< שופטים 1 >

וַיְהִי אַחֲרֵי מוֹת יְהוֹשֻׁעַ וַֽיִּשְׁאֲלוּ בְּנֵי יִשְׂרָאֵל בַּיהוָה לֵאמֹר מִי יַעֲלֶה־לָּנוּ אֶל־הַֽכְּנַעֲנִי בַּתְּחִלָּה לְהִלָּחֶם בּֽוֹ׃ 1
और यशू'अ की मौत के बाद यूँ हुआ कि बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द से पूछा कि हमारी तरफ़ से कन'आनियों से जंग करने को पहले कौन चढ़ाई करे?
וַיֹּאמֶר יְהוָה יְהוּדָה יַעֲלֶה הִנֵּה נָתַתִּי אֶת־הָאָרֶץ בְּיָדֽוֹ׃ 2
ख़ुदावन्द ने कहा कि यहूदाह चढ़ाई करे; और देखो, मैंने यह मुल्क उसके हाथ में कर दिया है।
וַיֹּאמֶר יְהוּדָה לְשִׁמְעוֹן אָחִיו עֲלֵה אִתִּי בְגוֹרָלִי וְנִֽלָּחֲמָה בַּֽכְּנַעֲנִי וְהָלַכְתִּי גַם־אֲנִי אִתְּךָ בְּגוֹרָלֶךָ וַיֵּלֶךְ אִתּוֹ שִׁמְעֽוֹן׃ 3
तब यहूदाह ने अपने भाई शमौन से कहा कि तू मेरे साथ मेरे बँटवारे के हिस्से में चल, ताकि हम कन'आनियों से लड़ें: और इसी तरह मैं भी तेरे बँटवारे के हिस्से में तेरे साथ चलूँगा। इसलिए शमौन उसके साथ गया।
וַיַּעַל יְהוּדָה וַיִּתֵּן יְהוָה אֶת־הַכְּנַעֲנִי וְהַפְּרִזִּי בְּיָדָם וַיַּכּוּם בְּבֶזֶק עֲשֶׂרֶת אֲלָפִים אִֽישׁ׃ 4
और यहूदाह ने चढ़ाई की, और ख़ुदावन्द ने कन'आनियों और फ़रिज़्ज़ियों को उनके क़ब्ज़े में कर दिया; और उन्होंने बज़क़ में उनमें से दस हज़ार आदमी क़त्ल किए।
וַֽיִּמְצְאוּ אֶת־אֲדֹנִי בֶזֶק בְּבֶזֶק וַיִּֽלָּחֲמוּ בּוֹ וַיַּכּוּ אֶת־הַֽכְּנַעֲנִי וְאֶת־הַפְּרִזִּֽי׃ 5
और अदूनी बज़क़ को बज़क़ में पाकर वह उससे लड़े, और कन'आनियों और फ़रिज़्ज़ियों को मारा।
וַיָּנָס אֲדֹנִי בֶזֶק וַֽיִּרְדְּפוּ אַחֲרָיו וַיֹּאחֲזוּ אֹתוֹ וַֽיְקַצְּצוּ אֶת־בְּהֹנוֹת יָדָיו וְרַגְלָֽיו׃ 6
लेकिन अदूनी बज़क़ भागा, और उन्होंने उसका पीछा करके उसे पकड़ लिया, और उसके हाथ और पाँव के अँगूठे काट डाले।
וַיֹּאמֶר אֲדֹֽנִי־בֶזֶק שִׁבְעִים ׀ מְלָכִים בְּֽהֹנוֹת יְדֵיהֶם וְרַגְלֵיהֶם מְקֻצָּצִים הָיוּ מְלַקְּטִים תַּחַת שֻׁלְחָנִי כַּאֲשֶׁר עָשִׂיתִי כֵּן שִׁלַּם־לִי אֱלֹהִים וַיְבִיאֻהוּ יְרוּשָׁלַ͏ִם וַיָּמָת שָֽׁם׃ 7
तब अदूनी बज़क़ ने कहा कि हाथ और पाँव के अँगूठे कटे हुए सत्तर बादशाह मेरी मेज़ के नीचे रेज़ाचीनी करते थे, इसलिए जैसा मैंने किया वैसा ही ख़ुदा ने मुझे बदला दिया। फिर वह उसे येरूशलेम में लाए और वह वहाँ मर गया।
וַיִּלָּחֲמוּ בְנֵֽי־יְהוּדָה בִּירוּשָׁלִַם וַיִּלְכְּדוּ אוֹתָהּ וַיַּכּוּהָ לְפִי־חָרֶב וְאֶת־הָעִיר שִׁלְּחוּ בָאֵֽשׁ׃ 8
और बनी यहूदाह ने येरूशलेम से लड़ कर उसे ले लिया, और उसे बर्बाद करके शहर को आग से फूंक दिया।
וְאַחַר יָֽרְדוּ בְּנֵי יְהוּדָה לְהִלָּחֵם בַּֽכְּנַעֲנִי יוֹשֵׁב הָהָר וְהַנֶּגֶב וְהַשְּׁפֵלָֽה׃ 9
इसके बाद बनी यहूदाह उन कन'आनियों से जो पहाड़ी मुल्क और दक्खिनी हिस्से और नशेब की ज़मीन में रहते थे, लड़ने को गए।
וַיֵּלֶךְ יְהוּדָה אֶל־הַֽכְּנַעֲנִי הַיּוֹשֵׁב בְּחֶבְרוֹן וְשֵׁם־חֶבְרוֹן לְפָנִים קִרְיַת אַרְבַּע וַיַּכּוּ אֶת־שֵׁשַׁי וְאֶת־אֲחִימַן וְאֶת־תַּלְמָֽי׃ 10
और यहूदाह ने उन कन'आनियों पर जो हबरून में रहते थे चढ़ाई की और हबरून का नाम पहले क़रयत अरबा' था; वहाँ उन्होंने सीसी और अख़ीमान और तलमी को मारा।
וַיֵּלֶךְ מִשָּׁם אֶל־יוֹשְׁבֵי דְּבִיר וְשֵׁם־דְּבִיר לְפָנִים קִרְיַת־סֵֽפֶר׃ 11
वहाँ से वह दबीर के बाशिदों पर चढ़ाई करने को गया दबीर का नाम पहले क़रयत सिफ़र था।
וַיֹּאמֶר כָּלֵב אֲשֶׁר־יַכֶּה אֶת־קִרְיַת־סֵפֶר וּלְכָדָהּ וְנָתַתִּי לוֹ אֶת־עַכְסָה בִתִּי לְאִשָּֽׁה׃ 12
तब कालिब ने कहा, “जो कोई क़रयत सिफ़र को मार कर उसे ले ले, मैं उसे अपनी बेटी 'अकसा ब्याह दूँगा।”
וַֽיִּלְכְּדָהּ עָתְנִיאֵל בֶּן־קְנַז אֲחִי כָלֵב הַקָּטֹן מִמֶּנּוּ וַיִּתֶּן־לוֹ אֶת־עַכְסָה בִתּוֹ לְאִשָּֽׁה׃ 13
और कालिब के छोटे भाई क़नज़ के बेटे ग़ुतनीएल ने उसे ले लिया; फिर उसने अपनी बेटी 'अकसा उसे ब्याह दी।
וַיְהִי בְּבוֹאָהּ וַתְּסִיתֵהוּ לִשְׁאוֹל מֵֽאֵת־אָבִיהָ הַשָּׂדֶה וַתִּצְנַח מֵעַל הַחֲמוֹר וַיֹּֽאמֶר־לָהּ כָּלֵב מַה־לָּֽךְ׃ 14
और जब वह उसके पास गई, तो उसने उसे सलाह दी कि वह उसके बाप से एक खेत माँगे; फिर वह अपने गधे पर से उतर पड़ी, तब कालिब ने उससे कहा, “तू क्या चाहती है?”
וַתֹּאמֶר לוֹ הָֽבָה־לִּי בְרָכָה כִּי אֶרֶץ הַנֶּגֶב נְתַתָּנִי וְנָתַתָּה לִי גֻּלֹּת מָיִם וַיִּתֶּן־לָהּ כָּלֵב אֵת גֻּלֹּת עִלִּית וְאֵת גֻּלֹּת תַּחְתִּֽית׃ 15
उसने उससे कहा, “मुझे बरकत दे; चूँकि तूने मुझे दख्खिन के मुल्क में रख्खा है, इसलिए पानी के चश्मे भी मुझे दे।” तब कालिब ने ऊपर के चश्मे और नीचे के चश्मे उसे दिए।
וּבְנֵי קֵינִי חֹתֵן מֹשֶׁה עָלוּ מֵעִיר הַתְּמָרִים אֶת־בְּנֵי יְהוּדָה מִדְבַּר יְהוּדָה אֲשֶׁר בְּנֶגֶב עֲרָד וַיֵּלֶךְ וַיֵּשֶׁב אֶת־הָעָֽם׃ 16
और मूसा के साले क़ीनी की औलाद खजूरों के शहर में बनी यहूदाह के साथ याहूदाह के वीराने को जो 'अराद के दख्खिन में है, चली गयी और जाकर लोगों के साथ रहने लगी।
וַיֵּלֶךְ יְהוּדָה אֶת־שִׁמְעוֹן אָחִיו וַיַּכּוּ אֶת־הַֽכְּנַעֲנִי יוֹשֵׁב צְפַת וַיַּחֲרִימוּ אוֹתָהּ וַיִּקְרָא אֶת־שֵׁם־הָעִיר חָרְמָֽה׃ 17
और यहूदाह अपने भाई शमौन के साथ गया और उन्होंने उन कन'आनियों को जो सफ़त में रहते थे मारा, और शहर को मिटा दिया; इसलिए उस शहर का नाम हुरमा' कहलाया।
וַיִּלְכֹּד יְהוּדָה אֶת־עַזָּה וְאֶת־גְּבוּלָהּ וְאֶֽת־אַשְׁקְלוֹן וְאֶת־גְּבוּלָהּ וְאֶת־עֶקְרוֹן וְאֶת־גְּבוּלָֽהּ׃ 18
और यहूदाह ने ग़ज़्ज़ा और उसका 'इलाक़ा, और अस्क़लोन और उसका 'इलाक़ा अक़रून और उसका 'इलाक़ा को भी ले लिया।
וַיְהִי יְהוָה אֶתּ־יְהוּדָה וַיֹּרֶשׁ אֶת־הָהָר כִּי לֹא לְהוֹרִישׁ אֶת־יֹשְׁבֵי הָעֵמֶק כִּי־רֶכֶב בַּרְזֶל לָהֶֽם׃ 19
और ख़ुदावन्द यहूदाह के साथ था, इसलिए उसने पहाड़ियों को निकाल दिया, लेकिन वादी के बाशिदों को निकाल न सका, क्यूँकि उनके पास लोहे के रथ थे।
וַיִּתְּנוּ לְכָלֵב אֶת־חֶבְרוֹן כּֽ͏ַאֲשֶׁר דִּבֶּר מֹשֶׁה וַיּוֹרֶשׁ מִשָּׁם אֶת־שְׁלֹשָׁה בְּנֵי הָעֲנָֽק׃ 20
तब उन्होंने मूसा के कहने के मुताबिक़ हबरून कालिब को दिया; और उसने वहाँ से 'अनाक़ के तीनों बेटों को निकाल दिया।
וְאֶת־הַיְבוּסִי יֹשֵׁב יְרֽוּשָׁלִַם לֹא הוֹרִישׁוּ בְּנֵי בִנְיָמִן וַיֵּשֶׁב הַיְבוּסִי אֶת־בְּנֵי בִנְיָמִן בִּירוּשָׁלִַם עַד הַיּוֹם הַזֶּֽה׃ 21
और बनी बिनयमीन ने उन यबूसियों को जो येरूशलेम में रहते थे न निकाला, इसलिए यबूसी बनी बिनयमीन के साथ आज तक येरूशलेम में रहते हैं।
וַיַּעֲלוּ בֵית־יוֹסֵף גַּם־הֵם בֵּֽית־אֵל וַֽיהוָה עִמָּֽם׃ 22
और यूसुफ़ के घराने ने भी बैतएल लेकिन चढ़ाई की, और ख़ुदावन्द उनके साथ था।
וַיָּתִירוּ בֵית־יוֹסֵף בְּבֵֽית־אֵל וְשֵׁם־הָעִיר לְפָנִים לֽוּז׃ 23
और यूसुफ़ के घराने ने बैतएल का हाल दरियाफ़्त करने को जासूस भेजे और उस शहर का नाम पहले लूज़ था।
וַיִּרְאוּ הַשֹּׁמְרִים אִישׁ יוֹצֵא מִן־הָעִיר וַיֹּאמְרוּ לוֹ הַרְאֵנוּ נָא אֶת־מְבוֹא הָעִיר וְעָשִׂינוּ עִמְּךָ חָֽסֶד׃ 24
और जासूसों ने एक शख़्स को उस शहर से निकलते देखा और उससे कहा, कि शहर में दाख़िल होने की राह हम को दिखा दे, तो हम तुझ से मेहरबानी से पेश आएँगे।
וַיַּרְאֵם אֶת־מְבוֹא הָעִיר וַיַּכּוּ אֶת־הָעִיר לְפִי־חָרֶב וְאֶת־הָאִישׁ וְאֶת־כָּל־מִשְׁפַּחְתּוֹ שִׁלֵּֽחוּ׃ 25
इसलिए उसने शहर में दाख़िल होने की राह उनको दिखा दी। उन्होंने शहर को बर्बाद किया, पर उस शख़्स और उसके सारे घराने को छोड़ दिया।
וַיֵּלֶךְ הָאִישׁ אֶרֶץ הַחִתִּים וַיִּבֶן עִיר וַיִּקְרָא שְׁמָהּ לוּז הוּא שְׁמָהּ עַד הַיּוֹם הַזֶּֽה׃ 26
और वह शख़्स हित्तियों के मुल्क में गया, और उसने वहाँ एक शहर बनाया और उसका नाम लूज़ रख्खा; चुनाँचे आज तक उसका यही नाम है।
וְלֹא־הוֹרִישׁ מְנַשֶּׁה אֶת־בֵּית־שְׁאָן וְאֶת־בְּנוֹתֶיהָ וְאֶת־תַּעְנַךְ וְאֶת־בְּנֹתֶיהָ וְאֶת־ישב יֹשְׁבֵי דוֹר וְאֶת־בְּנוֹתֶיהָ וְאֶת־יוֹשְׁבֵי יִבְלְעָם וְאֶת־בְּנֹתֶיהָ וְאֶת־יוֹשְׁבֵי מְגִדּוֹ וְאֶת־בְּנוֹתֶיהָ וַיּוֹאֶל הַֽכְּנַעֲנִי לָשֶׁבֶת בָּאָרֶץ הַזֹּֽאת׃ 27
और मनस्सी ने भी बैत शान और उसके क़स्बों और ता'नक और उसके क़स्बों और दोर और उसके क़स्बों के बाशिदों, और इबली'आम और उसके क़स्बों के बाशिंदों, और मजिद्दो और उसके क़स्बों के बार्शिदों को न निकाला; बल्कि कन'आनी उस मुल्क में बसे ही रहे।
וֽ͏ַיְהִי כִּֽי־חָזַק יִשְׂרָאֵל וַיָּשֶׂם אֶת־הַֽכְּנַעֲנִי לָמַס וְהוֹרֵישׁ לֹא הוֹרִישֽׁוֹ׃ 28
लेकिन जब इस्राईल ने ज़ोर पकड़ा, तो वह कन'आनियों से बेगार का काम लेने लगे लेकिन उनको बिल्कुल निकाल न दिया।
וְאֶפְרַיִם לֹא הוֹרִישׁ אֶת־הַֽכְּנַעֲנִי הַיּוֹשֵׁב בְּגָזֶר וַיֵּשֶׁב הַֽכְּנַעֲנִי בְּקִרְבּוֹ בְּגָֽזֶר׃ 29
और इफ़्राईम ने उन कन'आनियों को जो जज़र में रहते थे न निकाला, इसलिए कन'आनी उनके बीच जज़र में बसे रहे।
זְבוּלֻן לֹא הוֹרִישׁ אֶת־יוֹשְׁבֵי קִטְרוֹן וְאֶת־יוֹשְׁבֵי נַהֲלֹל וַיֵּשֶׁב הַֽכְּנַעֲנִי בְּקִרְבּוֹ וַיִּֽהְיוּ לָמַֽס׃ 30
और ज़बूलून ने क़ितरोन और नहलाल के लोगों को न निकाला, इसलिए कन'आनी उनमें क़याम करते रहे और उनके फ़रमाबरदार हो गए।
אָשֵׁר לֹא הוֹרִישׁ אֶת־יֹשְׁבֵי עַכּוֹ וְאֶת־יוֹשְׁבֵי צִידוֹן וְאֶת־אַחְלָב וְאֶת־אַכְזִיב וְאֶת־חֶלְבָּה וְאֶת־אֲפִיק וְאֶת־רְחֹֽב׃ 31
और आशर ने 'अक्को और सैदा और अहलाब और अकज़ीब और हिलबा और अफ़ीक़ और रहोब के बाशिंदों को न निकाला;
וַיֵּשֶׁב הָאָשֵׁרִי בְּקֶרֶב הַֽכְּנַעֲנִי יֹשְׁבֵי הָאָרֶץ כִּי לֹא הוֹרִישֽׁוֹ׃ 32
बल्कि आशरी उन कन'आनियों के बीच जो उस मुल्क के बाशिंदे थे बस गए, क्यूँकि उन्होंने उनको निकाला न था।
נַפְתָּלִי לֹֽא־הוֹרִישׁ אֶת־יֹשְׁבֵי בֵֽית־שֶׁמֶשׁ וְאֶת־יֹשְׁבֵי בֵית־עֲנָת וַיֵּשֶׁב בְּקֶרֶב הַֽכְּנַעֲנִי יֹשְׁבֵי הָאָרֶץ וְיֹשְׁבֵי בֵֽית־שֶׁמֶשׁ וּבֵית עֲנָת הָיוּ לָהֶם לָמַֽס׃ 33
और नफ़्ताली ने बैत शम्स और बैत 'अनात के बाशिंदों को न निकाला, बल्कि वह उन कन'आनियों में जो वहाँ रहते थे बस गया; तो भी बैत शम्स और बैत'अनात के बाशिंदे उनके फ़रमाबरदार हो गए।
וַיִּלְחֲצוּ הָאֱמֹרִי אֶת־בְּנֵי־דָן הָהָרָה כִּי־לֹא נְתָנוֹ לָרֶדֶת לָעֵֽמֶק׃ 34
और अमोरियों ने बनी दान को पहाड़ी मुल्क में भगा दिया, क्यूँकि उन्होंने उनको वादी में आने न दिया।
וַיּוֹאֶל הָֽאֱמֹרִי לָשֶׁבֶת בְּהַר־חֶרֶס בְּאַיָּלוֹן וּבְשַֽׁעַלְבִים וַתִּכְבַּד יַד בֵּית־יוֹסֵף וַיִּהְיוּ לָמַֽס׃ 35
बल्कि अमोरी कोह — ए — हरिस पर और अय्यालोन और सा'लबीम में बसे ही रहे, तो भी बनी यूसुफ़ का हाथ ग़ालिब हुआ, ऐसा कि यह फ़रमाबरदार हो गए।
וּגְבוּל הָאֱמֹרִי מִֽמַּעֲלֵה עַקְרַבִּים מֵהַסֶּלַע וָמָֽעְלָה׃ 36
और अमोरियों की सरहद 'अक़रब्बीम की चढ़ाई से या'नी चट्टान से शुरू' करके ऊपर ऊपर थी।

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