< תהילים 66 >

לַמְנַצֵּחַ שִׁיר מִזְמוֹר הָרִיעוּ לֵאלֹהִים כָּל־הָאָֽרֶץ׃ 1
ऐ सारी ज़मीन ख़ुदा के सामने ख़ुशी का ना'रा मार।
זַמְּרוּ כְבֽוֹד־שְׁמוֹ שִׂימוּ כָבוֹד תְּהִלָּתֽוֹ׃ 2
उसके नाम के जलाल का हम्द गाओ; सिताइश करते हुए उसकी तम्जीद करो।
אִמְרוּ לֵאלֹהִים מַה־נּוֹרָא מַעֲשֶׂיךָ בְּרֹב עֻזְּךָ יְֽכַחֲשׁוּ לְךָ אֹיְבֶֽיךָ׃ 3
ख़ुदा से कहो, “तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी बड़ी क़ुदरत के ज़रिए' तेरे दुश्मन आजिज़ी करेंगे।
כָּל־הָאָרֶץ ׀ יִשְׁתַּחֲווּ לְךָ וִֽיזַמְּרוּ־לָךְ יְזַמְּרוּ שִׁמְךָ סֶֽלָה׃ 4
सारी ज़मीन तुझे सिज्दा करेगी, और तेरे सामने गाएगी; वह तेरे नाम के हम्द गाएँगे।”
לְכוּ וּרְאוּ מִפְעֲלוֹת אֱלֹהִים נוֹרָא עֲלִילָה עַל־בְּנֵי אָדָֽם׃ 5
आओ और ख़ुदा के कामों को देखो; बनी आदम के साथ वह अपने सुलूक में बड़ा है।
הָפַךְ יָם ׀ לְֽיַבָּשָׁה בַּנָּהָר יַֽעַבְרוּ בְרָגֶל שָׁם נִשְׂמְחָה־בּֽוֹ׃ 6
उसने समन्दर को खु़श्क ज़मीन बना दिया: वह दरिया में से पैदल गुज़र गए। वहाँ हम ने उसमें ख़ुशी मनाई।
מֹשֵׁל בִּגְבוּרָתוֹ ׀ עוֹלָם עֵינָיו בַּגּוֹיִם תִּצְפֶּינָה הַסּוֹרְרִים ׀ אַל־ירימו יָרוּמוּ לָמוֹ סֶֽלָה׃ 7
वह अपनी कु़दरत से हमेशा तक सल्तनत करेगा, उसकी आँखें क़ौमों को देखती रहती हैं। सरकश लोग तकब्बुर न करें।
בָּרְכוּ עַמִּים ׀ אֱלֹהֵינוּ וְהַשְׁמִיעוּ קוֹל תְּהִלָּתֽוֹ׃ 8
ऐ लोगो, हमारे ख़ुदा को मुबारक कहो, और उसकी तारीफ़ में आवाज़ बुलंद करो।
הַשָּׂם נַפְשֵׁנוּ בַּֽחַיִּים וְלֹֽא־נָתַן לַמּוֹט רַגְלֵֽנוּ׃ 9
वही हमारी जान को ज़िन्दा रखता है; और हमारे पाँव को फिसलने नहीं देता
כִּֽי־בְחַנְתָּנוּ אֱלֹהִים צְרַפְתָּנוּ כִּצְרָף־כָּֽסֶף׃ 10
क्यूँकि ऐ ख़ुदा, तूने हमें आज़मा लिया है; तूने हमें ऐसा ताया जैसे चाँदी ताई जाती है।
הֲבֵאתָנוּ בַמְּצוּדָה שַׂמְתָּ מוּעָקָה בְמָתְנֵֽינוּ׃ 11
तूने हमें जाल में फँसाया, और हमारी कमर पर भारी बोझ रख्खा।
הִרְכַּבְתָּ אֱנוֹשׁ לְרֹאשֵׁנוּ בָּֽאנוּ־בָאֵשׁ וּבַמַּיִם וַתּוֹצִיאֵנוּ לָֽרְוָיָֽה׃ 12
तूने सवारों को हमारे सिरों पर से गुज़ारा हम आग में से और पानी में से होकर गुज़रे; लेकिन तू हम को अफ़रात की जगह में निकाल लाया।
אָבוֹא בֵיתְךָ בְעוֹלוֹת אֲשַׁלֵּם לְךָ נְדָרָֽי׃ 13
मैं सोख़्तनी कु़र्बानियाँ लेकर तेरे घर में दाख़िल हूँगा; और अपनी मिन्नतें तेरे सामने अदा करूँगा।
אֲשֶׁר־פָּצוּ שְׂפָתָי וְדִבֶּר־פִּי בַּצַּר־לִֽי׃ 14
जो मुसीबत के वक़्त मेरे लबों से निकलीं, और मैंने अपने मुँह से मानें।
עֹלוֹת מֵחִים אַעֲלֶה־לָּךְ עִם־קְטֹרֶת אֵילִים אֶעֱשֶֽׂה בָקָר עִם־עַתּוּדִים סֶֽלָה׃ 15
मैं मोटे मोटे जानवरों की सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ मेंढों की खु़शबू के साथ अदा करूँगा। मैं बैल और बकरे पेश करूँगा।
לְכֽוּ־שִׁמְעוּ וַאֲסַפְּרָה כָּל־יִרְאֵי אֱלֹהִים אֲשֶׁר עָשָׂה לְנַפְשִֽׁי׃ 16
ऐ ख़ुदा से डरने वालो, सब आओ, सुनो; और मैं बताऊँगा कि उसने मेरी जान के लिए क्या क्या किया है।
אֵלָיו פִּֽי־קָרָאתִי וְרוֹמַם תַּחַת לְשׁוֹנִֽי׃ 17
मैंने अपने मुँह से उसको पुकारा, उसकी तम्जीद मेरी ज़बान से हुई।
אָוֶן אִם־רָאִיתִי בְלִבִּי לֹא יִשְׁמַע ׀ אֲדֹנָֽי׃ 18
अगर मैं बदी को अपने दिल में रखता, तो ख़ुदावन्द मेरी न सुनता।
אָכֵן שָׁמַע אֱלֹהִים הִקְשִׁיב בְּקוֹל תְּפִלָּתִֽי׃ 19
लेकिन ख़ुदा ने यक़ीनन सुन लिया है; उसने मेरी दुआ की आवाज़ पर कान लगाया है।
בָּרוּךְ אֱלֹהִים אֲשֶׁר לֹֽא־הֵסִיר תְּפִלָּתִי וְחַסְדּוֹ מֵאִתִּֽי׃ 20
ख़ुदा मुबारक हो, जिसने न तो मेरी दुआ को रद्द किया, और न अपनी शफ़क़त को मुझ से बाज़ रख्खा!

< תהילים 66 >