< שְׁמֹות 28 >
וְאַתָּ֡ה הַקְרֵ֣ב אֵלֶיךָ֩ אֶת־אַהֲרֹ֨ן אָחִ֜יךָ וְאֶת־בָּנָ֣יו אִתּ֔וֹ מִתּ֛וֹךְ בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לְכַהֲנוֹ־לִ֑י אַהֲרֹ֕ן נָדָ֧ב וַאֲבִיה֛וּא אֶלְעָזָ֥ר וְאִיתָמָ֖ר בְּנֵ֥י אַהֲרֹֽן׃ | 1 |
१“फिर तू इस्राएलियों में से अपने भाई हारून, और नादाब, अबीहू, एलीआजर और ईतामार नामक उसके पुत्रों को अपने समीप ले आना कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।
וְעָשִׂ֥יתָ בִגְדֵי־קֹ֖דֶשׁ לְאַהֲרֹ֣ן אָחִ֑יךָ לְכָב֖וֹד וּלְתִפְאָֽרֶת׃ | 2 |
२और तू अपने भाई हारून के लिये वैभव और शोभा के निमित्त पवित्र वस्त्र बनवाना।
וְאַתָּ֗ה תְּדַבֵּר֙ אֶל־כָּל־חַכְמֵי־לֵ֔ב אֲשֶׁ֥ר מִלֵּאתִ֖יו ר֣וּחַ חָכְמָ֑ה וְעָשׂ֞וּ אֶת־בִּגְדֵ֧י אַהֲרֹ֛ן לְקַדְּשׁ֖וֹ לְכַהֲנוֹ־לִֽי׃ | 3 |
३और जितनों के हृदय में बुद्धि है, जिनको मैंने बुद्धि देनेवाली आत्मा से परिपूर्ण किया है, उनको तू हारून के वस्त्र बनाने की आज्ञा दे कि वह मेरे निमित्त याजक का काम करने के लिये पवित्र बनें।
וְאֵ֨לֶּה הַבְּגָדִ֜ים אֲשֶׁ֣ר יַעֲשׂ֗וּ חֹ֤שֶׁן וְאֵפוֹד֙ וּמְעִ֔יל וּכְתֹ֥נֶת תַּשְׁבֵּ֖ץ מִצְנֶ֣פֶת וְאַבְנֵ֑ט וְעָשׂ֨וּ בִגְדֵי־קֹ֜דֶשׁ לְאַהֲרֹ֥ן אָחִ֛יךָ וּלְבָנָ֖יו לְכַהֲנוֹ־לִֽי׃ | 4 |
४और जो वस्त्र उन्हें बनाने होंगे वे ये हैं, अर्थात् सीनाबन्ध; और एपोद, और बागा, चार खाने का अंगरखा, पुरोहित का टोप, और कमरबन्द; ये ही पवित्र वस्त्र तेरे भाई हारून और उसके पुत्रों के लिये बनाएँ जाएँ कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।
וְהֵם֙ יִקְח֣וּ אֶת־הַזָּהָ֔ב וְאֶת־הַתְּכֵ֖לֶת וְאֶת־הָֽאַרְגָּמָ֑ן וְאֶת־תּוֹלַ֥עַת הַשָּׁנִ֖י וְאֶת־הַשֵּֽׁשׁ׃ פ | 5 |
५और वे सोने और नीले और बैंगनी और लाल रंग का और सूक्ष्म सनी का कपड़ा लें।
וְעָשׂ֖וּ אֶת־הָאֵפֹ֑ד זָ֠הָב תְּכֵ֨לֶת וְאַרְגָּמָ֜ן תּוֹלַ֧עַת שָׁנִ֛י וְשֵׁ֥שׁ מָשְׁזָ֖ר מַעֲשֵׂ֥ה חֹשֵֽׁב׃ | 6 |
६“वे एपोद को सोने, और नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े का और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े का बनाएँ, जो कि निपुण कढ़ाई के काम करनेवाले के हाथ का काम हो।
שְׁתֵּ֧י כְתֵפֹ֣ת חֹֽבְרֹ֗ת יִֽהְיֶה־לּ֛וֹ אֶל־שְׁנֵ֥י קְצוֹתָ֖יו וְחֻבָּֽר׃ | 7 |
७और वह इस तरह से जोड़ा जाए कि उसके दोनों कंधों के सिरे आपस में मिले रहें।
וְחֵ֤שֶׁב אֲפֻדָּתוֹ֙ אֲשֶׁ֣ר עָלָ֔יו כְּמַעֲשֵׂ֖הוּ מִמֶּ֣נּוּ יִהְיֶ֑ה זָהָ֗ב תְּכֵ֧לֶת וְאַרְגָּמָ֛ן וְתוֹלַ֥עַת שָׁנִ֖י וְשֵׁ֥שׁ מָשְׁזָֽר׃ | 8 |
८और एपोद पर जो काढ़ा हुआ पटुका होगा उसकी बनावट उसी के समान हो, और वे दोनों बिना जोड़ के हों, और सोने और नीले, बैंगनी और लाल रंगवाले और बटी हुई सूक्ष्म सनीवाले कपड़े के हों।
וְלָ֣קַחְתָּ֔ אֶת־שְׁתֵּ֖י אַבְנֵי־שֹׁ֑הַם וּפִתַּחְתָּ֣ עֲלֵיהֶ֔ם שְׁמ֖וֹת בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 9 |
९फिर दो सुलैमानी मणि लेकर उन पर इस्राएल के पुत्रों के नाम खुदवाना,
שִׁשָּׁה֙ מִשְּׁמֹתָ֔ם עַ֖ל הָאֶ֣בֶן הָאֶחָ֑ת וְאֶת־שְׁמ֞וֹת הַשִּׁשָּׁ֧ה הַנּוֹתָרִ֛ים עַל־הָאֶ֥בֶן הַשֵּׁנִ֖ית כְּתוֹלְדֹתָֽם׃ | 10 |
१०उनके नामों में से छः तो एक मणि पर, और शेष छः नाम दूसरे मणि पर, इस्राएल के पुत्रों की उत्पत्ति के अनुसार खुदवाना।
מַעֲשֵׂ֣ה חָרַשׁ֮ אֶבֶן֒ פִּתּוּחֵ֣י חֹתָ֗ם תְּפַתַּח֙ אֶת־שְׁתֵּ֣י הָאֲבָנִ֔ים עַל־שְׁמֹ֖ת בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל מֻסַבֹּ֛ת מִשְׁבְּצ֥וֹת זָהָ֖ב תַּעֲשֶׂ֥ה אֹתָֽם׃ | 11 |
११मणि गढ़नेवाले के काम के समान जैसे छापा खोदा जाता है, वैसे ही उन दो मणियों पर इस्राएल के पुत्रों के नाम खुदवाना; और उनको सोने के खानों में जड़वा देना।
וְשַׂמְתָּ֞ אֶת־שְׁתֵּ֣י הָאֲבָנִ֗ים עַ֚ל כִּתְפֹ֣ת הָֽאֵפֹ֔ד אַבְנֵ֥י זִכָּרֹ֖ן לִבְנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וְנָשָׂא֩ אַהֲרֹ֨ן אֶת־שְׁמוֹתָ֜ם לִפְנֵ֧י יְהוָ֛ה עַל־שְׁתֵּ֥י כְתֵפָ֖יו לְזִכָּרֹֽן׃ ס | 12 |
१२और दोनों मणियों को एपोद के कंधों पर लगवाना, वे इस्राएलियों के निमित्त स्मरण दिलवाने वाले मणि ठहरेंगे; अर्थात् हारून उनके नाम यहोवा के आगे अपने दोनों कंधों पर स्मरण के लिये लगाए रहे।
וְעָשִׂ֥יתָ מִשְׁבְּצֹ֖ת זָהָֽב׃ | 13 |
१३“फिर सोने के खाने बनवाना,
וּשְׁתֵּ֤י שַׁרְשְׁרֹת֙ זָהָ֣ב טָה֔וֹר מִגְבָּלֹ֛ת תַּעֲשֶׂ֥ה אֹתָ֖ם מַעֲשֵׂ֣ה עֲבֹ֑ת וְנָתַתָּ֛ה אֶת־שַׁרְשְׁרֹ֥ת הָעֲבֹתֹ֖ת עַל־הַֽמִּשְׁבְּצֹֽת ׃ ס | 14 |
१४और डोरियों के समान गूँथे हुए दो जंजीर शुद्ध सोने के बनवाना; और गूँथे हुए जंजीरों को उन खानों में जड़वाना।
וְעָשִׂ֜יתָ חֹ֤שֶׁן מִשְׁפָּט֙ מַעֲשֵׂ֣ה חֹשֵׁ֔ב כְּמַעֲשֵׂ֥ה אֵפֹ֖ד תַּעֲשֶׂ֑נּוּ זָ֠הָב תְּכֵ֨לֶת וְאַרְגָּמָ֜ן וְתוֹלַ֧עַת שָׁנִ֛י וְשֵׁ֥שׁ מָשְׁזָ֖ר תַּעֲשֶׂ֥ה אֹתֽוֹ׃ | 15 |
१५“फिर न्याय की चपरास को भी कढ़ाई के काम का बनवाना; एपोद के समान सोने, और नीले, बैंगनी और लाल रंग के और बटी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े की उसे बनवाना।
רָב֥וּעַ יִֽהְיֶ֖ה כָּפ֑וּל זֶ֥רֶת אָרְכּ֖וֹ וְזֶ֥רֶת רָחְבּֽוֹ׃ | 16 |
१६वह चौकोर और दोहरी हो, और उसकी लम्बाई और चौड़ाई एक-एक बिलांद की हो।
וּמִלֵּאתָ֥ בוֹ֙ מִלֻּ֣אַת אֶ֔בֶן אַרְבָּעָ֖ה טוּרִ֣ים אָ֑בֶן ט֗וּר אֹ֤דֶם פִּטְדָה֙ וּבָרֶ֔קֶת הַטּ֖וּר הָאֶחָֽד׃ | 17 |
१७और उसमें चार पंक्ति मणि जड़ाना। पहली पंक्ति में तो माणिक्य, पद्मराग और लालड़ी हों;
וְהַטּ֖וּר הַשֵּׁנִ֑י נֹ֥פֶךְ סַפִּ֖יר וְיָהֲלֹֽם׃ | 18 |
१८दूसरी पंक्ति में मरकत, नीलमणि और हीरा;
וְהַטּ֖וּר הַשְּׁלִישִׁ֑י לֶ֥שֶׁם שְׁב֖וֹ וְאַחְלָֽמָה׃ | 19 |
१९तीसरी पंक्ति में लशम, सूर्यकांत और नीलम;
וְהַטּוּר֙ הָרְבִיעִ֔י תַּרְשִׁ֥ישׁ וְשֹׁ֖הַם וְיָשְׁפֵ֑ה מְשֻׁבָּצִ֥ים זָהָ֛ב יִהְי֖וּ בְּמִלּוּאֹתָֽם׃ | 20 |
२०और चौथी पंक्ति में फीरोजा, सुलैमानी मणि और यशब हों; ये सब सोने के खानों में जड़े जाएँ।
וְ֠הָאֲבָנִים תִּֽהְיֶ֜יןָ עַל־שְׁמֹ֧ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֛ל שְׁתֵּ֥ים עֶשְׂרֵ֖ה עַל־שְׁמֹתָ֑ם פִּתּוּחֵ֤י חוֹתָם֙ אִ֣ישׁ עַל־שְׁמ֔וֹ תִּֽהְיֶ֕יןָ לִשְׁנֵ֥י עָשָׂ֖ר שָֽׁבֶט׃ | 21 |
२१और इस्राएल के पुत्रों के जितने नाम हैं उतने मणि हों, अर्थात् उनके नामों की गिनती के अनुसार बारह नाम खुदें, बारहों गोत्रों में से एक-एक का नाम एक-एक मणि पर ऐसे खुदे जैसे छापा खोदा जाता है।
וְעָשִׂ֧יתָ עַל־הַחֹ֛שֶׁן שַֽׁרְשֹׁ֥ת גַּבְלֻ֖ת מַעֲשֵׂ֣ה עֲבֹ֑ת זָהָ֖ב טָהֽוֹר׃ | 22 |
२२फिर चपरास पर डोरियों के समान गूँथे हुए शुद्ध सोने की जंजीर लगवाना;
וְעָשִׂ֙יתָ֙ עַל־הַחֹ֔שֶׁן שְׁתֵּ֖י טַבְּע֣וֹת זָהָ֑ב וְנָתַתָּ֗ אֶת־שְׁתֵּי֙ הַטַּבָּע֔וֹת עַל־שְׁנֵ֖י קְצ֥וֹת הַחֹֽשֶׁן׃ | 23 |
२३और चपरास में सोने की दो कड़ियाँ लगवाना, और दोनों कड़ियों को चपरास के दोनों सिरों पर लगवाना।
וְנָתַתָּ֗ה אֶת־שְׁתֵּי֙ עֲבֹתֹ֣ת הַזָּהָ֔ב עַל־שְׁתֵּ֖י הַטַּבָּעֹ֑ת אֶל־קְצ֖וֹת הַחֹֽשֶׁן׃ | 24 |
२४और सोने के दोनों गूँथे जंजीरों को उन दोनों कड़ियों में जो चपरास के सिरों पर होंगी लगवाना;
וְאֵ֨ת שְׁתֵּ֤י קְצוֹת֙ שְׁתֵּ֣י הָעֲבֹתֹ֔ת תִּתֵּ֖ן עַל־שְׁתֵּ֣י הַֽמִּשְׁבְּצ֑וֹת וְנָתַתָּ֛ה עַל־כִּתְפ֥וֹת הָאֵפֹ֖ד אֶל־מ֥וּל פָּנָֽיו׃ | 25 |
२५और गूँथे हुए दोनों जंजीरों के दोनों बाकी सिरों को दोनों खानों में जड़वा के एपोद के दोनों कंधों के बंधनों पर उसके सामने लगवाना।
וְעָשִׂ֗יתָ שְׁתֵּי֙ טַבְּע֣וֹת זָהָ֔ב וְשַׂמְתָּ֣ אֹתָ֔ם עַל־שְׁנֵ֖י קְצ֣וֹת הַחֹ֑שֶׁן עַל־שְׂפָת֕וֹ אֲשֶׁ֛ר אֶל־עֵ֥בֶר הָאֵפֹ֖ד בָּֽיְתָה׃ | 26 |
२६फिर सोने की दो और कड़ियाँ बनवाकर चपरास के दोनों सिरों पर, उसकी उस कोर पर जो एपोद के भीतर की ओर होगी लगवाना।
וְעָשִׂיתָ֮ שְׁתֵּ֣י טַבְּע֣וֹת זָהָב֒ וְנָתַתָּ֣ה אֹתָ֡ם עַל־שְׁתֵּי֩ כִתְפ֨וֹת הָאֵפ֤וֹד מִלְּמַ֙טָּה֙ מִמּ֣וּל פָּנָ֔יו לְעֻמַּ֖ת מֶחְבַּרְתּ֑וֹ מִמַּ֕עַל לְחֵ֖שֶׁב הָאֵפֽוֹד׃ | 27 |
२७फिर उनके सिवाय सोने की दो और कड़ियाँ बनवाकर एपोद के दोनों कंधों के बंधनों पर, नीचे से उनके सामने और उसके जोड़ के पास एपोद के काढ़े हुए पटुके के ऊपर लगवाना।
וְיִרְכְּס֣וּ אֶת־הַ֠חֹשֶׁן מטבעתו אֶל־טַבְּעֹ֤ת הָאֵפֹד֙ בִּפְתִ֣יל תְּכֵ֔לֶת לִֽהְי֖וֹת עַל־חֵ֣שֶׁב הָאֵפ֑וֹד וְלֹֽא־יִזַּ֣ח הַחֹ֔שֶׁן מֵעַ֖ל הָאֵפֽוֹד׃ | 28 |
२८और चपरास अपनी कड़ियों के द्वारा एपोद की कड़ियों में नीले फीते से बाँधी जाए, इस रीति वह एपोद के काढ़े हुए पटुके पर बनी रहे, और चपरास एपोद पर से अलग न होने पाए।
וְנָשָׂ֣א אַ֠הֲרֹן אֶת־שְׁמ֨וֹת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל בְּחֹ֧שֶׁן הַמִּשְׁפָּ֛ט עַל־לִבּ֖וֹ בְּבֹא֣וֹ אֶל־הַקֹּ֑דֶשׁ לְזִכָּרֹ֥ן לִפְנֵֽי־יְהוָ֖ה תָּמִֽיד׃ | 29 |
२९और जब जब हारून पवित्रस्थान में प्रवेश करे, तब-तब वह न्याय की चपरास पर अपने हृदय के ऊपर इस्राएलियों के नामों को लगाए रहे, जिससे यहोवा के सामने उनका स्मरण नित्य रहे।
וְנָתַתָּ֞ אֶל־חֹ֣שֶׁן הַמִּשְׁפָּ֗ט אֶת־הָאוּרִים֙ וְאֶת־הַתֻּמִּ֔ים וְהָיוּ֙ עַל־לֵ֣ב אַהֲרֹ֔ן בְּבֹא֖וֹ לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה וְנָשָׂ֣א אַ֠הֲרֹן אֶת־מִשְׁפַּ֨ט בְּנֵי־יִשְׂרָאֵ֧ל עַל־לִבּ֛וֹ לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה תָּמִֽיד׃ ס | 30 |
३०और तू न्याय की चपरास में ऊरीम और तुम्मीम को रखना, और जब जब हारून यहोवा के सामने प्रवेश करे, तब-तब वे उसके हृदय के ऊपर हों; इस प्रकार हारून इस्राएलियों के लिये यहोवा के न्याय को अपने हृदय के ऊपर यहोवा के सामने नित्य लगाए रहे।
וְעָשִׂ֛יתָ אֶת־מְעִ֥יל הָאֵפ֖וֹד כְּלִ֥יל תְּכֵֽלֶת׃ | 31 |
३१“फिर एपोद के बागे को सम्पूर्ण नीले रंग का बनवाना।
וְהָיָ֥ה פִֽי־רֹאשׁ֖וֹ בְּתוֹכ֑וֹ שָׂפָ֡ה יִֽהְיֶה֩ לְפִ֨יו סָבִ֜יב מַעֲשֵׂ֣ה אֹרֵ֗ג כְּפִ֥י תַחְרָ֛א יִֽהְיֶה־לּ֖וֹ לֹ֥א יִקָּרֵֽעַ׃ | 32 |
३२उसकी बनावट ऐसी हो कि उसके बीच में सिर डालने के लिये छेद हो, और उस छेद के चारों ओर बख्तर के छेद की सी एक बुनी हुई कोर हो कि वह फटने न पाए।
וְעָשִׂ֣יתָ עַל־שׁוּלָ֗יו רִמֹּנֵי֙ תְּכֵ֤לֶת וְאַרְגָּמָן֙ וְתוֹלַ֣עַת שָׁנִ֔י עַל־שׁוּלָ֖יו סָבִ֑יב וּפַעֲמֹנֵ֥י זָהָ֛ב בְּתוֹכָ֖ם סָבִֽיב׃ | 33 |
३३और उसके नीचेवाले घेरे में चारों ओर नीले, बैंगनी और लाल रंग के कपड़े के अनार बनवाना, और उनके बीच-बीच चारों ओर सोने की घंटियाँ लगवाना,
פַּעֲמֹ֤ן זָהָב֙ וְרִמּ֔וֹן פַּֽעֲמֹ֥ן זָהָ֖ב וְרִמּ֑וֹן עַל־שׁוּלֵ֥י הַמְּעִ֖יל סָבִֽיב׃ | 34 |
३४अर्थात् एक सोने की घंटी और एक अनार, फिर एक सोने की घंटी और एक अनार, इसी रीति बागे के नीचेवाले घेरे में चारों ओर ऐसा ही हो।
וְהָיָ֥ה עַֽל־אַהֲרֹ֖ן לְשָׁרֵ֑ת וְנִשְׁמַ֣ע ק֠וֹלוֹ בְּבֹא֨וֹ אֶל־הַקֹּ֜דֶשׁ לִפְנֵ֧י יְהוָ֛ה וּבְצֵאת֖וֹ וְלֹ֥א יָמֽוּת׃ ס | 35 |
३५और हारून उस बागे को सेवा टहल करने के समय पहना करे, कि जब जब वह पवित्रस्थान के भीतर यहोवा के सामने जाए, या बाहर निकले, तब-तब उसका शब्द सुनाई दे, नहीं तो वह मर जाएगा।
וְעָשִׂ֥יתָ צִּ֖יץ זָהָ֣ב טָה֑וֹר וּפִתַּחְתָּ֤ עָלָיו֙ פִּתּוּחֵ֣י חֹתָ֔ם קֹ֖דֶשׁ לַֽיהוָֽה׃ | 36 |
३६“फिर शुद्ध सोने का एक टीका बनवाना, और जैसे छापे में वैसे ही उसमें ये अक्षर खोदे जाएँ, अर्थात् ‘यहोवा के लिये पवित्र।’
וְשַׂמְתָּ֤ אֹתוֹ֙ עַל־פְּתִ֣יל תְּכֵ֔לֶת וְהָיָ֖ה עַל־הַמִּצְנָ֑פֶת אֶל־מ֥וּל פְּנֵֽי־הַמִּצְנֶ֖פֶת יִהְיֶֽה׃ | 37 |
३७और उसे नीले फीते से बाँधना; और वह पगड़ी के सामने के हिस्से पर रहे।
וְהָיָה֮ עַל־מֵ֣צַח אַהֲרֹן֒ וְנָשָׂ֨א אַהֲרֹ֜ן אֶת־עֲוֺ֣ן הַקֳּדָשִׁ֗ים אֲשֶׁ֤ר יַקְדִּ֙ישׁוּ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל לְכָֽל־מַתְּנֹ֖ת קָדְשֵׁיהֶ֑ם וְהָיָ֤ה עַל־מִצְחוֹ֙ תָּמִ֔יד לְרָצ֥וֹן לָהֶ֖ם לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 38 |
३८और वह हारून के माथे पर रहे, इसलिए कि इस्राएली जो कुछ पवित्र ठहराएँ, अर्थात् जितनी पवित्र वस्तुएँ भेंट में चढ़ावे उन पवित्र वस्तुओं का दोष हारून उठाए रहे, और वह नित्य उसके माथे पर रहे, जिससे यहोवा उनसे प्रसन्न रहे।
וְשִׁבַּצְתָּ֙ הַכְּתֹ֣נֶת שֵׁ֔שׁ וְעָשִׂ֖יתָ מִצְנֶ֣פֶת שֵׁ֑שׁ וְאַבְנֵ֥ט תַּעֲשֶׂ֖ה מַעֲשֵׂ֥ה רֹקֵֽם׃ | 39 |
३९“अंगरखे को सूक्ष्म सनी के कपड़े का चारखाना बुनवाना, और एक पगड़ी भी सूक्ष्म सनी के कपड़े की बनवाना, और बेलबूटे की कढ़ाई का काम किया हुआ एक कमरबन्द भी बनवाना।
וְלִבְנֵ֤י אַהֲרֹן֙ תַּעֲשֶׂ֣ה כֻתֳּנֹ֔ת וְעָשִׂ֥יתָ לָהֶ֖ם אַבְנֵטִ֑ים וּמִגְבָּעוֹת֙ תַּעֲשֶׂ֣ה לָהֶ֔ם לְכָב֖וֹד וּלְתִפְאָֽרֶת׃ | 40 |
४०“फिर हारून के पुत्रों के लिये भी अंगरखे और कमरबन्द और टोपियाँ बनवाना; ये वस्त्र भी वैभव और शोभा के लिये बनें।
וְהִלְבַּשְׁתָּ֤ אֹתָם֙ אֶת־אַהֲרֹ֣ן אָחִ֔יךָ וְאֶת־בָּנָ֖יו אִתּ֑וֹ וּמָשַׁחְתָּ֨ אֹתָ֜ם וּמִלֵּאתָ֧ אֶת־יָדָ֛ם וְקִדַּשְׁתָּ֥ אֹתָ֖ם וְכִהֲנ֥וּ לִֽי׃ | 41 |
४१अपने भाई हारून और उसके पुत्रों को ये ही सब वस्त्र पहनाकर उनका अभिषेक और संस्कार करना, और उन्हें पवित्र करना कि वे मेरे लिये याजक का काम करें।
וַעֲשֵׂ֤ה לָהֶם֙ מִכְנְסֵי־בָ֔ד לְכַסּ֖וֹת בְּשַׂ֣ר עֶרְוָ֑ה מִמָּתְנַ֥יִם וְעַד־יְרֵכַ֖יִם יִהְיֽוּ׃ | 42 |
४२और उनके लिये सनी के कपड़े की जाँघिया बनवाना जिनसे उनका तन ढँपा रहे; वे कमर से जाँघ तक की हों;
וְהָיוּ֩ עַל־אַהֲרֹ֨ן וְעַל־בָּנָ֜יו בְּבֹאָ֣ם ׀ אֶל־אֹ֣הֶל מוֹעֵ֗ד א֣וֹ בְגִשְׁתָּ֤ם אֶל־הַמִּזְבֵּ֙חַ֙ לְשָׁרֵ֣ת בַּקֹּ֔דֶשׁ וְלֹא־יִשְׂא֥וּ עָוֺ֖ן וָמֵ֑תוּ חֻקַּ֥ת עוֹלָ֛ם ל֖וֹ וּלְזַרְע֥וֹ אַחֲרָֽיו׃ ס | 43 |
४३और जब जब हारून या उसके पुत्र मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करें, या पवित्रस्थान में सेवा टहल करने को वेदी के पास जाएँ तब-तब वे उन जाँघियों को पहने रहें, न हो कि वे पापी ठहरें और मर जाएँ। यह हारून के लिये और उसके बाद उसके वंश के लिये भी सदा की विधि ठहरे।