< איוב 24 >

מדוע משדי לא נצפנו עתים וידעו לא חזו ימיו׃ 1
“सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने न्याय-दिवस को ठहराया क्यों नहीं है? तथा वे, जो उन्हें जानते हैं, इस दिन की प्रतीक्षा करते रह जाते हैं?
גבלות ישיגו עדר גזלו וירעו׃ 2
कुछ लोग तो भूमि की सीमाओं को परिवर्तित करते रहते हैं; वे भेड़ें पकड़कर हड़प लेते हैं.
חמור יתומים ינהגו יחבלו שור אלמנה׃ 3
वे पितृहीन के गधों को हकाल कर ले जाते हैं. वे विधवा के बैल को बंधक बना लेते हैं.
יטו אביונים מדרך יחד חבאו עניי ארץ׃ 4
वे दरिद्र को मार्ग से हटा देते हैं; देश के दीनों को मजबूर होकर एक साथ छिप जाना पड़ता है.
הן פראים במדבר יצאו בפעלם משחרי לטרף ערבה לו לחם לנערים׃ 5
ध्यान दो, दीन वन्य गधों-समान भोजन खोजते हुए भटकते रहते हैं, मरुभूमि में अपने बालकों के भोजन के लिए.
בשדה בלילו יקצירו וכרם רשע ילקשו׃ 6
अपने खेत में वे चारा एकत्र करते हैं तथा दुर्वृत्तों के दाख की बारी से सिल्ला उठाते हैं.
ערום ילינו מבלי לבוש ואין כסות בקרה׃ 7
शीतकाल में उनके लिए कोई आवरण नहीं रहते. उन्हें तो विवस्त्र ही रात्रि व्यतीत करनी पड़ती है.
מזרם הרים ירטבו ומבלי מחסה חבקו צור׃ 8
वे पर्वतीय वृष्टि से भीगे हुए हैं, सुरक्षा के लिए उन्होंने चट्टान का आश्रय लिया हुआ है.
יגזלו משד יתום ועל עני יחבלו׃ 9
अन्य वे हैं, जो दूधमुंहे, पितृहीन बालकों को छीन लेते हैं; ये ही हैं वे, जो दीन लोगों से बंधक वस्तु कर रख लेते हैं.
ערום הלכו בלי לבוש ורעבים נשאו עמר׃ 10
उन्हीं के कारण दीन को विवस्त्र रह जाना पड़ता है; वे ही भूखों से अन्‍न की पुलियां छीने लेते हैं.
בין שורתם יצהירו יקבים דרכו ויצמאו׃ 11
दीनों की दीवारों के भीतर ही वे तेल निकालते हैं; वे द्राक्षरस-कुण्ड में अंगूर तो रौंदते हैं, किंतु स्वयं प्यासे ही रहते हैं.
מעיר מתים ינאקו ונפש חללים תשוע ואלוה לא ישים תפלה׃ 12
नागरिक कराह रहे हैं, तथा घायलों की आत्मा पुकार रही है. फिर भी परमेश्वर मूर्खों की याचना की ओर ध्यान नहीं देते.
המה היו במרדי אור לא הכירו דרכיו ולא ישבו בנתיבתיו׃ 13
“कुछ अन्य ऐसे हैं, जो ज्योति के विरुद्ध अपराधी हैं, उन्हें इसकी नीतियों में कोई रुचि नहीं है, तब वे ज्योति के मार्गों पर आना नहीं चाहते.
לאור יקום רוצח יקטל עני ואביון ובלילה יהי כגנב׃ 14
हत्यारा बड़े भोर उठ जाता है, वह जाकर दीनों एवं दरिद्रों की हत्या करता है, रात्रि में वह चोरी करता है.
ועין נאף שמרה נשף לאמר לא תשורני עין וסתר פנים ישים׃ 15
व्यभिचारी की दृष्टि रात आने की प्रतीक्षा करती रहती है, वह विचार करता है, ‘तब मुझे कोई देख न सकेगा.’ वह अपने चेहरे को अंधेरे में छिपा लेता है.
חתר בחשך בתים יומם חתמו למו לא ידעו אור׃ 16
रात्रि होने पर वे सेंध लगाते हैं, तथा दिन में वे घर में छिपे रहते हैं; प्रकाश में उन्हें कोई रुचि नहीं रहती.
כי יחדו בקר למו צלמות כי יכיר בלהות צלמות׃ 17
उनके सामने प्रातःकाल भी वैसा ही होता है, जैसा घोर अंधकार, क्योंकि उनकी मैत्री तो घोर अंधकार के आतंक से है.
קל הוא על פני מים תקלל חלקתם בארץ לא יפנה דרך כרמים׃ 18
“वस्तुतः वे जल के ऊपर के फेन समान हैं; उनका भूखण्ड शापित है. तब कोई उस दिशा में दाख की बारी की ओर नहीं जाता.
ציה גם חם יגזלו מימי שלג שאול חטאו׃ (Sheol h7585) 19
सूखा तथा गर्मी हिम-जल को निगल लेते हैं, यही स्थिति होगी अधोलोक में पापियों की. (Sheol h7585)
ישכחהו רחם מתקו רמה עוד לא יזכר ותשבר כעץ עולה׃ 20
गर्भ उन्हें भूल जाता है, कीड़े उसे ऐसे आहार बना लेते हैं; कि उसकी स्मृति भी मिट जाती है, पापी वैसा ही नष्ट हो जाएगा, जैसे वृक्ष.
רעה עקרה לא תלד ואלמנה לא ייטיב׃ 21
वह बांझ स्त्री तक से छल करता है तथा विधवा का कल्याण उसके ध्यान में नहीं आता.
ומשך אבירים בכחו יקום ולא יאמין בחיין׃ 22
किंतु परमेश्वर अपनी सामर्थ्य से बलवान को हटा देते हैं; यद्यपि वे प्रतिष्ठित हो चुके होते हैं, उनके जीवन का कोई आश्वासन नहीं होता.
יתן לו לבטח וישען ועיניהו על דרכיהם׃ 23
परमेश्वर उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं, उनका पोषण करते हैं, वह उनके मार्गों की चौकसी भी करते हैं.
רומו מעט ואיננו והמכו ככל יקפצון וכראש שבלת ימלו׃ 24
अल्पकाल के लिए वे उत्कर्ष भी करते जाते हैं, तब वे नष्ट हो जाते हैं; इसके अतिरिक्त वे गिर जाते हैं तथा वे अन्यों के समान पूर्वजों में जा मिलते हैं; अन्‍न की बालों के समान कट जाना ही उनका अंत होता है.
ואם לא אפו מי יכזיבני וישם לאל מלתי׃ 25
“अब, यदि सत्य यही है, तो कौन मुझे झूठा प्रमाणित कर सकता है तथा मेरी बात को अर्थहीन घोषित कर सकता है?”

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