< יְשַׁעְיָהוּ 17 >

מַשָּׂ֖א דַּמָּ֑שֶׂק הִנֵּ֤ה דַמֶּ֙שֶׂק֙ מוּסָ֣ר מֵעִ֔יר וְהָיְתָ֖ה מְעִ֥י מַפָּלָֽה׃ 1
दमिश्क के विषय भारी भविष्यद्वाणी। देखो, दमिश्क नगर न रहेगा, वह खण्डहर ही खण्डहर हो जाएगा।
עֲזֻב֖וֹת עָרֵ֣י עֲרֹעֵ֑ר לַעֲדָרִ֣ים תִּֽהְיֶ֔ינָה וְרָבְצ֖וּ וְאֵ֥ין מַחֲרִֽיד׃ 2
अरोएर के नगर निर्जन हो जाएँगे, वे पशुओं के झुण्डों की चराई बनेंगे; पशु उनमें बैठेंगे और उनका कोई भगानेवाला न होगा।
וְנִשְׁבַּ֤ת מִבְצָר֙ מֵֽאֶפְרַ֔יִם וּמַמְלָכָ֥ה מִדַּמֶּ֖שֶׂק וּשְׁאָ֣ר אֲרָ֑ם כִּכְב֤וֹד בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵל֙ יִֽהְי֔וּ נְאֻ֖ם יְהוָ֥ה צְבָאֽוֹת׃ ס 3
एप्रैम के गढ़वाले नगर, और दमिश्क का राज्य और बचे हुए अरामी, तीनों भविष्य में न रहेंगे; और जो दशा इस्राएलियों के वैभव की हुई वही उनकी होगी; सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।
וְהָיָה֙ בַּיּ֣וֹם הַה֔וּא יִדַּ֖ל כְּב֣וֹד יַעֲקֹ֑ב וּמִשְׁמַ֥ן בְּשָׂר֖וֹ יֵרָזֶֽה׃ 4
उस समय याकूब का वैभव घट जाएगा, और उसकी मोटी देह दुबली हो जाएगी।
וְהָיָ֗ה כֶּֽאֱסֹף֙ קָצִ֣יר קָמָ֔ה וּזְרֹע֖וֹ שִׁבֳּלִ֣ים יִקְצ֑וֹר וְהָיָ֛ה כִּמְלַקֵּ֥ט שִׁבֳּלִ֖ים בְּעֵ֥מֶק רְפָאִֽים׃ 5
और ऐसा होगा जैसा लवनेवाला अनाज काटकर बालों को अपनी अँकवार में समेटे या रपाईम नामक तराई में कोई सिला बीनता हो।
וְנִשְׁאַר־בּ֤וֹ עֽוֹלֵלֹת֙ כְּנֹ֣קֶף זַ֔יִת שְׁנַ֧יִם שְׁלֹשָׁ֛ה גַּרְגְּרִ֖ים בְּרֹ֣אשׁ אָמִ֑יר אַרְבָּעָ֣ה חֲמִשָּׁ֗ה בִּסְעִפֶ֙יהָ֙ פֹּֽרִיָּ֔ה נְאֻם־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ ס 6
तो भी जैसे जैतून वृक्ष के झाड़ते समय कुछ फल रह जाते हैं, अर्थात् फुनगी पर दो-तीन फल, और फलवन्त डालियों में कहीं-कहीं चार-पाँच फल रह जाते हैं, वैसे ही उनमें सिला बिनाई होगी, इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।
בַּיּ֣וֹם הַה֔וּא יִשְׁעֶ֥ה הָאָדָ֖ם עַל־עֹשֵׂ֑הוּ וְעֵינָ֕יו אֶל־קְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵ֖ל תִּרְאֶֽינָה׃ 7
उस समय मनुष्य अपने कर्ता की ओर दृष्टि करेगा, और उसकी आँखें इस्राएल के पवित्र की ओर लगी रहेंगी;
וְלֹ֣א יִשְׁעֶ֔ה אֶל־הַֽמִּזְבְּח֖וֹת מַעֲשֵׂ֣ה יָדָ֑יו וַאֲשֶׁ֨ר עָשׂ֤וּ אֶצְבְּעֹתָיו֙ לֹ֣א יִרְאֶ֔ה וְהָאֲשֵׁרִ֖ים וְהָחַמָּנִֽים׃ 8
वह अपनी बनाई हुई वेदियों की ओर दृष्टि न करेगा, और न अपनी बनाई हुई अशेरा नामक मूरतों या सूर्य की प्रतिमाओं की ओर देखेगा।
בַּיּ֨וֹם הַה֜וּא יִהְי֣וּ ׀ עָרֵ֣י מָעֻזּ֗וֹ כַּעֲזוּבַ֤ת הַחֹ֙רֶשׁ֙ וְהָ֣אָמִ֔יר אֲשֶׁ֣ר עָזְב֔וּ מִפְּנֵ֖י בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְהָיְתָ֖ה שְׁמָמָֽה׃ 9
उस समय उनके गढ़वाले नगर घने वन, और उनके निर्जन स्थान पहाड़ों की चोटियों के समान होंगे जो इस्राएलियों के डर के मारे छोड़ दिए गए थे, और वे उजाड़ पड़े रहेंगे।
כִּ֤י שָׁכַ֙חַתְּ֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׁעֵ֔ךְ וְצ֥וּר מָעֻזֵּ֖ךְ לֹ֣א זָכָ֑רְתְּ עַל־כֵּ֗ן תִּטְּעִי֙ נִטְעֵ֣י נַעֲמָנִ֔ים וּזְמֹ֥רַת זָ֖ר תִּזְרָעֶֽנּוּ׃ 10
१०क्योंकि तू अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर को भूल गया और अपनी दृढ़ चट्टान का स्मरण नहीं रखा; इस कारण चाहे तू मनभावने पौधे लगाए और विदेशी कलम जमाये,
בְּי֤וֹם נִטְעֵךְ֙ תְּשַׂגְשֵׂ֔גִי וּבַבֹּ֖קֶר זַרְעֵ֣ךְ תַּפְרִ֑יחִי נֵ֥ד קָצִ֛יר בְּי֥וֹם נַחֲלָ֖ה וּכְאֵ֥ב אָנֽוּשׁ׃ ס 11
११चाहे रोपने के दिन तू अपने चारों और बाड़ा बाँधे, और सवेरे ही को उनमें फूल खिलने लगें, तो भी सन्ताप और असाध्य दुःख के दिन उसका फल नाश हो जाएगा।
ה֗וֹי הֲמוֹן֙ עַמִּ֣ים רַבִּ֔ים כַּהֲמ֥וֹת יַמִּ֖ים יֶהֱמָי֑וּן וּשְׁא֣וֹן לְאֻמִּ֔ים כִּשְׁא֛וֹן מַ֥יִם כַּבִּירִ֖ים יִשָּׁאֽוּן׃ 12
१२हाय, हाय! देश-देश के बहुत से लोगों का कैसा नाद हो रहा है, वे समुद्र की लहरों के समान गरजते हैं। राज्य-राज्य के लोगों का कैसा गर्जन हो रहा है, वे प्रचण्ड धारा के समान नाद करते हैं!
לְאֻמִּ֗ים כִּשְׁא֞וֹן מַ֤יִם רַבִּים֙ יִשָּׁא֔וּן וְגָ֥עַר בּ֖וֹ וְנָ֣ס מִמֶּרְחָ֑ק וְרֻדַּ֗ף כְּמֹ֤ץ הָרִים֙ לִפְנֵי־ר֔וּחַ וּכְגַלְגַּ֖ל לִפְנֵ֥י סוּפָֽה׃ 13
१३राज्य-राज्य के लोग बाढ़ के बहुत से जल के समान नाद करते हैं, परन्तु वह उनको घुड़केगा, और वे दूर भाग जाएँगे, और ऐसे उड़ाए जाएँगे जैसे पहाड़ों पर की भूसी वायु से, और धूल बवण्डर से घुमाकर उड़ाई जाती है।
לְעֵ֥ת עֶ֙רֶב֙ וְהִנֵּ֣ה בַלָּהָ֔ה בְּטֶ֥רֶם בֹּ֖קֶר אֵינֶ֑נּוּ זֶ֚ה חֵ֣לֶק שׁוֹסֵ֔ינוּ וְגוֹרָ֖ל לְבֹזְזֵֽינוּ׃ ס 14
१४साँझ को, देखो, घबराहट है! और भोर से पहले, वे लोप हो गये हैं! हमारे नाश करनेवालों का भाग और हमारे लूटनेवाले की यही दशा होगी।

< יְשַׁעְיָהוּ 17 >