< איוב 13 >

הן כל ראתה עיני שמעה אזני ותבן לה׃ 1
“मेरी आँख ने तो यह सब कुछ देखा है, मेरे कान ने यह सुना और समझ भी लिया है।
כדעתכם ידעתי גם אני לא נפל אנכי מכם׃ 2
जो कुछ तुम जानते हो उसे मैं भी जानता हूँ, मैं तुम से कम नहीं।
אולם אני אל שדי אדבר והוכח אל אל אחפץ׃ 3
मैं तो क़ादिर — ए — मुतलक़ से गुफ़्तगू करना चाहता हूँ, मेरी आरज़ू है कि ख़ुदा के साथ बहस करूँ
ואולם אתם טפלי שקר רפאי אלל כלכם׃ 4
लेकिन तुम लोग तो झूटी बातों के गढ़ने वाले हो; तुम सब के सब निकम्मे हकीम हो।
מי יתן החרש תחרישון ותהי לכם לחכמה׃ 5
काश तुम बिल्कुल ख़ामोश हो जाते, यही तुम्हारी 'अक़्लमन्दी होती।
שמעו נא תוכחתי ורבות שפתי הקשיבו׃ 6
अब मेरी दलील सुनो, और मेरे मुँह के दा'वे पर कान लगाओ।
הלאל תדברו עולה ולו תדברו רמיה׃ 7
क्या तुम ख़ुदा के हक़ में नारास्ती से बातें करोगे, और उसके हक़ में धोके से बोलोगे?
הפניו תשאון אם לאל תריבון׃ 8
क्या तुम उसकी तरफ़दारी करोगे? क्या तुम ख़ुदा की तरफ़ से झगड़ोगे?
הטוב כי יחקר אתכם אם כהתל באנוש תהתלו בו׃ 9
क्या यह अच्छ होगा कि वह तुम्हारा जाएज़ा करें? क्या तुम उसे धोका दोगे जैसे आदमी को?
הוכח יוכיח אתכם אם בסתר פנים תשאון׃ 10
वह ज़रूर तुम्हें मलामत करेगा जो तुम ख़ुफ़िया तरफ़दारी करो,
הלא שאתו תבעת אתכם ופחדו יפל עליכם׃ 11
क्या उसका जलाल तुम्हें डरा न देगा, और उसका रौ'ब तुम पर छा न जाएगा?
זכרניכם משלי אפר לגבי חמר גביכם׃ 12
तुम्हारी छुपी बातें राख की कहावतें हैं, तुम्हारी दीवारें मिटटी की दीवारें हैं।
החרישו ממני ואדברה אני ויעבר עלי מה׃ 13
तुम चुप रहो, मुझे छोड़ो ताकि मैं बोल सकूँ, और फिर मुझ पर जो बीते सो बीते।
על מה אשא בשרי בשני ונפשי אשים בכפי׃ 14
मैं अपना ही गोश्त अपने दाँतों से क्यूँ चबाऊँ; और अपनी जान अपनी हथेली पर क्यूँ रख्खूँ?
הן יקטלני לא איחל אך דרכי אל פניו אוכיח׃ 15
देखो, वह मुझे क़त्ल करेगा, मैं इन्तिज़ार नहीं करूँगा। बहर हाल मैं अपनी राहों की ता'ईद उसके सामने करूँगा।
גם הוא לי לישועה כי לא לפניו חנף יבוא׃ 16
यह भी मेरी नजात के ज़रिए' होगा, क्यूँकि कोई बेख़ुदा उसके बराबर आ नहीं सकता।
שמעו שמוע מלתי ואחותי באזניכם׃ 17
मेरी तक़रीर को ग़ौर से सुनो, और मेरा बयान तुम्हारे कानों में पड़े।
הנה נא ערכתי משפט ידעתי כי אני אצדק׃ 18
देखो, मैंने अपना दा'वा दुरुस्त कर लिया है; मैं जानता हूँ कि मैं सच्चा हूँ।
מי הוא יריב עמדי כי עתה אחריש ואגוע׃ 19
कौन है जो मेरे साथ झगड़ेगा? क्यूँकि फिर तो मैं चुप हो कर अपनी जान दे दूँगा।
אך שתים אל תעש עמדי אז מפניך לא אסתר׃ 20
सिर्फ़ दो ही काम मुझ से न कर, तब मैं तुझ से नहीं छि पू गा:
כפך מעלי הרחק ואמתך אל תבעתני׃ 21
अपना हाथ मुझ से दूर हटाले, और तेरी हैबत मुझे ख़ौफ़ ज़दा न करे।
וקרא ואנכי אענה או אדבר והשיבני׃ 22
तब तेरे बुलाने पर मैं जवाब दूँगा; या मैं बोलूँ और तू मुझे जवाब दे।
כמה לי עונות וחטאות פשעי וחטאתי הדיעני׃ 23
मेरी बदकारियाँ और गुनाह कितने हैं? ऐसा कर कि मैं अपनी ख़ता और गुनाह को जान लूँ।
למה פניך תסתיר ותחשבני לאויב לך׃ 24
तू अपना मुँह क्यूँ छिपाता है, और मुझे अपना दुश्मन क्यूँ जानता है?
העלה נדף תערוץ ואת קש יבש תרדף׃ 25
क्या तू उड़ते पत्ते को परेशान करेगा? क्या तू सूखे डंठल के पीछे पड़ेगा?
כי תכתב עלי מררות ותורישני עונות נעורי׃ 26
क्यूँकि तू मेरे ख़िलाफ़ तल्ख़ बातें लिखता है, और मेरी जवानी की बदकारियाँ मुझ पर वापस लाता है।”
ותשם בסד רגלי ותשמור כל ארחותי על שרשי רגלי תתחקה׃ 27
तू मेरे पाँव काठ में ठोंकता, और मेरी सब राहों की निगरानी करता है; और मेरे पाँव के चारों तरफ़ बाँध खींचता है।
והוא כרקב יבלה כבגד אכלו עש׃ 28
अगरचे मैं सड़ी हुई चीज़ की तरह हूँ, जो फ़ना हो जाती है। या उस कपड़े की तरह हूँ जिसे कीड़े ने खा लिया हो।

< איוב 13 >