< איוב 22 >
ויען אליפז התמני ויאמר׃ | 1 |
तब इलिफ़ज़ तेमानी ने जवाब दिया,
הלאל יסכן גבר כי יסכן עלימו משכיל׃ | 2 |
क्या कोई इंसान ख़ुदा के काम आ सकता है? यक़ीनन 'अक़्लमन्द अपने ही काम का है।
החפץ לשדי כי תצדק ואם בצע כי תתם דרכיך׃ | 3 |
क्या तेरे सादिक़ होने से क़ादिर — ए — मुतलक को कोई ख़ुशी है? या इस बात से कि तू अपनी राहों को कामिल करता है उसे कुछ फ़ायदा है?
המיראתך יכיחך יבוא עמך במשפט׃ | 4 |
क्या इसलिए कि तुझे उसका ख़ौफ़ है, वह तुझे झिड़कता और तुझे 'अदालत में लाता है?
הלא רעתך רבה ואין קץ לעונתיך׃ | 5 |
क्या तेरी शरारत बड़ी नहीं? क्या तेरी बदकारियों की कोई हद है?
כי תחבל אחיך חנם ובגדי ערומים תפשיט׃ | 6 |
क्यूँकि तू ने अपने भाई की चीज़ें बे वजह गिरवी रख्खी, नंगों का लिबास उतार लिया।
לא מים עיף תשקה ומרעב תמנע לחם׃ | 7 |
तूने थके माँदों को पानी न पिलाया, और भूखों से रोटी को रोक रखा।
ואיש זרוע לו הארץ ונשוא פנים ישב בה׃ | 8 |
लेकिन ज़बरदस्त आदमी ज़मीन का मालिक बना, और 'इज़्ज़तदार आदमी उसमें बसा।
אלמנות שלחת ריקם וזרעות יתמים ידכא׃ | 9 |
तू ने बेवाओं को ख़ाली चलता किया, और यतीमों के बाज़ू तोड़े गए।
על כן סביבותיך פחים ויבהלך פחד פתאם׃ | 10 |
इसलिए फंदे तेरी चारों तरफ़ हैं, और नागहानी ख़ौफ़ तुझे सताता है।
או חשך לא תראה ושפעת מים תכסך׃ | 11 |
या ऐसी तारीकी कि तू देख नहीं सकता, और पानी की बाढ़ तुझे छिपाए लेती है।
הלא אלוה גבה שמים וראה ראש כוכבים כי רמו׃ | 12 |
क्या आसमान की बुलन्दी में ख़ुदा नहीं? और तारों की बुलन्दी को देख वह कैसे ऊँचे हैं।
ואמרת מה ידע אל הבעד ערפל ישפוט׃ | 13 |
फिर तू कहता है, कि 'ख़ुदा क्या जानता है? क्या वह गहरी तारीकी में से 'अदालत करेगा?
עבים סתר לו ולא יראה וחוג שמים יתהלך׃ | 14 |
पानी से भरे हुए बादल उसके लिए पर्दा हैं कि वह देख नहीं सकता; वह आसमान के दाइरे में सैर करता फिरता है।
הארח עולם תשמר אשר דרכו מתי און׃ | 15 |
क्या तू उसी पुरानी राह पर चलता रहेगा, जिस पर शरीर लोग चले हैं?
אשר קמטו ולא עת נהר יוצק יסודם׃ | 16 |
जो अपने वक़्त से पहले उठा लिए गए, और सैलाब उनकी बुनियाद को बहा ले गया।
האמרים לאל סור ממנו ומה יפעל שדי למו׃ | 17 |
जो ख़ुदा से कहते थे, 'हमारे पास से चला जा, 'और यह कि, 'क़ादिर — ए — मुतलक़ हमारे लिए कर क्या सकता है?'
והוא מלא בתיהם טוב ועצת רשעים רחקה מני׃ | 18 |
तोभी उसने उनके घरों को अच्छी अच्छी चीज़ों से भर दिया — लेकिन शरीरों की मशवरत मुझ से दूर है।
יראו צדיקים וישמחו ונקי ילעג למו׃ | 19 |
सादिक़ यह देख कर ख़ुश होते हैं, और बे गुनाह उनकी हँसी उड़ाते हैं।
אם לא נכחד קימנו ויתרם אכלה אש׃ | 20 |
और कहते हैं, कि यक़ीनन वह जो हमारे ख़िलाफ़ उठे थे कट गए, और जो उनमें से बाक़ी रह गए थे, उनको आग ने भस्म कर दिया है।
הסכן נא עמו ושלם בהם תבואתך טובה׃ | 21 |
“उससे मिला रह, तो सलामत रहेगा; और इससे तेरा भला होगा।
קח נא מפיו תורה ושים אמריו בלבבך׃ | 22 |
मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, कि शरी'अत को उसी की ज़बानी क़ुबूल कर और उसकी बातों को अपने दिल में रख ले।
אם תשוב עד שדי תבנה תרחיק עולה מאהלך׃ | 23 |
अगर तू क़ादिर — ए — मुतलक़ की तरफ़ फिरे तो बहाल किया जाएगा। बशर्ते कि तू नारास्ती को अपने ख़ेमों से दूर कर दे।
ושית על עפר בצר ובצור נחלים אופיר׃ | 24 |
तू अपने ख़ज़ाने' को मिट्टी में, और ओफ़ीर के सोने को नदियों के पत्थरों में डाल दे,
והיה שדי בצריך וכסף תועפות לך׃ | 25 |
तब क़ादिर — ए — मुतलक़ तेरा ख़ज़ाना, और तेरे लिए बेश क़ीमत चाँदी होगा।
כי אז על שדי תתענג ותשא אל אלוה פניך׃ | 26 |
क्यूँकि तब ही तू क़ादिर — ए — मुतलक़ में मसरूर रहेगा, और ख़ुदा की तरफ़ अपना मुँह उठाएगा।
תעתיר אליו וישמעך ונדריך תשלם׃ | 27 |
तू उससे दुआ करेगा, वह तेरी सुनेगा; और तू अपनी मिन्नतें पूरी करेगा।
ותגזר אומר ויקם לך ועל דרכיך נגה אור׃ | 28 |
जिस बात को तू कहेगा, वह तेरे लिए हो जाएगी और नूर तेरी राहों को रोशन करेगा।
כי השפילו ותאמר גוה ושח עינים יושע׃ | 29 |
जब वह पस्त करेंगे, तू कहेगा, 'बुलन्दी होगी। और वह हलीम आदमी को बचाएगा।
ימלט אי נקי ונמלט בבר כפיך׃ | 30 |
वह उसको भी छुड़ा लेगा, जो बेगुनाह नहीं है; हाँ वह तेरे हाथों की पाकीज़गी की वजह से छुड़ाया जाएगा।”