< איוב 5 >

קְֽרָא־נָא הֲיֵשׁ עוֹנֶךָּ וְאֶל־מִי מִקְּדֹשִׁים תִּפְנֶֽה׃ 1
ज़रा पुकार क्या कोई है जो तुझे जवाब देगा? और मुक़द्दसों में से तू किसकी तरफ़ फिरेगा?
כִּֽי־לֶֽאֱוִיל יַהֲרָג־כָּעַשׂ וּפֹתֶה תָּמִית קִנְאָֽה׃ 2
क्यूँकि कुढ़ना बेवक़ूफ़ को मार डालता है, और जलन बेवक़ूफ़ की जान ले लेती है।
אֲ‍ֽנִי־רָאִיתִי אֱוִיל מַשְׁרִישׁ וָאֶקּוֹב נָוֵהוּ פִתְאֹֽם׃ 3
मैंने बेवक़ूफ़ को जड़ पकड़ते देखा है, लेकिन बराबर उसके घर पर ला'नत की।
יִרְחֲקוּ בָנָיו מִיֶּשַׁע וְיִֽדַּכְּאוּ בַשַּׁעַר וְאֵין מַצִּֽיל׃ 4
उसके बाल — बच्चे सलामती से दूर हैं; वह फाटक ही पर कुचले जाते हैं, और कोई नहीं जो उन्हें छुड़ाए।
אֲשֶׁר קְצִירוֹ ׀ רָעֵב יֹאכֵל וְאֶֽל־מִצִּנִּים יִקָּחֵהוּ וְשָׁאַף צַמִּים חֵילָֽם׃ 5
भूका उसकी फ़सल को खाता है, बल्कि उसे काँटों में से भी निकाल लेता है। और प्यासा उसके माल को निगल जाता है।
כִּי ׀ לֹא־יֵצֵא מֵעָפָר אָוֶן וּמֵאֲדָמָה לֹא־יִצְמַח עָמָֽל׃ 6
क्यूँकि मुसीबत मिट्टी में से नहीं उगती। न दुख ज़मीन में से निकलता है।
כִּֽי־אָדָם לְעָמָל יוּלָּד וּבְנֵי־רֶשֶׁף יַגְבִּיהוּ עֽוּף׃ 7
बस जैसे चिंगारियाँ ऊपर ही को उड़ती हैं, वैसे ही इंसान दुख के लिए पैदा हुआ है।
אוּלָם אֲנִי אֶדְרֹשׁ אֶל־אֵל וְאֶל־אֱלֹהִים אָשִׂים דִּבְרָתִֽי׃ 8
लेकिन मैं तो ख़ुदा ही का तालिब रहूँगा, और अपना मु'आमिला ख़ुदा ही पर छोड़ूँगा।
עֹשֶׂה גְדֹלוֹת וְאֵין חֵקֶר נִפְלָאוֹת עַד־אֵין מִסְפָּֽר׃ 9
जो ऐसे बड़े बड़े काम जो बयान नहीं हो सकते, और बेशुमार 'अजीब काम करता है।
הַנֹּתֵן מָטָר עַל־פְּנֵי־אָרֶץ וְשֹׁלֵֽחַ מַיִם עַל־פְּנֵי חוּצֽוֹת׃ 10
वही ज़मीन पर पानी बरसाता, और खेतों में पानी भेजता है।
לָשׂוּם שְׁפָלִים לְמָרוֹם וְקֹדְרִים שָׂגְבוּ יֶֽשַׁע׃ 11
इसी तरह वह हलीमों को ऊँची जगह पर बिठाता है, और मातम करनेवाले सलामती की सरफ़राज़ी पाते हैं।
מֵפֵר מַחְשְׁבוֹת עֲרוּמִים וְֽלֹא־תַעֲשֶׂינָה יְדֵיהֶם תּוּשִׁיָּֽה׃ 12
वह 'अय्यारों की तदबीरों को बातिल कर देता है। यहाँ तक कि उनके हाथ उनके मक़सद को पूरा नहीं कर सकते।
לֹכֵד חֲכָמִים בְּעָרְמָם וַעֲצַת נִפְתָּלִים נִמְהָֽרָה׃ 13
वह होशियारों की उन ही की चालाकियों में फसाता है, और टेढ़े लोगों की मशवरत जल्द जाती रहती है।
יוֹמָם יְפַגְּשׁוּ־חֹשֶׁךְ וְכַלַּיְלָה יְֽמַשְׁשׁוּ בַֽצָּהֳרָֽיִם׃ 14
उन्हें दिन दहाड़े अँधेरे से पाला पड़ता है, और वह दोपहर के वक़्त ऐसे टटोलते फिरते हैं जैसे रात को।
וַיֹּשַׁע מֵחֶרֶב מִפִּיהֶם וּמִיַּד חָזָק אֶבְיֽוֹן׃ 15
लेकिन मुफ़लिस को उनके मुँह की तलवार, और ज़बरदस्त के हाथ से वह बचालेता है।
וַתְּהִי לַדַּל תִּקְוָה וְעֹלָתָה קָפְצָה פִּֽיהָ׃ 16
जो ग़रीब को उम्मीद रहती है, और बदकारी अपना मुँह बंद कर लेती है।
הִנֵּה אַשְׁרֵי אֱנוֹשׁ יוֹכִחֶנּֽוּ אֱלוֹהַּ וּמוּסַר שַׁדַּי אַל־תִּמְאָֽס׃ 17
देख, वह आदमी जिसे ख़ुदा तम्बीह देता है ख़ुश क़िस्मत है। इसलिए क़ादिर — ए — मुतलक़ की तादीब को बेकार न जान।
כִּי הוּא יַכְאִיב וְיֶחְבָּשׁ יִמְחַץ וידו וְיָדָיו תִּרְפֶּֽינָה׃ 18
क्यूँकि वही मजरूह करता और पट्टी बाँधता है। वही ज़ख़्मी करता है और उसी के हाथ शिफ़ा देते हैं।
בְּשֵׁשׁ צָרוֹת יַצִּילֶךָּ וּבְשֶׁבַע ׀ לֹא־יִגַּע בְּךָ רָֽע׃ 19
वह तुझे छ: मुसीबतों से छुड़ाएगा, बल्कि सात में भी कोई आफ़त तुझे छूने न पाएगी।
בְּרָעָב פָּֽדְךָ מִמָּוֶת וּבְמִלְחָמָה מִידֵי חָֽרֶב׃ 20
काल में वह तुझ को मौत से बचाएगा, और लड़ाई में तलवार की धार से।
בְּשׁוֹט לָשׁוֹן תֵּחָבֵא וְֽלֹא־תִירָא מִשֹּׁד כִּי יָבֽוֹא׃ 21
तू ज़बान के कोड़े से महफ़ूज़ “रखा जाएगा, और जब हलाकत आएगी तो तुझे डर नहीं लगेगा।
לְשֹׁד וּלְכָפָן תִּשְׂחָק וּֽמֵחַיַּת הָאָרֶץ אַל־תִּירָֽא׃ 22
तू हलाकत और ख़ुश्क साली पर हँसेगा, और ज़मीन के दरिन्दों से तुझे कुछ ख़ौफ़ न होगा।
כִּי עִם־אַבְנֵי הַשָּׂדֶה בְרִיתֶךָ וְחַיַּת הַשָּׂדֶה הָשְׁלְמָה־לָֽךְ׃ 23
मैदान के पत्थरों के साथ तेरा एका होगा, और जंगली जानवर तुझ से मेल रखेंगे।
וְֽיָדַעְתָּ כִּי־שָׁלוֹם אָהֳלֶךָ וּֽפָקַדְתָּ נָוְךָ וְלֹא תֶחֱטָֽא׃ 24
और तू जानेगा कि तेरा ख़ेमा महफ़ूज़ है, और तू अपने घर में जाएगा और कोई चीज़ ग़ाएब न पाएगा।
וְֽיָדַעְתָּ כִּי־רַב זַרְעֶךָ וְצֶאֱצָאֶיךָ כְּעֵשֶׂב הָאָֽרֶץ׃ 25
तुझे यह भी मा'लूम होगा कि तेरी नसल बड़ी, और तेरी औलाद ज़मीन की घास की तरह बढ़ेगी।
תָּבוֹא בְכֶלַח אֱלֵי־קָבֶר כַּעֲלוֹת גָּדִישׁ בְּעִתּֽוֹ׃ 26
तू पूरी उम्र में अपनी क़ब्र में जाएगा, जैसे अनाज के पूले अपने वक़्त पर जमा' किए जाते हैं।
הִנֵּה־זֹאת חֲקַרְנוּהָ כֶּֽן־הִיא שְׁמָעֶנָּה וְאַתָּה דַֽע־לָֽךְ׃ 27
देख, हम ने इसकी तहक़ीक़ की और यह बात यूँ ही है। इसे सुन ले और अपने फ़ायदे के लिए इसे याद रख।”

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