< בראשית 41 >

וַיְהִי מִקֵּץ שְׁנָתַיִם יָמִים וּפַרְעֹה חֹלֵם וְהִנֵּה עֹמֵד עַל־הַיְאֹֽר׃ 1
पूरे दो साल बाद फ़रोह ने एक स्वप्न देखा: वे नील नदी के किनारे खड़े हैं.
וְהִנֵּה מִן־הַיְאֹר עֹלֹת שֶׁבַע פָּרוֹת יְפוֹת מַרְאֶה וּבְרִיאֹת בָּשָׂר וַתִּרְעֶינָה בָּאָֽחוּ׃ 2
नदी में से सात सुंदर एवं मोटी गायें निकली और घास चरने लगीं.
וְהִנֵּה שֶׁבַע פָּרוֹת אֲחֵרוֹת עֹלוֹת אַחֲרֵיהֶן מִן־הַיְאֹר רָעוֹת מַרְאֶה וְדַקּוֹת בָּשָׂר וַֽתַּעֲמֹדְנָה אֵצֶל הַפָּרוֹת עַל־שְׂפַת הַיְאֹֽר׃ 3
फिर और सात गायें नील नदी में से निकलीं, जो कुरूप तथा पतली थीं. ये नदी के किनारे उन मोटी गायों के पास आकर खड़ी हो गईं.
וַתֹּאכַלְנָה הַפָּרוֹת רָעוֹת הַמַּרְאֶה וְדַקֹּת הַבָּשָׂר אֵת שֶׁבַע הַפָּרוֹת יְפֹת הַמַּרְאֶה וְהַבְּרִיאֹת וַיִּיקַץ פַּרְעֹֽה׃ 4
और कुरूप एवं दुर्बल गायों ने उन सुंदर एवं मोटी गायों को खा लिया. इससे फ़रोह की नींद खुल गई.
וַיִּישָׁן וַֽיַּחֲלֹם שֵׁנִית וְהִנֵּה ׀ שֶׁבַע שִׁבֳּלִים עֹלוֹת בְּקָנֶה אֶחָד בְּרִיאוֹת וְטֹבֽוֹת׃ 5
जब उन्हें फिर नींद आई, तब उन्होंने एक और स्वप्न देखा: एक ही तने में से सात बालें उगीं, जो अच्छी और मोटी मोटी थीं.
וְהִנֵּה שֶׁבַע שִׁבֳּלִים דַּקּוֹת וּשְׁדוּפֹת קָדִים צֹמְחוֹת אַחֲרֵיהֶֽן׃ 6
फिर सात और बालें उगीं जो पतली और मुरझाई हुई थीं,
וַתִּבְלַעְנָה הַשִּׁבֳּלִים הַדַּקּוֹת אֵת שֶׁבַע הַֽשִׁבֳּלִים הַבְּרִיאוֹת וְהַמְּלֵאוֹת וַיִּיקַץ פַּרְעֹה וְהִנֵּה חֲלֽוֹם׃ 7
तब पतली बालों ने मोटी बालों को निगल लिया. इससे फ़रोह की नींद खुल गई और वह समझ गये कि यह स्वप्न था.
וַיְהִי בַבֹּקֶר וַתִּפָּעֶם רוּחוֹ וַיִּשְׁלַח וַיִּקְרָא אֶת־כָּל־חַרְטֻמֵּי מִצְרַיִם וְאֶת־כָּל־חֲכָמֶיהָ וַיְסַפֵּר פַּרְעֹה לָהֶם אֶת־חֲלֹמוֹ וְאֵין־פּוֹתֵר אוֹתָם לְפַרְעֹֽה׃ 8
सुबह होने पर राजा मन में बेचैन हुए, इसलिये इनका अर्थ जानने के लिए मिस्र देश के सब ज्योतिषियों एवं पंडितों को बुलवाया और फ़रोह ने उन्हें अपने दोनों स्वप्न बताये लेकिन कोई भी उनका अर्थ नहीं बता पाया.
וַיְדַבֵּר שַׂר הַמַּשְׁקִים אֶת־פַּרְעֹה לֵאמֹר אֶת־חֲטָאַי אֲנִי מַזְכִּיר הַיּֽוֹם׃ 9
तब प्रधान पिलाने वाले ने फ़रोह से कहा, “आज मुझे अपनी गलती याद आ रही है.
פַּרְעֹה קָצַף עַל־עֲבָדָיו וַיִּתֵּן אֹתִי בְּמִשְׁמַר בֵּית שַׂר הַטַּבָּחִים אֹתִי וְאֵת שַׂר הָאֹפִֽים׃ 10
एक बार फ़रोह अपने नौकरों से क्रुद्ध हुए और मुझे और प्रधान खानसामे को अंगरक्षकों के नायक के घर के बंदीगृह में डाला.
וַנַּֽחַלְמָה חֲלוֹם בְּלַיְלָה אֶחָד אֲנִי וָהוּא אִישׁ כְּפִתְרוֹן חֲלֹמוֹ חָלָֽמְנוּ׃ 11
हमने उस कारावास में स्वप्न देखा, और दोनों ही स्वप्न का अपना अलग अर्थ था.
וְשָׁם אִתָּנוּ נַעַר עִבְרִי עֶבֶד לְשַׂר הַטַּבָּחִים וַנְּסַפֶּר־לוֹ וַיִּפְתָּר־לָנוּ אֶת־חֲלֹמֹתֵינוּ אִישׁ כַּחֲלֹמוֹ פָּתָֽר׃ 12
एक इब्री युवक वहां था, वह अंगरक्षकों के नायक का सेवक था. जब हमने उसे अपना स्वप्न बताया उसने हमारे हर एक के स्वप्न की व्याख्या की.
וַיְהִי כַּאֲשֶׁר פָּֽתַר־לָנוּ כֵּן הָיָה אֹתִי הֵשִׁיב עַל־כַּנִּי וְאֹתוֹ תָלָֽה׃ 13
जैसा उसने बताया था वैसा ही हुआ: फ़रोह ने मुझे तो अपना पद सौंप दिया, और खानसामें को प्राण-दंड दे दिया.”
וַיִּשְׁלַח פַּרְעֹה וַיִּקְרָא אֶת־יוֹסֵף וַיְרִיצֻהוּ מִן־הַבּוֹר וַיְגַלַּח וַיְחַלֵּף שִׂמְלֹתָיו וַיָּבֹא אֶל־פַּרְעֹֽה׃ 14
यह सुनकर फ़रोह ने कहा कि योसेफ़ को मेरे पास लाओ. उन्होंने जल्दी योसेफ़ को कारागार से बाहर निकाला. और उसके बाल कटाकर उसके कपड़े बदलकर फ़रोह के पास लेकर आये.
וַיֹּאמֶר פַּרְעֹה אֶל־יוֹסֵף חֲלוֹם חָלַמְתִּי וּפֹתֵר אֵין אֹתוֹ וַאֲנִי שָׁמַעְתִּי עָלֶיךָ לֵאמֹר תִּשְׁמַע חֲלוֹם לִפְתֹּר אֹתֽוֹ׃ 15
फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “मैंने एक स्वप्न देखा है, उसका अर्थ कोई नहीं बता पा रहे हैं, लेकिन मैंने तुम्हारे बारे में सुना है कि तुम स्वप्न का अर्थ बता सकते हो.”
וַיַּעַן יוֹסֵף אֶת־פַּרְעֹה לֵאמֹר בִּלְעָדָי אֱלֹהִים יַעֲנֶה אֶת־שְׁלוֹם פַּרְעֹֽה׃ 16
योसेफ़ ने यह सुनकर फ़रोह से कहा, “अर्थ मैं नहीं, बल्कि स्वयं परमेश्वर ही देंगे.”
וַיְדַבֵּר פַּרְעֹה אֶל־יוֹסֵף בַּחֲלֹמִי הִנְנִי עֹמֵד עַל־שְׂפַת הַיְאֹֽר׃ 17
तब फ़रोह ने कहा, “मैंने स्वप्न में देखा कि मैं नील नदी के किनारे खड़ा हूं.
וְהִנֵּה מִן־הַיְאֹר עֹלֹת שֶׁבַע פָּרוֹת בְּרִיאוֹת בָּשָׂר וִיפֹת תֹּאַר וַתִּרְעֶינָה בָּאָֽחוּ׃ 18
वहां मैंने सात मोटी एवं सुंदर गायों को नील नदी से निकलते देखा. और वे घास चर रही थीं.
וְהִנֵּה שֶֽׁבַע־פָּרוֹת אֲחֵרוֹת עֹלוֹת אַחֲרֵיהֶן דַּלּוֹת וְרָעוֹת תֹּאַר מְאֹד וְרַקּוֹת בָּשָׂר לֹֽא־רָאִיתִי כָהֵנָּה בְּכָל־אֶרֶץ מִצְרַיִם לָרֹֽעַ׃ 19
तभी मैंने देखा कि सात और गायें निकलीं—जो दुबली, पतली और कुरूप थीं. ऐसी कुरूप गायें मैंने मिस्र देश में कभी नहीं देखीं.
וַתֹּאכַלְנָה הַפָּרוֹת הָרַקּוֹת וְהָרָעוֹת אֵת שֶׁבַע הַפָּרוֹת הָרִאשֹׁנוֹת הַבְּרִיאֹֽת׃ 20
दुर्बल एवं कुरूप गायों ने उन सात मोटी एवं सुंदर गायों को खा लिया.
וַתָּבֹאנָה אֶל־קִרְבֶּנָה וְלֹא נוֹדַע כִּי־בָאוּ אֶל־קִרְבֶּנָה וּמַרְאֵיהֶן רַע כַּאֲשֶׁר בַּתְּחִלָּה וָאִיקָֽץ׃ 21
इतना होने पर भी यह समझ नहीं पाये कि इन्होंने उन सात मोटी गायों को कैसे खा लिया; लेकिन वे अब भी वैसी ही कुरूप बनी हुई थीं. और मेरी नींद खुल गई.
וָאֵרֶא בַּחֲלֹמִי וְהִנֵּה ׀ שֶׁבַע שִׁבֳּלִים עֹלֹת בְּקָנֶה אֶחָד מְלֵאֹת וְטֹבֽוֹת׃ 22
“मैंने एक और स्वप्न देखा: एक ही तने में से सात मोटी एवं अच्छी बालें उगीं.
וְהִנֵּה שֶׁבַע שִׁבֳּלִים צְנֻמוֹת דַּקּוֹת שְׁדֻפוֹת קָדִים צֹמְחוֹת אַחֲרֵיהֶֽם׃ 23
तभी मैंने देखा कि कमजोर और मुरझाई, और पूर्वी वायु से झुलसी बालें उगीं.
וַתִּבְלַעְןָ הַשִׁבֳּלִים הַדַּקֹּת אֵת שֶׁבַע הַֽשִׁבֳּלִים הַטֹּבוֹת וָֽאֹמַר אֶל־הַֽחַרְטֻמִּים וְאֵין מַגִּיד לִֽי׃ 24
तथा कमजोर बालों ने उन मोटी बालों को निगल लिया. मैंने अपने ज्योतिषियों से ये स्वप्न बताये, लेकिन अर्थ कोई नहीं बता पाया.”
וַיֹּאמֶר יוֹסֵף אֶל־פַּרְעֹה חֲלוֹם פַּרְעֹה אֶחָד הוּא אֵת אֲשֶׁר הָאֱלֹהִים עֹשֶׂה הִגִּיד לְפַרְעֹֽה׃ 25
तब योसेफ़ ने फ़रोह से कहा, “आपके दोनों स्वप्न एक ही हैं. इनमें परमेश्वर ने फ़रोह को बताया हैं कि परमेश्वर क्या करने जा रहे हैं.
שֶׁבַע פָּרֹת הַטֹּבֹת שֶׁבַע שָׁנִים הֵנָּה וְשֶׁבַע הַֽשִּׁבֳּלִים הַטֹּבֹת שֶׁבַע שָׁנִים הֵנָּה חֲלוֹם אֶחָד הֽוּא׃ 26
सात सुंदर और मोटी गायें सात वर्ष हैं, सात अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; दोनों ही स्वप्न एक ही हैं.
וְשֶׁבַע הַפָּרוֹת הָֽרַקּוֹת וְהָרָעֹת הָעֹלֹת אַחֲרֵיהֶן שֶׁבַע שָׁנִים הֵנָּה וְשֶׁבַע הַֽשִׁבֳּלִים הָרֵקוֹת שְׁדֻפוֹת הַקָּדִים יִהְיוּ שֶׁבַע שְׁנֵי רָעָֽב׃ 27
कमजोर एवं कुरूप गायें, सात वर्ष हैं, और मुरझाई हुई बालें जो देखी वे भी सात वर्ष; वे अकाल के होंगे.
הוּא הַדָּבָר אֲשֶׁר דִּבַּרְתִּי אֶל־פַּרְעֹה אֲשֶׁר הָאֱלֹהִים עֹשֶׂה הֶרְאָה אֶת־פַּרְעֹֽה׃ 28
“जैसा मैंने फ़रोह को बताया, ठीक वैसा ही होगा; परमेश्वर ने आपको यह दिखा दिया है कि जल्दी ही क्या होनेवाला है.
הִנֵּה שֶׁבַע שָׁנִים בָּאוֹת שָׂבָע גָּדוֹל בְּכָל־אֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 29
मिस्र देश में सात वर्ष बहुत ही अच्छी फसल होगी,
וְקָמוּ שֶׁבַע שְׁנֵי רָעָב אַחֲרֵיהֶן וְנִשְׁכַּח כָּל־הַשָּׂבָע בְּאֶרֶץ מִצְרָיִם וְכִלָּה הָרָעָב אֶת־הָאָֽרֶץ׃ 30
और उसके बाद सात वर्ष का अकाल होगा. तब मिस्र देश के लोग सारी उपज को भूल जायेंगे, और अकाल से देश का नाश होगा.
וְלֹֽא־יִוָּדַע הַשָּׂבָע בָּאָרֶץ מִפְּנֵי הָרָעָב הַהוּא אַחֲרֵי־כֵן כִּֽי־כָבֵד הוּא מְאֹֽד׃ 31
अकाल इतना भयानक होगा कि अच्छी फसल और उपज किसी को याद तक नहीं रहेगी.
וְעַל הִשָּׁנוֹת הַחֲלוֹם אֶל־פַּרְעֹה פַּעֲמָיִם כִּֽי־נָכוֹן הַדָּבָר מֵעִם הָאֱלֹהִים וּמְמַהֵר הָאֱלֹהִים לַעֲשֹׂתֽוֹ׃ 32
फ़रोह आपने एक ही बात के विषय दो बार स्वप्न देखे; यह इस बात को दिखाता है कि परमेश्वर निश्चय ही ऐसा होने देंगे और परमेश्वर जल्दी ही इसे पूरा करेंगे.
וְעַתָּה יֵרֶא פַרְעֹה אִישׁ נָבוֹן וְחָכָם וִישִׁיתֵהוּ עַל־אֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 33
“इसलिये फ़रोह जल्दी किसी समझदार एवं बुद्धिमान व्यक्ति को मिस्र देश का अधिकारी बनाएं.
יַעֲשֶׂה פַרְעֹה וְיַפְקֵד פְּקִדִים עַל־הָאָרֶץ וְחִמֵּשׁ אֶת־אֶרֶץ מִצְרַיִם בְּשֶׁבַע שְׁנֵי הַשָּׂבָֽע׃ 34
और फ़रोह सारे मिस्र देश में सर्वेक्षकों को नियुक्त करे और सात वर्ष जो अच्छी फसल और उपज का है, उस समय भूमि की उपज का पंचमांश इकट्ठा करें.
וְיִקְבְּצוּ אֶת־כָּל־אֹכֶל הַשָּׁנִים הַטֹּבֹת הַבָּאֹת הָאֵלֶּה וְיִצְבְּרוּ־בָר תַּחַת יַד־פַּרְעֹה אֹכֶל בֶּעָרִים וְשָׁמָֽרוּ׃ 35
तब अच्छी फसल के सात वर्षों में सारी भोजन वस्तु एकत्रित की जाये और अनाज को फ़रोह के अधिकार में भंडार नगरों में सुरक्षित रखते जायें.
וְהָיָה הָאֹכֶל לְפִקָּדוֹן לָאָרֶץ לְשֶׁבַע שְׁנֵי הָרָעָב אֲשֶׁר תִּהְיֶיןָ בְּאֶרֶץ מִצְרָיִם וְלֹֽא־תִכָּרֵת הָאָרֶץ בָּרָעָֽב׃ 36
और यह भोजन सात वर्ष के अकाल से बचने के लिए पूरे मिस्र देश को देने के लिए इकट्ठा करे ताकि लोग भोजन के अभाव में नहीं मरें.”
וַיִּיטַב הַדָּבָר בְּעֵינֵי פַרְעֹה וּבְעֵינֵי כָּל־עֲבָדָֽיו׃ 37
फ़रोह तथा सब कर्मचारियों को लगा कि यह जवाबदारी योसेफ़ को ही दी जाये.
וַיֹּאמֶר פַּרְעֹה אֶל־עֲבָדָיו הֲנִמְצָא כָזֶה אִישׁ אֲשֶׁר רוּחַ אֱלֹהִים בּֽוֹ׃ 38
फ़रोह ने अपने सेवकों से पूछा, “क्या हमें ऐसा कोई व्यक्ति मिल सकता है जिसमें परमेश्वर का आत्मा हो?”
וַיֹּאמֶר פַּרְעֹה אֶל־יוֹסֵף אַחֲרֵי הוֹדִיעַ אֱלֹהִים אוֹתְךָ אֶת־כָּל־זֹאת אֵין־נָבוֹן וְחָכָם כָּמֽוֹךָ׃ 39
फिर फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “इसलिये कि परमेश्वर ने ही तुम पर यह सब प्रकट किया है, तुम यह जवाबदारी लो क्योंकि तुम जैसा समझदार तथा बुद्धिमान कोई नहीं.
אַתָּה תִּהְיֶה עַל־בֵּיתִי וְעַל־פִּיךָ יִשַּׁק כָּל־עַמִּי רַק הַכִּסֵּא אֶגְדַּל מִמֶּֽךָּ׃ 40
और तुम मेरे महल के अधिकारी होंगे तथा मेरी प्रजा तुम्हारे ही आदेश का पालन करेगी. मैं सिंहासन पर बैठने के कारण राजा होकर तुमसे बड़ा रहूंगा.”
וַיֹּאמֶר פַּרְעֹה אֶל־יוֹסֵף רְאֵה נָתַתִּי אֹֽתְךָ עַל כָּל־אֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 41
और फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “मैंने तुम्हें सारे मिस्र देश पर अधिकार दे दिया है.”
וַיָּסַר פַּרְעֹה אֶת־טַבַּעְתּוֹ מֵעַל יָדוֹ וַיִּתֵּן אֹתָהּ עַל־יַד יוֹסֵף וַיַּלְבֵּשׁ אֹתוֹ בִּגְדֵי־שֵׁשׁ וַיָּשֶׂם רְבִד הַזָּהָב עַל־צַוָּארֽוֹ׃ 42
यह कहते हुए फ़रोह ने अपनी राजमुद्रा वाली अंगूठी उतारकर योसेफ़ को पहना दी, और मलमल के वस्त्र तथा गले में सोने की माला भी पहना दी.
וַיַּרְכֵּב אֹתוֹ בְּמִרְכֶּבֶת הַמִּשְׁנֶה אֲשֶׁר־לוֹ וַיִּקְרְאוּ לְפָנָיו אַבְרֵךְ וְנָתוֹן אֹתוֹ עַל כָּל־אֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 43
फिर फ़रोह ने योसेफ़ को अपने दूसरे रथ में चढ़ाकर सम्मान दिया. रथों के आगे-आगे चल रहे अधिकारी बोल रहे थे, “घुटने टेको!” इस प्रकार फ़रोह ने योसेफ़ को संपूर्ण मिस्र का अधिकार सौंप दिया.
וַיֹּאמֶר פַּרְעֹה אֶל־יוֹסֵף אֲנִי פַרְעֹה וּבִלְעָדֶיךָ לֹֽא־יָרִים אִישׁ אֶת־יָדוֹ וְאֶת־רַגְלוֹ בְּכָל־אֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 44
और फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “फ़रोह तो मैं हूं, किंतु अब से सारे मिस्र देश में बिना तुम्हारी आज्ञा के कोई भी न तो हाथ उठा सकेगा और न ही पांव.”
וַיִּקְרָא פַרְעֹה שֵׁם־יוֹסֵף צָֽפְנַת פַּעְנֵחַ וַיִּתֶּן־לוֹ אֶת־אָֽסְנַת בַּת־פּוֹטִי פֶרַע כֹּהֵן אֹן לְאִשָּׁה וַיֵּצֵא יוֹסֵף עַל־אֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 45
फ़रोह ने योसेफ़ का नया नाम ज़ाफेनाथ-पानियाह रखा तथा उनका विवाह ओन के पुरोहित पोतिफेरा की पुत्री असेनाथ से कर दिया. इस प्रकार अब योसेफ़ समस्त मिस्र देश के प्रशासक हो गए.
וְיוֹסֵף בֶּן־שְׁלֹשִׁים שָׁנָה בְּעָמְדוֹ לִפְנֵי פַּרְעֹה מֶֽלֶךְ־מִצְרָיִם וַיֵּצֵא יוֹסֵף מִלִּפְנֵי פַרְעֹה וַֽיַּעְבֹר בְּכָל־אֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 46
जब योसेफ़ को मिस्र के राजा फ़रोह के पास लाया गया, तब वे तीस वर्ष के थे. फ़रोह से अधिकार पाकर योसेफ़ समस्त मिस्र देश का निरीक्षण करने के लिए निकले.
וַתַּעַשׂ הָאָרֶץ בְּשֶׁבַע שְׁנֵי הַשָּׂבָע לִקְמָצִֽים׃ 47
पहले सात वर्षों में बहुत उपज हुई.
וַיִּקְבֹּץ אֶת־כָּל־אֹכֶל ׀ שֶׁבַע שָׁנִים אֲשֶׁר הָיוּ בְּאֶרֶץ מִצְרַיִם וַיִּתֶּן־אֹכֶל בֶּעָרִים אֹכֶל שְׂדֵה־הָעִיר אֲשֶׁר סְבִיבֹתֶיהָ נָתַן בְּתוֹכָֽהּ׃ 48
और योसेफ़ ने इन सात वर्षों में बहुत भोजन वस्तुएं जमा की, जो मिस्र देश में उत्पन्‍न हो रही थीं. वह सब अन्‍न योसेफ़ नगरों में जमा करते गए. जिस नगर के पास खेत था उसकी उपज वहीं जमा करते गए.
וַיִּצְבֹּר יוֹסֵף בָּר כְּחוֹל הַיָּם הַרְבֵּה מְאֹד עַד כִּי־חָדַל לִסְפֹּר כִּי־אֵין מִסְפָּֽר׃ 49
इस तरह योसेफ़ ने सागर तट के बालू समान अनाज जमा कर लिया कि उसको गिनना ही छोड़ दिया, क्योंकि उपज असंख्य हो चुकी थी.
וּלְיוֹסֵף יֻלַּד שְׁנֵי בָנִים בְּטֶרֶם תָּבוֹא שְׁנַת הָרָעָב אֲשֶׁר יָֽלְדָה־לּוֹ אָֽסְנַת בַּת־פּוֹטִי פֶרַע כֹּהֵן אֽוֹן׃ 50
इससे पहले कि अकाल के वर्ष शुरू हों, ओन के पुरोहित पोतिफेरा की पुत्री असेनाथ से योसेफ़ के दो पुत्र पैदा हुए.
וַיִּקְרָא יוֹסֵף אֶת־שֵׁם הַבְּכוֹר מְנַשֶּׁה כִּֽי־נַשַּׁנִי אֱלֹהִים אֶת־כָּל־עֲמָלִי וְאֵת כָּל־בֵּית אָבִֽי׃ 51
पहले बेटे का नाम योसेफ़ ने मनश्शेह रखा क्योंकि उन्होंने विचार किया, “परमेश्वर ने सभी कष्टों एवं मेरे पिता के परिवार को भुलाने में मेरी सहायता की है.”
וְאֵת שֵׁם הַשֵּׁנִי קָרָא אֶפְרָיִם כִּֽי־הִפְרַנִי אֱלֹהִים בְּאֶרֶץ עָנְיִֽי׃ 52
उन्होंने दूसरे पुत्र का नाम एफ्राईम रखा, क्योंकि उनका कहना था, “दुःख मिलने की जगह इस देश में परमेश्वर ने मुझे फलवंत किया.”
וַתִּכְלֶינָה שֶׁבַע שְׁנֵי הַשָּׂבָע אֲשֶׁר הָיָה בְּאֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 53
जब मिस्र देश में फसल के वे सात वर्ष खत्म हुए,
וַתְּחִלֶּינָה שֶׁבַע שְׁנֵי הָרָעָב לָבוֹא כַּאֲשֶׁר אָמַר יוֹסֵף וַיְהִי רָעָב בְּכָל־הָאֲרָצוֹת וּבְכָל־אֶרֶץ מִצְרַיִם הָיָה לָֽחֶם׃ 54
तब अकाल के सात वर्षों की शुरुआत हुई, जैसा योसेफ़ ने कहा था. सभी देशों में अकाल था, किंतु मिस्र देश में अन्‍न की कोई कमी न थी.
וַתִּרְעַב כָּל־אֶרֶץ מִצְרַיִם וַיִּצְעַק הָעָם אֶל־פַּרְעֹה לַלָּחֶם וַיֹּאמֶר פַּרְעֹה לְכָל־מִצְרַיִם לְכוּ אֶל־יוֹסֵף אֲשֶׁר־יֹאמַר לָכֶם תַּעֲשֽׂוּ׃ 55
जब मिस्र देश में भोजन की कमी होने लगी तब लोग फ़रोह से भोजन मांगने लगे. फ़रोह ने मिस्र की प्रजा से कहा, “तुम योसेफ़ के पास जाओ. वह जो कुछ कहे, वही करना.”
וְהָרָעָב הָיָה עַל כָּל־פְּנֵי הָאָרֶץ וַיִּפְתַּח יוֹסֵף אֶֽת־כָּל־אֲשֶׁר בָּהֶם וַיִּשְׁבֹּר לְמִצְרַיִם וַיֶּחֱזַק הָֽרָעָב בְּאֶרֶץ מִצְרָֽיִם׃ 56
जब पूरे देश में अकाल पड़ा, तब योसेफ़ ने अपने भंडार खोलकर मिस्रवासियों को अन्‍न बेचना शुरू किया, क्योंकि अकाल भयानक था.
וְכָל־הָאָרֶץ בָּאוּ מִצְרַיְמָה לִשְׁבֹּר אֶל־יוֹסֵף כִּֽי־חָזַק הָרָעָב בְּכָל־הָאָֽרֶץ׃ 57
पृथ्वी के अलग-अलग देश से लोग योसेफ़ से अन्‍न खरीदने आने लगे, क्योंकि सारी पृथ्वी पर अकाल भयंकर हो चुका था.

< בראשית 41 >