< תהילים 33 >

רַנְּנוּ צַדִּיקִים בַּֽיהוָה לַיְשָׁרִים נָאוָה תְהִלָּֽה׃ 1
धर्मियों, याहवेह के लिए हर्षोल्लास में गाओ; उनका स्तवन करना सीधे लोगों के लिए शोभनीय होता है.
הוֹדוּ לַיהוָה בְּכִנּוֹר בְּנֵבֶל עָשׂוֹר זַמְּרוּ־לֽוֹ׃ 2
किन्‍नोर की संगत पर याहवेह का धन्यवाद करो; दस तंतुओं के नेबेल पर उनके लिए संगीत गाओ.
שִֽׁירוּ־לוֹ שִׁיר חָדָשׁ הֵיטִיבוּ נַגֵּן בִּתְרוּעָֽה׃ 3
उनके स्तवन में एक नया गीत गाओ; कुशलतापूर्वक वादन करते हुए तन्मय होकर गाओ.
כִּֽי־יָשָׁר דְּבַר־יְהוָה וְכָל־מַעֲשֵׂהוּ בֶּאֱמוּנָֽה׃ 4
क्योंकि याहवेह का वचन सत्य और खरा है; अपने हर एक कार्य में वह विश्वासयोग्य हैं.
אֹהֵב צְדָקָה וּמִשְׁפָּט חֶסֶד יְהוָה מָלְאָה הָאָֽרֶץ׃ 5
उन्हें धर्म तथा न्याय प्रिय हैं; समस्त पृथ्वी में याहवेह का करुणा-प्रेम व्याप्‍त है.
בִּדְבַר יְהוָה שָׁמַיִם נַעֲשׂוּ וּבְרוּחַ פִּיו כָּל־צְבָאָֽם׃ 6
स्वर्ग याहवेह के आदेश से ही अस्तित्व में आया, तथा समस्त नक्षत्र उनके ही मुख के उच्छ्वास के द्वारा बनाए गए.
כֹּנֵס כַּנֵּד מֵי הַיָּם נֹתֵן בְּאֹצָרוֹת תְּהוֹמֽוֹת׃ 7
वे महासागर के जल को एक ढेर जल राशि के रूप में एकत्र कर देते हैं; और गहिरे सागरों को भण्डारगृह में रखते हैं.
יִֽירְאוּ מֵיְהוָה כָּל־הָאָרֶץ מִמֶּנּוּ יָגוּרוּ כָּל־יֹשְׁבֵי תֵבֵֽל׃ 8
समस्त पृथ्वी याहवेह को डरे; पृथ्वी के समस्त वासी उनके भय में निस्तब्ध खड़े हो जाएं.
כִּי הוּא אָמַר וַיֶּהִי הֽוּא־צִוָּה וֽ͏ַיַּעֲמֹֽד׃ 9
क्योंकि उन्हीं के आदेश मात्र से यह पृथ्वी अस्तित्व में आई; उन्हीं के आदेश से यह स्थिर भी हो गई.
יְֽהוָה הֵפִיר עֲצַת־גּוֹיִם הֵנִיא מַחְשְׁבוֹת עַמִּֽים׃ 10
याहवेह राष्ट्रों की युक्तियां व्यर्थ कर देते हैं; वह लोगों की योजनाओं को विफल कर देते हैं.
עֲצַת יְהוָה לְעוֹלָם תַּעֲמֹד מַחְשְׁבוֹת לִבּוֹ לְדֹר וָדֹֽר׃ 11
इसके विपरीत याहवेह की योजनाएं सदा-सर्वदा स्थायी बनी रहती हैं, उनके हृदय के विचार पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहते हैं.
אַשְׁרֵי הַגּוֹי אֲשֶׁר־יְהוָה אֱלֹהָיו הָעָם ׀ בָּחַר לְנַחֲלָה לֽוֹ׃ 12
धन्य है वह राष्ट्र, जिसके परमेश्वर याहवेह हैं, वह प्रजा, जिसे उन्होंने अपना निज भाग चुन लिया.
מִשָּׁמַיִם הִבִּיט יְהוָה רָאָה אֶֽת־כָּל־בְּנֵי הָאָדָֽם׃ 13
याहवेह स्वर्ग से पृथ्वी पर दृष्टि करते हैं, वह समस्त मनुष्यों को निहारते हैं;
מִֽמְּכוֹן־שִׁבְתּוֹ הִשְׁגִּיחַ אֶל כָּל־יֹשְׁבֵי הָאָֽרֶץ׃ 14
वह अपने आवास से पृथ्वी के समस्त निवासियों का निरीक्षण करते रहते हैं.
הַיֹּצֵר יַחַד לִבָּם הַמֵּבִין אֶל־כָּל־מַעֲשֵׂיהֶֽם׃ 15
उन्हीं ने सब मनुष्यों के हृदय की रचना की, वही उनके सारे कार्यों को परखते रहते हैं.
אֵֽין־הַמֶּלֶךְ נוֹשָׁע בְּרָב־חָיִל גִּבּוֹר לֹֽא־יִנָּצֵל בְּרָב־כֹּֽחַ׃ 16
किसी भी राजा का उद्धार उसकी सेना की सामर्थ्य से नहीं होता; किसी भी शूर योद्धा का शौर्य उसको नहीं बचाता.
שֶׁקֶר הַסּוּס לִתְשׁוּעָה וּבְרֹב חֵילוֹ לֹא יְמַלֵּֽט׃ 17
विजय के लिए अश्व पर भरोसा करना निरर्थक है; वह कितना भी शक्तिशाली हो, उद्धार का कारण नहीं हो सकता.
הִנֵּה עֵין יְהוָה אֶל־יְרֵאָיו לַֽמְיַחֲלִים לְחַסְדּֽוֹ׃ 18
सुनो, याहवेह की दृष्टि उन सब पर स्थिर रहती है, जो उनके श्रद्धालु होते हैं, जिनका भरोसा उनके करुणा-प्रेम में बना रहता है,
לְהַצִּיל מִמָּוֶת נַפְשָׁם וּלְחַיּוֹתָם בָּרָעָֽב׃ 19
कि वही उन्हें मृत्यु से उद्धार देकर अकाल में जीवित रखें.
נַפְשֵׁנוּ חִכְּתָה לַֽיהוָה עֶזְרֵנוּ וּמָגִנֵּנוּ הֽוּא׃ 20
हम धैर्यपूर्वक याहवेह पर भरोसा रखे हुए हैं; वही हमारे सहायक एवं ढाल हैं.
כִּי־בוֹ יִשְׂמַח לִבֵּנוּ כִּי בְשֵׁם קָדְשׁוֹ בָטָֽחְנוּ׃ 21
उनमें ही हमारा हृदय आनंदित रहता है, उनकी पवित्र महिमा में ही हमें भरोसा है.
יְהִֽי־חַסְדְּךָ יְהוָה עָלֵינוּ כַּאֲשֶׁר יִחַלְנוּ לָֽךְ׃ 22
याहवेह, आपका करुणा-प्रेम हम पर बना रहे, हमने आप पर ही भरोसा रखा है.

< תהילים 33 >