< 2 מְלָכִים 19 >

וַיְהִ֗י כִּשְׁמֹ֙עַ֙ הַמֶּ֣לֶךְ חִזְקִיָּ֔הוּ וַיִּקְרַ֖ע אֶת־בְּגָדָ֑יו וַיִּתְכַּ֣ס בַּשָּׂ֔ק וַיָּבֹ֖א בֵּ֥ית יְהוָֽה׃ 1
जब हिज़क़ियाह बादशाह ने यह सुना, तो अपने कपड़े फाड़े और टाट ओढ़कर ख़ुदावन्द के घर में गया।
וַ֠יִּשְׁלַח אֶת־אֶלְיָקִ֨ים אֲשֶׁר־עַל־הַבַּ֜יִת וְשֶׁבְנָ֣א הַסֹּפֵ֗ר וְאֵת֙ זִקְנֵ֣י הַכֹּֽהֲנִ֔ים מִתְכַּסִּ֖ים בַּשַּׂקִּ֑ים אֶל־יְשַֽׁעְיָ֥הוּ הַנָּבִ֖יא בֶּן־אָמֽוֹץ׃ 2
और उसने घर के दीवान और इलियाक़ीम और शबनाह मुन्शी और काहिनों के बुज़ुर्गों को टाट उढ़ाकर आमूस के बेटे यसा'याह नबी के पास भेजा।
וַיֹּאמְר֣וּ אֵלָ֗יו כֹּ֚ה אָמַ֣ר חִזְקִיָּ֔הוּ יוֹם־צָרָ֧ה וְתוֹכֵחָ֛ה וּנְאָצָ֖ה הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה כִּ֣י בָ֤אוּ בָנִים֙ עַד־מַשְׁבֵּ֔ר וְכֹ֥חַ אַ֖יִן לְלֵדָֽה׃ 3
और उन्होंने उससे कहा, हिज़क़ियाह यूँ कहता है, कि आज का दिन दुख, और मलामत, और तौहीन का दिन है; क्यूँकि बच्चे पैदा होने पर हैं, लेकिन विलादत की ताक़त नहीं।
אוּלַ֡י יִשְׁמַע֩ יְהוָ֨ה אֱלֹהֶ֜יךָ אֵ֣ת ׀ כָּל־דִּבְרֵ֣י רַב־שָׁקֵ֗ה אֲשֶׁר֩ שְׁלָח֨וֹ מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֤וּר ׀ אֲדֹנָיו֙ לְחָרֵף֙ אֱלֹהִ֣ים חַ֔י וְהוֹכִ֙יחַ֙ בַּדְּבָרִ֔ים אֲשֶׁ֥ר שָׁמַ֖ע יְהוָ֣ה אֱלֹהֶ֑יךָ וְנָשָׂ֣אתָ תְפִלָּ֔ה בְּעַ֥ד הַשְּׁאֵרִ֖ית הַנִּמְצָאָֽה׃ 4
शायद ख़ुदावन्द तेरा ख़ुदा रबशाक़ी की सब बातें सुने जिसको उसके आक़ा शाह — ए — असूर ने भेजा है, कि “ज़िन्दा ख़ुदा की तौहीन करे और जो बातें ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा ने सुनी हैं उन पर वह मलामत करेगा। इसलिए तू उस बक़िया के लिए जो मौजूद है दुआ कर।”
וַיָּבֹ֗אוּ עַבְדֵ֛י הַמֶּ֥לֶךְ חִזְקִיָּ֖הוּ אֶל־יְשַֽׁעַיָֽהוּ׃ 5
इसलिए हिज़क़ियाह बादशाह के मुलाज़िम यसा'याह के पास आए।
וַיֹּ֤אמֶר לָהֶם֙ יְשַֽׁעְיָ֔הוּ כֹּ֥ה תֹאמְר֖וּן אֶל־אֲדֹֽנֵיכֶ֑ם כֹּ֣ה ׀ אָמַ֣ר יְהוָ֗ה אַל־תִּירָא֙ מִפְּנֵ֤י הַדְּבָרִים֙ אֲשֶׁ֣ר שָׁמַ֗עְתָּ אֲשֶׁ֧ר גִּדְּפ֛וּ נַעֲרֵ֥י מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֖וּר אֹתִֽי׃ 6
यसा'याह ने उनसे कहा, “तुम अपने मालिक से यूँ कहना, 'ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि तू उन बातों से जो तूने सुनी हैं, जिनसे शाह — ए — असूर के मुलाज़िमों ने मेरी बुराई की है, न डर।
הִנְנִ֨י נֹתֵ֥ן בּוֹ֙ ר֔וּחַ וְשָׁמַ֥ע שְׁמוּעָ֖ה וְשָׁ֣ב לְאַרְצ֑וֹ וְהִפַּלְתִּ֥יו בַּחֶ֖רֶב בְּאַרְצֽוֹ׃ 7
देख, मैं उसमें एक रूह डाल दूँगा, और वह एक अफ़वाह सुनकर अपने मुल्क को लौट जाएगा, और मैं उसे उसी के मुल्क में तलवार से मरवा डालूँगा।”
וַיָּ֙שָׁב֙ רַב־שָׁקֵ֔ה וַיִּמְצָא֙ אֶת־מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר נִלְחָ֖ם עַל־לִבְנָ֑ה כִּ֣י שָׁמַ֔ע כִּ֥י נָסַ֖ע מִלָּכִֽישׁ׃ 8
इसलिए रबशाक़ी लौट गया और उसने शाह — ए — असूर को लिबनाह से लड़ते पाया, क्यूँकि उसने सुना था कि वह लकीस से चला गया है;
וַיִּשְׁמַ֗ע אֶל־תִּרְהָ֤קָה מֶֽלֶך־כּוּשׁ֙ לֵאמֹ֔ר הִנֵּ֥ה יָצָ֖א לְהִלָּחֵ֣ם אִתָּ֑ךְ וַיָּ֙שָׁב֙ וַיִּשְׁלַ֣ח מַלְאָכִ֔ים אֶל־חִזְקִיָּ֖הוּ לֵאמֹֽר׃ 9
और जब उसने कूश के बादशाह तिरहाक़ा के ज़रिए' ये कहते सुना कि “देख, वह तुझसे लड़ने को निकला है,” तो उसने फिर हिज़क़ियाह के पास क़ासिद रवाना किए और कहा,
כֹּ֣ה תֹאמְר֗וּן אֶל־חִזְקִיָּ֤הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָה֙ לֵאמֹ֔ר אַל־יַשִּׁאֲךָ֣ אֱלֹהֶ֔יךָ אֲשֶׁ֥ר אַתָּ֛ה בֹּטֵ֥חַ בּ֖וֹ לֵאמֹ֑ר לֹ֤א תִנָּתֵן֙ יְר֣וּשָׁלִַ֔ם בְּיַ֖ד מֶ֥לֶךְ אַשּֽׁוּר׃ 10
कि “शाह — ए — यहूदाह हिज़क़ियाह से इस तरह कहना, 'तेरा ख़ुदा, जिस पर तेरा भरोसा है, तुझे यह कहकर धोखा न दे कि येरूशलेम शाह — ए — असूर के क़ब्ज़े में नहीं किया जाएगा।
הִנֵּ֣ה ׀ אַתָּ֣ה שָׁמַ֗עְתָּ אֵת֩ אֲשֶׁ֨ר עָשׂ֜וּ מַלְכֵ֥י אַשּׁ֛וּר לְכָל־הָאֲרָצ֖וֹת לְהַֽחֲרִימָ֑ם וְאַתָּ֖ה תִּנָּצֵֽל׃ 11
देख, तूने सुना है कि असूर के बादशाहों ने तमाम मुमालिक को बिल्कुल ग़ारत करके उनका क्या हाल बनाया है; इसलिए क्या तू बचा रहेगा?
הַהִצִּ֨ילוּ אֹתָ֜ם אֱלֹהֵ֤י הַגּוֹיִם֙ אֲשֶׁ֣ר שִׁחֲת֣וּ אֲבוֹתַ֔י אֶת־גּוֹזָ֖ן וְאֶת־חָרָ֑ן וְרֶ֥צֶף וּבְנֵי־עֶ֖דֶן אֲשֶׁ֥ר בִּתְלַאשָּֽׂר׃ 12
क्या उन क़ौमों के मा'बूदों ने उनको, या'नी जौज़ान और हारान और रसफ़ और बनी — 'अदन जो तिल्लसार में थे, जिनको हमारे बाप — दादा ने बर्बाद किया, छुड़ाया?
אַיּ֤וֹ מֶֽלֶךְ־חֲמָת֙ וּמֶ֣לֶךְ אַרְפָּ֔ד וּמֶ֖לֶךְ לָעִ֣יר סְפַרְוָ֑יִם הֵנַ֖ע וְעִוָּֽה׃ 13
हमात का बादशाह और अरफ़ाद का बादशाह, और शहर सिफ़वाइम और हेना' और इवाह का बादशाह कहाँ है?”
וַיִּקַּ֨ח חִזְקִיָּ֧הוּ אֶת־הַסְּפָרִ֛ים מִיַּ֥ד הַמַּלְאָכִ֖ים וַיִּקְרָאֵ֑ם וַיַּ֙עַל֙ בֵּ֣ית יְהוָ֔ה וַיִּפְרְשֵׂ֥הוּ חִזְקִיָּ֖הוּ לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ פ 14
हिज़क़ियाह ने क़ासिदों के हाथ से ख़त लिया और उसे पढ़ा, और हिज़क़ियाह ने ख़ुदावन्द के घर में जाकर उसे ख़ुदावन्द के सामने फैला दिया।
וַיִּתְפַּלֵּ֨ל חִזְקִיָּ֜הוּ לִפְנֵ֣י יְהוָה֮ וַיֹּאמַר֒ יְהוָ֞ה אֱלֹהֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ יֹשֵׁ֣ב הַכְּרֻבִ֔ים אַתָּה־ה֤וּא הָֽאֱלֹהִים֙ לְבַדְּךָ֔ לְכֹ֖ל מַמְלְכ֣וֹת הָאָ֑רֶץ אַתָּ֣ה עָשִׂ֔יתָ אֶת־הַשָּׁמַ֖יִם וְאֶת־הָאָֽרֶץ׃ 15
और हिज़क़ियाह ने ख़ुदावन्द के सामने इस तरह दुआ की, ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा, करूबियों के ऊपर बैठने वाले! तू ही अकेला ज़मीन की सब सल्तनतों का ख़ुदा है। तू ने ही आसमान और ज़मीन को पैदा किया।
הַטֵּ֨ה יְהוָ֤ה ׀ אָזְנְךָ֙ וּֽשֲׁמָ֔ע פְּקַ֧ח יְהוָ֛ה עֵינֶ֖יךָ וּרְאֵ֑ה וּשְׁמַ֗ע אֵ֚ת דִּבְרֵ֣י סַנְחֵרִ֔יב אֲשֶׁ֣ר שְׁלָח֔וֹ לְחָרֵ֖ף אֱלֹהִ֥ים חָֽי׃ 16
ऐ ख़ुदावन्द, कान लगा और सुन! ऐ ख़ुदावन्द, अपनी आँखें खोल और देख; और सनहेरिब की बातों को, जिनसे ज़िन्दा ख़ुदा की तौहीन करने के लिए उसने इस आदमी को भेजा है, सुन ले।
אָמְנָ֖ם יְהוָ֑ה הֶחֱרִ֜יבוּ מַלְכֵ֥י אַשּׁ֛וּר אֶת־הַגּוֹיִ֖ם וְאֶת־אַרְצָֽם׃ 17
ऐ ख़ुदावन्द, असूर के बादशाहों ने दर हक़ीक़त क़ौमों को उनके मुल्कों समेत तबाह किया:
וְנָתְנ֥וּ אֶת־אֱלֹהֵיהֶ֖ם בָּאֵ֑שׁ כִּי֩ לֹ֨א אֱלֹהִ֜ים הֵ֗מָּה כִּ֣י אִם־מַעֲשֵׂ֧ה יְדֵֽי־אָדָ֛ם עֵ֥ץ וָאֶ֖בֶן וַֽיְאַבְּדֽוּם׃ 18
और उनके मा'बूदों को आग में डाला क्यूँकि वह ख़ुदा न थे, बल्कि आदमियों की दस्तकारी, या'नी लकड़ी और पत्थर थे; इसलिए उन्होंने उनको बर्बाद किया है।
וְעַתָּה֙ יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֔ינוּ הוֹשִׁיעֵ֥נוּ נָ֖א מִיָּד֑וֹ וְיֵֽדְעוּ֙ כָּל־מַמְלְכ֣וֹת הָאָ֔רֶץ כִּ֥י אַתָּ֛ה יְהוָ֥ה אֱלֹהִ֖ים לְבַדֶּֽךָ׃ ס 19
इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, कि तू हमको उसके हाथ से बचा ले, ताकि ज़मीन की सब सल्तनतें जान लें कि तू ही अकेला ख़ुदावन्द ख़ुदा है।”
וַיִּשְׁלַח֙ יְשַֽׁעְיָ֣הוּ בֶן־אָמ֔וֹץ אֶל־חִזְקִיָּ֖הוּ לֵאמֹ֑ר כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֲשֶׁ֨ר הִתְפַּלַּ֧לְתָּ אֵלַ֛י אֶל־סַנְחֵרִ֥ב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֖וּר שָׁמָֽעְתִּי׃ 20
तब यसा'याह — बिन — आमूस ने हिज़क़ियाह को कहला भेजा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: चूँकि तू ने शाह — ए — असूर सनहेरिब के ख़िलाफ़ मुझसे दू'आ की है, मैंने तेरी सुन ली।
זֶ֣ה הַדָּבָ֔ר אֲשֶׁר־דִּבֶּ֥ר יְהוָ֖ה עָלָ֑יו בָּזָ֨ה לְךָ֜ לָעֲגָ֣ה לְךָ֗ בְּתוּלַת֙ בַּת־צִיּ֔וֹן אַחֲרֶ֙יךָ֙ רֹ֣אשׁ הֵנִ֔יעָה בַּ֖ת יְרוּשָׁלִָֽם׃ 21
इसलिए ख़ुदावन्द ने उसके हक़ में यूँ फ़रमाया कि कुँवारी दुख़्तरें सिय्यून ने तुझे हक़ीर जाना और तेरा मज़ाक़ उड़ाया।
אֶת־מִ֤י חֵרַ֙פְתָּ֙ וְגִדַּ֔פְתָּ וְעַל־מִ֖י הֲרִימ֣וֹתָ קּ֑וֹל וַתִּשָּׂ֥א מָר֛וֹם עֵינֶ֖יךָ עַל־קְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵֽל׃ 22
येरूशलेम की बेटी ने तुझ पर सर हिलाया है, तूने किसकी तौहीन — ओ — बुराई की है? तूने किसके ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बलन्द की, और अपनी आँखें ऊपर उठाई? इस्राईल के क़ुद्दूस के ख़िलाफ़!
בְּיַ֣ד מַלְאָכֶיךָ֮ חֵרַ֣פְתָּ ׀ אֲדֹנָי֒ וַתֹּ֗אמֶר ברכב רִכְבִּ֛י אֲנִ֥י עָלִ֛יתִי מְר֥וֹם הָרִ֖ים יַרְכְּתֵ֣י לְבָנ֑וֹן וְאֶכְרֹ֞ת קוֹמַ֤ת אֲרָזָיו֙ מִבְח֣וֹר בְּרֹשָׁ֔יו וְאָב֙וֹאָה֙ מְל֣וֹן קִצֹּ֔ה יַ֖עַר כַּרְמִלּֽוֹ׃ 23
तूने अपने क़ासिदों के ज़रिए' से ख़ुदावन्द की तौहीन की, और कहा, कि मैं बहुत से रथों को साथ लेकर पहाड़ों की चोटियों पर, बल्कि लुबनान के वस्ती हिस्सों तक चढ़आया हूँ; और मैं उसके ऊँचे — ऊँचे देवदारों और अच्छे से अच्छे सनोबर के दरख़्तों को काट डालूँगा; और मैं उसके दूर से दूर मक़ाम में, जहाँ उसकी बेशक़ीमती ज़मीन का जंगल है घुसा चला जाऊँगा।
אֲנִ֣י קַ֔רְתִּי וְשָׁתִ֖יתִי מַ֣יִם זָרִ֑ים וְאַחְרִב֙ בְּכַף־פְּעָמַ֔י כֹּ֖ל יְאֹרֵ֥י מָצֽוֹר׃ 24
मैंने जगह — जगह का पानी खोद — खोद कर पिया है और मैं अपने पाँव के तलवे से मिस्र की सब नदियाँ सुखा डालूँगा।
הֲלֹֽא־שָׁמַ֤עְתָּ לְמֵֽרָחוֹק֙ אֹתָ֣הּ עָשִׂ֔יתִי לְמִ֥ימֵי קֶ֖דֶם וִֽיצַרְתִּ֑יהָ עַתָּ֣ה הֲבֵיאתִ֗יהָ וּתְהִ֗י לַהְשׁ֛וֹת גַּלִּ֥ים נִצִּ֖ים עָרִ֥ים בְּצֻרֽוֹת׃ 25
क्या तू ने नहीं सुना कि मुझे यह किए हुए मुद्दत हुई और मैने इसे गुज़रे दिनों में ठहरा दिया था? अब मैने उसको पूरा किया है कि तू फ़सीलदार शहरों को उजाड़ कर खंडर बना देने के लिए खड़ा हो।
וְיֹֽשְׁבֵיהֶן֙ קִצְרֵי־יָ֔ד חַ֖תּוּ וַיֵּבֹ֑שׁוּ הָי֞וּ עֵ֤שֶׂב שָׂדֶה֙ וִ֣ירַק דֶּ֔שֶׁא חֲצִ֣יר גַּגּ֔וֹת וּשְׁדֵפָ֖ה לִפְנֵ֥י קָמָֽה׃ 26
इसी वजह से उनके बाशिन्दे कमज़ोर हुए और वह घबरा गए, और शर्मिन्दा हुए वह मैदान की घास और हरी पौद और छतों पर की घास, और उस अनाज की तरह हो गए, जो बढ़ने से पहले सूख जाए।
וְשִׁבְתְּךָ֛ וְצֵאתְךָ֥ וּבֹאֲךָ֖ יָדָ֑עְתִּי וְאֵ֖ת הִֽתְרַגֶּזְךָ֥ אֵלָֽי׃ 27
“लेकिन मैं तेरी मजलिस और आमद — ओ — रफ़्त और तेरा मुझ पर झुंझलाना मैं जानता हूँ।
יַ֚עַן הִתְרַגֶּזְךָ֣ אֵלַ֔י וְשַׁאֲנַנְךָ֖ עָלָ֣ה בְאָזְנָ֑י וְשַׂמְתִּ֨י חַחִ֜י בְּאַפֶּ֗ךָ וּמִתְגִּי֙ בִּשְׂפָתֶ֔יךָ וַהֲשִׁ֣בֹתִ֔יךָ בַּדֶּ֖רֶךְ אֲשֶׁר־בָּ֥אתָ בָּֽהּ׃ 28
तेरे मुझ पर झंझलाने की वजह से, और इसलिए कि तेरा घमण्ड मेरे कानों तक पहुँचा है, मैं अपनी नकेल तेरी नाक में, और अपनी लगाम तेरे मुँह में डालूँगा; और तू जिस रास्ते से आया है, मैं तुझे उसी रास्ते से वापस लौटा दूँगा।
וְזֶה־לְּךָ֣ הָא֔וֹת אָכ֤וֹל הַשָּׁנָה֙ סָפִ֔יחַ וּבַשָּׁנָ֥ה הַשֵּׁנִ֖ית סָחִ֑ישׁ וּבַשָּׁנָ֣ה הַשְּׁלִישִׁ֗ית זִרְע֧וּ וְקִצְר֛וּ וְנִטְע֥וּ כְרָמִ֖ים וְאִכְל֥וּ פִרְיָֽם׃ 29
“और तेरे लिए ये निशान होगा कि तुम इस साल वह चीज़ें जो ख़ुद से उगती हैं, और दूसरे साल वह चीज़ें जो उनसे पैदा हों खाओगे; और तीसरे साल तुम बोना और काटना, और बाग़ लगाकर उनका फल खाना।
וְיָ֨סְפָ֜ה פְּלֵיטַ֧ת בֵּית־יְהוּדָ֛ה הַנִּשְׁאָרָ֖ה שֹׁ֣רֶשׁ לְמָ֑טָּה וְעָשָׂ֥ה פְרִ֖י לְמָֽעְלָה׃ 30
और वह जो यहूदाह के घराने से बचा रहा है फिर नीचे की तरफ़ जड़ पकड़ेगा और ऊपर कि तरफ़ फल लाएगा।
כִּ֤י מִירוּשָׁלִַ֙ם֙ תֵּצֵ֣א שְׁאֵרִ֔ית וּפְלֵיטָ֖ה מֵהַ֣ר צִיּ֑וֹן קִנְאַ֛ת יְהוָ֥ה תַּֽעֲשֶׂה־זֹּֽאת׃ ס 31
क्यूँकि एक बक़िया येरूशलेम से, और वह जो बच रहे हैं कोह — ए — सिय्यून से निकलेंगे। ख़ुदावन्द की ग़य्यूरी ये कर दिखाएगी।
לָכֵ֗ן כֹּֽה־אָמַ֤ר יְהוָה֙ אֶל־מֶ֣לֶךְ אַשּׁ֔וּר לֹ֤א יָבֹא֙ אֶל־הָעִ֣יר הַזֹּ֔את וְלֹֽא־יוֹרֶ֥ה שָׁ֖ם חֵ֑ץ וְלֹֽא־יְקַדְּמֶ֣נָּה מָגֵ֔ן וְלֹֽא־יִשְׁפֹּ֥ךְ עָלֶ֖יהָ סֹלְלָֽה׃ 32
“इसलिए ख़ुदावन्द शाह — ए — असूर के हक़ में यूँ फ़रमाता है कि वह इस शहर में आने, या यहाँ तीर चलाने न पाएगा; वह न तो सिपर लेकर उसके सामने आने, और न उसके मुक़ाबिल दमदमा बाँधने पाएगा।
בַּדֶּ֥רֶךְ אֲשֶׁר־יָבֹ֖א בָּ֣הּ יָשׁ֑וּב וְאֶל־הָעִ֥יר הַזֹּ֛את לֹ֥א יָבֹ֖א נְאֻם־יְהוָֽה׃ 33
बल्कि ख़ुदावन्द फ़रमाता है कि जिस रास्ते से वह आया, उसी रास्ते से लौट जाएगा; और इस शहर में आने न पाएगा।
וְגַנּוֹתִ֛י אֶל־הָעִ֥יר הַזֹּ֖את לְהֽוֹשִׁיעָ֑הּ לְמַֽעֲנִ֔י וּלְמַ֖עַן דָּוִ֥ד עַבְדִּֽי׃ 34
क्यूँकि मैं अपनी ख़ातिर और अपने बन्दे दाऊद की ख़ातिर इस शहर की हिमायत करूँगा ताकि इसे बचा लें।”
וַיְהִי֮ בַּלַּ֣יְלָה הַהוּא֒ וַיֵּצֵ֣א ׀ מַלְאַ֣ךְ יְהוָ֗ה וַיַּךְ֙ בְּמַחֲנֵ֣ה אַשּׁ֔וּר מֵאָ֛ה שְׁמוֹנִ֥ים וַחֲמִשָּׁ֖ה אָ֑לֶף וַיַּשְׁכִּ֣ימוּ בַבֹּ֔קֶר וְהִנֵּ֥ה כֻלָּ֖ם פְּגָרִ֥ים מֵתִֽים׃ 35
इसलिए उसी रात को ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने निकल कर असूर की लश्करगाह में एक लाख पचासी हज़ार आदमी मार डाले, और सुबह को जब लोग सवेरे उठे तो देखा, कि वह सब मरे पड़े हैं।
וַיִּסַּ֣ע וַיֵּ֔לֶךְ וַיָּ֖שָׁב סַנְחֵרִ֣יב מֶֽלֶךְ־אַשּׁ֑וּר וַיֵּ֖שֶׁב בְּנִֽינְוֵֽה׃ 36
तब शाह — ए — असूर सनहेरिब वहाँ से चला गया और लौटकर नीनवा में रहने लगा।
וַיְהִי֩ ה֨וּא מִֽשְׁתַּחֲוֶ֜ה בֵּ֣ית ׀ נִסְרֹ֣ךְ אֱלֹהָ֗יו וְֽאַדְרַמֶּ֨לֶךְ וְשַׂרְאֶ֤צֶר הִכֻּ֣הוּ בַחֶ֔רֶב וְהֵ֥מָּה נִמְלְט֖וּ אֶ֣רֶץ אֲרָרָ֑ט וַיִּמְלֹ֛ךְ אֵֽסַר־חַדֹּ֥ן בְּנ֖וֹ תַּחְתָּֽיו׃ פ 37
और जब वह अपने मा'बूद निसरूक के बुतख़ाने में इबादत कर रहा था, तो अदरम्मलिक और शराज़र ने उसे तलवार से क़त्ल किया, और अरारात की सरज़मीन को भाग गए। और उसका बेटा असरहद्दून उसकी जगह बादशाह हुआ।

< 2 מְלָכִים 19 >