाँ से निकला, तो आलिम और फ़रीसी उसे बे — तरह चिपटने और छेड़ने लगे ताकि वो बहुत से बातों का ज़िक्र करे,
ויארבו לו ויבקשו לצודד דבר מפיהו למען ימצאו עליו שטנה׃ | 54 |
और उसकी घात में रहे ताकि उसके मुँह की कोई बात पकड़े।