< דְּבָרִים 1 >

אֵ֣לֶּה הַדְּבָרִ֗ים אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֤ר מֹשֶׁה֙ אֶל־כָּל־יִשְׂרָאֵ֔ל בְּעֵ֖בֶר הַיַּרְדֵּ֑ן בַּמִּדְבָּ֡ר בָּֽעֲרָבָה֩ מ֨וֹל ס֜וּף בֵּֽין־פָּארָ֧ן וּבֵֽין־תֹּ֛פֶל וְלָבָ֥ן וַחֲצֵרֹ֖ת וְדִ֥י זָהָֽב׃ 1
मोशेह द्वारा सारे इस्राएल को कहे गए वचन, जो यरदन के पूर्व निर्जन प्रदेश—अराबाह—में दिये गये, जो सूफ के सामने के मैदान में पारान, तोफेल, लाबान, हाज़ोरौथ और दी-ज़ाहाब के पास है.
אַחַ֨ד עָשָׂ֥ר יוֹם֙ מֵֽחֹרֵ֔ב דֶּ֖רֶךְ הַר־שֵׂעִ֑יר עַ֖ד קָדֵ֥שׁ בַּרְנֵֽעַ׃ 2
(होरेब पर्वत से सेईर पर्वत होते हुए कादेश-बरनेअ तक यात्रा में सिर्फ ग्यारह दिन ही लगते हैं.)
וַיְהִי֙ בְּאַרְבָּעִ֣ים שָׁנָ֔ה בְּעַשְׁתֵּֽי־עָשָׂ֥ר חֹ֖דֶשׁ בְּאֶחָ֣ד לַחֹ֑דֶשׁ דִּבֶּ֤ר מֹשֶׁה֙ אֶל־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל כְּ֠כֹל אֲשֶׁ֨ר צִוָּ֧ה יְהוָ֛ה אֹת֖וֹ אֲלֵהֶֽם׃ 3
चालीसवें साल के, ग्यारहवें महीने के पहले दिन मोशेह ने इस्राएलियों को वह सब कह दिया, जिसका आदेश उन्हें याहवेह से मिला था.
אַחֲרֵ֣י הַכֹּת֗וֹ אֵ֚ת סִיחֹן֙ מֶ֣לֶךְ הָֽאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁ֥ר יוֹשֵׁ֖ב בְּחֶשְׁבּ֑וֹן וְאֵ֗ת ע֚וֹג מֶ֣לֶךְ הַבָּשָׁ֔ן אֲשֶׁר־יוֹשֵׁ֥ב בְּעַשְׁתָּרֹ֖ת בְּאֶדְרֶֽעִי׃ 4
इस समय वह हेशबोनवासी अमोरियों के राजा सीहोन और अश्तारोथ और एद्रेइ के शासक बाशान के राजा ओग को हरा चुके थे.
בְּעֵ֥בֶר הַיַּרְדֵּ֖ן בְּאֶ֣רֶץ מוֹאָ֑ב הוֹאִ֣יל מֹשֶׁ֔ה בֵּאֵ֛ר אֶת־הַתּוֹרָ֥ה הַזֹּ֖את לֵאמֹֽר׃ 5
जब वे यरदन के पूर्व मोआब देश में ही थे, मोशेह ने व्यवस्था की व्याख्या करना यह कहते हुए शुरू किया कि:
יְהוָ֧ה אֱלֹהֵ֛ינוּ דִּבֶּ֥ר אֵלֵ֖ינוּ בְּחֹרֵ֣ב לֵאמֹ֑ר רַב־לָכֶ֥ם שֶׁ֖בֶת בָּהָ֥ר הַזֶּֽה׃ 6
होरेब पर्वत पर याहवेह हमारे परमेश्वर ने यह कहा था, “पूरी हुई इस पर्वत पर तुम्हारी शांति.
פְּנ֣וּ ׀ וּסְע֣וּ לָכֶ֗ם וּבֹ֨אוּ הַ֥ר הָֽאֱמֹרִי֮ וְאֶל־כָּל־שְׁכֵנָיו֒ בָּעֲרָבָ֥ה בָהָ֛ר וּבַשְּׁפֵלָ֥ה וּבַנֶּ֖גֶב וּבְח֣וֹף הַיָּ֑ם אֶ֤רֶץ הַֽכְּנַעֲנִי֙ וְהַלְּבָנ֔וֹן עַד־הַנָּהָ֥ר הַגָּדֹ֖ל נְהַר־פְּרָֽת׃ 7
अब अपनी यात्रा शुरू करो. तुम्हें अमोरियों के पहाड़ी प्रदेश, अराबाह के पास के सारे क्षेत्रों को जो पर्वतों और नेगेव की घाटियों और सागर के किनारे के इलाकों तक, कनानियों के देश और महानद फरात तक फैले हुए लबानोन की ओर निशाना करना है.
רְאֵ֛ה נָתַ֥תִּי לִפְנֵיכֶ֖ם אֶת־הָאָ֑רֶץ בֹּ֚אוּ וּרְשׁ֣וּ אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֣ר נִשְׁבַּ֣ע יְ֠הוָה לַאֲבֹ֨תֵיכֶ֜ם לְאַבְרָהָ֨ם לְיִצְחָ֤ק וּֽלְיַעֲקֹב֙ לָתֵ֣ת לָהֶ֔ם וּלְזַרְעָ֖ם אַחֲרֵיהֶֽם׃ 8
यह समझ लो, कि मैंने यह ज़मीन तुम्हारे सामने रख दी है. इसमें प्रवेश करो और उस ज़मीन पर अपना अधिकार कर लो, जिसे देने की प्रतिज्ञा मैं, याहवेह ने, तुम्हारे पूर्वज अब्राहाम, यित्सहाक और याकोब से और उनके बाद उनके घराने से की थी.”
וָאֹמַ֣ר אֲלֵכֶ֔ם בָּעֵ֥ת הַהִ֖וא לֵאמֹ֑ר לֹא־אוּכַ֥ל לְבַדִּ֖י שְׂאֵ֥ת אֶתְכֶֽם׃ 9
उसी समय मैं तुम पर यह प्रकट कर चुका था, “मुझमें यह सामर्थ्य नहीं कि मैं अकेला तुम्हारा भार उठा सकूं.
יְהוָ֥ה אֱלֹהֵיכֶ֖ם הִרְבָּ֣ה אֶתְכֶ֑ם וְהִנְּכֶ֣ם הַיּ֔וֹם כְּכוֹכְבֵ֥י הַשָּׁמַ֖יִם לָרֹֽב׃ 10
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर ने तुम्हारी गिनती इस हद्द तक बढ़ा दी है, कि अब तुम्हीं देख लो, कि तुम आकाश के तारों के समान अनगिनत हो चुके हो.
יְהוָ֞ה אֱלֹהֵ֣י אֲבֽוֹתֵכֶ֗ם יֹסֵ֧ף עֲלֵיכֶ֛ם כָּכֶ֖ם אֶ֣לֶף פְּעָמִ֑ים וִיבָרֵ֣ךְ אֶתְכֶ֔ם כַּאֲשֶׁ֖ר דִּבֶּ֥ר לָכֶֽם׃ 11
याहवेह, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर तुम्हारी गिनती में हज़ार गुणा और बढ़ाकर तुम्हें समृद्ध बना दें; ठीक जैसी प्रतिज्ञा उन्होंने तुमसे की है!
אֵיכָ֥ה אֶשָּׂ֖א לְבַדִּ֑י טָרְחֲכֶ֥ם וּמַֽשַּׂאֲכֶ֖ם וְרִֽיבְכֶֽם׃ 12
मैं अकेला ही कैसे तुम्हारा बोझ और तुम्हारे विवादों के बोझ को उठा सकता हूं?
הָב֣וּ לָ֠כֶם אֲנָשִׁ֨ים חֲכָמִ֧ים וּנְבֹנִ֛ים וִידֻעִ֖ים לְשִׁבְטֵיכֶ֑ם וַאֲשִׂימֵ֖ם בְּרָאשֵׁיכֶֽם׃ 13
अपने ही गोत्रों में से बुद्धिमान, समझदार और अनुभवी व्यक्तियों को चुन लो, तो मैं उन्हें तुम्हारे लिए मुखिया बना दूंगा.”
וַֽתַּעֲנ֖וּ אֹתִ֑י וַתֹּ֣אמְר֔וּ טֽוֹב־הַדָּבָ֥ר אֲשֶׁר־דִּבַּ֖רְתָּ לַעֲשֽׂוֹת׃ 14
तुम्हारा उत्तर था, “आपका प्रस्ताव बढ़िया है.”
וָאֶקַּ֞ח אֶת־רָאשֵׁ֣י שִׁבְטֵיכֶ֗ם אֲנָשִׁ֤ים חֲכָמִים֙ וִֽידֻעִ֔ים וָאֶתֵּ֥ן אֹתָ֛ם רָאשִׁ֖ים עֲלֵיכֶ֑ם שָׂרֵ֨י אֲלָפִ֜ים וְשָׂרֵ֣י מֵא֗וֹת וְשָׂרֵ֤י חֲמִשִּׁים֙ וְשָׂרֵ֣י עֲשָׂרֹ֔ת וְשֹׁטְרִ֖ים לְשִׁבְטֵיכֶֽם׃ 15
फिर मैंने तुम्हारे गोत्रों के अध्यक्षों को, जो बुद्धिमान और अनुभवी व्यक्ति थे, तुम्हारे लिए अगुए बना दिये. इन्हें हजार-हजार, सौ-सौ, पचास-पचास तथा दस-दस लोगों के समूह के ऊपर अधिकारी नियुक्त किए.
וָאֲצַוֶּה֙ אֶת־שֹׁ֣פְטֵיכֶ֔ם בָּעֵ֥ת הַהִ֖וא לֵאמֹ֑ר שָׁמֹ֤עַ בֵּין־אֲחֵיכֶם֙ וּשְׁפַטְתֶּ֣ם צֶ֔דֶק בֵּֽין־אִ֥ישׁ וּבֵין־אָחִ֖יו וּבֵ֥ין גֵּרֽוֹ׃ 16
उसी समय मैंने तुम्हारे न्यायाध्यक्षों को ये आदेश दिए: “अपनी जाति के लोगों के विवाद ध्यान से सुनो और उन्हें निष्पक्ष न्याय दो, चाहे यह विवाद दो सहजातियों के बीच हो या किसी सजातीय और उनके बीच रह रहे परदेशी के बीच.
לֹֽא־תַכִּ֨ירוּ פָנִ֜ים בַּמִּשְׁפָּ֗ט כַּקָּטֹ֤ן כַּגָּדֹל֙ תִּשְׁמָע֔וּן לֹ֤א תָג֙וּרוּ֙ מִפְּנֵי־אִ֔ישׁ כִּ֥י הַמִּשְׁפָּ֖ט לֵאלֹהִ֣ים ה֑וּא וְהַדָּבָר֙ אֲשֶׁ֣ר יִקְשֶׁ֣ה מִכֶּ֔ם תַּקְרִב֥וּן אֵלַ֖י וּשְׁמַעְתִּֽיו׃ 17
न्याय में पक्षपात कभी न हो. सामान्य और विशेष का विवाद तुम एक ही नज़रिए से करोगे. तुम्हें किसी भी मनुष्य का भय न हो, क्योंकि न्याय परमेश्वर का है. वे विवाद, जो कठिन महसूस हों, तुम मेरे सामने लाओगे, ताकि मैं खुद उन्हें सुनूं.”
וָאֲצַוֶּ֥ה אֶתְכֶ֖ם בָּעֵ֣ת הַהִ֑וא אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר תַּעֲשֽׂוּן׃ 18
तुम्हें क्या-क्या करना है, यह मैं तुम पर पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं.
וַנִּסַּ֣ע מֵחֹרֵ֗ב וַנֵּ֡לֶךְ אֵ֣ת כָּל־הַמִּדְבָּ֣ר הַגָּדוֹל֩ וְהַנּוֹרָ֨א הַה֜וּא אֲשֶׁ֣ר רְאִיתֶ֗ם דֶּ֚רֶךְ הַ֣ר הָֽאֱמֹרִ֔י כַּאֲשֶׁ֥ר צִוָּ֛ה יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ אֹתָ֑נוּ וַנָּבֹ֕א עַ֖ד קָדֵ֥שׁ בַּרְנֵֽעַ׃ 19
ठीक जैसा आदेश याहवेह हमारे परमेश्वर ने दिया था, हमने होरेब पर्वत से कूच किया और उस विशाल और भयानक निर्जन प्रदेश से होते हुए, जो खुद तुमने अमोरियों के पर्वतीय क्षेत्र के मार्ग पर देखा था; हम कादेश-बरनेअ पहुंच गए.
וָאֹמַ֖ר אֲלֵכֶ֑ם בָּאתֶם֙ עַד־הַ֣ר הָאֱמֹרִ֔י אֲשֶׁר־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ נֹתֵ֥ן לָֽנוּ׃ 20
मैंने तुम्हें सूचित किया, “तुम अमोरियों के पर्वतीय प्रदेश में आ पहुंचे हो, जो याहवेह, हमारे परमेश्वर हमें देने पर हैं.
רְ֠אֵה נָתַ֨ן יְהוָ֧ה אֱלֹהֶ֛יךָ לְפָנֶ֖יךָ אֶת־הָאָ֑רֶץ עֲלֵ֣ה רֵ֗שׁ כַּאֲשֶׁר֩ דִּבֶּ֨ר יְהוָ֜ה אֱלֹהֵ֤י אֲבֹתֶ֙יךָ֙ לָ֔ךְ אַל־תִּירָ֖א וְאַל־תֵּחָֽת׃ 21
देख लो, याहवेह तुम्हारे परमेश्वर ने यह ज़मीन तुम्हारे सामने रख दी है. आगे बढ़ो और उस पर अधिकार कर लो. यही तो याहवेह, तुम्हारे पूर्वजों के परमेश्वर ने तुमसे कह रखा है. तुम न तो भयभीत होना और न ही निराश.”
וַתִּקְרְב֣וּן אֵלַי֮ כֻּלְּכֶם֒ וַתֹּאמְר֗וּ נִשְׁלְחָ֤ה אֲנָשִׁים֙ לְפָנֵ֔ינוּ וְיַחְפְּרוּ־לָ֖נוּ אֶת־הָאָ֑רֶץ וְיָשִׁ֤בוּ אֹתָ֙נוּ֙ דָּבָ֔ר אֶת־הַדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר נַעֲלֶה־בָּ֔הּ וְאֵת֙ הֶֽעָרִ֔ים אֲשֶׁ֥ר נָבֹ֖א אֲלֵיהֶֽן׃ 22
यह सुन तुम सभी मेरे पास आ गए और मेरे सामने यह प्रस्ताव रखा, “सही होगा कि हम अपने पहले वहां कुछ व्यक्तियों को उस देश का पता करने के उद्देश्य से भेज दें, कि वे उस देश का समाचार लेकर हमें सही स्थिति बताएं, ताकि हम सही रास्ते से उन नगरों में प्रवेश कर सकें.”
וַיִּיטַ֥ב בְּעֵינַ֖י הַדָּבָ֑ר וָאֶקַּ֤ח מִכֶּם֙ שְׁנֵ֣ים עָשָׂ֣ר אֲנָשִׁ֔ים אִ֥ישׁ אֶחָ֖ד לַשָּֽׁבֶט׃ 23
यह प्रस्ताव मुझे सही लगा. मैंने हर एक गोत्र से एक-एक व्यक्ति लेकर तुममें से बारह व्यक्ति चुन दिए.
וַיִּפְנוּ֙ וַיַּעֲל֣וּ הָהָ֔רָה וַיָּבֹ֖אוּ עַד־נַ֣חַל אֶשְׁכֹּ֑ל וַֽיְרַגְּל֖וּ אֹתָֽהּ׃ 24
वे पर्वतीय प्रदेश की ओर चले गए. वे एशकोल घाटी में जा पहुंचे और उसका भेद ले लिया.
וַיִּקְח֤וּ בְיָדָם֙ מִפְּרִ֣י הָאָ֔רֶץ וַיּוֹרִ֖דוּ אֵלֵ֑ינוּ וַיָּשִׁ֨בוּ אֹתָ֤נוּ דָבָר֙ וַיֹּ֣אמְר֔וּ טוֹבָ֣ה הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־יְהוָ֥ה אֱלֹהֵ֖ינוּ נֹתֵ֥ן לָֽנוּ׃ 25
इसके बाद उन्होंने उस देश के कुछ फल इकट्‍ठे किए और वे हमें दिखाने के लिए ले आए. वे जो विवरण लेकर आए थे, वह इस प्रकार था: “वह देश जो याहवेह, हमारे परमेश्वर हमें देने जा रहे हैं, वास्तव में एक बढ़िया देश है.”
וְלֹ֥א אֲבִיתֶ֖ם לַעֲלֹ֑ת וַתַּמְר֕וּ אֶת־פִּ֥י יְהוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ 26
फिर भी तुम आगे बढ़ने के लिए तैयार न हुए, बल्कि तुमने तो याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर के आदेश के विरुद्ध विद्रोह ही कर दिया.
וַתֵּרָגְנ֤וּ בְאָהֳלֵיכֶם֙ וַתֹּ֣אמְר֔וּ בְּשִׂנְאַ֤ת יְהוָה֙ אֹתָ֔נוּ הוֹצִיאָ֖נוּ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרָ֑יִם לָתֵ֥ת אֹתָ֛נוּ בְּיַ֥ד הָאֱמֹרִ֖י לְהַשְׁמִידֵֽנוּ׃ 27
तुम अपने-अपने शिविर में यह कहते हुए बड़बड़ाते रहे, “क्योंकि याहवेह को हमसे घृणा है, इसलिये तो वह हमें मिस्र देश से यहां ले आए हैं, कि हमें अमोरियों के द्वारा नाश करवा दें.
אָנָ֣ה ׀ אֲנַ֣חְנוּ עֹלִ֗ים אַחֵינוּ֩ הֵמַ֨סּוּ אֶת־לְבָבֵ֜נוּ לֵאמֹ֗ר עַ֣ם גָּד֤וֹל וָרָם֙ מִמֶּ֔נּוּ עָרִ֛ים גְּדֹלֹ֥ת וּבְצוּרֹ֖ת בַּשָּׁמָ֑יִם וְגַם־בְּנֵ֥י עֲנָקִ֖ים רָאִ֥ינוּ שָֽׁם׃ 28
हम वहां कैसे जा सकते हैं? हमारे बंधुओं ने तो यह सूचित कर हमारा मनोबल खत्म कर दिया है, ‘वहां के निवासी डीलडौल में हमसे बहुत बड़े और शक्तिमान हैं. नगर विशाल हैं और शहरपनाहें गगन को चूमती हैं, इसके अलावा हमने वहां अनाक के वंशज भी देखे हैं.’”
וָאֹמַ֖ר אֲלֵכֶ֑ם לֹא־תַֽעַרְצ֥וּן וְֽלֹא־תִֽירְא֖וּן מֵהֶֽם׃ 29
फिर मैंने तुम्हें आश्वस्त किया, “न तो इससे हैरान हो जाओ और न डरो.
יְהוָ֤ה אֱלֹֽהֵיכֶם֙ הַהֹלֵ֣ךְ לִפְנֵיכֶ֔ם ה֖וּא יִלָּחֵ֣ם לָכֶ֑ם כְּ֠כֹל אֲשֶׁ֨ר עָשָׂ֧ה אִתְּכֶ֛ם בְּמִצְרַ֖יִם לְעֵינֵיכֶֽם׃ 30
याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर, जो तुम्हारे अगुए हैं, खुद तुम्हारी ओर से युद्ध करेंगे; ठीक जैसा उन्होंने तुम्हारे देखते ही देखते मिस्र देश में तुम्हारे लिए किया था.
וּבַמִּדְבָּר֙ אֲשֶׁ֣ר רָאִ֔יתָ אֲשֶׁ֤ר נְשָׂאֲךָ֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֔יךָ כַּאֲשֶׁ֥ר יִשָׂא־אִ֖ישׁ אֶת־בְּנ֑וֹ בְּכָל־הַדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר הֲלַכְתֶּ֔ם עַד־בֹּאֲכֶ֖ם עַד־הַמָּק֥וֹם הַזֶּֽה׃ 31
और निर्जन प्रदेश में भी, जहां तुमने देख लिया, कि कैसे याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर पूरे मार्ग में, जिस पर चलते हुए तुम यहां तक आ पहुंचे हो, इस रीति से तुम्हें उठाए रहा, जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने पुत्र को उठाता है.”
וּבַדָּבָ֖ר הַזֶּ֑ה אֵֽינְכֶם֙ מַאֲמִינִ֔ם בַּיהוָ֖ה אֱלֹהֵיכֶֽם׃ 32
मगर इतना सब होने पर भी, तुमने याहवेह, अपने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया,
הַהֹלֵ֨ךְ לִפְנֵיכֶ֜ם בַּדֶּ֗רֶךְ לָת֥וּר לָכֶ֛ם מָק֖וֹם לַֽחֲנֹֽתְכֶ֑ם בָּאֵ֣שׁ ׀ לַ֗יְלָה לַרְאֹֽתְכֶם֙ בַּדֶּ֙רֶךְ֙ אֲשֶׁ֣ר תֵּֽלְכוּ־בָ֔הּ וּבֶעָנָ֖ן יוֹמָֽם׃ 33
जो तुम्हारे ही मार्ग पर तुम्हारे आगे-आगे चलते हुए जा रहे हैं, कि तुम्हारे लिए ऐसा सही स्थान तय करें, जहां तुम पड़ाव डाल सको. वह रात में तो आग के द्वारा और दिन में बादल के द्वारा तुम्हारे मार्गदर्शक हुआ करते थे.
וַיִּשְׁמַ֥ע יְהוָ֖ה אֶת־ק֣וֹל דִּבְרֵיכֶ֑ם וַיִּקְצֹ֖ף וַיִּשָּׁבַ֥ע לֵאמֹֽר׃ 34
याहवेह ने तुम्हारी बड़बड़ाहट सुन ली. वह क्रोधित हो गए और तब उन्होंने यह शपथ ली:
אִם־יִרְאֶ֥ה אִישׁ֙ בָּאֲנָשִׁ֣ים הָאֵ֔לֶּה הַדּ֥וֹר הָרָ֖ע הַזֶּ֑ה אֵ֚ת הָאָ֣רֶץ הַטּוֹבָ֔ה אֲשֶׁ֣ר נִשְׁבַּ֔עְתִּי לָתֵ֖ת לַאֲבֹתֵיכֶֽם׃ 35
“इस बुरी पीढ़ी में से एक भी व्यक्ति उस अच्छे देश को देख न सकेगा, जिसकी प्रतिज्ञा मैंने तुम्हारे पूर्वजों से की थी,
זֽוּלָתִ֞י כָּלֵ֤ב בֶּן־יְפֻנֶּה֙ ה֣וּא יִרְאֶ֔נָּה וְלֽוֹ־אֶתֵּ֧ן אֶת־הָאָ֛רֶץ אֲשֶׁ֥ר דָּֽרַךְ־בָּ֖הּ וּלְבָנָ֑יו יַ֕עַן אֲשֶׁ֥ר מִלֵּ֖א אַחֲרֵ֥י יְהוָֽה׃ 36
सिवाय येफुन्‍नेह के पुत्र कालेब के; वह इस देश में प्रवेश करेगा. उसे और उसकी संतान को मैं यह देश दे दूंगा, जिस पर उसके कदम पड़े थे; क्योंकि उसका मन पूरी तरह याहवेह के प्रति विश्वासयोग्य बना रहा है.”
גַּם־בִּי֙ הִתְאַנַּ֣ף יְהוָ֔ה בִּגְלַלְכֶ֖ם לֵאמֹ֑ר גַּם־אַתָּ֖ה לֹא־תָבֹ֥א שָֽׁם׃ 37
तुम्हारे कारण याहवेह मुझ पर ही क्रोधित हो गए और उन्होंने मुझसे कहा, “तुम भी उस देश में प्रवेश न करोगे.
יְהוֹשֻׁ֤עַ בִּן נוּן֙ הָעֹמֵ֣ד לְפָנֶ֔יךָ ה֖וּא יָ֣בֹא שָׁ֑מָּה אֹת֣וֹ חַזֵּ֔ק כִּי־ה֖וּא יַנְחִלֶ֥נָּה אֶת־יִשְׂרָאֵֽל׃ 38
मगर नून का पुत्र यहोशू, जो तुम्हारा सेवक है, उस देश में प्रवेश करेगा. तुम उसकी हिम्मत बनाए रखो. वही इस्राएल को उस देश पर अधिकार करने के लिए प्रेरित करेगा.
וְטַפְּכֶם֩ אֲשֶׁ֨ר אֲמַרְתֶּ֜ם לָבַ֣ז יִהְיֶ֗ה וּ֠בְנֵיכֶם אֲשֶׁ֨ר לֹא־יָדְע֤וּ הַיּוֹם֙ ט֣וֹב וָרָ֔ע הֵ֖מָּה יָבֹ֣אוּ שָׁ֑מָּה וְלָהֶ֣ם אֶתְּנֶ֔נָּה וְהֵ֖ם יִירָשֽׁוּהָּ׃ 39
इनके अलावा तुम्हारे बालक, जिनके लिए तुम यह कहते रहे हो, कि वे तो उनके शिकार हो जाएंगे, और तुम्हारी वह संतान, जिन्हें आज सही गलत का पता ही नहीं है, उस देश में प्रवेश करेंगी; मैं उन्हें यह देश दे दूंगा और वे इस पर अधिकार कर लेंगे.
וְאַתֶּ֖ם פְּנ֣וּ לָכֶ֑ם וּסְע֥וּ הַמִּדְבָּ֖רָה דֶּ֥רֶךְ יַם־סֽוּף׃ 40
मगर तुम मुड़कर लाल सागर पथ पर निर्जन प्रदेश की ओर लौट जाओ.”
וַֽתַּעֲנ֣וּ ׀ וַתֹּאמְר֣וּ אֵלַ֗י חָטָאנוּ֮ לַֽיהוָה֒ אֲנַ֤חְנוּ נַעֲלֶה֙ וְנִלְחַ֔מְנוּ כְּכֹ֥ל אֲשֶׁר־צִוָּ֖נוּ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֑ינוּ וַֽתַּחְגְּר֗וּ אִ֚ישׁ אֶת־כְּלֵ֣י מִלְחַמְתּ֔וֹ וַתָּהִ֖ינוּ לַעֲלֹ֥ת הָהָֽרָה׃ 41
तब तुमने मेरे सामने यह स्वीकार किया, “हमने याहवेह के विरुद्ध पाप किया है; अब हम पहाड़ी प्रदेश पर चढ़ेंगे, और ठीक जैसा आदेश याहवेह हमारे परमेश्वर ने दिया है, उन जातियों से युद्ध करेंगे.” तुममें से हर एक ने हथियार धारण कर लिए. तुम्हें तो पहाड़ी क्षेत्र में जाकर हमला करना सरल प्रतीत हो रहा था.
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֵלַ֗י אֱמֹ֤ר לָהֶם֙ לֹ֤א תַֽעֲלוּ֙ וְלֹא־תִלָּ֣חֲמ֔וּ כִּ֥י אֵינֶ֖נִּי בְּקִרְבְּכֶ֑ם וְלֹא֙ תִּנָּֽגְפ֔וּ לִפְנֵ֖י אֹיְבֵיכֶֽם׃ 42
मगर मुझे याहवेह की ओर से यह आदेश मिला: “उनसे यह कहो, ‘न तो वहां जाना और न ही उनसे युद्ध करना, क्योंकि इसमें मैं तुम्हारे साथ नहीं हूं; नहीं तो तुम अपने शत्रुओं द्वारा हरा दिए जाओगे.’”
וָאֲדַבֵּ֥ר אֲלֵיכֶ֖ם וְלֹ֣א שְׁמַעְתֶּ֑ם וַתַּמְרוּ֙ אֶת־פִּ֣י יְהוָ֔ה וַתָּזִ֖דוּ וַתַּעֲל֥וּ הָהָֽרָה׃ 43
इसलिये मैंने तुम्हारे सामने ये बातें रख दीं, मगर तुमने इसकी उपेक्षा करके याहवेह के आदेश के विरुद्ध विद्रोह कर दिया. अपने हठ में तुम उस पर्वतीय क्षेत्र में पहुंच गए.
וַיֵּצֵ֨א הָאֱמֹרִ֜י הַיֹּשֵׁ֨ב בָּהָ֤ר הַהוּא֙ לִקְרַאתְכֶ֔ם וַיִּרְדְּפ֣וּ אֶתְכֶ֔ם כַּאֲשֶׁ֥ר תַּעֲשֶׂ֖ינָה הַדְּבֹרִ֑ים וַֽיַּכְּת֥וּ אֶתְכֶ֛ם בְּשֵׂעִ֖יר עַד־חָרְמָֽה׃ 44
उस क्षेत्र के अमोरी बाहर निकल आए और तुम्हें इस रीति से खदेड़ दिया मानो तुम्हारे पीछे मधुमक्खियां लगी हों. वे तो तुम्हें सेईर से होरमाह तक कुचलते गए.
וַתָּשֻׁ֥בוּ וַתִּבְכּ֖וּ לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה וְלֹֽא־שָׁמַ֤ע יְהוָה֙ בְּקֹ֣לְכֶ֔ם וְלֹ֥א הֶאֱזִ֖ין אֲלֵיכֶֽם׃ 45
तुम लौट आए और याहवेह के सामने रोते रहे; मगर याहवेह पर तुम्हारे इस रोने का कोई असर न पड़ा.
וַתֵּשְׁב֥וּ בְקָדֵ֖שׁ יָמִ֣ים רַבִּ֑ים כַּיָּמִ֖ים אֲשֶׁ֥ר יְשַׁבְתֶּֽם׃ 46
फलस्वरूप तुम्हें कादेश में ही लंबे समय तक ठहरना पड़ा. ऐसे ही रहे वहां तुम्हारे दिन.

< דְּבָרִים 1 >