< אִיּוֹב 18 >

וַ֭יַּעַן בִּלְדַּ֥ד הַשֻּׁחִ֗י וַיֹּאמַֽר׃ 1
तब शूही बिल्दद ने कहा,
עַד־אָ֤נָה ׀ תְּשִׂימ֣וּן קִנְצֵ֣י לְמִלִּ֑ין תָּ֝בִ֗ינוּ וְאַחַ֥ר נְדַבֵּֽר׃ 2
“तुम कब तक फंदे लगा लगाकर वचन पकड़ते रहोगे? चित्त लगाओ, तब हम बोलेंगे।
מַ֭דּוּעַ נֶחְשַׁ֣בְנוּ כַבְּהֵמָ֑ה נִ֝טְמִ֗ינוּ בְּעֵינֵיכֶֽם׃ 3
हम लोग तुम्हारी दृष्टि में क्यों पशु के तुल्य समझे जाते, और मूर्ख ठहरे हैं।
טֹֽרֵ֥ף נַפְשׁ֗וֹ בְּאַ֫פּ֥וֹ הַ֭לְמַעַנְךָ תֵּעָ֣זַב אָ֑רֶץ וְיֶעְתַּק־צ֝֗וּר מִמְּקֹמֽוֹ׃ 4
हे अपने को क्रोध में फाड़नेवाले क्या तेरे निमित्त पृथ्वी उजड़ जाएगी, और चट्टान अपने स्थान से हट जाएगी?
גַּ֤ם א֣וֹר רְשָׁעִ֣ים יִדְעָ֑ךְ וְלֹֽא־יִ֝גַּ֗הּ שְׁבִ֣יב אִשּֽׁוֹ׃ 5
“तो भी दुष्टों का दीपक बुझ जाएगा, और उसकी आग की लौ न चमकेगी।
א֭וֹר חָשַׁ֣ךְ בְּאָהֳל֑וֹ וְ֝נֵר֗וֹ עָלָ֥יו יִדְעָֽךְ׃ 6
उसके डेरे में का उजियाला अंधेरा हो जाएगा, और उसके ऊपर का दिया बुझ जाएगा।
יֵֽ֭צְרוּ צַעֲדֵ֣י אוֹנ֑וֹ וְֽתַשְׁלִיכֵ֥הוּ עֲצָתֽוֹ׃ 7
उसके बड़े-बड़े फाल छोटे हो जाएँगे और वह अपनी ही युक्ति के द्वारा गिरेगा।
כִּֽי־שֻׁלַּ֣ח בְּרֶ֣שֶׁת בְּרַגְלָ֑יו וְעַל־שְׂ֝בָכָ֗ה יִתְהַלָּֽךְ׃ 8
वह अपना ही पाँव जाल में फँसाएगा, वह फंदों पर चलता है।
יֹאחֵ֣ז בְּעָקֵ֣ב פָּ֑ח יַחֲזֵ֖ק עָלָ֣יו צַמִּֽים׃ 9
उसकी एड़ी फंदे में फँस जाएगी, और वह जाल में पकड़ा जाएगा।
טָמ֣וּן בָּאָ֣רֶץ חַבְל֑וֹ וּ֝מַלְכֻּדְתּ֗וֹ עֲלֵ֣י נָתִֽיב׃ 10
१०फंदे की रस्सियाँ उसके लिये भूमि में, और जाल रास्ते में छिपा दिया गया है।
סָ֭בִיב בִּֽעֲתֻ֣הוּ בַלָּה֑וֹת וֶהֱפִיצֻ֥הוּ לְרַגְלָֽיו׃ 11
११चारों ओर से डरावनी वस्तुएँ उसे डराएँगी और उसके पीछे पड़कर उसको भगाएँगी।
יְהִי־רָעֵ֥ב אֹנ֑וֹ וְ֝אֵ֗יד נָכ֥וֹן לְצַלְעֽוֹ׃ 12
१२उसका बल दुःख से घट जाएगा, और विपत्ति उसके पास ही तैयार रहेगी।
יֹ֭אכַל בַּדֵּ֣י עוֹר֑וֹ יֹאכַ֥ל בַּ֝דָּ֗יו בְּכ֣וֹר מָֽוֶת׃ 13
१३वह उसके अंग को खा जाएगी, वरन् मृत्यु का पहलौठा उसके अंगों को खा लेगा।
יִנָּתֵ֣ק מֵ֭אָהֳלוֹ מִבְטַח֑וֹ וְ֝תַצְעִדֵ֗הוּ לְמֶ֣לֶךְ בַּלָּהֽוֹת׃ 14
१४अपने जिस डेरे का भरोसा वह करता है, उससे वह छीन लिया जाएगा; और वह भयंकरता के राजा के पास पहुँचाया जाएगा।
תִּשְׁכּ֣וֹן בְּ֭אָהֳלוֹ מִבְּלִי־ל֑וֹ יְזֹרֶ֖ה עַל־נָוֵ֣הוּ גָפְרִֽית׃ 15
१५जो उसके यहाँ का नहीं है वह उसके डेरे में वास करेगा, और उसके घर पर गन्धक छितराई जाएगी।
מִ֭תַּחַת שָֽׁרָשָׁ֣יו יִבָ֑שׁוּ וּ֝מִמַּ֗עַל יִמַּ֥ל קְצִירֽוֹ׃ 16
१६उसकी जड़ तो सूख जाएगी, और डालियाँ कट जाएँगी।
זִֽכְרוֹ־אָ֭בַד מִנִּי־אָ֑רֶץ וְלֹא־שֵׁ֥ם ל֝֗וֹ עַל־פְּנֵי־חֽוּץ ׃ 17
१७पृथ्वी पर से उसका स्मरण मिट जाएगा, और बाजार में उसका नाम कभी न सुन पड़ेगा।
יֶ֭הְדְּפֻהוּ מֵא֣וֹר אֶל־חֹ֑שֶׁךְ וּֽמִתֵּבֵ֥ל יְנִדֻּֽהוּ׃ 18
१८वह उजियाले से अंधियारे में ढकेल दिया जाएगा, और जगत में से भी भगाया जाएगा।
לֹ֘א נִ֤ין ל֣וֹ וְלֹא־נֶ֣כֶד בְּעַמּ֑וֹ וְאֵ֥ין שָׂ֝רִ֗יד בִּמְגוּרָֽיו׃ 19
१९उसके कुटुम्बियों में उसके कोई पुत्र-पौत्र न रहेगा, और जहाँ वह रहता था, वहाँ कोई बचा न रहेगा।
עַל־י֭וֹמוֹ נָשַׁ֣מּוּ אַחֲרֹנִ֑ים וְ֝קַדְמֹנִ֗ים אָ֣חֲזוּ שָֽׂעַר׃ 20
२०उसका दिन देखकर पश्चिम के लोग भयाकुल होंगे, और पूर्व के निवासियों के रोएँ खड़े हो जाएँगे।
אַךְ־אֵ֭לֶּה מִשְׁכְּנ֣וֹת עַוָּ֑ל וְ֝זֶ֗ה מְק֣וֹם לֹא־יָדַֽע־אֵֽל׃ ס 21
२१निःसन्देह कुटिल लोगों के निवास ऐसे हो जाते हैं, और जिसको परमेश्वर का ज्ञान नहीं रहता, उसका स्थान ऐसा ही हो जाता है।”

< אִיּוֹב 18 >