< איוב 23 >
גם היום מרי שחי ידי כבדה על אנחתי׃ | 2 |
२“मेरी कुड़कुड़ाहट अब भी नहीं रुक सकती, मेरे कष्ट मेरे कराहने से भारी है।
מי יתן ידעתי ואמצאהו אבוא עד תכונתו׃ | 3 |
३भला होता, कि मैं जानता कि वह कहाँ मिल सकता है, तब मैं उसके विराजने के स्थान तक जा सकता!
אערכה לפניו משפט ופי אמלא תוכחות׃ | 4 |
४मैं उसके सामने अपना मुकद्दमा पेश करता, और बहुत से प्रमाण देता।
אדעה מלים יענני ואבינה מה יאמר לי׃ | 5 |
५मैं जान लेता कि वह मुझसे उत्तर में क्या कह सकता है, और जो कुछ वह मुझसे कहता वह मैं समझ लेता।
הברב כח יריב עמדי לא אך הוא ישם בי׃ | 6 |
६क्या वह अपना बड़ा बल दिखाकर मुझसे मुकद्दमा लड़ता? नहीं, वह मुझ पर ध्यान देता।
שם ישר נוכח עמו ואפלטה לנצח משפטי׃ | 7 |
७सज्जन उससे विवाद कर सकते, और इस रीति मैं अपने न्यायी के हाथ से सदा के लिये छूट जाता।
הן קדם אהלך ואיננו ואחור ולא אבין לו׃ | 8 |
८“देखो, मैं आगे जाता हूँ परन्तु वह नहीं मिलता; मैं पीछे हटता हूँ, परन्तु वह दिखाई नहीं पड़ता;
שמאול בעשתו ולא אחז יעטף ימין ולא אראה׃ | 9 |
९जब वह बाईं ओर काम करता है तब वह मुझे दिखाई नहीं देता; वह तो दाहिनी ओर ऐसा छिप जाता है, कि मुझे वह दिखाई ही नहीं पड़ता।
כי ידע דרך עמדי בחנני כזהב אצא׃ | 10 |
१०परन्तु वह जानता है, कि मैं कैसी चाल चला हूँ; और जब वह मुझे ता लेगा तब मैं सोने के समान निकलूँगा।
באשרו אחזה רגלי דרכו שמרתי ולא אט׃ | 11 |
११मेरे पैर उसके मार्गों में स्थिर रहे; और मैं उसी का मार्ग बिना मुड़ें थामे रहा।
מצות שפתיו ולא אמיש מחקי צפנתי אמרי פיו׃ | 12 |
१२उसकी आज्ञा का पालन करने से मैं न हटा, और मैंने उसके वचन अपनी इच्छा से कहीं अधिक काम के जानकर सुरक्षित रखे।
והוא באחד ומי ישיבנו ונפשו אותה ויעש׃ | 13 |
१३परन्तु वह एक ही बात पर अड़ा रहता है, और कौन उसको उससे फिरा सकता है? जो कुछ उसका जी चाहता है वही वह करता है।
כי ישלים חקי וכהנה רבות עמו׃ | 14 |
१४जो कुछ मेरे लिये उसने ठाना है, उसी को वह पूरा करता है; और उसके मन में ऐसी-ऐसी बहुत सी बातें हैं।
על כן מפניו אבהל אתבונן ואפחד ממנו׃ | 15 |
१५इस कारण मैं उसके सम्मुख घबरा जाता हूँ; जब मैं सोचता हूँ तब उससे थरथरा उठता हूँ।
ואל הרך לבי ושדי הבהילני׃ | 16 |
१६क्योंकि मेरा मन परमेश्वर ही ने कच्चा कर दिया, और सर्वशक्तिमान ही ने मुझ को घबरा दिया है।
כי לא נצמתי מפני חשך ומפני כסה אפל׃ | 17 |
१७क्योंकि मैं अंधकार से घिरा हुआ हूँ, और घोर अंधकार ने मेरे मुँह को ढाँप लिया है।