< תְהִלִּים 119 >
אַשְׁרֵ֥י תְמִֽימֵי־דָ֑רֶךְ הַֽ֝הֹלְכִ֗ים בְּתוֹרַ֥ת יְהוָֽה׃ | 1 |
कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है.
אַ֭שְׁרֵי נֹצְרֵ֥י עֵדֹתָ֗יו בְּכָל־לֵ֥ב יִדְרְשֽׁוּהוּ׃ | 2 |
कैसे धन्य हैं वे, जो उनके अधिनियमों का पालन करते हैं तथा जो पूर्ण मन से उनके खोजी हैं.
אַ֭ף לֹֽא־פָעֲל֣וּ עַוְלָ֑ה בִּדְרָכָ֥יו הָלָֽכוּ׃ | 3 |
वे याहवेह के मार्गों में चलते हैं, और उनसे कोई अन्याय नहीं होता.
אַ֭תָּה צִוִּ֥יתָה פִקֻּדֶ֗יךָ לִשְׁמֹ֥ר מְאֹֽד׃ | 4 |
आपने ये आदेश इसलिये दिए हैं, कि हम इनका पूरी तरह पालन करें.
אַ֭חֲלַי יִכֹּ֥נוּ דְרָכָ֗י לִשְׁמֹ֥ר חֻקֶּֽיךָ׃ | 5 |
मेरी कामना है कि आपके आदेशों का पालन करने में मेरा आचरण दृढ़ रहे!
אָ֥ז לֹא־אֵב֑וֹשׁ בְּ֝הַבִּיטִ֗י אֶל־כָּל־מִצְוֺתֶֽיךָ׃ | 6 |
मैं आपके आदेशों पर विचार करता रहूंगा, तब मुझे कभी लज्जित होना न पड़ेगा.
א֭וֹדְךָ בְּיֹ֣שֶׁר לֵבָ֑ב בְּ֝לָמְדִ֗י מִשְׁפְּטֵ֥י צִדְקֶֽךָ׃ | 7 |
जब मैं आपकी धर्ममय व्यवस्था का मनन करूंगा, तब मैं निष्कपट हृदय से आपका स्तवन करूंगा.
אֶת־חֻקֶּ֥יךָ אֶשְׁמֹ֑ר אַֽל־תַּעַזְבֵ֥נִי עַד־מְאֹֽד׃ | 8 |
मैं आपकी विधियों का पालन करूंगा; आप मेरा परित्याग कभी न कीजिए.
בַּמֶּ֣ה יְזַכֶּה־נַּ֭עַר אֶת־אָרְח֑וֹ לִ֝שְׁמֹ֗ר כִּדְבָרֶֽךָ׃ | 9 |
युवा अपना आचरण कैसे स्वच्छ रखे? आपके वचन पालन के द्वारा.
בְּכָל־לִבִּ֥י דְרַשְׁתִּ֑יךָ אַל־תַּ֝שְׁגֵּ֗נִי מִמִּצְוֺתֶֽיךָ׃ | 10 |
मैं आपको संपूर्ण हृदय से खोजता हूं; आप मुझे अपने आदेशों से भटकने न दीजिए.
בְּ֭לִבִּי צָפַ֣נְתִּי אִמְרָתֶ֑ךָ לְ֝מַ֗עַן לֹ֣א אֶֽחֱטָא־לָֽךְ׃ | 11 |
आपके वचन को मैंने अपने हृदय में इसलिये रख छोड़ा है, कि मैं आपके विरुद्ध पाप न कर बैठूं.
בָּר֖וּךְ אַתָּ֥ה יְהוָ֗ה לַמְּדֵ֥נִי חֻקֶּֽיךָ׃ | 12 |
याहवेह, आपका स्तवन हो; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
בִּשְׂפָתַ֥י סִפַּ֑רְתִּי כֹּ֝֗ל מִשְׁפְּטֵי־פִֽיךָ׃ | 13 |
जो व्यवस्था आपके मुख द्वारा निकली हैं, मैं उन्हें अपने मुख से दोहराता रहता हूं.
בְּדֶ֖רֶךְ עֵדְוֺתֶ֥יךָ שַׂ֗שְׂתִּי כְּעַ֣ל כָּל־הֽוֹן׃ | 14 |
आपके अधिनियमों का पालन करना मेरा आनंद है, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कोई विशाल धनराशि पर आनंदित होता है.
בְּפִקֻּדֶ֥יךָ אָשִׂ֑יחָה וְ֝אַבִּ֗יטָה אֹרְחֹתֶֽיךָ׃ | 15 |
आपके नीति-सिद्धांत मेरे चिंतन का विषय हैं, मैं आपकी सम्विधियों की विवेचना करता रहता हूं.
בְּחֻקֹּתֶ֥יךָ אֶֽשְׁתַּעֲשָׁ֑ע לֹ֭א אֶשְׁכַּ֣ח דְּבָרֶֽךָ׃ | 16 |
आपकी विधियां मुझे मगन कर देती हैं, आपके वचनों को मैं कभी न भूलूंगा.
גְּמֹ֖ל עַֽל־עַבְדְּךָ֥ אֶֽחְיֶ֗ה וְאֶשְׁמְרָ֥ה דְבָרֶֽךָ׃ | 17 |
अपने सेवक पर उपकार कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं, मैं आपके वचन का पालन करूंगा.
גַּל־עֵינַ֥י וְאַבִּ֑יטָה נִ֝פְלָא֗וֹת מִתּוֹרָתֶֽךָ׃ | 18 |
मुझे आपकी व्यवस्था की गहन और अद्भुत बातों को ग्रहण करने की दृष्टि प्रदान कीजिए.
גֵּ֣ר אָנֹכִ֣י בָאָ֑רֶץ אַל־תַּסְתֵּ֥ר מִ֝מֶּ֗נִּי מִצְוֺתֶֽיךָ׃ | 19 |
पृथ्वी पर मैं प्रवासी मात्र हूं; मुझसे अपने निर्देश न छिपाइए.
גָּרְסָ֣ה נַפְשִׁ֣י לְתַאֲבָ֑ה אֶֽל־מִשְׁפָּטֶ֥יךָ בְכָל־עֵֽת׃ | 20 |
सारा समय आपकी व्यवस्था की अभिलाषा करते-करते मेरे प्राण डूब चले हैं.
גָּ֭עַרְתָּ זֵדִ֣ים אֲרוּרִ֑ים הַ֝שֹּׁגִים מִמִּצְוֺתֶֽיךָ׃ | 21 |
आपकी प्रताड़ना उन पर पड़ती है, जो अभिमानी हैं, शापित हैं, और जो आपके आदेशों का परित्याग कर भटकते रहते हैं.
גַּ֣ל מֵֽ֭עָלַי חֶרְפָּ֣ה וָב֑וּז כִּ֖י עֵדֹתֶ֣יךָ נָצָֽרְתִּי׃ | 22 |
मुझ पर लगे घृणा और तिरस्कार के कलंक को मिटा दीजिए, क्योंकि मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं.
גַּ֤ם יָֽשְׁב֣וּ שָׂ֭רִים בִּ֣י נִדְבָּ֑רוּ עַ֝בְדְּךָ֗ יָשִׂ֥יחַ בְּחֻקֶּֽיךָ׃ | 23 |
यद्यपि प्रशासक साथ बैठकर मेरी निंदा करते हैं, आपका यह सेवक आपकी विधियों पर मनन करेगा.
גַּֽם־עֵ֭דֹתֶיךָ שַׁעֲשֻׁעָ֗י אַנְשֵׁ֥י עֲצָתִֽי׃ | 24 |
आपके अधिनियमों में मगन है मेरा आनंद; वे ही मेरे सलाहकार हैं.
דָּֽבְקָ֣ה לֶעָפָ֣ר נַפְשִׁ֑י חַ֝יֵּ֗נִי כִּדְבָרֶֽךָ׃ | 25 |
मेरा प्राण नीचे धूलि में जा पड़ा है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
דְּרָכַ֣י סִ֭פַּרְתִּי וַֽתַּעֲנֵ֗נִי לַמְּדֵ֥נִי חֻקֶּֽיךָ׃ | 26 |
जब मैंने आपके सामने अपने आचरण का वर्णन किया, आपने मुझे उत्तर दिया; याहवेह, अब मुझे अपनी विधियां सिखा दीजिए.
דֶּֽרֶךְ־פִּקּוּדֶ֥יךָ הֲבִינֵ֑נִי וְ֝אָשִׂ֗יחָה בְּנִפְלְאוֹתֶֽיךָ׃ | 27 |
मुझे अपने उपदेशों की प्रणाली की समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपके अद्भुत कार्यों पर मनन कर सकूं.
דָּלְפָ֣ה נַ֭פְשִׁי מִתּוּגָ֑ה קַ֝יְּמֵ֗נִי כִּדְבָרֶֽךָ׃ | 28 |
शोक अतिरेक में मेरा प्राण डूबा जा रहा है; अपने वचन से मुझमें बल दीजिए.
דֶּֽרֶךְ־שֶׁ֭קֶר הָסֵ֣ר מִמֶּ֑נִּי וְֽתוֹרָתְךָ֥ חָנֵּֽנִי׃ | 29 |
झूठे मार्ग से मुझे दूर रखिए; और अपनी कृपा में मुझे अपनी व्यवस्था की शिक्षा दीजिए.
דֶּֽרֶךְ־אֱמוּנָ֥ה בָחָ֑רְתִּי מִשְׁפָּטֶ֥יךָ שִׁוִּֽיתִי׃ | 30 |
मैंने सच्चाई के मार्ग को अपनाया है; मैंने आपके नियमों को अपना आदर्श बनाया है.
דָּבַ֥קְתִּי בְעֵֽדְוֺתֶ֑יךָ יְ֝הוָ֗ה אַל־תְּבִישֵֽׁנִי׃ | 31 |
याहवेह, मैंने आपके नियमों को दृढतापूर्वक थाम रखा है; मुझे लज्जित न होने दीजिए.
דֶּֽרֶךְ־מִצְוֺתֶ֥יךָ אָר֑וּץ כִּ֖י תַרְחִ֣יב לִבִּֽי׃ | 32 |
आपने मेरे हृदय में साहस का संचार किया है, तब मैं अब आपके आदेशों के पथ पर दौड़ रहा हूं.
הוֹרֵ֣נִי יְ֭הוָה דֶּ֥רֶךְ חֻקֶּ֗יךָ וְאֶצְּרֶ֥נָּה עֵֽקֶב׃ | 33 |
याहवेह, मुझे आपकी विधियों का आचरण करने की शिक्षा दीजिए, कि मैं आजीवन उनका पालन करता रहूं.
הֲ֭בִינֵנִי וְאֶצְּרָ֥ה תֽוֹרָתֶ֗ךָ וְאֶשְׁמְרֶ֥נָּה בְכָל־לֵֽב׃ | 34 |
मुझे वह समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी व्यवस्था का पालन कर सकूं और संपूर्ण हृदय से इसमें मगन आज्ञाओं का पालन कर सकूं.
הַ֭דְרִיכֵנִי בִּנְתִ֣יב מִצְוֺתֶ֑יךָ כִּי־ב֥וֹ חָפָֽצְתִּי׃ | 35 |
अपने आदेशों के मार्ग में मेरा संचालन कीजिए, क्योंकि इन्हीं में मेरा आनंद है.
הַט־לִ֭בִּי אֶל־עֵדְוֺתֶ֗יךָ וְאַ֣ל אֶל־בָּֽצַע׃ | 36 |
मेरे हृदय को स्वार्थी लाभ की ओर नहीं, परंतु अपने नियमों की ओर फेर दीजिए.
הַעֲבֵ֣ר עֵ֭ינַי מֵרְא֣וֹת שָׁ֑וְא בִּדְרָכֶ֥ךָ חַיֵּֽנִי׃ | 37 |
अपने वचन के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए; मेरी रुचि निरर्थक वस्तुओं से हटा दीजिए.
הָקֵ֣ם לְ֭עַבְדְּךָ אִמְרָתֶ֑ךָ אֲ֝שֶׁ֗ר לְיִרְאָתֶֽךָ׃ | 38 |
अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा पूर्ण कीजिए, कि आपके प्रति मेरी श्रद्धा स्थायी रहे.
הַעֲבֵ֣ר חֶ֭רְפָּתִי אֲשֶׁ֣ר יָגֹ֑רְתִּי כִּ֖י מִשְׁפָּטֶ֣יךָ טוֹבִֽים׃ | 39 |
उस लज्जा को मुझसे दूर रखिए, जिसकी मुझे आशंका है, क्योंकि आपके नियम उत्तम हैं.
הִ֭נֵּה תָּאַ֣בְתִּי לְפִקֻּדֶ֑יךָ בְּצִדְקָתְךָ֥ חַיֵּֽנִי׃ | 40 |
कैसी तीव्र है आपके उपदेशों के प्रति मेरी अभिलाषा! अपनी धार्मिकता के द्वारा मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
וִֽיבֹאֻ֣נִי חֲסָדֶ֣ךָ יְהוָ֑ה תְּ֝שֽׁוּעָתְךָ֗ כְּאִמְרָתֶֽךָ׃ | 41 |
याहवेह, आपका करुणा-प्रेम मुझ पर प्रगट हो जाए, और आपकी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे आपका उद्धार प्राप्त हो;
וְאֶֽעֱנֶ֣ה חֹרְפִ֣י דָבָ֑ר כִּֽי־בָ֝טַחְתִּי בִּדְבָרֶֽךָ׃ | 42 |
कि मैं उसे उत्तर दे सकूं, जो मेरा अपमान करता है, आपके वचन पर मेरा भरोसा है.
וְֽאַל־תַּצֵּ֬ל מִפִּ֣י דְבַר־אֱמֶ֣ת עַד־מְאֹ֑ד כִּ֖י לְמִשְׁפָּטֶ֣ךָ יִחָֽלְתִּי׃ | 43 |
सत्य के वचन मेरे मुख से न छीनिए, मैं आपकी व्यवस्था पर आशा रखता हूं.
וְאֶשְׁמְרָ֖ה תוֹרָתְךָ֥ תָמִ֗יד לְעוֹלָ֥ם וָעֶֽד׃ | 44 |
मैं सदा-सर्वदा निरंतर, आपकी व्यवस्था का पालन करता रहूंगा.
וְאֶתְהַלְּכָ֥ה בָרְחָבָ֑ה כִּ֖י פִקֻּדֶ֣יךָ דָרָֽשְׁתִּי׃ | 45 |
मेरा जीवन स्वतंत्र हो जाएगा, क्योंकि मैं आपके उपदेशों का खोजी हूं.
וַאֲדַבְּרָ֣ה בְ֭עֵדֹתֶיךָ נֶ֥גֶד מְלָכִ֗ים וְלֹ֣א אֵבֽוֹשׁ׃ | 46 |
राजाओं के सामने मैं आपके अधिनियमों पर व्याख्यान दूंगा और मुझे लज्जित नहीं होना पड़ेगा.
וְאֶשְׁתַּֽעֲשַׁ֥ע בְּמִצְוֺתֶ֗יךָ אֲשֶׁ֣ר אָהָֽבְתִּי׃ | 47 |
क्योंकि आपका आदेश मेरे आनंद का उगम हैं, और वे मुझे प्रिय हैं.
וְאֶשָּֽׂא־כַפַּ֗י אֶֽל־מִ֭צְוֺתֶיךָ אֲשֶׁ֥ר אָהָ֗בְתִּי וְאָשִׂ֥יחָה בְחֻקֶּֽיךָ׃ | 48 |
मैं आपके आदेशों की ओर हाथ बढ़ाऊंगा, जो मुझे प्रिय हैं, और आपकी विधियां मेरे मनन का विषय हैं.
זְכֹר־דָּבָ֥ר לְעַבְדֶּ֑ךָ עַ֝֗ל אֲשֶׁ֣ר יִֽחַלְתָּֽנִי׃ | 49 |
याहवेह, अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा को स्मरण कीजिए, क्योंकि आपने मुझमें आशा का संचार किया है.
זֹ֣את נֶחָמָתִ֣י בְעָנְיִ֑י כִּ֖י אִמְרָתְךָ֣ חִיָּֽתְנִי׃ | 50 |
मेरी पीड़ा में मुझे इस बातों से सांत्वना प्राप्त होती है: आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे नवजीवन का स्रोत हैं.
זֵ֭דִים הֱלִיצֻ֣נִי עַד־מְאֹ֑ד מִ֝תּֽוֹרָתְךָ֗ לֹ֣א נָטִֽיתִי׃ | 51 |
अहंकारी बेधड़क मेरा उपहास करते हैं, किंतु मैं आपकी व्यवस्था से दूर नहीं होता.
זָ֘כַ֤רְתִּי מִשְׁפָּטֶ֖יךָ מֵעוֹלָ֥ם ׀ יְהוָ֗ה וָֽאֶתְנֶחָֽם׃ | 52 |
याहवेह, जब प्राचीन काल से प्रगट आपकी व्यवस्था पर मैं विचार करता हूं, तब मुझे उनमें सांत्वना प्राप्त होती है.
זַלְעָפָ֣ה אֲ֭חָזַתְנִי מֵרְשָׁעִ֑ים עֹ֝זְבֵ֗י תּוֹרָתֶֽךָ׃ | 53 |
दुष्ट मुझमें कोप उकसाते हैं, ये वे हैं, जिन्होंने आपकी व्यवस्था त्याग दी है.
זְ֭מִרוֹת הָֽיוּ־לִ֥י חֻקֶּ֗יךָ בְּבֵ֣ית מְגוּרָֽי׃ | 54 |
आपकी विधियां मेरे गीत की विषय-वस्तु हैं चाहे मैं किसी भी स्थिति में रहूं.
זָ֘כַ֤רְתִּי בַלַּ֣יְלָה שִׁמְךָ֣ יְהוָ֑ה וָֽ֝אֶשְׁמְרָ֗ה תּוֹרָתֶֽךָ׃ | 55 |
याहवेह, मैं आपकी व्यवस्था का पालन करता हूं, रात्रि में मैं आपका स्मरण करता हूं.
זֹ֥את הָֽיְתָה־לִּ֑י כִּ֖י פִקֻּדֶ֣יךָ נָצָֽרְתִּי׃ | 56 |
आपके उपदेशों का पालन करते जाना ही मेरी चर्या है.
חֶלְקִ֖י יְהוָ֥ה אָמַ֗רְתִּי לִשְׁמֹ֥ר דְּבָרֶֽיךָ׃ | 57 |
याहवेह, आप मेरे जीवन का अंश बन गए हैं; आपके आदेशों के पालन के लिए मैंने शपथ की है.
חִלִּ֣יתִי פָנֶ֣יךָ בְכָל־לֵ֑ב חָ֝נֵּ֗נִי כְּאִמְרָתֶֽךָ׃ | 58 |
सारे मन से मैंने आपसे आग्रह किया है; अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझ पर कृपा कीजिए.
חִשַּׁ֥בְתִּי דְרָכָ֑י וָאָשִׁ֥יבָה רַ֝גְלַ֗י אֶל־עֵדֹתֶֽיךָ׃ | 59 |
मैंने अपनी जीवनशैली का विचार किया है और मैंने आपके अधिनियमों के पालन की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं.
חַ֭שְׁתִּי וְלֹ֣א הִתְמַהְמָ֑הְתִּי לִ֝שְׁמֹ֗ר מִצְוֺתֶֽיךָ׃ | 60 |
अब मैं विलंब न करूंगा और शीघ्रता से आपके आदेशों को मानना प्रारंभ कर दूंगा.
חֶבְלֵ֣י רְשָׁעִ֣ים עִוְּדֻ֑נִי תּֽ֝וֹרָתְךָ֗ לֹ֣א שָׁכָֽחְתִּי׃ | 61 |
मैं आपकी व्यवस्था से दूर न होऊंगा, यद्यपि दुर्जनों ने मुझे रस्सियों से बांध भी रखा हो.
חֲצֽוֹת־לַ֗יְלָה אָ֭קוּם לְהוֹד֣וֹת לָ֑ךְ עַ֝֗ל מִשְׁפְּטֵ֥י צִדְקֶֽךָ׃ | 62 |
आपकी युक्ति संगत व्यवस्था के प्रति आभार अभिव्यक्त करने के लिए, मैं मध्य रात्रि को ही जाग जाता हूं.
חָבֵ֣ר אָ֭נִי לְכָל־אֲשֶׁ֣ר יְרֵא֑וּךָ וּ֝לְשֹׁמְרֵ֗י פִּקּוּדֶֽיךָ׃ | 63 |
मेरी मैत्री उन सभी से है, जिनमें आपके प्रति श्रद्धा है, उन सभी से, जो आपके उपदेशों पर चलते हैं.
חַסְדְּךָ֣ יְ֭הוָה מָלְאָ֥ה הָאָ֗רֶץ חֻקֶּ֥יךָ לַמְּדֵֽנִי׃ | 64 |
याहवेह, पृथ्वी आपके करुणा-प्रेम से तृप्त है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
ט֭וֹב עָשִׂ֣יתָ עִֽם־עַבְדְּךָ֑ יְ֝הוָ֗ה כִּדְבָרֶֽךָ׃ | 65 |
याहवेह, अपनी ही प्रतिज्ञा के अनुरूप अपने सेवक का कल्याण कीजिए.
ט֤וּב טַ֣עַם וָדַ֣עַת לַמְּדֵ֑נִי כִּ֖י בְמִצְוֺתֶ֣יךָ הֶאֱמָֽנְתִּי׃ | 66 |
मुझे ज्ञान और धर्ममय परख सीखाइए, क्योंकि मैं आपकी आज्ञाओं पर भरोसा करता हूं.
טֶ֣רֶם אֶ֭עֱנֶה אֲנִ֣י שֹׁגֵ֑ג וְ֝עַתָּ֗ה אִמְרָתְךָ֥ שָׁמָֽרְתִּי׃ | 67 |
अपनी पीड़ाओं में रहने के पूर्व मैं भटक गया था, किंतु अब मैं आपके वचन के प्रति आज्ञाकारी हूं.
טוֹב־אַתָּ֥ה וּמֵטִ֗יב לַמְּדֵ֥נִי חֻקֶּֽיךָ׃ | 68 |
आप धन्य हैं, और जो कुछ आप करते हैं भला ही होता है; मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दीजिए.
טָפְל֬וּ עָלַ֣י שֶׁ֣קֶר זֵדִ֑ים אֲ֝נִ֗י בְּכָל־לֵ֤ב ׀ אֱצֹּ֬ר פִּקּוּדֶֽיךָ׃ | 69 |
यद्यपि अहंकारियों ने मुझे झूठी बातों से कलंकित कर दिया है, मैं पूर्ण सच्चाई में आपके आदेशों को थामे हुए हूं.
טָפַ֣שׁ כַּחֵ֣לֶב לִבָּ֑ם אֲ֝נִ֗י תּוֹרָתְךָ֥ שִֽׁעֲשָֽׁעְתִּי׃ | 70 |
उनके हृदय कठोर तथा संवेदनहीन हो चुके हैं, किंतु आपकी व्यवस्था ही मेरा आनंद है.
טֽוֹב־לִ֥י כִֽי־עֻנֵּ֑יתִי לְ֝מַ֗עַן אֶלְמַ֥ד חֻקֶּֽיךָ׃ | 71 |
यह मेरे लिए भला ही रहा कि मैं प्रताड़ित किया गया, इससे मैं आपकी विधियों से सीख सकूं.
טֽוֹב־לִ֥י תֽוֹרַת־פִּ֑יךָ מֵ֝אַלְפֵ֗י זָהָ֥ב וָכָֽסֶף׃ | 72 |
आपके मुख से निकली व्यवस्था मेरे लिए स्वर्ण और चांदी की हजारों मुद्राओं से कहीं अधिक मूल्यवान हैं.
יָדֶ֣יךָ עָ֭שׂוּנִי וַֽיְכוֹנְנ֑וּנִי הֲ֝בִינֵ֗נִי וְאֶלְמְדָ֥ה מִצְוֺתֶֽיךָ׃ | 73 |
आपके हाथों ने मेरा निर्माण किया और मुझे आकार दिया; मुझे अपने आदेशों को समझने की सद्बुद्धि प्रदान कीजिए.
יְ֭רֵאֶיךָ יִרְא֣וּנִי וְיִשְׂמָ֑חוּ כִּ֖י לִדְבָרְךָ֣ יִחָֽלְתִּי׃ | 74 |
मुझे देख आपके भक्त उल्लसित हो सकें, क्योंकि आपका वचन ही मेरी आशा है.
יָדַ֣עְתִּי יְ֭הוָה כִּי־צֶ֣דֶק מִשְׁפָּטֶ֑יךָ וֶ֝אֱמוּנָ֗ה עִנִּיתָֽנִי׃ | 75 |
याहवेह, यह मैं जानता हूं कि आपकी व्यवस्था धर्ममय है, और आपके द्वारा मेरा क्लेश न्याय संगत था.
יְהִי־נָ֣א חַסְדְּךָ֣ לְנַחֲמֵ֑נִי כְּאִמְרָתְךָ֥ לְעַבְדֶּֽךָ׃ | 76 |
अब अपने सेवक से की गई प्रतिज्ञा के अनुरूप, आपका करुणा-प्रेम ही मेरी शांति है!
יְבֹא֣וּנִי רַחֲמֶ֣יךָ וְאֶֽחְיֶ֑ה כִּי־תֽ֝וֹרָתְךָ֗ שַֽׁעֲשֻׁעָֽי׃ | 77 |
आपकी व्यवस्था में मेरा आनन्दमग्न है, तब मुझे आपकी मनोहरता में जीवन प्राप्त हो.
יֵבֹ֣שׁוּ זֵ֭דִים כִּי־שֶׁ֣קֶר עִוְּת֑וּנִי אֲ֝נִ֗י אָשִׂ֥יחַ בְּפִקּוּדֶֽיךָ׃ | 78 |
अहंकारियों को लज्जित होना पड़े क्योंकि उन्होंने अकारण ही मुझसे छल किया है; किंतु मैं आपके उपदेशों पर मनन करता रहूंगा.
יָשׁ֣וּבוּ לִ֣י יְרֵאֶ֑יךָ וידעו עֵדֹתֶֽיךָ׃ | 79 |
आपके श्रद्धालु, जिन्होंने आपके अधिनियमों को समझ लिया है, पुनः मेरे पक्ष में हो जाएं,
יְהִֽי־לִבִּ֣י תָמִ֣ים בְּחֻקֶּ֑יךָ לְ֝מַ֗עַן לֹ֣א אֵבֽוֹשׁ׃ | 80 |
मेरा हृदय पूर्ण सिद्धता में आपकी विधियों का पालन करता रहे, कि मुझे लज्जित न होना पड़े.
כָּלְתָ֣ה לִתְשׁוּעָתְךָ֣ נַפְשִׁ֑י לִדְבָרְךָ֥ יִחָֽלְתִּי׃ | 81 |
आपके उद्धार की तीव्र अभिलाषा करते हुए मेरा प्राण बेचैन हुआ जा रहा है, अब आपका वचन ही मेरी आशा का आधार है.
כָּל֣וּ עֵ֭ינַי לְאִמְרָתֶ֑ךָ לֵ֝אמֹ֗ר מָתַ֥י תְּֽנַחֲמֵֽנִי׃ | 82 |
आपकी प्रतिज्ञा-पूर्ति की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं; मैं पूछ रहा हूं, “कब मुझे आपकी ओर से सांत्वना प्राप्त होगी?”
כִּֽי־הָ֭יִיתִי כְּנֹ֣אד בְּקִיט֑וֹר חֻ֝קֶּ֗יךָ לֹ֣א שָׁכָֽחְתִּי׃ | 83 |
यद्यपि मैं धुएं में संकुचित द्राक्षारस की कुप्पी के समान हो गया हूं, फिर भी आपकी विधियां मेरे मन से लुप्त नहीं हुई हैं.
כַּמָּ֥ה יְמֵֽי־עַבְדֶּ֑ךָ מָתַ֬י תַּעֲשֶׂ֖ה בְרֹדְפַ֣י מִשְׁפָּֽט׃ | 84 |
और कितनी प्रतीक्षा करनी होगी आपके सेवक को? आप कब मेरे सतानेवालों को दंड देंगे?
כָּֽרוּ־לִ֣י זֵדִ֣ים שִׁיח֑וֹת אֲ֝שֶׁ֗ר לֹ֣א כְתוֹרָתֶֽךָ׃ | 85 |
अहंकारियों ने मेरे लिए गड्ढे खोद रखे हैं, उनका आचरण आपकी व्यवस्था के विपरीत है.
כָּל־מִצְוֺתֶ֥יךָ אֱמוּנָ֑ה שֶׁ֖קֶר רְדָפ֣וּנִי עָזְרֵֽנִי׃ | 86 |
विश्वासयोग्य हैं आपके आदेश; मेरी सहायता कीजिए, झूठ बोलनेवाले मुझे दुःखित कर रहे हैं.
כִּ֭מְעַט כִּלּ֣וּנִי בָאָ֑רֶץ וַ֝אֲנִ֗י לֹא־עָזַ֥בְתִּי פִקֻּודֶֽיךָ׃ | 87 |
उन्होंने मुझे धरती पर से लगभग मिटा ही डाला था, फिर भी मैं आपके नीति सूत्रों से दूर न हुआ.
כְּחַסְדְּךָ֥ חַיֵּ֑נִי וְ֝אֶשְׁמְרָ֗ה עֵד֥וּת פִּֽיךָ׃ | 88 |
मैं आपके मुख से बोले हुए नियमों का पालन करता रहूंगा, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मेरे जीवन की रक्षा कीजिए.
לְעוֹלָ֥ם יְהוָ֑ה דְּ֝בָרְךָ֗ נִצָּ֥ב בַּשָּׁמָֽיִם׃ | 89 |
याहवेह, सर्वदा है आपका वचन; यह स्वर्ग में दृढतापूर्वक बसा है.
לְדֹ֣ר וָ֭דֹר אֱמֽוּנָתֶ֑ךָ כּוֹנַ֥נְתָּ אֶ֝֗רֶץ וַֽתַּעֲמֹֽד׃ | 90 |
पीढ़ी से पीढ़ी आपकी सच्चाई बनी रहती है; आपके द्वारा ही पृथ्वी की स्थापना की गई और यह स्थायी बनी हुई है.
לְֽ֭מִשְׁפָּטֶיךָ עָמְד֣וּ הַיּ֑וֹם כִּ֖י הַכֹּ֣ל עֲבָדֶֽיךָ׃ | 91 |
आप के नियम सभी आज तक अस्तित्व में हैं, और सभी कुछ आपकी सेवा कर रहे हैं.
לוּלֵ֣י ת֭וֹרָתְךָ שַׁעֲשֻׁעָ֑י אָ֝֗ז אָבַ֥דְתִּי בְעָנְיִֽי׃ | 92 |
यदि आपकी व्यवस्था में मैं उल्लास मगन न होता, तो इन पीड़ाओं को सहते सहते मेरी मृत्यु हो जाती.
לְ֭עוֹלָם לֹא־אֶשְׁכַּ֣ח פִּקּוּדֶ֑יךָ כִּ֥י בָ֝֗ם חִיִּיתָֽנִי׃ | 93 |
आपके उपदेश मेरे मन से कभी नष्ट न होंगे, क्योंकि इन्हीं के द्वारा आपने मुझे जीवन प्रदान किया है,
לְֽךָ־אֲ֭נִי הוֹשִׁיעֵ֑נִי כִּ֖י פִקּוּדֶ֣יךָ דָרָֽשְׁתִּי׃ | 94 |
तब मुझ पर आपका ही स्वामित्व है, मेरी रक्षा कीजिए; मैं आपके ही उपदेशों का खोजी हूं.
לִ֤י קִוּ֣וּ רְשָׁעִ֣ים לְאַבְּדֵ֑נִי עֵ֝דֹתֶ֗יךָ אֶתְבּוֹנָֽן׃ | 95 |
दुष्ट मुझे नष्ट करने के उद्देश्य से घात लगाए बैठे हैं, किंतु आपकी चेतावनियों पर मैं विचार करता रहूंगा.
לְֽכָל תִּ֭כְלָה רָאִ֣יתִי קֵ֑ץ רְחָבָ֖ה מִצְוָתְךָ֣ מְאֹֽד׃ | 96 |
हर एक सिद्धता में मैंने कोई न कोई सीमा ही पाई है, किंतु आपके आदेश असीमित हैं.
מָֽה־אָהַ֥בְתִּי תוֹרָתֶ֑ךָ כָּל־הַ֝יּ֗וֹם הִ֣יא שִׂיחָתִֽי׃ | 97 |
आह, कितनी अधिक प्रिय है मुझे आपकी व्यवस्था! इतना, कि मैं दिन भर इसी पर विचार करता रहता हूं.
מֵ֭אֹ֣יְבַי תְּחַכְּמֵ֣נִי מִצְוֺתֶ֑ךָ כִּ֖י לְעוֹלָ֣ם הִיא־לִֽי׃ | 98 |
आपके आदेशों ने तो मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान बना दिया है क्योंकि ये कभी मुझसे दूर नहीं होते.
מִכָּל־מְלַמְּדַ֥י הִשְׂכַּ֑לְתִּי כִּ֥י עֵ֝דְוֺתֶ֗יךָ שִׂ֣יחָה לִֽֿי׃ | 99 |
मुझमें तो अपने सभी शिक्षकों से अधिक समझ है, क्योंकि आपके उपदेश मेरे चिंतन का विषय हैं.
מִזְּקֵנִ֥ים אֶתְבּוֹנָ֑ן כִּ֖י פִקּוּדֶ֣יךָ נָצָֽרְתִּי׃ | 100 |
आपके उपदेशों का पालन करने का ही परिणाम यह है, कि मुझमें बुजुर्गों से अधिक समझ है.
מִכָּל־אֹ֣רַח רָ֭ע כָּלִ֣אתִי רַגְלָ֑י לְ֝מַ֗עַן אֶשְׁמֹ֥ר דְּבָרֶֽךָ׃ | 101 |
आपकी आज्ञा का पालन करने के लक्ष्य से, मैंने अपने कदम हर एक अधर्म के पथ पर चलने से बचा रखे हैं.
מִמִּשְׁפָּטֶ֥יךָ לֹא־סָ֑רְתִּי כִּֽי־אַ֝תָּ֗ה הוֹרֵתָֽנִי׃ | 102 |
आप ही के द्वारा दी गई शिक्षा के कारण, मैं आपके नियम तोड़ने से बच सका हूं.
מַה־נִּמְלְצ֣וּ לְ֭חִכִּי אִמְרָתֶ֗ךָ מִדְּבַ֥שׁ לְפִֽי׃ | 103 |
कैसा मधुर है आपकी प्रतिज्ञाओं का आस्वादन करना, आपकी प्रतिज्ञाएं मेरे मुख में मधु से भी अधिक मीठी हैं!
מִפִּקּוּדֶ֥יךָ אֶתְבּוֹנָ֑ן עַל־כֵּ֝֗ן שָׂנֵ֤אתִי ׀ כָּל־אֹ֬רַח שָֽׁקֶר׃ | 104 |
हर एक झूठा मार्ग मेरी दृष्टि में घृणास्पद है; क्योंकि आपके उपदेशों से मुझे समझदारी प्राप्त होती है.
נֵר־לְרַגְלִ֥י דְבָרֶ֑ךָ וְ֝א֗וֹר לִנְתִיבָתִֽי׃ | 105 |
आपका वचन मेरे पांवों के लिए दीपक, और मेरे मार्ग के लिए प्रकाश है.
נִשְׁבַּ֥עְתִּי וָאֲקַיֵּ֑מָה לִ֝שְׁמֹ֗ר מִשְׁפְּטֵ֥י צִדְקֶֽךָ׃ | 106 |
मैंने यह शपथ ली है और यह सुनिश्चित किया है, कि मैं आपके धर्ममय नियमों का ही पालन करता जाऊंगा.
נַעֲנֵ֥יתִי עַד־מְאֹ֑ד יְ֝הוָ֗ה חַיֵּ֥נִי כִדְבָרֶֽךָ׃ | 107 |
याहवेह, मेरी पीड़ा असह्य है; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
נִדְב֣וֹת פִּ֭י רְצֵה־נָ֣א יְהוָ֑ה וּֽמִשְׁפָּטֶ֥יךָ לַמְּדֵֽנִי׃ | 108 |
याहवेह, मेरे मुख से निकले स्वैच्छिक स्तवन वचनों को स्वीकार कीजिए, और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
נַפְשִׁ֣י בְכַפִּ֣י תָמִ֑יד וְ֝תֽוֹרָתְךָ֗ לֹ֣א שָׁכָֽחְתִּי׃ | 109 |
आपकी व्यवस्था से मैं कभी दूर न होऊंगा, यद्यपि मैं लगातार अपने जीवन को हथेली पर लिए फिरता हूं.
נָתְנ֬וּ רְשָׁעִ֣ים פַּ֣ח לִ֑י וּ֝מִפִּקּוּדֶ֗יךָ לֹ֣א תָעִֽיתִי׃ | 110 |
दुष्टों ने मेरे लिए जाल बिछाया हुआ है, किंतु मैं आपके उपदेशों से नहीं भटका.
נָחַ֣לְתִּי עֵדְוֺתֶ֣יךָ לְעוֹלָ֑ם כִּֽי־שְׂשׂ֖וֹן לִבִּ֣י הֵֽמָּה׃ | 111 |
आपके नियमों को मैंने सदा-सर्वदा के लिए निज भाग में प्राप्त कर लिया है; वे ही मेरे हृदय का आनंद हैं.
נָטִ֣יתִי לִ֭בִּי לַעֲשׂ֥וֹת חֻקֶּ֗יךָ לְעוֹלָ֥ם עֵֽקֶב׃ | 112 |
आपकी विधियों का अंत तक पालन करने के लिए मेरा हृदय तैयार है.
סֵעֲפִ֥ים שָׂנֵ֑אתִי וְֽתוֹרָתְךָ֥ אָהָֽבְתִּי׃ | 113 |
दुविधा से ग्रस्त मन का पुरुष मेरे लिए घृणास्पद है, मुझे प्रिय है आपकी व्यवस्था.
סִתְרִ֣י וּמָגִנִּ֣י אָ֑תָּה לִדְבָרְךָ֥ יִחָֽלְתִּי׃ | 114 |
आप मेरे आश्रय हैं, मेरी ढाल हैं; मेरी आशा का आधार है आपका वचन.
סֽוּרוּ־מִמֶּ֥נִּי מְרֵעִ֑ים וְ֝אֶצְּרָ֗ה מִצְוֺ֥ת אֱלֹהָֽי׃ | 115 |
अधर्मियो, दूर रहो मुझसे, कि मैं परमेश्वर के आदेशों का पालन कर सकूं!
סָמְכֵ֣נִי כְאִמְרָתְךָ֣ וְאֶֽחְיֶ֑ה וְאַל־תְּ֝בִישֵׁ֗נִי מִשִּׂבְרִֽי׃ | 116 |
याहवेह, अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझे सम्भालिए, कि मैं जीवित रहूं; मेरी आशा भंग न होने पाए.
סְעָדֵ֥נִי וְאִוָּשֵׁ֑עָה וְאֶשְׁעָ֖ה בְחֻקֶּ֣יךָ תָמִֽיד׃ | 117 |
मुझे थाम लीजिए कि मैं सुरक्षित रहूं; मैं सदैव आपकी विधियों पर भरोसा करता रहूंगा.
סָ֭לִיתָ כָּל־שׁוֹגִ֣ים מֵחֻקֶּ֑יךָ כִּי־שֶׁ֝֗קֶר תַּרְמִיתָֽם׃ | 118 |
वे सभी, जो आपके नियमों से भटक जाते हैं, आपकी उपेक्षा के पात्र हो जाते हैं, क्योंकि निरर्थक होती है उनकी चालाकी.
סִגִ֗ים הִשְׁבַּ֥תָּ כָל־רִשְׁעֵי־אָ֑רֶץ לָ֝כֵ֗ן אָהַ֥בְתִּי עֵדֹתֶֽיךָ׃ | 119 |
संसार के सभी दुष्टों को आप मैल के समान फेंक देते हैं; यही कारण है कि मुझे आपकी चेतावनियां प्रिय हैं.
סָמַ֣ר מִפַּחְדְּךָ֣ בְשָׂרִ֑י וּֽמִמִּשְׁפָּטֶ֥יךָ יָרֵֽאתִי׃ | 120 |
आपके भय से मेरी देह कांप जाती है; आपके निर्णयों का विचार मुझमें भय का संचार कर देता है.
עָ֭שִׂיתִי מִשְׁפָּ֣ט וָצֶ֑דֶק בַּל־תַּ֝נִּיחֵ֗נִי לְעֹֽשְׁקָֽי׃ | 121 |
मैंने वही किया है, जो न्याय संगत तथा धर्ममय है; मुझे सतानेवालों के सामने न छोड़ दीजिएगा.
עֲרֹ֣ב עַבְדְּךָ֣ לְט֑וֹב אַֽל־יַעַשְׁקֻ֥נִי זֵדִֽים׃ | 122 |
अपने सेवक का हित निश्चित कर दीजिए; अहंकारियों को मुझ पर अत्याचार न करने दीजिए.
עֵ֭ינַי כָּל֣וּ לִֽישׁוּעָתֶ֑ךָ וּלְאִמְרַ֥ת צִדְקֶֽךָ׃ | 123 |
आपके उद्धार की प्रतीक्षा में, आपकी निष्ठ प्रतिज्ञाओं की प्रतीक्षा में मेरी आंखें थक चुकी हैं.
עֲשֵׂ֖ה עִם־עַבְדְּךָ֥ כְחַסְדֶּ֗ךָ וְחֻקֶּ֥יךָ לַמְּדֵֽנִי׃ | 124 |
अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप अपने सेवक से व्यवहार कीजिए और मुझे अपने अधिनियमों की शिक्षा दीजिए.
עַבְדְּךָ־אָ֥נִי הֲבִינֵ֑נִי וְ֝אֵדְעָ֗ה עֵדֹתֶֽיךָ׃ | 125 |
मैं आपका सेवक हूं, मुझे समझ प्रदान कीजिए, कि मैं आपकी विधियों को समझ सकूं.
עֵ֭ת לַעֲשׂ֣וֹת לַיהוָ֑ה הֵ֝פֵ֗רוּ תּוֹרָתֶֽךָ׃ | 126 |
याहवेह, आपके नियम तोड़े जा रहे हैं; समय आ गया है कि आप अपना कार्य करें.
עַל־כֵּ֭ן אָהַ֣בְתִּי מִצְוֺתֶ֑יךָ מִזָּהָ֥ב וּמִפָּֽז׃ | 127 |
इसलिये कि मुझे आपके आदेश स्वर्ण से अधिक प्रिय हैं, शुद्ध कुन्दन से अधिक,
עַל־כֵּ֤ן ׀ כָּל־פִּקּ֣וּדֵי כֹ֣ל יִשָּׁ֑רְתִּי כָּל־אֹ֖רַח שֶׁ֣קֶר שָׂנֵֽאתִי׃ | 128 |
मैं आपके उपदेशों को धर्ममय मानता हूं, तब मुझे हर एक गलत मार्ग से घृणा है.
פְּלָא֥וֹת עֵדְוֺתֶ֑יךָ עַל־כֵּ֝֗ן נְצָרָ֥תַם נַפְשִֽׁי׃ | 129 |
अद्भुत हैं आपके अधिनियम; इसलिये मैं उनका पालन करता हूं.
פֵּ֖תַח דְּבָרֶ֥יךָ יָאִ֗יר מֵבִ֥ין פְּתָיִֽים׃ | 130 |
आपके वचन के खुलने से ज्योति उत्पन्न होती है; परिणामस्वरूप भोले पुरुषों को सबुद्धि प्राप्त होती है.
פִּֽי־פָ֭עַרְתִּי וָאֶשְׁאָ֑פָה כִּ֖י לְמִצְוֺתֶ֣יךָ יָאָֽבְתִּי׃ | 131 |
मेरा मुख खुला है और मैं हांफ रहा हूं, क्योंकि मुझे प्यास है आपके आदेशों की.
פְּנֵה־אֵלַ֥י וְחָנֵּ֑נִי כְּ֝מִשְׁפָּ֗ט לְאֹהֲבֵ֥י שְׁמֶֽךָ׃ | 132 |
मेरी ओर ध्यान दीजिए और मुझ पर कृपा कीजिए, जैसी आपकी नीति उनके प्रति है, जिन्हें आपसे प्रेम है.
פְּ֭עָמַי הָכֵ֣ן בְּאִמְרָתֶ֑ךָ וְֽאַל־תַּשְׁלֶט ־בִּ֥י כָל־אָֽוֶן׃ | 133 |
अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मेरे पांव को स्थिर कर दीजिए; कोई भी दुष्टता मुझ पर प्रभुता न करने पाए.
פְּ֭דֵנִי מֵעֹ֣שֶׁק אָדָ֑ם וְ֝אֶשְׁמְרָ֗ה פִּקּוּדֶֽיךָ׃ | 134 |
मुझे मनुष्यों के अत्याचार से छुड़ा लीजिए, कि मैं आपके उपदेशों का पालन कर सकूं.
פָּ֭נֶיךָ הָאֵ֣ר בְּעַבְדֶּ֑ךָ וְ֝לַמְּדֵ֗נִי אֶת־חֻקֶּֽיךָ׃ | 135 |
अपने सेवक पर अपना मुख प्रकाशित कीजिए और मुझे अपने नियमों की शिक्षा दीजिए.
פַּלְגֵי־מַ֭יִם יָרְד֣וּ עֵינָ֑י עַ֝֗ל לֹא־שָׁמְר֥וּ תוֹרָתֶֽךָ׃ | 136 |
मेरी आंखों से अश्रुप्रवाह हो रहा है, क्योंकि लोग आपकी व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे.
צַדִּ֣יק אַתָּ֣ה יְהוָ֑ה וְ֝יָשָׁ֗ר מִשְׁפָּטֶֽיךָ׃ | 137 |
याहवेह, आप धर्मी हैं, सच्चे हैं आपके नियम.
צִ֭וִּיתָ צֶ֣דֶק עֵדֹתֶ֑יךָ וֶֽאֱמוּנָ֥ה מְאֹֽד׃ | 138 |
जो अधिनियम आपने प्रगट किए हैं, वे धर्ममय हैं; वे हर एक दृष्टिकोण से विश्वासयोग्य हैं.
צִמְּתַ֥תְנִי קִנְאָתִ֑י כִּֽי־שָׁכְח֖וּ דְבָרֶ֣יךָ צָרָֽי׃ | 139 |
मैं भस्म हो रहा हूं, क्योंकि मेरे शत्रु आपके वचनों को भूल गए हैं.
צְרוּפָ֖ה אִמְרָתְךָ֥ מְאֹ֗ד וְֽעַבְדְּךָ֥ אֲהֵבָֽהּ׃ | 140 |
आपकी प्रतिज्ञाओं का उचित परीक्षण किया जा चुका है, वे आपके सेवक को अत्यंत प्रिय हैं.
צָעִ֣יר אָנֹכִ֣י וְנִבְזֶ֑ה פִּ֝קֻּדֶ֗יךָ לֹ֣א שָׁכָֽחְתִּי׃ | 141 |
यद्यपि मैं छोटा, यहां तक कि लोगों की दृष्टि में घृणास्पद हूं, फिर भी मैं आपके अधिनियमों को नहीं भूलता.
צִדְקָתְךָ֣ צֶ֣דֶק לְעוֹלָ֑ם וְֽתוֹרָתְךָ֥ אֱמֶֽת׃ | 142 |
अनंत है आपकी धार्मिकता, परमेश्वर तथा यथार्थ है आपकी व्यवस्था.
צַר־וּמָצ֥וֹק מְצָא֑וּנִי מִ֝צְוֺתֶ֗יךָ שַׁעֲשֻׁעָֽי׃ | 143 |
क्लेश और संकट मुझ पर टूट पड़े हैं, किंतु आपके आदेश मुझे मगन रखे हुए हैं.
צֶ֖דֶק עֵדְוֺתֶ֥יךָ לְעוֹלָ֗ם הֲבִינֵ֥נִי וְאֶחְיֶֽה׃ | 144 |
आपके अधिनियम सदा-सर्वदा धर्ममय ही प्रमाणित हुए हैं; मुझे इनके विषय में ऐसी समझ प्रदान कीजिए कि मैं जीवित रह सकूं.
קָרָ֣אתִי בְכָל־לֵ֭ב עֲנֵ֥נִי יְהוָ֗ה חֻקֶּ֥יךָ אֶצֹּֽרָה׃ | 145 |
याहवेह, मैं संपूर्ण हृदय से आपको पुकार रहा हूं, मुझे उत्तर दीजिए, कि मैं आपकी विधियों का पालन कर सकूं.
קְרָאתִ֥יךָ הוֹשִׁיעֵ֑נִי וְ֝אֶשְׁמְרָ֗ה עֵדֹתֶֽיךָ׃ | 146 |
मैं आपको पुकार रहा हूं; मेरी रक्षा कीजिए, कि मैं आपके अधिनियमों का पालन कर सकूं.
קִדַּ֣מְתִּי בַ֭נֶּשֶׁף וָאֲשַׁוֵּ֑עָה לדבריך יִחָֽלְתִּי׃ | 147 |
मैं सूर्योदय से पूर्व ही जाग कर सहायता के लिये पुकारता हूं; मेरी आशा आपके वचन पर आधारित है.
קִדְּמ֣וּ עֵ֭ינַי אַשְׁמֻר֑וֹת לָ֝שִׂ֗יחַ בְּאִמְרָתֶֽךָ׃ | 148 |
रात्रि के समस्त प्रहरों में मेरी आंखें खुली रहती हैं, कि मैं आपकी प्रतिज्ञाओं पर मनन कर सकूं.
ק֭וֹלִי שִׁמְעָ֣ה כְחַסְדֶּ֑ךָ יְ֝הוָ֗ה כְּֽמִשְׁפָּטֶ֥ךָ חַיֵּֽנִי׃ | 149 |
अपने करुणा-प्रेम के कारण मेरी पुकार सुनिए; याहवेह, अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
קָ֭רְבוּ רֹדְפֵ֣י זִמָּ֑ה מִתּוֹרָתְךָ֥ רָחָֽקוּ׃ | 150 |
जो मेरे विरुद्ध बुराई की युक्ति रच रहे हैं, मेरे निकट आ गए हैं, किंतु वे आपकी व्यवस्था से दूर हैं.
קָר֣וֹב אַתָּ֣ה יְהוָ֑ה וְֽכָל־מִצְוֺתֶ֥יךָ אֱמֶֽת׃ | 151 |
फिर भी, याहवेह, आप मेरे निकट हैं, और आपके सभी आदेश प्रामाणिक हैं.
קֶ֣דֶם יָ֭דַעְתִּי מֵעֵדֹתֶ֑יךָ כִּ֖י לְעוֹלָ֣ם יְסַדְתָּֽם׃ | 152 |
अनेक-अनेक वर्ष पूर्व मैंने आपके अधिनियमों से यह अनुभव कर लिया था कि आपने इनकी स्थापना ही इसलिये की है कि ये सदा-सर्वदा स्थायी बने रहें.
רְאֵֽה־עָנְיִ֥י וְחַלְּצֵ֑נִי כִּי־תֽ֝וֹרָתְךָ֗ לֹ֣א שָׁכָֽחְתִּי׃ | 153 |
मेरे दुःख पर ध्यान दीजिए और मुझे इससे बचा लीजिए, क्योंकि आपकी व्यवस्था को मैं भुला नहीं.
רִיבָ֣ה רִ֭יבִי וּגְאָלֵ֑נִי לְאִמְרָתְךָ֥ חַיֵּֽנִי׃ | 154 |
मेरे पक्ष का समर्थन करके मेरा उद्धार कीजिए; अपनी प्रतिज्ञा के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
רָח֣וֹק מֵרְשָׁעִ֣ים יְשׁוּעָ֑ה כִּֽי־חֻ֝קֶּיךָ לֹ֣א דָרָֽשׁוּ׃ | 155 |
कठिन है दुष्टों का उद्धार होना, क्योंकि उन्हें आपकी विधियों की महानता ही ज्ञात नहीं.
רַחֲמֶ֖יךָ רַבִּ֥ים ׀ יְהוָ֑ה כְּֽמִשְׁפָּטֶ֥יךָ חַיֵּֽנִי׃ | 156 |
याहवेह, अनुपम है आपकी मनोहरता; अपने ही नियमों के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
רַ֭בִּים רֹדְפַ֣י וְצָרָ֑י מֵ֝עֵדְוֺתֶ֗יךָ לֹ֣א נָטִֽיתִי׃ | 157 |
मेरे सतानेवाले तथा शत्रु अनेक हैं, किंतु मैं आपके अधिनियमों से दूर नहीं हुआ हूं.
רָאִ֣יתִי בֹ֭גְדִים וָֽאֶתְקוֹטָ֑טָה אֲשֶׁ֥ר אִ֝מְרָתְךָ֗ לֹ֣א שָׁמָֽרוּ׃ | 158 |
विश्वासघाती आपके आदेशों का पालन नहीं करते, तब मेरी दृष्टि में वे घृणास्पद हैं.
רְ֭אֵה כִּי־פִקּוּדֶ֣יךָ אָהָ֑בְתִּי יְ֝הוָ֗ה כְּֽחַסְדְּךָ֥ חַיֵּֽנִי׃ | 159 |
आप ही देख लीजिए: कितने प्रिय हैं मुझे आपके नीति-सिद्धांत; याहवेह, अपने करुणा-प्रेम के अनुरूप मुझमें नवजीवन का संचार कीजिए.
רֹאשׁ־דְּבָרְךָ֥ אֱמֶ֑ת וּ֝לְעוֹלָ֗ם כָּל־מִשְׁפַּ֥ט צִדְקֶֽךָ׃ | 160 |
वस्तुतः सत्य आपके वचन का सार है; तथा आपके धर्ममय नियम सदा-सर्वदा स्थायी रहते हैं.
שָׂ֭רִים רְדָפ֣וּנִי חִנָּ֑ם ומדבריך פָּחַ֥ד לִבִּֽי׃ | 161 |
प्रधान मुझे बिना किसी कारण के दुःखित कर रहे हैं, किंतु आपके वचन का ध्यान कर मेरा हृदय कांप उठता है.
שָׂ֣שׂ אָ֭נֹכִֽי עַל־אִמְרָתֶ֑ךָ כְּ֝מוֹצֵ֗א שָׁלָ֥ל רָֽב׃ | 162 |
आपकी प्रतिज्ञाओं से मुझे ऐसा उल्लास प्राप्त होता है; जैसा किसी को बड़ी लूट प्राप्त हुई है.
שֶׁ֣קֶר שָׂ֭נֵאתִי וַאֲתַעֵ֑בָה תּוֹרָתְךָ֥ אָהָֽבְתִּי׃ | 163 |
झूठ से मुझे घृणा है, बैर है किंतु मुझे प्रेम है आपकी व्यवस्था से.
שֶׁ֣בַע בַּ֭יּוֹם הִלַּלְתִּ֑יךָ עַ֝֗ל מִשְׁפְּטֵ֥י צִדְקֶֽךָ׃ | 164 |
आपकी धर्ममय व्यवस्था का ध्यान कर मैं दिन में सात-सात बार आपका स्तवन करता हूं.
שָׁל֣וֹם רָ֭ב לְאֹהֲבֵ֣י תוֹרָתֶ֑ךָ וְאֵֽין־לָ֥מוֹ מִכְשֽׁוֹל׃ | 165 |
जिन्हें आपकी व्यवस्था से प्रेम है, उनको बड़ी शांति मिलती रहती है, वे किसी रीति से विचलित नहीं हो सकते.
שִׂבַּ֣רְתִּי לִֽישׁוּעָתְךָ֣ יְהוָ֑ה וּֽמִצְוֺתֶ֥יךָ עָשִֽׂיתִי׃ | 166 |
याहवेह, मैं आपके उद्धार का प्रत्याशी हूं, मैं आपके आदेशों का पालन करता हूं.
שָֽׁמְרָ֣ה נַ֭פְשִׁי עֵדֹתֶ֑יךָ וָאֹהֲבֵ֥ם מְאֹֽד׃ | 167 |
मैं आपके अधिनियमों का पालन करता हूं, क्योंकि वे मुझे अत्यंत प्रिय हैं.
שָׁמַ֣רְתִּי פִ֭קּוּדֶיךָ וְעֵדֹתֶ֑יךָ כִּ֖י כָל־דְּרָכַ֣י נֶגְדֶּֽךָ׃ | 168 |
मैं आपके उपदेशों तथा नियमों का पालन करता हूं, आपके सामने मेरा संपूर्ण आचरण प्रगट है.
תִּקְרַ֤ב רִנָּתִ֣י לְפָנֶ֣יךָ יְהוָ֑ה כִּדְבָרְךָ֥ הֲבִינֵֽנִי׃ | 169 |
याहवेह, मेरी पुकार आप तक पहुंचे; मुझे अपने वचन को समझने की क्षमता प्रदान कीजिए.
תָּב֣וֹא תְּחִנָּתִ֣י לְפָנֶ֑יךָ כְּ֝אִמְרָתְךָ֗ הַצִּילֵֽנִי׃ | 170 |
मेरा गिड़गिड़ाना आप तक पहुंचे; अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करते हुए मुझे छुड़ा लीजिए.
תַּבַּ֣עְנָה שְׂפָתַ֣י תְּהִלָּ֑ה כִּ֖י תְלַמְּדֵ֣נִי חֻקֶּֽיךָ׃ | 171 |
मेरे होंठों से आपका स्तवन छलक उठे, क्योंकि आपने मुझे अपनी विधियों की शिक्षा दी है.
תַּ֣עַן לְ֭שׁוֹנִי אִמְרָתֶ֑ךָ כִּ֖י כָל־מִצְוֺתֶ֣יךָ צֶּֽדֶק׃ | 172 |
मेरी जीभ आपके वचन का गान करेगी, क्योंकि आपके सभी आदेश आदर्श हैं.
תְּהִֽי־יָדְךָ֥ לְעָזְרֵ֑נִי כִּ֖י פִקּוּדֶ֣יךָ בָחָֽרְתִּי׃ | 173 |
आपकी भुजा मेरी सहायता के लिए तत्पर रहे, मैंने आपके उपदेशों को अपनाया है.
תָּאַ֣בְתִּי לִֽישׁוּעָתְךָ֣ יְהוָ֑ה וְ֝תֽוֹרָתְךָ֗ שַׁעֲשֻׁעָֽי׃ | 174 |
आपसे उद्धार की प्राप्ति की मुझे उत्कंठा है, याहवेह, आपकी व्यवस्था में मेरा आनंद है.
תְּֽחִי־נַ֭פְשִׁי וּֽתְהַֽלְלֶ֑ךָּ וּֽמִשְׁפָּטֶ֥ךָ יַעֲזְרֻֽנִי׃ | 175 |
मुझे आयुष्मान कीजिए कि मैं आपका स्तवन करता रहूं, और आपकी व्यवस्था मुझे संभाले रहे.
תָּעִ֗יתִי כְּשֶׂ֣ה אֹ֭בֵד בַּקֵּ֣שׁ עַבְדֶּ֑ךָ כִּ֥י מִ֝צְוֺתֶ֗יךָ לֹ֣א שָׁכָֽחְתִּי׃ | 176 |
मैं खोई हुई भेड़ के समान हो गया था. आप ही अपने सेवक को खोज लीजिए, क्योंकि मैं आपके आदेशों को भूला नहीं.