< איוב 4 >
ויען אליפז התימני ויאמר׃ | 1 |
१तब तेमानी एलीपज ने कहा,
הנסה דבר אליך תלאה ועצר במלין מי יוכל׃ | 2 |
२“यदि कोई तुझ से कुछ कहने लगे, तो क्या तुझे बुरा लगेगा? परन्तु बोले बिना कौन रह सकता है?
הנה יסרת רבים וידים רפות תחזק׃ | 3 |
३सुन, तूने बहुतों को शिक्षा दी है, और निर्बल लोगों को बलवन्त किया है।
כושל יקימון מליך וברכים כרעות תאמץ׃ | 4 |
४गिरते हुओं को तूने अपनी बातों से सम्भाल लिया, और लड़खड़ाते हुए लोगों को तूने बलवन्त किया।
כי עתה תבוא אליך ותלא תגע עדיך ותבהל׃ | 5 |
५परन्तु अब विपत्ति तो तुझी पर आ पड़ी, और तू निराश हुआ जाता है; उसने तुझे छुआ और तू घबरा उठा।
הלא יראתך כסלתך תקותך ותם דרכיך׃ | 6 |
६क्या परमेश्वर का भय ही तेरा आसरा नहीं? और क्या तेरी चाल चलन जो खरी है तेरी आशा नहीं?
זכר נא מי הוא נקי אבד ואיפה ישרים נכחדו׃ | 7 |
७“क्या तुझे मालूम है कि कोई निर्दोष भी कभी नाश हुआ है? या कहीं सज्जन भी काट डाले गए?
כאשר ראיתי חרשי און וזרעי עמל יקצרהו׃ | 8 |
८मेरे देखने में तो जो पाप को जोतते और दुःख बोते हैं, वही उसको काटते हैं।
מנשמת אלוה יאבדו ומרוח אפו יכלו׃ | 9 |
९वे तो परमेश्वर की श्वास से नाश होते, और उसके क्रोध के झोंके से भस्म होते हैं।
שאגת אריה וקול שחל ושני כפירים נתעו׃ | 10 |
१०सिंह का गरजना और हिंसक सिंह का दहाड़ना बन्द हो जाता है। और जवान सिंहों के दाँत तोड़े जाते हैं।
ליש אבד מבלי טרף ובני לביא יתפרדו׃ | 11 |
११शिकार न पाकर बूढ़ा सिंह मर जाता है, और सिंहनी के बच्चे तितर बितर हो जाते हैं।
ואלי דבר יגנב ותקח אזני שמץ מנהו׃ | 12 |
१२“एक बात चुपके से मेरे पास पहुँचाई गई, और उसकी कुछ भनक मेरे कान में पड़ी।
בשעפים מחזינות לילה בנפל תרדמה על אנשים׃ | 13 |
१३रात के स्वप्नों की चिन्ताओं के बीच जब मनुष्य गहरी निद्रा में रहते हैं,
פחד קראני ורעדה ורב עצמותי הפחיד׃ | 14 |
१४मुझे ऐसी थरथराहट और कँपकँपी लगी कि मेरी सब हड्डियाँ तक हिल उठी।
ורוח על פני יחלף תסמר שערת בשרי׃ | 15 |
१५तब एक आत्मा मेरे सामने से होकर चली; और मेरी देह के रोएँ खड़े हो गए।
יעמד ולא אכיר מראהו תמונה לנגד עיני דממה וקול אשמע׃ | 16 |
१६वह चुपचाप ठहर गई और मैं उसकी आकृति को पहचान न सका। परन्तु मेरी आँखों के सामने कोई रूप था; पहले सन्नाटा छाया रहा, फिर मुझे एक शब्द सुन पड़ा,
האנוש מאלוה יצדק אם מעשהו יטהר גבר׃ | 17 |
१७‘क्या नाशवान मनुष्य परमेश्वर से अधिक धर्मी होगा? क्या मनुष्य अपने सृजनहार से अधिक पवित्र हो सकता है?
הן בעבדיו לא יאמין ובמלאכיו ישים תהלה׃ | 18 |
१८देख, वह अपने सेवकों पर भरोसा नहीं रखता, और अपने स्वर्गदूतों को दोषी ठहराता है;
אף שכני בתי חמר אשר בעפר יסודם ידכאום לפני עש׃ | 19 |
१९फिर जो मिट्टी के घरों में रहते हैं, और जिनकी नींव मिट्टी में डाली गई है, और जो पतंगे के समान पिस जाते हैं, उनकी क्या गणना।
מבקר לערב יכתו מבלי משים לנצח יאבדו׃ | 20 |
२०वे भोर से साँझ तक नाश किए जाते हैं, वे सदा के लिये मिट जाते हैं, और कोई उनका विचार भी नहीं करता।
הלא נסע יתרם בם ימותו ולא בחכמה׃ | 21 |
२१क्या उनके डेरे की डोरी उनके अन्दर ही अन्दर नहीं कट जाती? वे बिना बुद्धि के ही मर जाते हैं?’