< איוב 19 >

ויען איוב ויאמר׃ 1
तब अय्यूब ने कहा,
עד אנה תוגיון נפשי ותדכאונני במלים׃ 2
“तुम कब तक मेरे प्राण को दुःख देते रहोगे; और बातों से मुझे चूर-चूर करोगे?
זה עשר פעמים תכלימוני לא תבשו תהכרו לי׃ 3
इन दसों बार तुम लोग मेरी निन्दा ही करते रहे, तुम्हें लज्जा नहीं आती, कि तुम मेरे साथ कठोरता का बर्ताव करते हो?
ואף אמנם שגיתי אתי תלין משוגתי׃ 4
मान लिया कि मुझसे भूल हुई, तो भी वह भूल तो मेरे ही सिर पर रहेगी।
אם אמנם עלי תגדילו ותוכיחו עלי חרפתי׃ 5
यदि तुम सचमुच मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई करते हो और प्रमाण देकर मेरी निन्दा करते हो,
דעו אפו כי אלוה עותני ומצודו עלי הקיף׃ 6
तो यह जान लो कि परमेश्वर ने मुझे गिरा दिया है, और मुझे अपने जाल में फँसा लिया है।
הן אצעק חמס ולא אענה אשוע ואין משפט׃ 7
देखो, मैं उपद्रव! उपद्रव! चिल्लाता रहता हूँ, परन्तु कोई नहीं सुनता; मैं सहायता के लिये दुहाई देता रहता हूँ, परन्तु कोई न्याय नहीं करता।
ארחי גדר ולא אעבור ועל נתיבותי חשך ישים׃ 8
उसने मेरे मार्ग को ऐसा रूंधा है कि मैं आगे चल नहीं सकता, और मेरी डगरें अंधेरी कर दी हैं।
כבודי מעלי הפשיט ויסר עטרת ראשי׃ 9
मेरा वैभव उसने हर लिया है, और मेरे सिर पर से मुकुट उतार दिया है।
יתצני סביב ואלך ויסע כעץ תקותי׃ 10
१०उसने चारों ओर से मुझे तोड़ दिया, बस मैं जाता रहा, और मेरी आशा को उसने वृक्ष के समान उखाड़ डाला है।
ויחר עלי אפו ויחשבני לו כצריו׃ 11
११उसने मुझ पर अपना क्रोध भड़काया है और अपने शत्रुओं में मुझे गिनता है।
יחד יבאו גדודיו ויסלו עלי דרכם ויחנו סביב לאהלי׃ 12
१२उसके दल इकट्ठे होकर मेरे विरुद्ध मोर्चा बाँधते हैं, और मेरे डेरे के चारों ओर छावनी डालते हैं।
אחי מעלי הרחיק וידעי אך זרו ממני׃ 13
१३“उसने मेरे भाइयों को मुझसे दूर किया है, और जो मेरी जान-पहचान के थे, वे बिलकुल अनजान हो गए हैं।
חדלו קרובי ומידעי שכחוני׃ 14
१४मेरे कुटुम्बी मुझे छोड़ गए हैं, और मेरे प्रिय मित्र मुझे भूल गए हैं।
גרי ביתי ואמהתי לזר תחשבני נכרי הייתי בעיניהם׃ 15
१५जो मेरे घर में रहा करते थे, वे, वरन् मेरी दासियाँ भी मुझे अनजान गिनने लगीं हैं; उनकी दृष्टि में मैं परदेशी हो गया हूँ।
לעבדי קראתי ולא יענה במו פי אתחנן לו׃ 16
१६जब मैं अपने दास को बुलाता हूँ, तब वह नहीं बोलता; मुझे उससे गिड़गिड़ाना पड़ता है।
רוחי זרה לאשתי וחנתי לבני בטני׃ 17
१७मेरी साँस मेरी स्त्री को और मेरी गन्ध मेरे भाइयों की दृष्टि में घिनौनी लगती है।
גם עוילים מאסו בי אקומה וידברו בי׃ 18
१८बच्चे भी मुझे तुच्छ जानते हैं; और जब मैं उठने लगता, तब वे मेरे विरुद्ध बोलते हैं।
תעבוני כל מתי סודי וזה אהבתי נהפכו בי׃ 19
१९मेरे सब परम मित्र मुझसे द्वेष रखते हैं, और जिनसे मैंने प्रेम किया वे पलटकर मेरे विरोधी हो गए हैं।
בעורי ובבשרי דבקה עצמי ואתמלטה בעור שני׃ 20
२०मेरी खाल और माँस मेरी हड्डियों से सट गए हैं, और मैं बाल-बाल बच गया हूँ।
חנני חנני אתם רעי כי יד אלוה נגעה בי׃ 21
२१हे मेरे मित्रों! मुझ पर दया करो, दया करो, क्योंकि परमेश्वर ने मुझे मारा है।
למה תרדפני כמו אל ומבשרי לא תשבעו׃ 22
२२तुम परमेश्वर के समान क्यों मेरे पीछे पड़े हो? और मेरे माँस से क्यों तृप्त नहीं हुए?
מי יתן אפו ויכתבון מלי מי יתן בספר ויחקו׃ 23
२३“भला होता, कि मेरी बातें लिखी जातीं; भला होता, कि वे पुस्तक में लिखी जातीं,
בעט ברזל ועפרת לעד בצור יחצבון׃ 24
२४और लोहे की टाँकी और सीसे से वे सदा के लिये चट्टान पर खोदी जातीं।
ואני ידעתי גאלי חי ואחרון על עפר יקום׃ 25
२५मुझे तो निश्चय है, कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है, और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा।
ואחר עורי נקפו זאת ומבשרי אחזה אלוה׃ 26
२६और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में होकर परमेश्वर का दर्शन पाऊँगा।
אשר אני אחזה לי ועיני ראו ולא זר כלו כליתי בחקי׃ 27
२७उसका दर्शन मैं आप अपनी आँखों से अपने लिये करूँगा, और न कोई दूसरा। यद्यपि मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर चूर-चूर भी हो जाए,
כי תאמרו מה נרדף לו ושרש דבר נמצא בי׃ 28
२८तो भी मुझ में तो धर्म का मूल पाया जाता है! और तुम जो कहते हो हम इसको क्यों सताएँ!
גורו לכם מפני חרב כי חמה עונות חרב למען תדעון שדין׃ 29
२९तो तुम तलवार से डरो, क्योंकि जलजलाहट से तलवार का दण्ड मिलता है, जिससे तुम जान लो कि न्याय होता है।”

< איוב 19 >