< איוב 40 >
וַיַּעַן יְהוָה אֶת־אִיּוֹב וַיֹּאמַֽר׃ | 1 |
१फिर यहोवा ने अय्यूब से यह भी कहा:
הֲרֹב עִם־שַׁדַּי יִסּוֹר מוֹכִיחַ אֱלוֹהַּ יַעֲנֶֽנָּה׃ | 2 |
२“क्या जो बकवास करता है वह सर्वशक्तिमान से झगड़ा करे? जो परमेश्वर से विवाद करता है वह इसका उत्तर दे।”
וַיַּעַן אִיּוֹב אֶת־יְהוָה וַיֹּאמַֽר׃ | 3 |
३तब अय्यूब ने यहोवा को उत्तर दिया:
הֵן קַלֹּתִי מָה אֲשִׁיבֶךָּ יָדִי שַׂמְתִּי לְמוֹ־פִֽי׃ | 4 |
४“देख, मैं तो तुच्छ हूँ, मैं तुझे क्या उत्तर दूँ? मैं अपनी उँगली दाँत तले दबाता हूँ।
אַחַת דִּבַּרְתִּי וְלֹא אֶֽעֱנֶה וּשְׁתַּיִם וְלֹא אוֹסִֽיף׃ | 5 |
५एक बार तो मैं कह चुका, परन्तु और कुछ न कहूँगा: हाँ दो बार भी मैं कह चुका, परन्तु अब कुछ और आगे न बढ़ूँगा।”
וַיַּֽעַן־יְהוָה אֶת־אִיּוֹב מנ סערה מִן ׀ סְעָרָה וַיֹּאמַֽר׃ | 6 |
६तब यहोवा ने अय्यूब को आँधी में से यह उत्तर दिया:
אֱזָר־נָא כְגֶבֶר חֲלָצֶיךָ אֶשְׁאָלְךָ וְהוֹדִיעֵֽנִי׃ | 7 |
७“पुरुष के समान अपनी कमर बाँध ले, मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे बता।
הַאַף תָּפֵר מִשְׁפָּטִי תַּרְשִׁיעֵנִי לְמַעַן תִּצְדָּֽק׃ | 8 |
८क्या तू मेरा न्याय भी व्यर्थ ठहराएगा? क्या तू आप निर्दोष ठहरने की मनसा से मुझ को दोषी ठहराएगा?
וְאִם־זְרוֹעַ כָּאֵל ׀ לָךְ וּבְקוֹל כָּמֹהוּ תַרְעֵֽם׃ | 9 |
९क्या तेरा बाहुबल परमेश्वर के तुल्य है? क्या तू उसके समान शब्द से गरज सकता है?
עֲדֵה נָא גָֽאוֹן וָגֹבַהּ וְהוֹד וְהָדָר תִּלְבָּֽשׁ׃ | 10 |
१०“अब अपने को महिमा और प्रताप से संवार और ऐश्वर्य और तेज के वस्त्र पहन ले।
הָפֵץ עֶבְרוֹת אַפֶּךָ וּרְאֵה כָל־גֵּאֶה וְהַשְׁפִּילֵֽהוּ׃ | 11 |
११अपने अति क्रोध की बाढ़ को बहा दे, और एक-एक घमण्डी को देखते ही उसे नीचा कर।
רְאֵה כָל־גֵּאֶה הַכְנִיעֵהוּ וַהֲדֹךְ רְשָׁעִים תַּחְתָּֽם׃ | 12 |
१२हर एक घमण्डी को देखकर झुका दे, और दुष्ट लोगों को जहाँ खड़े हों वहाँ से गिरा दे।
טָמְנֵם בֶּעָפָר יָחַד פְּנֵיהֶם חֲבֹשׁ בַּטָּמֽוּן׃ | 13 |
१३उनको एक संग मिट्टी में मिला दे, और उस गुप्त स्थान में उनके मुँह बाँध दे।
וְגַם־אֲנִי אוֹדֶךָּ כִּֽי־תוֹשִׁעַ לְךָ יְמִינֶֽךָ׃ | 14 |
१४तब मैं भी तेरे विषय में मान लूँगा, कि तेरा ही दाहिना हाथ तेरा उद्धार कर सकता है।
הִנֵּה־נָא בְהֵמוֹת אֲשֶׁר־עָשִׂיתִי עִמָּךְ חָצִיר כַּבָּקָר יֹאכֵֽל׃ | 15 |
१५“उस जलगज को देख, जिसको मैंने तेरे साथ बनाया है, वह बैल के समान घास खाता है।
הִנֵּה־נָא כֹחוֹ בְמָתְנָיו וְאֹנוֹ בִּשְׁרִירֵי בִטְנֽוֹ׃ | 16 |
१६देख उसकी कमर में बल है, और उसके पेट के पट्ठों में उसकी सामर्थ्य रहती है।
יַחְפֹּץ זְנָבוֹ כְמוֹ־אָרֶז גִּידֵי פחדו פַחֲדָיו יְשֹׂרָֽגוּ׃ | 17 |
१७वह अपनी पूँछ को देवदार के समान हिलाता है; उसकी जाँघों की नसें एक दूसरे से मिली हुई हैं।
עֲצָמָיו אֲפִיקֵי נְחוּשָׁה גְּרָמָיו כִּמְטִיל בַּרְזֶֽל׃ | 18 |
१८उसकी हड्डियाँ मानो पीतल की नलियाँ हैं, उसकी पसलियाँ मानो लोहे के बेंड़े हैं।
הוּא רֵאשִׁית דַּרְכֵי־אֵל הָעֹשׂוֹ יַגֵּשׁ חַרְבּֽוֹ׃ | 19 |
१९“वह परमेश्वर का मुख्य कार्य है; जो उसका सृजनहार हो उसके निकट तलवार लेकर आए!
כִּֽי־בוּל הָרִים יִשְׂאוּ־לוֹ וְֽכָל־חַיַּת הַשָּׂדֶה יְשַֽׂחֲקוּ־שָֽׁם׃ | 20 |
२०निश्चय पहाड़ों पर उसका चारा मिलता है, जहाँ और सब वन पशु कलोल करते हैं।
תַּֽחַת־צֶאֱלִים יִשְׁכָּב בְּסֵתֶר קָנֶה וּבִצָּֽה׃ | 21 |
२१वह कमल के पौधों के नीचे रहता नरकटों की आड़ में और कीच पर लेटा करता है
יְסֻכֻּהוּ צֶאֱלִים צִֽלֲלוֹ יְסֻבּוּהוּ עַרְבֵי־נָֽחַל׃ | 22 |
२२कमल के पौधे उस पर छाया करते हैं, वह नाले के बेंत के वृक्षों से घिरा रहता है।
הֵן יַעֲשֹׁק נָהָר לֹא יַחְפּוֹז יִבְטַח ׀ כִּֽי־יָגִיחַ יַרְדֵּן אֶל־פִּֽיהוּ׃ | 23 |
२३चाहे नदी की बाढ़ भी हो तो भी वह न घबराएगा, चाहे यरदन भी बढ़कर उसके मुँह तक आए परन्तु वह निर्भय रहेगा।
בְּעֵינָיו יִקָּחֶנּוּ בְּמֽוֹקְשִׁים יִנְקָב־אָֽף׃ | 24 |
२४जब वह चौकस हो तब क्या कोई उसको पकड़ सकेगा, या उसके नाथ में फंदा लगा सकेगा?