< איוב 23 >
גם היום מרי שחי ידי כבדה על אנחתי׃ | 2 |
मेरी शिकायत आज भी तल्ख़ है; मेरी मार मेरे कराहने से भी भारी है।
מי יתן ידעתי ואמצאהו אבוא עד תכונתו׃ | 3 |
काश कि मुझे मा'लूम होता कि वह मुझे कहाँ मिल सकता है ताकि मैं ऐन उसकी मसनद तक पहुँच जाता।
אערכה לפניו משפט ופי אמלא תוכחות׃ | 4 |
मैं अपना मु'आमिला उसके सामने पेश करता, और अपना मुँह दलीलों से भर लेता।
אדעה מלים יענני ואבינה מה יאמר לי׃ | 5 |
मैं उन लफ़्ज़ों को जान लेता जिनमें वह मुझे जवाब देता और जो कुछ वह मुझ से कहता मैं समझ लेता।
הברב כח יריב עמדי לא אך הוא ישם בי׃ | 6 |
क्या वह अपनी क़ुदरत की 'अज़मत में मुझ से लड़ता? नहीं, बल्कि वह मेरी तरफ़ तवज्जुह करता।
שם ישר נוכח עמו ואפלטה לנצח משפטי׃ | 7 |
रास्तबाज़ वहाँ उसके साथ बहस कर सकते, यूँ मैं अपने मुन्सिफ़ के हाथ से हमेशा के लिए रिहाई पाता।
הן קדם אהלך ואיננו ואחור ולא אבין לו׃ | 8 |
देखो, मैं आगे जाता हूँ लेकिन वह वहाँ नहीं, और पीछे हटता हूँ लेकिन मैं उसे देख नहीं सकता।
שמאול בעשתו ולא אחז יעטף ימין ולא אראה׃ | 9 |
बाएँ हाथ फिरता हूँ जब वह काम करता है, लेकिन वह मुझे दिखाई नहीं देता; वह दहने हाथ की तरफ़ छिप जाता है, ऐसा कि मैं उसे देख नहीं सकता।
כי ידע דרך עמדי בחנני כזהב אצא׃ | 10 |
लेकिन वह उस रास्ते को जिस पर मैं चलता हूँ जानता है; जब वह मुझे पालेगा तो मैं सोने के तरह निकल आऊँगा।
באשרו אחזה רגלי דרכו שמרתי ולא אט׃ | 11 |
मेरा पाँव उसके क़दमों से लगा रहा है। मैं उसके रास्ते पर चलता रहा हूँ और नाफ़रमान नहीं हुआ।
מצות שפתיו ולא אמיש מחקי צפנתי אמרי פיו׃ | 12 |
मैं उसके लबों के हुक्म से हटा नहीं; मैंने उसके मुँह की बातों को अपनी ज़रूरी ख़ुराक से भी ज़्यादा ज़ख़ीरा किया।
והוא באחד ומי ישיבנו ונפשו אותה ויעש׃ | 13 |
लेकिन वह एक ख़याल में रहता है, और कौन उसको फिरा सकता है? और जो कुछ उसका जी चाहता है करता है।
כי ישלים חקי וכהנה רבות עמו׃ | 14 |
क्यूँकि जो कुछ मेरे लिए मुक़र्रर है, वह पूरा करता है; और बहुत सी ऐसी बातें उसके हाथ में हैं।
על כן מפניו אבהל אתבונן ואפחד ממנו׃ | 15 |
इसलिए मैं उसके सामने घबरा जाता हूँ, मैं जब सोचता हूँ तो उससे डर जाता हूँ।
ואל הרך לבי ושדי הבהילני׃ | 16 |
क्यूँकि ख़ुदा ने मेरे दिल को बूदा कर डाला है, और क़ादिर — ए — मुतलक़ ने मुझ को घबरा दिया है।
כי לא נצמתי מפני חשך ומפני כסה אפל׃ | 17 |
इसलिए कि मैं इस ज़ुल्मत से पहले काट डाला न गया और उसने बड़ी तारीकी को मेरे सामने से न छिपाया।