< מִשְׁלֵי 31 >
דִּבְרֵי לְמוּאֵל מֶלֶךְ מַשָּׂא אֲֽשֶׁר־יִסְּרַתּוּ אִמּֽוֹ׃ | 1 |
लमविएल बादशाह के पैग़ाम की बातें जो उसकी माँ ने उसको सिखाई:
מַה־בְּרִי וּמַֽה־בַּר־בִּטְנִי וּמֶה בַּר־נְדָרָֽי׃ | 2 |
ऐ मेरे बेटे, ऐ मेरे रिहम के बेटे, तुझे, जिसे मैंने नज़्रे माँग कर पाया क्या कहूँ?
אַל־תִּתֵּן לַנָּשִׁים חֵילֶךָ וּדְרָכֶיךָ לַֽמְחוֹת מְלָכִֽין׃ | 3 |
अपनी क़ुव्वत 'औरतों को न दे, और अपनी राहें बादशाहों को बिगाड़ने वालियों की तरफ़ न निकाल।
אַל לַֽמְלָכִים ׀ לְֽמוֹאֵל אַל לַֽמְלָכִים שְׁתוֹ־יָיִן וּלְרוֹזְנִים או אֵי שֵׁכָֽר׃ | 4 |
बादशाहों को ऐ लमविएल, बादशाहों को मयख़्वारी ज़ेबा नहीं, और शराब की तलाश हाकिमों को शायान नहीं।
פֶּן־יִשְׁתֶּה וְיִשְׁכַּח מְחֻקָּק וִֽישַׁנֶּה דִּין כָּל־בְּנֵי־עֹֽנִי׃ | 5 |
ऐसा न हो वह पीकर क़वानीन को भूल जाए, और किसी मज़लूम की हक़ तलफ़ी करें।
תְּנוּ־שֵׁכָר לְאוֹבֵד וְיַיִן לְמָרֵי נָֽפֶשׁ׃ | 6 |
शराब उसको पिलाओ जो मरने पर है, और मय उसको जो तल्ख़ जान है
יִשְׁתֶּה וְיִשְׁכַּח רִישׁוֹ וַעֲמָלוֹ לֹא יִזְכָּר־עֽוֹד׃ | 7 |
ताकि वह पिए और अपनी तंगदस्ती फ़रामोश करे, और अपनी तबाह हाली को फिर याद न करे
פְּתַח־פִּיךָ לְאִלֵּם אֶל־דִּין כָּל־בְּנֵי חֲלֽוֹף׃ | 8 |
अपना मुँह गूँगे के लिए खोल उन सबकी वकालत को जो बेकस हैं।
פְּתַח־פִּיךָ שְׁפָט־צֶדֶק וְדִין עָנִי וְאֶבְיֽוֹן׃ | 9 |
अपना मुँह खोल, रास्ती से फ़ैसलाकर, और ग़रीबों और मुहताजों का इन्साफ़ कर।
אֵֽשֶׁת־חַיִל מִי יִמְצָא וְרָחֹק מִפְּנִינִים מִכְרָֽהּ׃ | 10 |
नेकोकार बीवी किसको मिलती है? क्यूँकि उसकी क़द्र मरजान से भी बहुत ज़्यादा है।
בָּטַח בָּהּ לֵב בַּעְלָהּ וְשָׁלָל לֹא יֶחְסָֽר׃ | 11 |
उसके शौहर के दिल को उस पर भरोसा है, और उसे मुनाफ़े' की कमी न होगी।
גְּמָלַתְהוּ טוֹב וְלֹא־רָע כֹּל יְמֵי חַיֶּֽיה׃ | 12 |
वह अपनी उम्र के तमाम दिनों में, उससे नेकी ही करेगी, बदी न करेगी।
דָּרְשָׁה צֶמֶר וּפִשְׁתִּים וַתַּעַשׂ בְּחֵפֶץ כַּפֶּֽיהָ׃ | 13 |
वह ऊन और कतान ढूंडती है, और ख़ुशी के साथ अपने हाथों से काम करती है।
הָיְתָה כָּאֳנִיּוֹת סוֹחֵר מִמֶּרְחָק תָּבִיא לַחְמָֽהּ׃ | 14 |
वह सौदागरों के जहाज़ों की तरह है, वह अपनी ख़ुराक दूर से ले आती है।
וַתָּקָם ׀ בְּעוֹד לַיְלָה וַתִּתֵּן טֶרֶף לְבֵיתָהּ וְחֹק לְנַעֲרֹתֶֽיהָ׃ | 15 |
वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को खिलाती है, और अपनी लौंडियों को काम देती है।
זָמְמָה שָׂדֶה וַתִּקָּחֵהוּ מִפְּרִי כַפֶּיהָ נטע נָטְעָה כָּֽרֶם׃ | 16 |
वह किसी खेत की बारे में सोचती हैऔर उसे ख़रीद लेती है; और अपने हाथों के नफ़े' से ताकिस्तान लगाती है।
חָֽגְרָה בְעוֹז מָתְנֶיהָ וַתְּאַמֵּץ זְרֹעוֹתֶֽיהָ׃ | 17 |
वह मज़बूती से अपनी कमर बाँधती है, और अपने बाज़ुओं को मज़बूत करती है।
טָעֲמָה כִּי־טוֹב סַחְרָהּ לֹֽא־יִכְבֶּה בליל בַלַּיְלָה נֵרָֽהּ׃ | 18 |
वह अपनी सौदागरी को सूदमंद पाती है। रात को उसका चिराग़ नहीं बुझता।
יָדֶיהָ שִׁלְּחָה בַכִּישׁוֹר וְכַפֶּיהָ תָּמְכוּ פָֽלֶךְ׃ | 19 |
वह तकले पर अपने हाथ चलाती है, और उसके हाथ अटेरन पकड़ते हैं।
כַּפָּהּ פָּרְשָׂה לֶעָנִי וְיָדֶיהָ שִׁלְּחָה לָֽאֶבְיֽוֹן׃ | 20 |
वह ग़रीबों की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाती है, हाँ, वह अपने हाथ मोहताजों की तरफ़ बढ़ाती है।
לֹא־תִירָא לְבֵיתָהּ מִשָּׁלֶג כִּי כָל־בֵּיתָהּ לָבֻשׁ שָׁנִֽים׃ | 21 |
वह अपने घराने के लिए बर्फ़ से नहीं डरती, क्यूँकि उसके ख़ान्दान में हर एक सुर्ख पोश है।
מַרְבַדִּים עָֽשְׂתָה־לָּהּ שֵׁשׁ וְאַרְגָּמָן לְבוּשָֽׁהּ׃ | 22 |
वह अपने लिए निगारीन बाला पोश बनाती है; उसकी पोशाक महीन कतानी और अर्गवानी है।
נוֹדָע בַּשְּׁעָרִים בַּעְלָהּ בְּשִׁבְתּוֹ עִם־זִקְנֵי־אָֽרֶץ׃ | 23 |
उसका शौहर फाटक में मशहूर है, जब वह मुल्क के बुज़ुगों के साथ बैठता है।
סָדִין עָשְׂתָה וַתִּמְכֹּר וַחֲגוֹר נָתְנָה לַֽכְּנַעֲנִֽי׃ | 24 |
वह महीन कतानी कपड़े बनाकर बेचती है; और पटके सौदागरों के हवाले करती है।
עֹז־וְהָדָר לְבוּשָׁהּ וַתִּשְׂחַק לְיוֹם אַחֲרֽוֹן׃ | 25 |
'इज़्ज़त और हुर्मत उसकी पोशाक हैं, और वह आइंदा दिनों पर हँसती है।
פִּיהָ פָּתְחָה בְחָכְמָה וְתֽוֹרַת־חֶסֶד עַל־לְשׁוֹנָֽהּ׃ | 26 |
उसके मुँह से हिकमत की बातें निकलती हैं, उसकी ज़बान पर शफ़क़त की ता'लीम है।
צוֹפִיָּה הֲלִיכוֹת בֵּיתָהּ וְלֶחֶם עַצְלוּת לֹא תֹאכֵֽל׃ | 27 |
वह अपने घराने पर बख़ूबी निगाह रखती है, और काहिली की रोटी नहीं खाती।
קָמוּ בָנֶיהָ וַֽיְאַשְּׁרוּהָ בַּעְלָהּ וַֽיְהַֽלְלָהּ׃ | 28 |
उसके बेटे उठते हैं और उसे मुबारक कहते हैं; उसका शौहर भी उसकी ता'रीफ़ करता है:
רַבּוֹת בָּנוֹת עָשׂוּ חָיִל וְאַתְּ עָלִית עַל־כֻּלָּֽנָה׃ | 29 |
“कि बहुतेरी बेटियों ने फ़ज़ीलत दिखाई है, लेकिन तू सब से आगे बढ़ गई।”
שֶׁקֶר הַחֵן וְהֶבֶל הַיֹּפִי אִשָּׁה יִרְאַת־יְהוָה הִיא תִתְהַלָּֽל׃ | 30 |
हुस्न, धोका और जमाल बेसबात है, लेकिन वह 'औरत जो ख़ुदावन्द से डरती है, सतुदा होगी।
תְּנוּ־לָהּ מִפְּרִי יָדֶיהָ וִֽיהַלְלוּהָ בַשְּׁעָרִים מַעֲשֶֽׂיהָ׃ 915 31 4 4 | 31 |
उसकी मेहनत का बदला उसे दो, और उसके कामों से मजलिस में उसकी ता'रीफ़ हो।