< יִרְמְיָהוּ 45 >
הַדָּבָ֗ר אֲשֶׁ֤ר דִּבֶּר֙ יִרְמְיָ֣הוּ הַנָּבִ֔יא אֶל־בָּר֖וּךְ בֶּֽן־נֵֽרִיָּ֑ה בְּכָתְבוֹ֩ אֶת־הַדְּבָרִ֨ים הָאֵ֤לֶּה עַל־סֵ֙פֶר֙ מִפִּ֣י יִרְמְיָ֔הוּ בַּשָּׁנָה֙ הָֽרְבִעִ֔ית לִיהוֹיָקִ֧ים בֶּן־יֹאשִׁיָּ֛הוּ מֶ֥לֶךְ יְהוּדָ֖ה לֵאמֹֽר׃ ס | 1 |
शाह — ए — यहूदाह यहूयक़ीम बिन यूसियाह के चौथे बरस में, जब बारूक — बिन — नेयिरियाह यरमियाह की ज़बानी कलाम की किताब में लिख रहा था, जो यरमियाह ने उससे कहा:
כֹּֽה־אָמַ֥ר יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל עָלֶ֖יךָ בָּרֽוּךְ׃ | 2 |
“ऐ बारूक, ख़ुदावन्द, इस्राईल का ख़ुदा, तेरे बारे में यूँ फ़रमाता है:
אָמַ֙רְתָּ֙ אֽוֹי־נָ֣א לִ֔י כִּֽי־יָסַ֧ף יְהוָ֛ה יָג֖וֹן עַל־מַכְאֹבִ֑י יָגַ֙עְתִּי֙ בְּאַנְחָתִ֔י וּמְנוּחָ֖ה לֹ֥א מָצָֽאתִי׃ ס | 3 |
कि तूने कहा, 'मुझ पर अफ़सोस! कि ख़ुदावन्द ने मेरे दुख — दर्द पर ग़म भी बढ़ा दिया; मैं कराहते — कराहते थक गया और मुझे आराम न मिला।
כֹּ֣ה ׀ תֹּאמַ֣ר אֵלָ֗יו כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִנֵּ֤ה אֲשֶׁר־בָּנִ֙יתִי֙ אֲנִ֣י הֹרֵ֔ס וְאֵ֥ת אֲשֶׁר־נָטַ֖עְתִּי אֲנִ֣י נֹתֵ֑שׁ וְאֶת־כָּל־הָאָ֖רֶץ הִֽיא׃ | 4 |
तू उससे यूँ कहना, कि ख़ुदावन्द फ़रमाता है: देख, इस तमाम मुल्क में, जो कुछ मैंने बनाया गिरा दूँगा, और जो कुछ मैंने लगाया उखाड़ फेकूँगा।
וְאַתָּ֛ה תְּבַקֶּשׁ־לְךָ֥ גְדֹל֖וֹת אַל־תְּבַקֵּ֑שׁ כִּ֡י הִנְנִי֩ מֵבִ֨יא רָעָ֤ה עַל־כָּל־בָּשָׂר֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וְנָתַתִּ֨י לְךָ֤ אֶֽת־נַפְשְׁךָ֙ לְשָׁלָ֔ל עַ֥ל כָּל־הַמְּקֹמ֖וֹת אֲשֶׁ֥ר תֵּֽלֶךְ־שָֽׁם׃ ס | 5 |
और क्या तू अपने लिए उमूर — ए — 'अज़ीम की तलाश में है? उनकी तलाश छोड़ दे; क्यूँकि ख़ुदावन्द फ़रमाता है: देख, मैं तमाम बशर पर बला नाज़िल करूँगा; लेकिन जहाँ कहीं तू जाए तेरी जान तेरे लिए ग़नीमत ठहराऊँगा।”