< וַיִּקְרָא 17 >
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ | 1 |
फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
דַּבֵּ֨ר אֶֽל־אַהֲרֹ֜ן וְאֶל־בָּנָ֗יו וְאֶל֙ כָּל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל וְאָמַרְתָּ֖ אֲלֵיהֶ֑ם זֶ֣ה הַדָּבָ֔ר אֲשֶׁר־צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה לֵאמֹֽר׃ | 2 |
'हारून और उसके बेटों से और सब बनी — इस्राईल से कह कि ख़ुदावन्द ने यह हुक्म दिया है कि
אִ֥ישׁ אִישׁ֙ מִבֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁ֨ר יִשְׁחַ֜ט שׁ֥וֹר אוֹ־כֶ֛שֶׂב אוֹ־עֵ֖ז בַּֽמַּחֲנֶ֑ה א֚וֹ אֲשֶׁ֣ר יִשְׁחַ֔ט מִח֖וּץ לַֽמַּחֲנֶֽה׃ | 3 |
इस्राईल के घराने का जो कोई शख़्स बैल या बर्रे या बकरे को चाहे लश्करगाह में या लश्करगाह के बाहर ज़बह कर के
וְאֶל־פֶּ֜תַח אֹ֣הֶל מוֹעֵד֮ לֹ֣א הֱבִיאוֹ֒ לְהַקְרִ֤יב קָרְבָּן֙ לַֽיהוָ֔ה לִפְנֵ֖י מִשְׁכַּ֣ן יְהוָ֑ה דָּ֣ם יֵחָשֵׁ֞ב לָאִ֤ישׁ הַהוּא֙ דָּ֣ם שָׁפָ֔ךְ וְנִכְרַ֛ת הָאִ֥ישׁ הַה֖וּא מִקֶּ֥רֶב עַמּֽוֹ׃ | 4 |
उसे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर, ख़ुदावन्द के घर के आगे, ख़ुदावन्द के सामने चढ़ाने को न ले जाए, उस शख़्स पर ख़ून का इल्ज़ाम होगा कि उसने ख़ून किया है; और वह शख़्स अपने लोगों में से काट डाला जाए।
לְמַעַן֩ אֲשֶׁ֨ר יָבִ֜יאוּ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל אֶֽת־זִבְחֵיהֶם֮ אֲשֶׁ֣ר הֵ֣ם זֹבְחִים֮ עַל־פְּנֵ֣י הַשָּׂדֶה֒ וֶֽהֱבִיאֻ֣ם לַֽיהוָ֗ה אֶל־פֶּ֛תַח אֹ֥הֶל מוֹעֵ֖ד אֶל־הַכֹּהֵ֑ן וְזָ֨בְח֜וּ זִבְחֵ֧י שְׁלָמִ֛ים לַֽיהוָ֖ה אוֹתָֽם׃ | 5 |
इससे मक़सूद यह है कि बनी — इस्राईल अपनी क़ुर्बानियाँ, जिनको वह खुले मैदान में ज़बह करते हैं, उन्हें ख़ुदावन्द के सामने ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर काहिन के पास लाएँ और उनको ख़ुदावन्द के सामने सलामती के ज़बीहों के तौर पर पेश करें,
וְזָרַ֨ק הַכֹּהֵ֤ן אֶת־הַדָּם֙ עַל־מִזְבַּ֣ח יְהוָ֔ה פֶּ֖תַח אֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד וְהִקְטִ֣יר הַחֵ֔לֶב לְרֵ֥יחַ נִיחֹ֖חַ לַיהוָֽה׃ | 6 |
और काहिन उस ख़ून को ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर ख़ुदावन्द के मज़बह के ऊपर छिड़के और चर्बी को जलाए, ताकि ख़ुदावन्द के लिए राहतअंगेज़ ख़ुशबू हो।
וְלֹא־יִזְבְּח֥וּ עוֹד֙ אֶת־זִבְחֵיהֶ֔ם לַשְּׂעִירִ֕ם אֲשֶׁ֛ר הֵ֥ם זֹנִ֖ים אַחֲרֵיהֶ֑ם חֻקַּ֥ת עוֹלָ֛ם תִּֽהְיֶה־זֹּ֥את לָהֶ֖ם לְדֹרֹתָֽם׃ | 7 |
और आइन्दा कभी वह उन बकरों के लिए जिनके पैरौ होकर वह ज़िनाकार ठहरें हैं, अपनी क़ुर्बानियाँ न पेश करे। उनके लिए नसल — दर — नसल यह हमेशा क़ानून होगा।
וַאֲלֵהֶ֣ם תֹּאמַ֔ר אִ֥ישׁ אִישׁ֙ מִבֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל וּמִן־הַגֵּ֖ר אֲשֶׁר־יָג֣וּר בְּתוֹכָ֑ם אֲשֶׁר־יַעֲלֶ֥ה עֹלָ֖ה אוֹ־זָֽבַח׃ | 8 |
“इसलिए तू उन से कह दे कि इस्राईल के घराने का या उन परदेसियों में से जो उनमें क़याम करते हैं जो कोई सोख़्तनी क़ुर्बानी या कोई ज़बीहा पेश कर,
וְאֶל־פֶּ֜תַח אֹ֤הֶל מוֹעֵד֙ לֹ֣א יְבִיאֶ֔נּוּ לַעֲשׂ֥וֹת אֹת֖וֹ לַיהוָ֑ה וְנִכְרַ֛ת הָאִ֥ישׁ הַה֖וּא מֵעַמָּֽיו׃ | 9 |
उसे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर ख़ुदावन्द के सामने चढ़ाने को न लाए; वह अपने लोगों में से काटडाला जाए।
וְאִ֨ישׁ אִ֜ישׁ מִבֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֗ל וּמִן־הַגֵּר֙ הַגָּ֣ר בְּתוֹכָ֔ם אֲשֶׁ֥ר יֹאכַ֖ל כָּל־דָּ֑ם וְנָתַתִּ֣י פָנַ֗י בַּנֶּ֙פֶשׁ֙ הָאֹכֶ֣לֶת אֶת־הַדָּ֔ם וְהִכְרַתִּ֥י אֹתָ֖הּ מִקֶּ֥רֶב עַמָּֽהּ׃ | 10 |
“और इस्राईल के घराने का या उन परदेसियों में से जो उनमें क़याम करते हैं जो कोई किसी तरह का ख़ून खाए, मैं उस ख़ून खाने वाले के खिलाफ़ हूँगा और उसे उसके लोगों में से काट डालूँगा।
כִּ֣י נֶ֣פֶשׁ הַבָּשָׂר֮ בַּדָּ֣ם הִוא֒ וַאֲנִ֞י נְתַתִּ֤יו לָכֶם֙ עַל־הַמִּזְבֵּ֔חַ לְכַפֵּ֖ר עַל־נַפְשֹׁתֵיכֶ֑ם כִּֽי־הַדָּ֥ם ה֖וּא בַּנֶּ֥פֶשׁ יְכַפֵּֽר׃ | 11 |
क्यूँकि जिस्म की जान ख़ून में है; और मैंने मज़बह पर तुम्हारी जानों के कफ़्फ़ारे के लिए उसे तुम को दिया है कि उससे तुम्हारी जानों के लिए कफ़्फ़ारा हो; क्यूँकि जान रखने ही की वजह से ख़ून कफ़्फ़ारा देता है।
עַל־כֵּ֤ן אָמַ֙רְתִּי֙ לִבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל כָּל־נֶ֥פֶשׁ מִכֶּ֖ם לֹא־תֹ֣אכַל דָּ֑ם וְהַגֵּ֛ר הַגָּ֥ר בְּתוֹכְכֶ֖ם לֹא־יֹ֥אכַל דָּֽם׃ ס | 12 |
इसीलिए मैंने बनी — इस्राईल से कहा है कि तुम में से कोई शख़्स ख़ून कभी न खाए, और न कोई परदेसी जो तुम में क़याम करता हो कभी ख़ून को खाए।
וְאִ֨ישׁ אִ֜ישׁ מִבְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל וּמִן־הַגֵּר֙ הַגָּ֣ר בְּתוֹכָ֔ם אֲשֶׁ֨ר יָצ֜וּד צֵ֥יד חַיָּ֛ה אוֹ־ע֖וֹף אֲשֶׁ֣ר יֵאָכֵ֑ל וְשָׁפַךְ֙ אֶת־דָּמ֔וֹ וְכִסָּ֖הוּ בֶּעָפָֽר׃ | 13 |
“और बनी — इस्राईल में से या उन परदेसियों में से जो उनमें क़याम करते हैं जो कोई शिकार में ऐसे जानवर या परिन्दे को पकड़े जिसका खाना ठीक है, तो वह उसके ख़ून को निकाल कर उसे मिट्टी से ढॉक दे।
כִּֽי־נֶ֣פֶשׁ כָּל־בָּשָׂ֗ר דָּמ֣וֹ בְנַפְשׁוֹ֮ הוּא֒ וָֽאֹמַר֙ לִבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל דַּ֥ם כָּל־בָּשָׂ֖ר לֹ֣א תֹאכֵ֑לוּ כִּ֣י נֶ֤פֶשׁ כָּל־בָּשָׂר֙ דָּמ֣וֹ הִ֔וא כָּל־אֹכְלָ֖יו יִכָּרֵֽת׃ | 14 |
क्यूँकि जिस्म की जान जो है वह उस का ख़ून है, जो उसकी जान के साथ एक है। इसीलिए मैंने बनी — इस्राईल को हुक्म किया है कि तुम किसी क़िस्म के जानवर का ख़ून न खाना, क्यूँकि हर जानवर की जान उसका ख़ून ही है; जो कोई उसे खाए वह काट डाला जाएगा।
וְכָל־נֶ֗פֶשׁ אֲשֶׁ֨ר תֹּאכַ֤ל נְבֵלָה֙ וּטְרֵפָ֔ה בָּאֶזְרָ֖ח וּבַגֵּ֑ר וְכִבֶּ֨ס בְּגָדָ֜יו וְרָחַ֥ץ בַּמַּ֛יִם וְטָמֵ֥א עַד־הָעֶ֖רֶב וְטָהֵֽר׃ | 15 |
और जो शख़्स मुरदार को या दरिन्दे के फाड़े हुए जानवर को खाए, वह चाहे देसी हो या परदेसी अपने कपड़े धोए और पानी से ग़ुस्ल करे और शाम तक नापाक रहे; तब वह पाक होगा।
וְאִם֙ לֹ֣א יְכַבֵּ֔ס וּבְשָׂר֖וֹ לֹ֣א יִרְחָ֑ץ וְנָשָׂ֖א עֲוֺנֽוֹ׃ פ | 16 |
लेकिन अगर वह उनको न धोए और न ग़ुस्ल करे, तो उसका गुनाह उसी के सिर लगेगा।”