< דְּבָרִים 32 >

הַאֲזִ֥ינוּ הַשָּׁמַ֖יִם וַאֲדַבֵּ֑רָה וְתִשְׁמַ֥ע הָאָ֖רֶץ אִמְרֵי־פִֽי׃ 1
आकाशमंडल, यहां ध्यान दो, मुझे सम्भाषण का अवसर प्रदान करो; पृथ्वी मेरे मुख से मुखरित शब्द सुने.
יַעֲרֹ֤ף כַּמָּטָר֙ לִקְחִ֔י תִּזַּ֥ל כַּטַּ֖ל אִמְרָתִ֑י כִּשְׂעִירִ֣ם עֲלֵי־דֶ֔שֶׁא וְכִרְבִיבִ֖ים עֲלֵי־עֵֽשֶׂב׃ 2
मेरी शिक्षा वृष्टि-समान टपके, मेरा सम्भाषण कोमल घास पर लघु बूंदों के समान, वनस्पति पर वृष्टि फुहार समान और ओस की बूंदों समान पड़े.
כִּ֛י שֵׁ֥ם יְהוָ֖ה אֶקְרָ֑א הָב֥וּ גֹ֖דֶל לֵאלֹהֵֽינוּ׃ 3
क्योंकि मेरी घोषणा है याहवेह के सम्मान; हमारे परमेश्वर की महानता की स्तुति करो!
הַצּוּר֙ תָּמִ֣ים פָּעֳל֔וֹ כִּ֥י כָל־דְּרָכָ֖יו מִשְׁפָּ֑ט אֵ֤ל אֱמוּנָה֙ וְאֵ֣ין עָ֔וֶל צַדִּ֥יק וְיָשָׁ֖ר הֽוּא׃ 4
वह चट्टान! त्रुटिहीन है उनकी रचना, क्योंकि उनकी सारी युक्तियां नीतियुक्त ही हैं; विश्वासयोग्य परमेश्वर, अन्याय विहीन, न्यायपूर्ण और सत्यनिष्ठ हैं वह.
שִׁחֵ֥ת ל֛וֹ לֹ֖א בָּנָ֣יו מוּמָ֑ם דּ֥וֹר עִקֵּ֖שׁ וּפְתַלְתֹּֽל׃ 5
याहवेह के प्रति उनका पालन विकृत रहा है, उनके दोष पूरा होने के कारण वे उनकी संतान नहीं रह गए, परंतु अब वे हैं पतनोन्मुख और कुटिल पीढ़ी!
הֲ־לַיְהוָה֙ תִּגְמְלוּ־זֹ֔את עַ֥ם נָבָ֖ל וְלֹ֣א חָכָ֑ם הֲלוֹא־הוּא֙ אָבִ֣יךָ קָּנֶ֔ךָ ה֥וּא עָֽשְׂךָ֖ וַֽיְכֹנְנֶֽךָ׃ 6
ओ मूर्खो, और मन्दमति लोगो, क्या तुम यही प्रतिफल दे रहे हो याहवेह को? क्या वह तुम्हारे पिता नहीं, जो तुम्हें यहां तक ले आए हैं? तुम उन्हीं की कृति हो और उन्हीं के द्वारा तुम प्रतिष्ठित किए गए हो?
זְכֹר֙ יְמ֣וֹת עוֹלָ֔ם בִּ֖ינוּ שְׁנ֣וֹת דּוֹר־וָד֑וֹר שְׁאַ֤ל אָבִ֙יךָ֙ וְיַגֵּ֔דְךָ זְקֵנֶ֖יךָ וְיֹ֥אמְרוּ לָֽךְ׃ 7
अतीत के उन दिनों का स्मरण करो; सारी पीढ़ियों के सालों का विचार करो. अपने पिता से विवेचना करो, तो वह तुम्हें अवगत करा देंगे, तुम्हारे पुरनिए, और वे इसका उल्लेख करेंगे.
בְּהַנְחֵ֤ל עֶלְיוֹן֙ גּוֹיִ֔ם בְּהַפְרִיד֖וֹ בְּנֵ֣י אָדָ֑ם יַצֵּב֙ גְּבֻלֹ֣ת עַמִּ֔ים לְמִסְפַּ֖ר בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 8
जब सर्वोच्च ने राष्ट्रों में उनकी मीरास आवंटित की, जब उन्होंने आदम के वंशजों को वर्गीकृत किया, उन्होंने राष्ट्रों की सीमाएं इस्राएलियों की गिनती के आधार पर तब तय कर दीं.
כִּ֛י חֵ֥לֶק יְהֹוָ֖ה עַמּ֑וֹ יַעֲקֹ֖ב חֶ֥בֶל נַחֲלָתֽוֹ׃ 9
क्योंकि याहवेह की संपदा है उनकी प्रजा; याकोब उनकी मीरास का आवंटन है.
יִמְצָאֵ֙הוּ֙ בְּאֶ֣רֶץ מִדְבָּ֔ר וּבְתֹ֖הוּ יְלֵ֣ל יְשִׁמֹ֑ן יְסֹֽבְבֶ֙נְהוּ֙ יְב֣וֹנְנֵ֔הוּ יִצְּרֶ֖נְהוּ כְּאִישׁ֥וֹן עֵינֽוֹ׃ 10
एक मरुभूमि में उनकी उससे भेंट हुई, वस्तुतः वह सांय-सांय करता निर्जन क्षेत्र था. उन्होंने उसके आस-पास बाड़ खड़ी कर दी, वह उसकी देखभाल करते रहे; यहां तक कि उन्होंने उसकी सुरक्षा अपनी आंख की पुतली-समान की,
כְּנֶ֙שֶׁר֙ יָעִ֣יר קִנּ֔וֹ עַל־גּוֹזָלָ֖יו יְרַחֵ֑ף יִפְרֹ֤שׂ כְּנָפָיו֙ יִקָּחֵ֔הוּ יִשָּׂאֵ֖הוּ עַל־אֶבְרָתֽוֹ׃ 11
उस गरुड़-समान, जो अपने नीड़ को हिला कर अपने बच्चों को जगाता, उनके ऊपर मंडराता रहता है, वह अपने डैने फैलाकर उन्हें उठा लेता है, और अपने डैनों पर ही ले जाता है.
יְהוָ֖ה בָּדָ֣ד יַנְחֶ֑נּוּ וְאֵ֥ין עִמּ֖וֹ אֵ֥ל נֵכָֽר׃ 12
सिर्फ याहवेह ही उसके दिग्दर्शक थे; याहवेह को किसी परकीय देवता की ज़रूरत न थी.
יַרְכִּבֵ֙הוּ֙ עַל־במותי אָ֔רֶץ וַיֹּאכַ֖ל תְּנוּבֹ֣ת שָׂדָ֑י וַיֵּנִקֵ֤הֽוּ דְבַשׁ֙ מִסֶּ֔לַע וְשֶׁ֖מֶן מֵחַלְמִ֥ישׁ צֽוּר׃ 13
याहवेह ने उसे अपने देश के ऊंचे क्षेत्रों में विचरण करने योग्य बना दिया था. उसके उपयोग के लिए भूमि की उपज उपलब्ध थी. याहवेह ने उसके लिए चट्टान में से मधु परोस दी, और वज्र चट्टान में से तेल भी!
חֶמְאַ֨ת בָּקָ֜ר וַחֲלֵ֣ב צֹ֗אן עִם־חֵ֨לֶב כָּרִ֜ים וְאֵילִ֤ים בְּנֵֽי־בָשָׁן֙ וְעַתּוּדִ֔ים עִם־חֵ֖לֶב כִּלְי֣וֹת חִטָּ֑ה וְדַם־עֵנָ֖ב תִּשְׁתֶּה־חָֽמֶר׃ 14
गाय-दुग्ध-दही, भेड़-बकरियों का दूध, और मेमनों और बाशान प्रजाति के मेढ़ों, और बकरों का वसा, इसके अलावा सर्वोत्कृष्ट गेहूं! और तुमने लाल रंग के बेहतरीन दाखमधु का सेवन किया.
וַיִּשְׁמַ֤ן יְשֻׁרוּן֙ וַיִּבְעָ֔ט שָׁמַ֖נְתָּ עָבִ֣יתָ כָּשִׂ֑יתָ וַיִּטֹּשׁ֙ אֱל֣וֹהַ עָשָׂ֔הוּ וַיְנַבֵּ֖ל צ֥וּר יְשֻׁעָתֽוֹ׃ 15
मगर यशुरून स्वस्थ होकर उद्दंड हो गया; तुम तो हृष्ट-पुष्ट और आकर्षक हो गए थे. तब उसने अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर ही का परित्याग कर दिया, उसे अपने उद्धार की चट्टान से ही घृणा हो गई.
יַקְנִאֻ֖הוּ בְּזָרִ֑ים בְּתוֹעֵבֹ֖ת יַכְעִיסֻֽהוּ׃ 16
विदेशी देवताओं के द्वारा उन्होंने याहवेह को ईर्ष्यालु बना दिया, घृणित मूर्तियों के द्वारा उन्होंने याहवेह के कोप को उद्दीप्‍त कर दिया.
יִזְבְּח֗וּ לַשֵּׁדִים֙ לֹ֣א אֱלֹ֔הַ אֱלֹהִ֖ים לֹ֣א יְדָע֑וּם חֲדָשִׁים֙ מִקָּרֹ֣ב בָּ֔אוּ לֹ֥א שְׂעָר֖וּם אֲבֹתֵיכֶֽם׃ 17
उन्होंने प्रेत आत्माओं को बलि अर्पित की, जो परमेश्वर ही नहीं होती. उन परकीय देवताओं को, जो उनके लिए अज्ञात ही हैं, नए देवता, जिनका अस्तित्व हाल ही में प्रकट हुआ है, जिन्हें तुम्हारे पूर्वज जानते भी न थे.
צ֥וּר יְלָדְךָ֖ תֶּ֑שִׁי וַתִּשְׁכַּ֖ח אֵ֥ל מְחֹלְלֶֽךָ׃ 18
तुमने उस चट्टान की उपेक्षा की, जिसने तुम्हें पाला पोसा.
וַיַּ֥רְא יְהוָ֖ה וַיִּנְאָ֑ץ מִכַּ֥עַס בָּנָ֖יו וּבְנֹתָֽיו׃ 19
यह सब याहवेह की दृष्टि में आ गया और उन्हें उनसे घृणा हो गई, क्योंकि यह उत्तेजना उन्हीं के पुत्र-पुत्रियों द्वारा की गई थी.
וַיֹּ֗אמֶר אַסְתִּ֤ירָה פָנַי֙ מֵהֶ֔ם אֶרְאֶ֖ה מָ֣ה אַחֲרִיתָ֑ם כִּ֣י ד֤וֹר תַּהְפֻּכֹת֙ הֵ֔מָּה בָּנִ֖ים לֹא־אֵמֻ֥ן בָּֽם׃ 20
तब याहवेह ने कहा, “मैं उनसे अपना मुख छिपा लूंगा, मैं देखना चाहूंगा कि कैसा होता है, उनका अंत; क्योंकि वे विकृत पीढ़ी हैं; ऐसी सन्तति हैं, जो विश्वासयोग्य हैं ही नहीं.
הֵ֚ם קִנְא֣וּנִי בְלֹא־אֵ֔ל כִּעֲס֖וּנִי בְּהַבְלֵיהֶ֑ם וַאֲנִי֙ אַקְנִיאֵ֣ם בְּלֹא־עָ֔ם בְּג֥וֹי נָבָ֖ל אַכְעִיסֵֽם׃ 21
उन्होंने मुझे उसके द्वारा ईर्ष्यालु बना दिया, जो ईश्वर है ही नहीं; उन्होंने अपनी मूर्तियों द्वारा मुझे उत्तेजित किया है. तब अब मैं उन्हें उनके द्वारा ईर्ष्या पैदा करूंगा जिन्हें राष्ट्र ही नहीं माना जा सकता; एक मूर्ख राष्ट्र के द्वारा मैं उन्हें क्रोध के लिए उकसाऊंगा.
כִּי־אֵשׁ֙ קָדְחָ֣ה בְאַפִּ֔י וַתִּיקַ֖ד עַד־שְׁא֣וֹל תַּחְתִּ֑ית וַתֹּ֤אכַל אֶ֙רֶץ֙ וִֽיבֻלָ֔הּ וַתְּלַהֵ֖ט מוֹסְדֵ֥י הָרִֽים׃ (Sheol h7585) 22
क्योंकि मेरी क्रोध की अग्नि प्रज्वलित हो चुकी है, वह अधोलोक के निम्नतम स्तर तक प्रज्वलित है. पृथ्वी की उपज इसने भस्म कर दी है, और पर्वतों की नींव तक इसने ज्वलित कर दी है. (Sheol h7585)
אַסְפֶּ֥ה עָלֵ֖ימוֹ רָע֑וֹת חִצַּ֖י אֲכַלֶּה־בָּֽם׃ 23
“उन पर तो मैं विपत्तियों के ढेर लगा दूंगा उन पर मैं अपने बाणों का प्रहार करूंगा.
מְזֵ֥י רָעָ֛ב וּלְחֻ֥מֵי רֶ֖שֶׁף וְקֶ֣טֶב מְרִירִ֑י וְשֶׁן־בְּהֵמוֹת֙ אֲשַׁלַּח־בָּ֔ם עִם־חֲמַ֖ת זֹחֲלֵ֥י עָפָֽר׃ 24
वे दुर्भिक्ष के प्रभाव से नाश हो जाएंगे, महामारी उन्हें चट कर जाएगी और बड़ा दयनीय होगा उनका विनाश; मैं उन पर वन्य पशुओं के दांत प्रभावी कर दूंगा, धूलि में रेंगते जंतुओं का विष भी.
מִחוּץ֙ תְּשַׁכֶּל־חֶ֔רֶב וּמֵחֲדָרִ֖ים אֵימָ֑ה גַּם־בָּחוּר֙ גַּם־בְּתוּלָ֔ה יוֹנֵ֖ק עִם־אִ֥ישׁ שֵׂיבָֽה׃ 25
घर के बाहर तलवार द्वारा निर्वंश किए जाएंगे; वे घर के भीतर भयाक्रान्त होंगे. युवक और युवतियां, दूध पीते शिशु और वृद्ध.
אָמַ֖רְתִּי אַפְאֵיהֶ֑ם אַשְׁבִּ֥יתָה מֵאֱנ֖וֹשׁ זִכְרָֽם׃ 26
मैं कह सकता था, मैं उन्हें काटकर टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा, मैं मनुष्यों के बीच से उनकी स्मृति ही मिटा दूंगा,
לוּלֵ֗י כַּ֤עַס אוֹיֵב֙ אָג֔וּר פֶּֽן־יְנַכְּר֖וּ צָרֵ֑ימוֹ פֶּן־יֹֽאמְרוּ֙ יָדֵ֣ינוּ רָ֔מָה וְלֹ֥א יְהוָ֖ה פָּעַ֥ל כָּל־זֹֽאת׃ 27
यदि मुझे शत्रु की ओर से उत्तेजना का भय न होता, कि उनके विरोधी गलत अनुमान लगाकर यह कहें, ‘विजय तो हमारे बाहुबल का परिणाम है; इसमें याहवेह का कोई योग नहीं था.’”
כִּי־ג֛וֹי אֹבַ֥ד עֵצ֖וֹת הֵ֑מָּה וְאֵ֥ין בָּהֶ֖ם תְּבוּנָֽה׃ 28
क्योंकि वे ऐसे राष्ट्र हैं, जिसमें बुद्धि का नितांत अभाव है, कुछ भी समझ नहीं है उनमें.
ל֥וּ חָכְמ֖וּ יַשְׂכִּ֣ילוּ זֹ֑את יָבִ֖ינוּ לְאַחֲרִיתָֽם׃ 29
यदि उनमें बुद्धिमता होती वे यह समझ लेते, उन्हें अपने अंत का अंतर्बोध हो जाता!
אֵיכָ֞ה יִרְדֹּ֤ף אֶחָד֙ אֶ֔לֶף וּשְׁנַ֖יִם יָנִ֣יסוּ רְבָבָ֑ה אִם־לֹא֙ כִּי־צוּרָ֣ם מְכָרָ֔ם וַֽיהוָ֖ה הִסְגִּירָֽם׃ 30
भला यह कैसे संभव हो सकता है, कि सिर्फ एक व्यक्ति एक सहस्र को खदेड़ दे, और दो व्यक्ति दस सहस्र को, यदि उनकी उस चट्टान ने अपने हाथ उन्हें न सौंपे होते, और याहवेह ने उन्हें उनके अधीन न किया होता?
כִּ֛י לֹ֥א כְצוּרֵ֖נוּ צוּרָ֑ם וְאֹיְבֵ֖ינוּ פְּלִילִֽים׃ 31
बात यह है कि उनकी चट्टान हमारी चट्टान के तुल्य नहीं है, यहां तक कि हमारे शत्रु तक यह मानते हैं.
כִּֽי־מִגֶּ֤פֶן סְדֹם֙ גַּפְנָ֔ם וּמִשַּׁדְמֹ֖ת עֲמֹרָ֑ה עֲנָבֵ֙מוֹ֙ עִנְּבֵי־ר֔וֹשׁ אַשְׁכְּלֹ֥ת מְרֹרֹ֖ת לָֽמוֹ׃ 32
उनकी द्राक्षालता का मूल है सोदोम की द्राक्षालता और अमोराह के खेत. उनके द्राक्षा विषैली कोटि के द्राक्षा हैं, द्राक्षा पुंज कड़वे हैं.
חֲמַ֥ת תַּנִּינִ֖ם יֵינָ֑ם וְרֹ֥אשׁ פְּתָנִ֖ים אַכְזָֽר׃ 33
क्योंकि उनका द्राक्षारस सर्पों का विष है, नागों का घातक ज़हर.
הֲלֹא־ה֖וּא כָּמֻ֣ס עִמָּדִ֑י חָתֻ֖ם בְּאוֹצְרֹתָֽי׃ 34
“क्या यह सब मेरे भंडार में संग्रहीत नहीं है; मेरे कोष में मोहर के द्वारा सुरक्षित?
לִ֤י נָקָם֙ וְשִׁלֵּ֔ם לְעֵ֖ת תָּמ֣וּט רַגְלָ֑ם כִּ֤י קָרוֹב֙ י֣וֹם אֵידָ֔ם וְחָ֖שׁ עֲתִדֹ֥ת לָֽמוֹ׃ 35
प्रतिशोध मेरा दायित्व है; प्रतिदण्ड मैं दूंगा. वह अवसर आएगा, जब उनका पैर तो फिसलेगा ही; क्योंकि उनका विपदा दिवस आसन्‍न है, और द्रुत गति है उन पर आ रही नियति की.”
כִּֽי־יָדִ֤ין יְהוָה֙ עַמּ֔וֹ וְעַל־עֲבָדָ֖יו יִתְנֶחָ֑ם כִּ֤י יִרְאֶה֙ כִּי־אָ֣זְלַת יָ֔ד וְאֶ֖פֶס עָצ֥וּר וְעָזֽוּב׃ 36
क्योंकि जब याहवेह यह देखेंगे कि उनकी प्रजा की शक्ति का ह्रास हो चुका है, और दास अथवा स्वतंत्र कोई शेष न रहा है, याहवेह तब उनके सेवकों पर कृपा करेंगे और वह अपनी प्रजा का प्रतिशोध ज़रूर लेंगे.
וְאָמַ֖ר אֵ֣י אֱלֹהֵ֑ימוֹ צ֖וּר חָסָ֥יוּ בֽוֹ׃ 37
याहवेह प्रश्न करेंगे: “कहां हैं उनके देवता; वह चट्टान, जिसमें उन्होंने आश्रय लिया था?
אֲשֶׁ֨ר חֵ֤לֶב זְבָחֵ֙ימוֹ֙ יֹאכֵ֔לוּ יִשְׁתּ֖וּ יֵ֣ין נְסִיכָ֑ם יָק֙וּמוּ֙ וְיַעְזְרֻכֶ֔ם יְהִ֥י עֲלֵיכֶ֖ם סִתְרָֽה׃ 38
वे देवता, जो उनकी बलियों की वसा का सेवन करते रहे थे, और उनकी भेंट से दाखमधु का पान किया था? वे तुम्हारी सहायता के लिए सक्रिय हो जाएं! हो जाएं वे तुम्हारा आश्रय-स्थल!
רְא֣וּ ׀ עַתָּ֗ה כִּ֣י אֲנִ֤י אֲנִי֙ ה֔וּא וְאֵ֥ין אֱלֹהִ֖ים עִמָּדִ֑י אֲנִ֧י אָמִ֣ית וַאֲחַיֶּ֗ה מָחַ֙צְתִּי֙ וַאֲנִ֣י אֶרְפָּ֔א וְאֵ֥ין מִיָּדִ֖י מַצִּֽיל׃ 39
“ध्यान से देख लो कि मैं ही याहवेह हूं, कोई भी मेरे अलावा नहीं है—ये देवता भी नहीं; मेरे ही आदेश पर मृत्यु होती है और जीवन का प्रदाता भी मैं ही हूं, घाव मेरे द्वारा किए गए हैं, और मैं ही घाव भर भी देता हूं! कोई भी ऐसा नहीं है, जो मेरे हाथों से कुछ छीन सके.
כִּֽי־אֶשָּׂ֥א אֶל־שָׁמַ֖יִם יָדִ֑י וְאָמַ֕רְתִּי חַ֥י אָנֹכִ֖י לְעֹלָֽם׃ 40
मैं ही हूं, जो स्वर्ग की ओर अपना हाथ बढ़ाकर यह कहता हूं: शपथ मेरे जीवन की,
אִם־שַׁנּוֹתִי֙ בְּרַ֣ק חַרְבִּ֔י וְתֹאחֵ֥ז בְּמִשְׁפָּ֖ט יָדִ֑י אָשִׁ֤יב נָקָם֙ לְצָרָ֔י וְלִמְשַׂנְאַ֖י אֲשַׁלֵּֽם׃ 41
जब मैं अपने शत्रुओं से प्रतिशोध लूंगा, जब मैं अपने विरोधियों को उसका प्रतिफल दूंगा, मैं अपनी तलवार पर धार लगा उसे चमकाऊंगा और मेरा हाथ न्याय को पुष्ट करेगा.
אַשְׁכִּ֤יר חִצַּי֙ מִדָּ֔ם וְחַרְבִּ֖י תֹּאכַ֣ל בָּשָׂ֑ר מִדַּ֤ם חָלָל֙ וְשִׁבְיָ֔ה מֵרֹ֖אשׁ פַּרְע֥וֹת אוֹיֵֽב׃ 42
मैं अपने बाणों को रक्त से मदमस्त कर दूंगा, मेरी तलवार मारे गये लोगों और बंदियों के रक्त के साथ मांस को, शत्रुओं के लंबे-लंबे केशवाले अधिकारियों के सिरों को ग्रास लेगी.”
הַרְנִ֤ינוּ גוֹיִם֙ עַמּ֔וֹ כִּ֥י דַם־עֲבָדָ֖יו יִקּ֑וֹם וְנָקָם֙ יָשִׁ֣יב לְצָרָ֔יו וְכִפֶּ֥ר אַדְמָת֖וֹ עַמּֽוֹ׃ פ 43
राष्ट्रों, याहवेह की प्रजा के साथ उल्लास मनाओ, क्योंकि वह अपने सेवकों की हत्या का प्रतिशोध लेंगे; अपने शत्रुओं से वह प्रतिशोध लेंगे, इससे वह अपने देश और अपनी प्रजा के लिए प्रायश्चित पूरा कर देंगे.
וַיָּבֹ֣א מֹשֶׁ֗ה וַיְדַבֵּ֛ר אֶת־כָּל־דִּבְרֵ֥י הַשִּׁירָֽה־הַזֹּ֖את בְּאָזְנֵ֣י הָעָ֑ם ה֖וּא וְהוֹשֵׁ֥עַ בִּן־נֽוּן׃ 44
इसके बाद मोशेह ने जाकर सारी इस्राएली प्रजा के सामने उन्हें सुनाते हुए इस गीत रचना का पठन किया; उन्होंने और उनके साथ नून के पुत्र होशिया (यहोशू) ने.
וַיְכַ֣ל מֹשֶׁ֗ה לְדַבֵּ֛ר אֶת־כָּל־הַדְּבָרִ֥ים הָאֵ֖לֶּה אֶל־כָּל־יִשְׂרָאֵֽל׃ 45
जब मोशेह सारी इस्राएलियों के सामने समग्र गीत का पाठन कर चुके,
וַיֹּ֤אמֶר אֲלֵהֶם֙ שִׂ֣ימוּ לְבַבְכֶ֔ם לְכָל־הַדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֧ר אָנֹכִ֛י מֵעִ֥יד בָּכֶ֖ם הַיּ֑וֹם אֲשֶׁ֤ר תְּצַוֻּם֙ אֶת־בְּנֵיכֶ֔ם לִשְׁמֹ֣ר לַעֲשׂ֔וֹת אֶת־כָּל־דִּבְרֵ֖י הַתּוֹרָ֥ה הַזֹּֽאת׃ 46
उन्होंने इस्राएलियों को आदेश दिया, “इन शब्दों को तुम हृदय में रख लो. ये मैं तुम्हें चेतावनी स्वरूप सौंप रहा हूं. तुम अपनी सन्तति को इन्हें सावधानीपूर्वक पालन करने का आदेश दोगे; इस विधान का पूरी तरह पालन करने का.
כִּ֠י לֹֽא־דָבָ֨ר רֵ֥ק הוּא֙ מִכֶּ֔ם כִּי־ה֖וּא חַיֵּיכֶ֑ם וּבַדָּבָ֣ר הַזֶּ֗ה תַּאֲרִ֤יכוּ יָמִים֙ עַל־הָ֣אֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֨ר אַתֶּ֜ם עֹבְרִ֧ים אֶת־הַיַּרְדֵּ֛ן שָׁ֖מָּה לְרִשְׁתָּֽהּ׃ פ 47
क्योंकि यह कोई निरर्थक वक्तव्य नहीं है. वस्तुतः यही तुम्हारे जीवन है. इसी के मर्म के द्वारा उस देश में तुम अपने जीवन के दिनों का आवर्धन करोगे, जिसमें तुम यरदन पार करके प्रवेश करने पर हो, जिसका तुम अधिग्रहण करोगे.”
וַיְדַבֵּ֤ר יְהוָה֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה בְּעֶ֛צֶם הַיּ֥וֹם הַזֶּ֖ה לֵאמֹֽר׃ 48
उसी दिन याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया,
עֲלֵ֡ה אֶל־הַר֩ הָעֲבָרִ֨ים הַזֶּ֜ה הַר־נְב֗וֹ אֲשֶׁר֙ בְּאֶ֣רֶץ מוֹאָ֔ב אֲשֶׁ֖ר עַל־פְּנֵ֣י יְרֵח֑וֹ וּרְאֵה֙ אֶת־אֶ֣רֶץ כְּנַ֔עַן אֲשֶׁ֨ר אֲנִ֥י נֹתֵ֛ן לִבְנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לַאֲחֻזָּֽה׃ 49
“अब तुम अबारिम के नेबो पर्वत पर चढ़ जाओ, जो येरीख़ो के सम्मुख मोआब देश में है. वहां जाकर तुम कनान देश पर दृष्टिपात करो, जो मैं अभिग्रहण के लिए इस्राएल को प्रदान कर रहा हूं.
וּמֻ֗ת בָּהָר֙ אֲשֶׁ֤ר אַתָּה֙ עֹלֶ֣ה שָׁ֔מָּה וְהֵאָסֵ֖ף אֶל־עַמֶּ֑יךָ כַּֽאֲשֶׁר־מֵ֞ת אַהֲרֹ֤ן אָחִ֙יךָ֙ בְּהֹ֣ר הָהָ֔ר וַיֵּאָ֖סֶף אֶל־עַמָּֽיו׃ 50
तब तुम जिस पर्वत पर चढ़ोगे, वहीं अपने प्राण विसर्जित कर देना और अपने पूर्वजों में सम्मिलित हो जाना, जिस प्रकार तुम्हारे भाई अहरोन ने होर पर्वत पर जा अपने प्राण विसर्जित किए थे, और वह अपने पूर्वजों में सम्मिलित हो गया.
עַל֩ אֲשֶׁ֨ר מְעַלְתֶּ֜ם בִּ֗י בְּתוֹךְ֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל בְּמֵֽי־מְרִיבַ֥ת קָדֵ֖שׁ מִדְבַּר־צִ֑ן עַ֣ל אֲשֶׁ֤ר לֹֽא־קִדַּשְׁתֶּם֙ אוֹתִ֔י בְּת֖וֹךְ בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ 51
क्योंकि तुमने समस्त इस्राएलियों के बीच में मेरिबाह-कादेश के जल-स्रोतों पर ज़िन के निर्जन प्रदेश में मेरे साथ विश्वासघात किया, इस्राएलियों के बीच में मेरे लिए उपयुक्त पवित्रता का व्यवहार नहीं किया.
כִּ֥י מִנֶּ֖גֶד תִּרְאֶ֣ה אֶת־הָאָ֑רֶץ וְשָׁ֙מָּה֙ לֹ֣א תָב֔וֹא אֶל־הָאָ֕רֶץ אֲשֶׁר־אֲנִ֥י נֹתֵ֖ן לִבְנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ 52
तुम दूर ही से उस देश का दर्शन कर सकोगे; मगर उसमें प्रवेश नहीं करोगे, उस देश में, जो मैं इस्राएलियों को प्रदान कर रहा हूं.”

< דְּבָרִים 32 >