< מִשְׁלֵי 10 >
מִשְׁלֵ֗י שְׁלֹ֫מֹ֥ה פ בֵּ֣ן חָ֭כָם יְשַׂמַּח־אָ֑ב וּבֵ֥ן כְּ֝סִ֗יל תּוּגַ֥ת אִמּֽוֹ׃ | 1 |
सुलेमान की अम्साल। अक़्लमंद बेटा बाप को ख़ुश रखता है, लेकिन बेवक़ूफ़ बेटा अपनी माँ का ग़म है।
לֹא־י֭וֹעִילוּ אוֹצְר֣וֹת רֶ֑שַׁע וּ֝צְדָקָ֗ה תַּצִּ֥יל מִמָּֽוֶת׃ | 2 |
शरारत के ख़ज़ाने बेकार हैं, लेकिन सदाक़त मौत से छुड़ाती है।
לֹֽא־יַרְעִ֣יב יְ֭הוָה נֶ֣פֶשׁ צַדִּ֑יק וְהַוַּ֖ת רְשָׁעִ֣ים יֶהְדֹּֽף׃ | 3 |
ख़ुदावन्द सादिक़ की जान को फ़ाक़ा न करने देगा, लेकिन शरीरों की हवस को दूर — ओ — दफ़ा' करेगा।
רָ֗אשׁ עֹשֶׂ֥ה כַף־רְמִיָּ֑ה וְיַ֖ד חָרוּצִ֣ים תַּעֲשִֽׁיר׃ | 4 |
जो ढीले हाथ से काम करता है, कंगाल हो जाता है; लेकिेन मेहनती का हाथ दौलतमंद बना देता है।
אֹגֵ֣ר בַּ֭קַּיִץ בֵּ֣ן מַשְׂכִּ֑יל נִרְדָּ֥ם בַּ֝קָּצִ֗יר בֵּ֣ן מֵבִֽישׁ׃ | 5 |
वह जो गर्मी में जमा' करता है, 'अक़्लमंद बेटा है; लेकिन वह बेटा जो दिरौ के वक़्त सोता रहता है, शर्म का ज़रिया' है।
בְּ֭רָכוֹת לְרֹ֣אשׁ צַדִּ֑יק וּפִ֥י רְ֝שָׁעִ֗ים יְכַסֶּ֥ה חָמָֽס׃ | 6 |
सादिक़ के सिर पर बरकतें होती हैं, लेकिन शरीरों के मुँह को जु़ल्म ढाँकता है।
זֵ֣כֶר צַ֭דִּיק לִבְרָכָ֑ה וְשֵׁ֖ם רְשָׁעִ֣ים יִרְקָֽב׃ | 7 |
रास्त आदमी की यादगार मुबारक है, लेकिन शरीरों का नाम सड़ जाएगा।
חֲכַם־לֵ֭ב יִקַּ֣ח מִצְוֺ֑ת וֶאֱוִ֥יל שְׂ֝פָתַ֗יִם יִלָּבֵֽט׃ | 8 |
'अक़्लमंद दिल फ़रमान बजा लाएगा, लेकिन बकवासी बेवक़ूफ़ पछाड़ खाएगा।
הוֹלֵ֣ךְ בַּ֭תֹּם יֵ֣לֶךְ בֶּ֑טַח וּמְעַקֵּ֥שׁ דְּ֝רָכָ֗יו יִוָּדֵֽעַ׃ | 9 |
रास्त रौ बेखट के चलता है, लेकिन जो कजरवी करता है ज़ाहिर हो जाएगा।
קֹ֣רֵֽץ עַ֭יִן יִתֵּ֣ן עַצָּ֑בֶת וֶאֱוִ֥יל שְׂ֝פָתַ֗יִם יִלָּבֵֽט׃ | 10 |
आँख मारने वाला रंज पहुँचाता है, और बकवासी बेवक़ूफ़ पछाड़ खाएगा।
מְק֣וֹר חַ֭יִּים פִּ֣י צַדִּ֑יק וּפִ֥י רְ֝שָׁעִ֗ים יְכַסֶּ֥ה חָמָֽס׃ | 11 |
सादिक़ का मुँह ज़िन्दगी का चश्मा है, लेकिन शरीरों के मुँह को जु़ल्म ढाँकता है।
שִׂ֭נְאָה תְּעוֹרֵ֣ר מְדָנִ֑ים וְעַ֥ל כָּל־פְּ֝שָׁעִ֗ים תְּכַסֶּ֥ה אַהֲבָֽה׃ | 12 |
'अदावत झगड़े पैदा करती है, लेकिन मुहब्बत सब ख़ताओं को ढाँक देती है।
בְּשִׂפְתֵ֣י נָ֭בוֹן תִּמָּצֵ֣א חָכְמָ֑ה וְ֝שֵׁ֗בֶט לְגֵ֣ו חֲסַר־לֵֽב׃ | 13 |
'अक़्लमंद के लबों पर हिकमत है, लेकिन बे'अक़्ल की पीठ के लिए लठ है।
חֲכָמִ֥ים יִצְפְּנוּ־דָ֑עַת וּפִֽי־אֱ֝וִיל מְחִתָּ֥ה קְרֹבָֽה׃ | 14 |
'अक़्लमंद आदमी 'इल्म जमा' करते हैं, लेकिन बेवक़ूफ़ का मुँह क़रीबी हलाकत है।
ה֣וֹן עָ֭שִׁיר קִרְיַ֣ת עֻזּ֑וֹ מְחִתַּ֖ת דַּלִּ֣ים רֵישָֽׁם׃ | 15 |
दौलतमंद की दौलत उसका मज़बूत शहर है, कंगाल की हलाकत उसी की तंगदस्ती है।
פְּעֻלַּ֣ת צַדִּ֣יק לְחַיִּ֑ים תְּבוּאַ֖ת רָשָׁ֣ע לְחַטָּֽאת׃ | 16 |
सादिक़ की मेहनत ज़िन्दगानी का ज़रिया' है, शरीर की इक़बालमंदी गुनाह कराती है।
אֹ֣רַח לְ֭חַיִּים שׁוֹמֵ֣ר מוּסָ֑ר וְעוֹזֵ֖ב תּוֹכַ֣חַת מַתְעֶֽה׃ | 17 |
तरबियत पज़ीर ज़िन्दगी की राह पर है, लेकिन मलामत को छोड़ने वाला गुमराह हो जाता है।
מְכַסֶּ֣ה שִׂ֭נְאָה שִׂפְתֵי־שָׁ֑קֶר וּמוֹצִ֥א דִ֝בָּ֗ה ה֣וּא כְסִֽיל׃ | 18 |
'अदावत को छिपाने वाला दरोग़गो है, और तोहमत लगाने वाला बेवक़ूफ़है।
בְּרֹ֣ב דְּ֭בָרִים לֹ֣א יֶחְדַּל־פָּ֑שַׁע וְחֹשֵׂ֖ךְ שְׂפָתָ֣יו מַשְׂכִּֽיל׃ | 19 |
कलाम की कसरत ख़ता से ख़ाली नहीं, लेकिन होंटों को क़ाबू में रखने वाला 'अक़्लमंद है।
כֶּ֣סֶף נִ֭בְחָר לְשׁ֣וֹן צַדִּ֑יק לֵ֖ב רְשָׁעִ֣ים כִּמְעָֽט׃ | 20 |
सादिक़ की ज़बान खालिस चाँदी है; शरीरों के दिल बेक़द्र हैं
שִׂפְתֵ֣י צַ֭דִּיק יִרְע֣וּ רַבִּ֑ים וֶֽ֝אֱוִילִ֗ים בַּחֲסַר־לֵ֥ב יָמֽוּתוּ׃ | 21 |
सादिक़ के होंट बहुतों को गिज़ा पहुँचाते है लेकिन बेवक़ूफ़ बे'अक़्ली से मरते हैं।
בִּרְכַּ֣ת יְ֭הוָה הִ֣יא תַעֲשִׁ֑יר וְלֹֽא־יוֹסִ֖ף עֶ֣צֶב עִמָּֽהּ׃ | 22 |
ख़ुदावन्द ही की बरकत दौलत बख़्शती है, और वह उसके साथ दुख नहीं मिलाता।
כִּשְׂח֣וֹק לִ֭כְסִיל עֲשׂ֣וֹת זִמָּ֑ה וְ֝חָכְמָ֗ה לְאִ֣ישׁ תְּבוּנָֽה׃ | 23 |
बेवक़ूफ़ के लिए शरारत खेल है, लेकिन हिकमत 'अक़्लमंद के लिए है।
מְגוֹרַ֣ת רָ֭שָׁע הִ֣יא תְבוֹאֶ֑נּוּ וְתַאֲוַ֖ת צַדִּיקִ֣ים יִתֵּֽן׃ | 24 |
शरीर का ख़ौफ़ उस पर आ पड़ेगा, और सादिक़ों की मुराद पूरी होगी।
כַּעֲב֣וֹר ס֭וּפָה וְאֵ֣ין רָשָׁ֑ע וְ֝צַדִּ֗יק יְס֣וֹד עוֹלָֽם׃ | 25 |
जब बगोला गुज़रता है तो शरीर हलाक हो जाता है, लेकिन सादिक़ हमेशा की बुनियाद है।
כַּחֹ֤מֶץ ׀ לַשִּׁנַּ֗יִם וְכֶעָשָׁ֥ן לָעֵינָ֑יִם כֵּ֥ן הֶ֝עָצֵ֗ל לְשֹׁלְחָֽיו׃ | 26 |
जैसा दाँतों के लिए सिरका, और आँखों के लिए धुआँ वैसा ही काहिल अपने भेजने वालों के लिए है।
יִרְאַ֣ת יְ֭הוָה תּוֹסִ֣יף יָמִ֑ים וּשְׁנ֖וֹת רְשָׁעִ֣ים תִּקְצֹֽרְנָה׃ | 27 |
ख़ुदावन्द का ख़ौफ़' उम्र की दराज़ी बख़्शता है लेकिन शरीरों की ज़िन्दगी कोताह कर दी जायेगी।
תּוֹחֶ֣לֶת צַדִּיקִ֣ים שִׂמְחָ֑ה וְתִקְוַ֖ת רְשָׁעִ֣ים תֹּאבֵֽד׃ | 28 |
सादिक़ो की उम्मीद ख़ुशी लाएगी लेकिन शरीरों की उम्मीद ख़ाक में मिल जाएगी।
מָע֣וֹז לַ֭תֹּם דֶּ֣רֶךְ יְהוָ֑ה וּ֝מְחִתָּ֗ה לְפֹ֣עֲלֵי אָֽוֶן׃ | 29 |
ख़ुदावन्द की राह रास्तबाज़ों के लिए पनाहगाह लेकिन बदकिरादारों के लिए हलाक़त है,
צַדִּ֣יק לְעוֹלָ֣ם בַּל־יִמּ֑וֹט וּ֝רְשָׁעִ֗ים לֹ֣א יִשְׁכְּנוּ־אָֽרֶץ׃ | 30 |
सादिक़ों को कभी जुम्बिश न होगी लेकिन शरीर ज़मीन पर क़ाईम नहीं रहेंगे।
פִּֽי־צַ֭דִּיק יָנ֣וּב חָכְמָ֑ה וּלְשׁ֥וֹן תַּ֝הְפֻּכ֗וֹת תִּכָּרֵֽת׃ | 31 |
सादिक़ के मुँह से हिकमत निकलती है लेकिन झूठी ज़बान काट डाली जायेगी।
שִׂפְתֵ֣י צַ֭דִּיק יֵדְע֣וּן רָצ֑וֹן וּפִ֥י רְ֝שָׁעִ֗ים תַּהְפֻּכֽוֹת׃ | 32 |
सादिक़ के होंट पसन्दीदा बात से आशना है लेकिन शरीरों के मुंह झूट से।