< ג'ון 15 >
אנכי הגפן האמתית ואבי הוא הכרם׃ | 1 |
“अंगूर का हक़ीक़ी दरख़्त मैं हूँ और मेरा बाप बाग़बान है।
כל שריג בי אשר איננו עשה פרי יסירנו ואשר יעשה פרי יטהרנו להרבות את פריו׃ | 2 |
वह मेरी हर डाल को जो फल नहीं लाती काट कर फैंक देता है। लेकिन जो डाली फल लाती है उस की वह काँट — छाँट करता है ताकि ज़्यादा फल लाए।
אתם כעת מטהרים בעבור דברי אשר דברתי אליכם׃ | 3 |
उस कलाम के वजह से जो मैं ने तुम को सुनाया है तुम तो पाक — साफ़ हो चुके हो।
עמדו בי ואני בכם כאשר השריג בל יעשה פרי מאליו אם לא יעמד בגפן כן גם אתם אם לא תעמדו בי׃ | 4 |
मुझ में क़ाईम रहो तो मैं भी तुम में क़ाईम रहूँगा। जो डाल दरख़्त से कट गई है वह फल नहीं ला सकती। बिल्कुल इसी तरह तुम भी अगर तुम मुझ में क़ाईम नहीं रहो तो फल नहीं ला सकते।
אנכי הוא הגפן ואתם השריגים העמד בי ואני בו הוא יעשה פרי לרב כי בלעדי לא תוכלון עשות מאומה׃ | 5 |
मैं ही अंगूर का दरख़्त हूँ, और तुम उस की डालियाँ हो। जो मुझ में क़ाईम रहता है और मैं उस में वह बहुत सा फल लाता है, क्यूँकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ नहीं कर सकते।
איש אשר לא יעמד בי השלך כשריג החוצה וייבש וילקטום וישליכום אל תוך האש והיה לבער׃ | 6 |
जो मुझ में क़ाईम नहीं रहता और न मैं उस में उसे सूखी डाल की तरह बाहर फैंक दिया जाता है। और लोग उन का ढेर लगा कर उन्हें आग में झोंक देते हैं जहाँ वह जल जाती हैं।
והיה אם תעמדו בי ודברי יהיו בכם ככל חפצכם תשאלו ויעשה לכם׃ | 7 |
अगर तुम मुझ में क़ाईम रहो और मैं तुम में तो जो जी चाहे माँगो, वह तुम को दिया जाएगा।
בזאת נכבד אבי בעשותכם פרי לרב והייתם לי לתלמידים׃ | 8 |
जब तुम बहुत सा फल लाते और यूँ मेरे शागिर्द साबित होते हो तो इस से मेरे बाप को जलाल मिलता है।
כאשר אהבני אבי אהבתי אתכם גם אני ואתם עמדו באהבתי׃ | 9 |
जिस तरह बाप ने मुझ से मुहब्बत रखी है उसी तरह मैं ने तुम से भी मुहब्बत रखी है। अब मेरी मुहब्बत में क़ाईम रहो।
אם תשמרו את מצותי תעמדו באהבתי כאשר שמרתי גם אני את מצות אבי ועמדתי באהבתו׃ | 10 |
जब तुम मेरे हुक्म के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारते हो तो तुम मुझ में क़ाईम रहते हो। मैं भी इसी तरह अपने बाप के अह्काम के मुताबिक़ चलता हूँ और यूँ उस की मुहब्बत में क़ाईम रहता हूँ।
את אלה דברתי אליכם בעבור תהיה שמחתי בכם ותמלא שמחתכם׃ | 11 |
मैं ने तुम को यह इस लिए बताया है ताकि मेरी ख़ुशी तुम में हो बल्कि तुम्हारा दिल ख़ुशी से भर कर छलक उठे।”
הנה זאת מצותי כי תאהבון איש את אחיו כאשר אהבתיכם׃ | 12 |
“मेरा हुक्म यह है कि एक दूसरे को वैसे प्यार करो जैसे मैं ने तुम को प्यार किया है।
אין לאיש אהבה יתרה מתתו את נפשו בעד ידידיו׃ | 13 |
इस से बड़ी मुहब्बत है नहीं कि कोई अपने दोस्तों के लिए अपनी जान दे दे।
ואתם ידידי אתם אם תעשו את אשר אני מצוה אתכם׃ | 14 |
तुम मेरे दोस्त हो अगर तुम वह कुछ करो जो मैं तुम को बताता हूँ।
לא אקרא לכם עוד עבדים כי העבד איננו ידע את אשר יעשה אדניו כי אם אמרתי ידידי אתם כי כל אשר שמעתי מאת אבי הודעתי אתכם׃ | 15 |
अब से मैं नहीं कहता कि तुम ग़ुलाम हो, क्यूँकि ग़ुलाम नहीं जानता कि उस का मालिक क्या करता है। इस के बजाए मैं ने कहा है कि तुम दोस्त हो, क्यूँकि मैं ने तुम को सब कुछ बताया है जो मैं ने अपने बाप से सुना है।
לא אתם בחרתם בי כי אם אנכי בחרתי בכם והפקדתי אתכם ללכת ולעשות פרי ופריכם יקום והיה כל אשר תשאלו מאבי בשמי יתן לכם׃ | 16 |
तुम ने मुझे नहीं चुना बल्कि मैं ने तुम को चुन लिया है। मैं ने तुम को मुक़र्रर किया कि जा कर फल लाओ, ऐसा फल जो क़ाईम रहे। फिर बाप तुम को वह कुछ देगा जो तुम मेरे नाम से माँगोगे।
את אלה אני מצוה אתכם למען תאהבון איש את אחיו׃ | 17 |
मेरा हुक्म यही है कि एक दूसरे से मुहब्बत रखो।”
אם העולם שנא אתכם דעו כי אתי שנא ראשונה׃ | 18 |
अगर दुनियाँ तुम से दुश्मनी रखे तो यह बात ज़हन में रखो कि उस ने तुम से पहले मुझ से दुश्मनी रखी है।
אלו מן העולם הייתם כי אז אהב העולם את אשר לו ויען כי אינכם מן העולם כי אם בחרתי אתכם מתוך העולם לכן העולם ישנא אתכם׃ | 19 |
अगर तुम दुनियाँ के होते तो दुनियाँ तुम को अपना समझ कर प्यार करती। लेकिन तुम दुनियाँ के नहीं हो। मैं ने तुम को दुनियाँ से अलग करके चुन लिया है। इस लिए दुनियाँ तुम से दुश्मनी रखती है।
זכרו את דברי אשר דברתי אליכם העבד איננו גדול מאדניו אם רדפו אתי גם אתכם ירדפו אם שמרו את דברי גם את דברכם ישמרו׃ | 20 |
वह बात याद करो जो मैं ने तुम को बताई कि ग़ुलाम अपने मालिक से बड़ा नहीं होता। अगर उन्हों ने मुझे सताया है तो तुम्हें भी सताएँगे। और अगर उन्हों ने मेरे कलाम के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारी तो वह तुम्हारी बातों पर भी अमल करेंगे।
אבל כל זאת יעשו לכם בעבור שמי כי לא ידעו את שלחי׃ | 21 |
लेकिन तुम्हारे साथ जो कुछ भी करेंगे, मेरे नाम की वजह से करेंगे, क्यूँकी वह उसे नहीं जानते जिस ने मुझे भेजा है।
לולא באתי ודברתי אליהם לא היה בהם חטא ועתה לא יוכלון להתנצל על חטאתם׃ | 22 |
अगर मैं आया न होता और उन से बात न की होती तो वह क़ुसूरवार न ठहरते। लेकिन अब उन के गुनाह का कोई भी उज़्र बाक़ी नहीं रहा।
השנא אתי ישנא גם את אבי׃ | 23 |
जो मुझ से दुश्मनी रखता है वह मेरे बाप से भी दुश्मनी रखता है।
לולא עשיתי בתוכם את המעשים אשר איש זולתי לא עשה לא היה בהם חטא ועתה ראו וישנאו גם אתי גם את אבי׃ | 24 |
अगर मैं ने उन के दरमियान ऐसा काम न किया होता जो किसी और ने नहीं किया तो वह क़ुसूरवार न ठहरते। लेकिन अब उन्हों ने सब कुछ देखा है और फिर भी मुझ से और मेरे बाप से दुश्मनी रखी है।
אך למלאת דבר הכתוב בתורתם שנאת חנם שנאוני׃ | 25 |
और ऐसा होना भी था ताकि कलाम — ए — मुक़द्दस की यह नबुव्वत पूरी हो जाए कि ‘उन्होंने कहा है
ובבוא הפרקליט אשר אשלחנו לכם מאת אבי רוח האמת היוצא מאת אבי הוא יעיד עלי׃ | 26 |
जब वह मददगार आएगा जिसे मैं बाप की तरफ़ से तुम्हारे पास भेजूँगा तो वह मेरे बारे में गवाही देगा। वह सच्चाई का रूह है जो बाप में से निकलता है।
וגם אתם תעידו כי מראש הייתם עמדי׃ | 27 |
तुम को भी मेरे बारे में गवाही देना है, क्यूँकी तुम शुरू से ही मेरे साथ रहे हो।”