< יְשַׁעְיָהוּ 63 >
מִי־זֶ֣ה ׀ בָּ֣א מֵאֱד֗וֹם חֲמ֤וּץ בְּגָדִים֙ מִבָּצְרָ֔ה זֶ֚ה הָד֣וּר בִּלְבוּשׁ֔וֹ צֹעֶ֖ה בְּרֹ֣ב כֹּח֑וֹ אֲנִ֛י מְדַבֵּ֥ר בִּצְדָקָ֖ה רַ֥ב לְהוֹשִֽׁיעַ׃ | 1 |
१यह कौन है जो एदोम देश के बोस्रा नगर से लाल वस्त्र पहने हुए चला आता है, जो अति बलवान और भड़कीला पहरावा पहने हुए झूमता चला आता है? “यह मैं ही हूँ, जो धार्मिकता से बोलता और पूरा उद्धार करने की शक्ति रखता हूँ।”
מַדּ֥וּעַ אָדֹ֖ם לִלְבוּשֶׁ֑ךָ וּבְגָדֶ֖יךָ כְּדֹרֵ֥ךְ בְּגַֽת׃ | 2 |
२तेरा पहरावा क्यों लाल है? और क्या कारण है कि तेरे वस्त्र हौद में दाख रौंदनेवाले के समान हैं?
פּוּרָ֣ה ׀ דָּרַ֣כְתִּי לְבַדִּ֗י וּמֵֽעַמִּים֙ אֵֽין־אִ֣ישׁ אִתִּ֔י וְאֶדְרְכֵ֣ם בְּאַפִּ֔י וְאֶרְמְסֵ֖ם בַּחֲמָתִ֑י וְיֵ֤ז נִצְחָם֙ עַל־בְּגָדַ֔י וְכָל־מַלְבּוּשַׁ֖י אֶגְאָֽלְתִּי׃ | 3 |
३“मैंने तो अकेले ही हौद में दाखें रौंदी हैं, और देश के लोगों में से किसी ने मेरा साथ नहीं दिया; हाँ, मैंने अपने क्रोध में आकर उन्हें रौंदा और जलकर उन्हें लताड़ा; उनके लहू के छींटे मेरे वस्त्रों पर पड़े हैं, इससे मेरा सारा पहरावा धब्बेदार हो गया है।
כִּ֛י י֥וֹם נָקָ֖ם בְּלִבִּ֑י וּשְׁנַ֥ת גְּאוּלַ֖י בָּֽאָה׃ | 4 |
४क्योंकि बदला लेने का दिन मेरे मन में था, और मेरी छुड़ाई हुई प्रजा का वर्ष आ पहुँचा है।
וְאַבִּיט֙ וְאֵ֣ין עֹזֵ֔ר וְאֶשְׁתּוֹמֵ֖ם וְאֵ֣ין סוֹמֵ֑ךְ וַתּ֤וֹשַֽׁע לִי֙ זְרֹעִ֔י וַחֲמָתִ֖י הִ֥יא סְמָכָֽתְנִי׃ | 5 |
५मैंने खोजा, पर कोई सहायक न दिखाई पड़ा; मैंने इससे अचम्भा भी किया कि कोई सम्भालनेवाला नहीं था; तब मैंने अपने ही भुजबल से उद्धार किया, और मेरी जलजलाहट ही ने मुझे सम्भाला।
וְאָב֤וּס עַמִּים֙ בְּאַפִּ֔י וַאֲשַׁכְּרֵ֖ם בַּחֲמָתִ֑י וְאוֹרִ֥יד לָאָ֖רֶץ נִצְחָֽם׃ ס | 6 |
६हाँ, मैंने अपने क्रोध में आकर देश-देश के लोगों को लताड़ा, अपनी जलजलाहट से मैंने उन्हें मतवाला कर दिया, और उनके लहू को भूमि पर बहा दिया।”
חַֽסְדֵ֨י יְהוָ֤ה ׀ אַזְכִּיר֙ תְּהִלֹּ֣ת יְהוָ֔ה כְּעַ֕ל כֹּ֥ל אֲשֶׁר־גְּמָלָ֖נוּ יְהוָ֑ה וְרַב־טוּב֙ לְבֵ֣ית יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁר־גְּמָלָ֥ם כְּֽרַחֲמָ֖יו וּכְרֹ֥ב חֲסָדָֽיו׃ | 7 |
७जितना उपकार यहोवा ने हम लोगों का किया अर्थात् इस्राएल के घराने पर दया और अत्यन्त करुणा करके उसने हम से जितनी भलाई कि, उस सब के अनुसार मैं यहोवा के करुणामय कामों का वर्णन और उसका गुणानुवाद करूँगा।
וַיֹּ֙אמֶר֙ אַךְ־עַמִּ֣י הֵ֔מָּה בָּנִ֖ים לֹ֣א יְשַׁקֵּ֑רוּ וַיְהִ֥י לָהֶ֖ם לְמוֹשִֽׁיעַ׃ | 8 |
८क्योंकि उसने कहा, निःसन्देह ये मेरी प्रजा के लोग हैं, ऐसे लड़के हैं जो धोखा न देंगे; और वह उनका उद्धारकर्ता हो गया।
בְּֽכָל־צָרָתָ֣ם ׀ לא צָ֗ר וּמַלְאַ֤ךְ פָּנָיו֙ הֽוֹשִׁיעָ֔ם בְּאַהֲבָת֥וֹ וּבְחֶמְלָת֖וֹ ה֣וּא גְאָלָ֑ם וַֽיְנַטְּלֵ֥ם וַֽיְנַשְּׂאֵ֖ם כָּל־יְמֵ֥י עוֹלָֽם׃ | 9 |
९उनके सारे संकट में उसने भी कष्ट उठाया, और उसके सम्मुख रहनेवाले दूत ने उनका उद्धार किया; प्रेम और कोमलता से उसने आप ही उनको छुड़ाया; उसने उन्हें उठाया और प्राचीनकाल से सदा उन्हें लिए फिरा।
וְהֵ֛מָּה מָר֥וּ וְעִצְּב֖וּ אֶת־ר֣וּחַ קָדְשׁ֑וֹ וַיֵּהָפֵ֥ךְ לָהֶ֛ם לְאוֹיֵ֖ב ה֥וּא נִלְחַם־בָּֽם׃ | 10 |
१०तो भी उन्होंने बलवा किया और उसके पवित्र आत्मा को खेदित किया; इस कारण वह पलटकर उनका शत्रु हो गया, और स्वयं उनसे लड़ने लगा।
וַיִּזְכֹּ֥ר יְמֵֽי־עוֹלָ֖ם מֹשֶׁ֣ה עַמּ֑וֹ אַיֵּ֣ה ׀ הַֽמַּעֲלֵ֣ם מִיָּ֗ם אֵ֚ת רֹעֵ֣י צֹאנ֔וֹ אַיֵּ֛ה הַשָּׂ֥ם בְּקִרְבּ֖וֹ אֶת־ר֥וּחַ קָדְשֽׁוֹ׃ | 11 |
११तब उसके लोगों को उनके प्राचीन दिन अर्थात् मूसा के दिन स्मरण आए, वे कहने लगे कि जो अपनी भेड़ों को उनके चरवाहे समेत समुद्र में से निकाल लाया वह कहाँ है? जिसने उनके बीच अपना पवित्र आत्मा डाला, वह कहाँ है?
מוֹלִיךְ֙ לִימִ֣ין מֹשֶׁ֔ה זְר֖וֹעַ תִּפְאַרְתּ֑וֹ בּ֤וֹקֵֽעַ מַ֙יִם֙ מִפְּנֵיהֶ֔ם לַעֲשׂ֥וֹת ל֖וֹ שֵׁ֥ם עוֹלָֽם׃ | 12 |
१२जिसने अपने प्रतापी भुजबल को मूसा के दाहिने हाथ के साथ कर दिया, जिसने उनके सामने जल को दो भाग करके अपना सदा का नाम कर लिया,
מוֹלִיכָ֖ם בַּתְּהֹמ֑וֹת כַּסּ֥וּס בַּמִּדְבָּ֖ר לֹ֥א יִכָּשֵֽׁלוּ׃ | 13 |
१३जो उनको गहरे समुद्र में से ले चला; जैसा घोड़े को जंगल में वैसे ही उनको भी ठोकर न लगी, वह कहाँ है?
כַּבְּהֵמָה֙ בַּבִּקְעָ֣ה תֵרֵ֔ד ר֥וּחַ יְהוָ֖ה תְּנִיחֶ֑נּוּ כֵּ֚ן נִהַ֣גְתָּ עַמְּךָ֔ לַעֲשׂ֥וֹת לְךָ֖ שֵׁ֥ם תִּפְאָֽרֶת׃ | 14 |
१४जैसे घरेलू पशु तराई में उतर जाता है, वैसे ही यहोवा के आत्मा ने उनको विश्राम दिया। इसी प्रकार से तूने अपनी प्रजा की अगुआई की ताकि अपना नाम महिमायुक्त बनाए।
הַבֵּ֤ט מִשָּׁמַ֙יִם֙ וּרְאֵ֔ה מִזְּבֻ֥ל קָדְשְׁךָ֖ וְתִפְאַרְתֶּ֑ךָ אַיֵּ֤ה קִנְאָֽתְךָ֙ וּגְב֣וּרֹתֶ֔ךָ הֲמ֥וֹן מֵעֶ֛יךָ וְֽרַחֲמֶ֖יךָ אֵלַ֥י הִתְאַפָּֽקוּ׃ | 15 |
१५स्वर्ग से, जो तेरा पवित्र और महिमापूर्ण वासस्थान है, दृष्टि कर। तेरी जलन और पराक्रम कहाँ रहे? तेरी दया और करुणा मुझ पर से हट गई हैं।
כִּֽי־אַתָּ֣ה אָבִ֔ינוּ כִּ֤י אַבְרָהָם֙ לֹ֣א יְדָעָ֔נוּ וְיִשְׂרָאֵ֖ל לֹ֣א יַכִּירָ֑נוּ אַתָּ֤ה יְהוָה֙ אָבִ֔ינוּ גֹּאֲלֵ֥נוּ מֵֽעוֹלָ֖ם שְׁמֶֽךָ׃ | 16 |
१६निश्चय तू हमारा पिता है, यद्यपि अब्राहम हमें नहीं पहचानता, और इस्राएल हमें ग्रहण नहीं करता; तो भी, हे यहोवा, तू हमारा पिता और हमारा छुड़ानेवाला है; प्राचीनकाल से यही तेरा नाम है।
לָ֣מָּה תַתְעֵ֤נוּ יְהוָה֙ מִדְּרָכֶ֔יךָ תַּקְשִׁ֥יחַ לִבֵּ֖נוּ מִיִּרְאָתֶ֑ךָ שׁ֚וּב לְמַ֣עַן עֲבָדֶ֔יךָ שִׁבְטֵ֖י נַחֲלָתֶֽךָ׃ | 17 |
१७हे यहोवा, तू क्यों हमको अपने मार्गों से भटका देता, और हमारे मन ऐसे कठोर करता है कि हम तेरा भय नहीं मानते? अपने दास, अपने निज भाग के गोत्रों के निमित्त लौट आ।
לַמִּצְעָ֕ר יָרְשׁ֖וּ עַם־קָדְשֶׁ֑ךָ צָרֵ֕ינוּ בּוֹסְס֖וּ מִקְדָּשֶֽׁךָ׃ | 18 |
१८तेरी पवित्र प्रजा तो थोड़े ही समय तक तेरे पवित्रस्थान की अधिकारी रही; हमारे द्रोहियों ने उसे लताड़ दिया है।
הָיִ֗ינוּ מֵֽעוֹלָם֙ לֹֽא־מָשַׁ֣לְתָּ בָּ֔ם לֹֽא־נִקְרָ֥א שִׁמְךָ֖ עֲלֵיהֶ֑ם לוּא־קָרַ֤עְתָּ שָׁמַ֙יִם֙ יָרַ֔דְתָּ מִפָּנֶ֖יךָ הָרִ֥ים נָזֹֽלּוּ׃ | 19 |
१९हम लोग तो ऐसे हो गए हैं, मानो तूने हम पर कभी प्रभुता नहीं की, और उनके समान जो कभी तेरे न कहलाए।