< תְהִלִּים 68 >

לַמְנַצֵּ֥חַ לְדָוִ֗ד מִזְמ֥וֹר שִֽׁיר׃ יָק֣וּם אֱ֭לֹהִים יָפ֣וּצוּ אוֹיְבָ֑יו וְיָנ֥וּסוּ מְ֝שַׂנְאָ֗יו מִפָּנָֽיו׃ 1
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. एक स्तोत्र. एक गीत. परमेश्वर उठे, कि उनके शत्रु बिखर जाएं; उनके शत्रु उनके सम्मुख से भाग खड़े हों.
כְּהִנְדֹּ֥ף עָשָׁ֗ן תִּ֫נְדֹּ֥ף כְּהִמֵּ֣ס דּ֭וֹנַג מִפְּנֵי־אֵ֑שׁ יֹאבְד֥וּ רְ֝שָׁעִ֗ים מִפְּנֵ֥י אֱלֹהִֽים׃ 2
आप उन्हें वैसे ही उड़ा दें, जैसे हवा धुएं को उड़ा ले जाती है, वे परमेश्वर के सामने उसी प्रकार नष्ट हो जाएं जिस प्रकार अग्नि के सम्मुख आने पर मोम.
וְֽצַדִּיקִ֗ים יִשְׂמְח֣וּ יַֽ֭עַלְצוּ לִפְנֵ֥י אֱלֹהִ֗ים וְיָשִׂ֥ישׂוּ בְשִׂמְחָֽה׃ 3
धर्मी हर्षित हों और वे परमेश्वर की उपस्थिति में हर्षोल्लास में मगन हों; वे आनंद में उल्‍लसित हों.
שִׁ֤ירוּ ׀ לֵֽאלֹהִים֮ זַמְּר֪וּ שְׁ֫מ֥וֹ סֹ֡לּוּ לָרֹכֵ֣ב בָּ֭עֲרָבוֹת בְּיָ֥הּ שְׁמ֗וֹ וְעִלְז֥וּ לְפָנָֽיו׃ 4
परमेश्वर का गुणगान करो, जो मेघों पर विराजमान होकर आगे बढ़ते हैं, उनकी महिमा का स्तवन करो, उनका नाम है याहवेह. उपयुक्त है कि उनके सामने उल्‍लसित रहा जाए.
אֲבִ֣י יְ֭תוֹמִים וְדַיַּ֣ן אַלְמָנ֑וֹת אֱ֝לֹהִ֗ים בִּמְע֥וֹן קָדְשֽׁוֹ׃ 5
परमेश्वर अपने पवित्र आवास में अनाथों के पिता तथा विधवाओं के रक्षक हैं.
אֱלֹהִ֤ים ׀ מ֘וֹשִׁ֤יב יְחִידִ֨ים ׀ בַּ֗יְתָה מוֹצִ֣יא אֲ֭סִירִים בַּכּוֹשָׁר֑וֹת אַ֥ךְ ס֝וֹרֲרִ֗ים שָׁכְנ֥וּ צְחִיחָֽה׃ 6
वह एकाकियों के लिए स्थायी परिवार निर्धारित करते तथा बंदियों को मुक्त कर देते हैं तब वे हर्ष गीत गाने लगते हैं; किंतु हठीले तपते, सूखे भूमि में निवास करने के लिए छोड़ दिए जाते हैं.
אֱֽלֹהִ֗ים בְּ֭צֵאתְךָ לִפְנֵ֣י עַמֶּ֑ךָ בְּצַעְדְּךָ֖ בִֽישִׁימ֣וֹן סֶֽלָה׃ 7
परमेश्वर, जब आप अपनी प्रजा के आगे-आगे चलने के लिए निकल पड़े, जब आप बंजर ज़मीन में से होकर जा रहे थे,
אֶ֤רֶץ רָעָ֨שָׁה ׀ אַף־שָׁמַ֣יִם נָטְפוּ֮ מִפְּנֵ֪י אֱלֹ֫הִ֥ים זֶ֥ה סִינַ֑י מִפְּנֵ֥י אֱ֝לֹהִ֗ים אֱלֹהֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 8
पृथ्वी कांप उठी, आकाश ने वृष्टि भेजी, परमेश्वर के सामने, वह जो सीनायी पर्वत के परमेश्वर हैं, परमेश्वर के सामने, जो इस्राएल के परमेश्वर हैं.
גֶּ֣שֶׁם נְ֭דָבוֹת תָּנִ֣יף אֱלֹהִ֑ים נַחֲלָתְךָ֥ וְ֝נִלְאָ֗ה אַתָּ֥ה כֽוֹנַנְתָּֽהּ׃ 9
परमेश्वर, आपने समृद्ध वृष्टि प्रदान की; आपने अपने थके हुए विरासत को ताज़ा किया.
חַיָּתְךָ֥ יָֽשְׁבוּ־בָ֑הּ תָּ֤כִ֥ין בְּטוֹבָתְךָ֖ לֶעָנִ֣י אֱלֹהִֽים׃ 10
आपकी प्रजा उस देश में बस गई; हे परमेश्वर, आपने अपनी दया के भंडार से असहाय प्रजा की आवश्यकता की व्यवस्था की.
אֲדֹנָ֥י יִתֶּן־אֹ֑מֶר הַֽ֝מְבַשְּׂר֗וֹת צָבָ֥א רָֽב׃ 11
प्रभु ने आदेश दिया और बड़ी संख्या में स्त्रियों ने यह शुभ संदेश प्रसारित कर दिया:
מַלְכֵ֣י צְ֭בָאוֹת יִדֹּד֣וּן יִדֹּד֑וּן וּנְוַת בַּ֝֗יִת תְּחַלֵּ֥ק שָׁלָֽל׃ 12
“राजा और सेना पलायन कर रहे हैं; हां, वे पलायन कर रहे हैं, और वह जो घर पर रह गई है लूट की सामग्री को वितरित करेगी.
אִֽם־תִּשְׁכְּבוּן֮ בֵּ֪ין שְׁפַ֫תָּ֥יִם כַּנְפֵ֣י י֭וֹנָה נֶחְפָּ֣ה בַכֶּ֑סֶף וְ֝אֶבְרוֹתֶ֗יהָ בִּֽירַקְרַ֥ק חָרֽוּץ׃ 13
जब तुम भेड़शाला में लेटते हो, तुम ऐसे लगते हो, मानो कबूतरी के पंखों पर चांदी, तथा उसके पैरों पर प्रकाशमान स्वर्ण मढ़ा गया हो.”
בְּפָ֘רֵ֤שׂ שַׁדַּ֓י מְלָ֘כִ֤ים בָּ֗הּ תַּשְׁלֵ֥ג בְּצַלְמֽוֹן׃ 14
जब सर्वशक्तिमान ने राजाओं को वहां तितर-बितर किया, ज़लमोन में हिमपात हो रहा था.
הַר־אֱ֭לֹהִים הַר־בָּשָׁ֑ן הַ֥ר גַּ֝בְנֻנִּ֗ים הַר־בָּשָֽׁן׃ 15
ओ देवताओं का पर्वत, बाशान पर्वत, ओ अनेक शिखरयुक्त पर्वत, बाशान पर्वत,
לָ֤מָּה ׀ תְּֽרַצְּדוּן֮ הָרִ֪ים גַּבְנֻ֫נִּ֥ים הָהָ֗ר חָמַ֣ד אֱלֹהִ֣ים לְשִׁבְתּ֑וֹ אַף־יְ֝הוָ֗ה יִשְׁכֹּ֥ן לָנֶֽצַח׃ 16
ओ अनेक शिखरयुक्त पर्वत, तुम उस पर्वत की ओर डाह की दृष्टि क्यों डाल रहे हो, जिसे परमेश्वर ने अपना आवास बनाना चाहा है, निश्चयतः वहां याहवेह सदा-सर्वदा निवास करेंगे?
רֶ֤כֶב אֱלֹהִ֗ים רִבֹּתַ֣יִם אַלְפֵ֣י שִׁנְאָ֑ן אֲדֹנָ֥י בָ֝֗ם סִינַ֥י בַּקֹּֽדֶשׁ׃ 17
परमेश्वर के रथ दस दस हजार, और हजारों हजार हैं; प्रभु अपनी पवित्रता में उनके मध्य हैं, जैसे सीनायी पर्वत पर.
עָ֘לִ֤יתָ לַמָּר֨וֹם ׀ שָׁ֘בִ֤יתָ שֶּׁ֗בִי לָקַ֣חְתָּ מַ֭תָּנוֹת בָּאָדָ֑ם וְאַ֥ף ס֝וֹרְרִ֗ים לִשְׁכֹּ֤ן ׀ יָ֬הּ אֱלֹהִֽים׃ 18
जब आप ऊंचाइयों पर चढ़ गए, और आप अपने साथ बड़ी संख्या में युद्धबन्दी ले गए; आपने मनुष्यों से, हां, हठीले मनुष्यों से भी भेंट स्वीकार की, कि आप, याहवेह परमेश्वर वहां निवास करें.
בָּ֤ר֣וּךְ אֲדֹנָי֮ י֤וֹם ׀ י֥וֹם יַֽעֲמָס־לָ֗נוּ הָ֘אֵ֤ל יְֽשׁוּעָתֵ֬נוּ סֶֽלָה׃ 19
परमेश्वर, हमारे प्रभु, हमारे उद्धारक का स्तवन हो, जो प्रतिदिन के जीवन में हमारे सहायक हैं.
הָ֤אֵ֣ל ׀ לָנוּ֮ אֵ֤ל לְֽמוֹשָׁ֫ע֥וֹת וְלֵיהוִ֥ה אֲדֹנָ֑י לַ֝מָּ֗וֶת תּוֹצָאֽוֹת׃ 20
हमारे परमेश्वर वह परमेश्वर हैं, जो हमें उद्धार प्रदान करते हैं; मृत्यु से उद्धार सर्वसत्ताधारी अधिराज याहवेह से ही होता है.
אַךְ־אֱלֹהִ֗ים יִמְחַץ֮ רֹ֤אשׁ אֹ֫יְבָ֥יו קָדְקֹ֥ד שֵׂעָ֑ר מִ֝תְהַלֵּ֗ךְ בַּאֲשָׁמָֽיו׃ 21
इसमें कोई संदेह नहीं, कि परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर कुचल देंगे, केश युक्त सिर, जो पापों में लिप्‍त रहते हैं.
אָמַ֣ר אֲ֭דֹנָי מִבָּשָׁ֣ן אָשִׁ֑יב אָ֝שִׁ֗יב מִֽמְּצֻל֥וֹת יָֽם׃ 22
प्रभु ने घोषणा की, “मैं तुम्हारे शत्रुओं को बाशान से भी खींच लाऊंगा; मैं उन्हें सागर की गहराइयों तक से निकाल लाऊंगा,
לְמַ֤עַן ׀ תִּֽמְחַ֥ץ רַגְלְךָ֗ בְּ֫דָ֥ם לְשׁ֥וֹן כְּלָבֶ֑יךָ מֵאֹיְבִ֥ים מִנֵּֽהוּ׃ 23
कि तुम अपने पांव अपने शत्रुओं के रक्त में डूबा सको, और तुम्हारे कुत्ते भी अपनी जीभ तृप्‍त कर सकें.”
רָא֣וּ הֲלִיכוֹתֶ֣יךָ אֱלֹהִ֑ים הֲלִ֘יכ֤וֹת אֵלִ֖י מַלְכִּ֣י בַקֹּֽדֶשׁ׃ 24
हे परमेश्वर, आपकी शोभायात्रा अब दिखने लगी है; वह शोभायात्रा, जो मेरे परमेश्वर और मेरे राजा की है, जो मंदिर की ओर बढ़ रही है!
קִדְּמ֣וּ שָׁ֭רִים אַחַ֣ר נֹגְנִ֑ים בְּת֥וֹךְ עֲ֝לָמ֗וֹת תּוֹפֵפֽוֹת׃ 25
इस शोभायात्रा में सबसे आगे चल रहा है गायक-वृन्द, उसके पीछे है वाद्य-वृन्द; जिनमें युवतियां भी हैं जो डफ़ बजा रही हैं.
בְּֽ֭מַקְהֵלוֹת בָּרְכ֣וּ אֱלֹהִ֑ים יְ֝הוָ֗ה מִמְּק֥וֹר יִשְׂרָאֵֽל׃ 26
विशाल जनसभा में परमेश्वर का स्तवन किया जाए; इस्राएल राष्ट्र की महासभा में याहवेह का स्तवन किया जाए.
שָׁ֤ם בִּנְיָמִ֨ן ׀ צָעִ֡יר רֹדֵ֗ם שָׂרֵ֣י יְ֭הוּדָה רִגְמָתָ֑ם שָׂרֵ֥י זְ֝בֻל֗וּן שָׂרֵ֥י נַפְתָּלִֽי׃ 27
बिन्यामिन का छोटा गोत्र उनके आगे-आगे चल रहा है, वहीं यहूदी गोत्र के न्यायियों का विशाल समूह है, ज़ेबुलून तथा नफताली गोत्र के प्रधान भी उनमें सम्मिलित हैं.
צִוָּ֥ה אֱלֹהֶ֗יךָ עֻ֫זֶּ֥ךָ עוּזָּ֥ה אֱלֹהִ֑ים ז֝֗וּ פָּעַ֥לְתָּ לָּֽנוּ׃ 28
हे परमेश्वर, अपनी सामर्थ्य को आदेश दीजिए, हम पर अपनी शक्ति प्रदर्शित कीजिए, हे परमेश्वर, जैसा आपने पहले भी किये हैं!
מֵֽ֭הֵיכָלֶךָ עַל־יְרוּשָׁלִָ֑ם לְךָ֤ יוֹבִ֖ילוּ מְלָכִ֣ים שָֽׁי׃ 29
येरूशलेम में आपके मंदिर की महिमा के कारण, राजा अपनी भेंटें आपको समर्पित करेंगे.
גְּעַ֨ר חַיַּ֪ת קָנֶ֡ה עֲדַ֤ת אַבִּירִ֨ים ׀ בְּעֶגְלֵ֬י עַמִּ֗ים מִתְרַפֵּ֥ס בְּרַצֵּי־כָ֑סֶף בִּזַּ֥ר עַ֝מִּ֗ים קְרָב֥וֹת יֶחְפָּֽצוּ׃ 30
सरकंडों के मध्य घूमते हिंसक पशुओं को, राष्ट्रों के बछड़ों के मध्य सांड़ों के झुंड को आप फटकार लगाइए. उन्हें रौंद डालिए, जिन्हें भेंट पाने की लालसा रहती है. युद्ध के लिए प्रसन्‍न राष्ट्रों की एकता भंग कर दीजिए.
יֶאֱתָ֣יוּ חַ֭שְׁמַנִּים מִנִּ֣י מִצְרָ֑יִם כּ֥וּשׁ תָּרִ֥יץ יָ֝דָ֗יו לֵאלֹהִֽים׃ 31
मिस्र देश से राजदूत आएंगे; तथा कूश देश परमेश्वर के सामने समर्पित हो जाएगा.
מַמְלְכ֣וֹת הָ֭אָרֶץ שִׁ֣ירוּ לֵאלֹהִ֑ים זַמְּר֖וּ אֲדֹנָ֣י סֶֽלָה׃ 32
पृथ्वी के समस्त राज्यो, परमेश्वर का गुणगान करो, प्रभु का स्तवन करो.
לָ֭רֹכֵב בִּשְׁמֵ֣י שְׁמֵי־קֶ֑דֶם הֵ֥ן יִתֵּ֥ן בְּ֝קוֹלוֹ ק֣וֹל עֹֽז׃ 33
उन्हीं का स्तवन, जो सनातन काल से स्वर्ग में चलते फिरते रहे हैं, जिनका स्वर मेघ के गर्जन समान है.
תְּנ֥וּ עֹ֗ז לֵֽאלֹ֫הִ֥ים עַֽל־יִשְׂרָאֵ֥ל גַּאֲוָת֑וֹ וְ֝עֻזּ֗וֹ בַּשְּׁחָקִֽים׃ 34
उन परमेश्वर के सामर्थ्य की घोषणा करो, जिनका वैभव इस्राएल राष्ट्र पर छाया है, जिनका नियंत्रण समस्त स्वर्ग पर प्रगट है.
נ֤וֹרָ֥א אֱלֹהִ֗ים מִֽמִּקְדָּ֫שֶׁ֥יךָ אֵ֤ל יִשְׂרָאֵ֗ל ה֤וּא נֹתֵ֨ן ׀ עֹ֖ז וְתַעֲצֻמ֥וֹת לָעָ֗ם בָּר֥וּךְ אֱלֹהִֽים׃ 35
परमेश्वर, अपने मंदिर में आप कितने शोभायमान लगते हैं; इस्राएल के परमेश्वर अपनी प्रजा को अधिकार एवं सामर्थ्य प्रदान करते हैं. परमेश्वर का स्तवन होता रहे!

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