< תְהִלִּים 147 >

הַ֥לְלוּ יָ֨הּ ׀ כִּי־ט֭וֹב זַמְּרָ֣ה אֱלֹהֵ֑ינוּ כִּֽי־נָ֝עִים נָאוָ֥ה תְהִלָּֽה׃ 1
यहोवा की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मनभावना है, उसकी स्तुति करना उचित है।
בּוֹנֵ֣ה יְרוּשָׁלִַ֣ם יְהוָ֑ה נִדְחֵ֖י יִשְׂרָאֵ֣ל יְכַנֵּֽס׃ 2
यहोवा यरूशलेम को फिर बसा रहा है; वह निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठा कर रहा है।
הָ֭רֹפֵא לִשְׁב֣וּרֵי לֵ֑ב וּ֝מְחַבֵּ֗שׁ לְעַצְּבוֹתָֽם׃ 3
वह खेदित मनवालों को चंगा करता है, और उनके घाव पर मरहम-पट्टी बाँधता है।
מוֹנֶ֣ה מִ֭סְפָּר לַכּוֹכָבִ֑ים לְ֝כֻלָּ֗ם שֵׁמ֥וֹת יִקְרָֽא׃ 4
वह तारों को गिनता, और उनमें से एक-एक का नाम रखता है।
גָּד֣וֹל אֲדוֹנֵ֣ינוּ וְרַב־כֹּ֑חַ לִ֝תְבוּנָת֗וֹ אֵ֣ין מִסְפָּֽר׃ 5
हमारा प्रभु महान और अति सामर्थी है; उसकी बुद्धि अपरम्पार है।
מְעוֹדֵ֣ד עֲנָוִ֣ים יְהוָ֑ה מַשְׁפִּ֖יל רְשָׁעִ֣ים עֲדֵי־אָֽרֶץ׃ 6
यहोवा नम्र लोगों को सम्भालता है, और दुष्टों को भूमि पर गिरा देता है।
עֱנ֣וּ לַיהוָ֣ה בְּתוֹדָ֑ה זַמְּר֖וּ לֵאלֹהֵ֣ינוּ בְכִנּֽוֹר׃ 7
धन्यवाद करते हुए यहोवा का गीत गाओ; वीणा बजाते हुए हमारे परमेश्वर का भजन गाओ।
הַֽמְכַסֶּ֬ה שָׁמַ֨יִם ׀ בְּעָבִ֗ים הַמֵּכִ֣ין לָאָ֣רֶץ מָטָ֑ר הַמַּצְמִ֖יחַ הָרִ֣ים חָצִֽיר׃ 8
वह आकाश को मेघों से भर देता है, और पृथ्वी के लिये मेंह को तैयार करता है, और पहाड़ों पर घास उगाता है।
נוֹתֵ֣ן לִבְהֵמָ֣ה לַחְמָ֑הּ לִבְנֵ֥י עֹ֝רֵ֗ב אֲשֶׁ֣ר יִקְרָֽאוּ׃ 9
वह पशुओं को और कौवे के बच्चों को जो पुकारते हैं, आहार देता है।
לֹ֤א בִגְבוּרַ֣ת הַסּ֣וּס יֶחְפָּ֑ץ לֹֽא־בְשׁוֹקֵ֖י הָאִ֣ישׁ יִרְצֶֽה׃ 10
१०न तो वह घोड़े के बल को चाहता है, और न पुरुष के बलवन्त पैरों से प्रसन्न होता है;
רוֹצֶ֣ה יְ֭הוָה אֶת־יְרֵאָ֑יו אֶת־הַֽמְיַחֲלִ֥ים לְחַסְדּֽוֹ׃ 11
११यहोवा अपने डरवैयों ही से प्रसन्न होता है, अर्थात् उनसे जो उसकी करुणा पर आशा लगाए रहते हैं।
שַׁבְּחִ֣י יְ֭רוּשָׁלִַם אֶת־יְהוָ֑ה הַֽלְלִ֖י אֱלֹהַ֣יִךְ צִיּֽוֹן׃ 12
१२हे यरूशलेम, यहोवा की प्रशंसा कर! हे सिय्योन, अपने परमेश्वर की स्तुति कर!
כִּֽי־חִ֭זַּק בְּרִיחֵ֣י שְׁעָרָ֑יִךְ בֵּרַ֖ךְ בָּנַ֣יִךְ בְּקִרְבֵּֽךְ׃ 13
१३क्योंकि उसने तेरे फाटकों के खम्भों को दृढ़ किया है; और तेरी सन्तानों को आशीष दी है।
הַשָּׂם־גְּבוּלֵ֥ךְ שָׁל֑וֹם חֵ֥לֶב חִ֝טִּ֗ים יַשְׂבִּיעֵֽךְ׃ 14
१४वह तेरी सीमा में शान्ति देता है, और तुझको उत्तम से उत्तम गेहूँ से तृप्त करता है।
הַשֹּׁלֵ֣חַ אִמְרָת֣וֹ אָ֑רֶץ עַד־מְ֝הֵרָ֗ה יָר֥וּץ דְּבָרֽוֹ׃ 15
१५वह पृथ्वी पर अपनी आज्ञा का प्रचार करता है, उसका वचन अति वेग से दौड़ता है।
הַנֹּתֵ֣ן שֶׁ֣לֶג כַּצָּ֑מֶר כְּ֝פ֗וֹר כָּאֵ֥פֶר יְפַזֵּֽר׃ 16
१६वह ऊन के समान हिम को गिराता है, और राख के समान पाला बिखेरता है।
מַשְׁלִ֣יךְ קַֽרְח֣וֹ כְפִתִּ֑ים לִפְנֵ֥י קָ֝רָת֗וֹ מִ֣י יַעֲמֹֽד׃ 17
१७वह बर्फ के टुकड़े गिराता है, उसकी की हुई ठण्ड को कौन सह सकता है?
יִשְׁלַ֣ח דְּבָר֣וֹ וְיַמְסֵ֑ם יַשֵּׁ֥ב ר֝וּח֗וֹ יִזְּלוּ־מָֽיִם׃ 18
१८वह आज्ञा देकर उन्हें गलाता है; वह वायु बहाता है, तब जल बहने लगता है।
מַגִּ֣יד דברו לְיַעֲקֹ֑ב חֻקָּ֥יו וּ֝מִשְׁפָּטָ֗יו לְיִשְׂרָאֵֽל׃ 19
१९वह याकूब को अपना वचन, और इस्राएल को अपनी विधियाँ और नियम बताता है।
לֹ֘א עָ֤שָׂה כֵ֨ן ׀ לְכָל־גּ֗וֹי וּמִשְׁפָּטִ֥ים בַּל־יְדָע֗וּם הַֽלְלוּ־יָֽהּ׃ 20
२०किसी और जाति से उसने ऐसा बर्ताव नहीं किया; और उसके नियमों को औरों ने नहीं जाना। यहोवा की स्तुति करो।

< תְהִלִּים 147 >