< עזרא 10 >
וּכְהִתְפַּלֵּל עֶזְרָא וּכְהִתְוַדֹּתוֹ בֹּכֶה וּמִתְנַפֵּל לִפְנֵי בֵּית הָאֱלֹהִים נִקְבְּצוּ אֵלָיו מִיִּשְׂרָאֵל קָהָל רַב־מְאֹד אֲנָשִׁים וְנָשִׁים וִֽילָדִים כִּֽי־בָכוּ הָעָם הַרְבֵּה־בֶֽכֶה׃ | 1 |
जब एज्रा ख़ुदा के घर के आगे रो रो कर और सिज्दा में गिरकर दुआ और इक़रार कर रहा था, तो इस्राईल में से मर्दों और 'औरतों और बच्चों की एक बहुत बड़ी जमा'अत उसके पास इकठ्ठा हो गई; और लोग फूट फूटकर रो रहे थे।
וַיַּעַן שְׁכַנְיָה בֶן־יְחִיאֵל מִבְּנֵי עולם עֵילָם וַיֹּאמֶר לְעֶזְרָא אֲנַחְנוּ מָעַלְנוּ בֵאלֹהֵינוּ וַנֹּשֶׁב נָשִׁים נָכְרִיּוֹת מֵעַמֵּי הָאָרֶץ וְעַתָּה יֵשׁ־מִקְוֶה לְיִשְׂרָאֵל עַל־זֹֽאת׃ | 2 |
तब सिकनियाह बिन यहीएल जो बनी 'ऐलाम में से था, एज्रा से कहने लगा, “हम अपने ख़ुदा के गुनाहगार तो हुए हैं, और इस सरज़मीन की क़ौमों में से अजनबी 'औरतें ब्याह ली हैं, तो भी इस मु'आमिले में अब भी इस्राईल के लिए उम्मीद है।
וְעַתָּה נִֽכְרָת־בְּרִית לֵאלֹהֵינוּ לְהוֹצִיא כָל־נָשִׁים וְהַנּוֹלָד מֵהֶם בַּעֲצַת אֲדֹנָי וְהַחֲרֵדִים בְּמִצְוַת אֱלֹהֵינוּ וְכַתּוֹרָה יֵעָשֶֽׂה׃ | 3 |
इसलिए अब हम अपने मख़दूम की और उनकी सलाह के मुताबिक़, जो हमारे ख़ुदा के हुक्म से काँपते हैं, सब बीवियों और उनकी औलाद को दूर करने के लिए अपने ख़ुदा से 'अहद बाँधे, और ये शरी'अत के मुताबिक़ किया जाए।
קוּם כִּֽי־עָלֶיךָ הַדָּבָר וַאֲנַחְנוּ עִמָּךְ חֲזַק וַעֲשֵֽׂה׃ | 4 |
अब उठ, क्यूँकि ये तेरा ही काम है, और हम तेरे साथ हैं, हिम्मत बाँध कर काम में लग जा।”
וַיָּקָם עֶזְרָא וַיַּשְׁבַּע אֶת־שָׂרֵי הַכֹּהֲנִים הַלְוִיִּם וְכָל־יִשְׂרָאֵל לַעֲשׂוֹת כַּדָּבָר הַזֶּה וַיִּשָּׁבֵֽעוּ׃ | 5 |
तब एज्रा ने उठकर सरदार काहिनों और लावियों और सारे इस्राईल से क़सम ली कि वह इस इक़रार के मुताबिक़ 'अमल करेंगे; और उन्होंने क़सम खाई।
וַיָּקָם עֶזְרָא מִלִּפְנֵי בֵּית הָֽאֱלֹהִים וַיֵּלֶךְ אֶל־לִשְׁכַּת יְהוֹחָנָן בֶּן־אֶלְיָשִׁיב וַיֵּלֶךְ שָׁם לֶחֶם לֹֽא־אָכַל וּמַיִם לֹֽא־שָׁתָה כִּי מִתְאַבֵּל עַל־מַעַל הַגּוֹלָֽה׃ | 6 |
तब एज्रा ख़ुदा के घर के सामने से उठा और यहूहानान बिन इलियासब की कोठरी में गया, और वहाँ जाकर न रोटी खाई न पानी पिया; क्यूँकि वह ग़ुलामी के लोगों की ख़ता की वजह से मातम करता रहा।
וַיַּעֲבִירוּ קוֹל בִּיהוּדָה וִירֽוּשָׁלִַם לְכֹל בְּנֵי הַגּוֹלָה לְהִקָּבֵץ יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃ | 7 |
फिर उन्होंने यहूदाह और येरूशलेम में ग़ुलामी के सब लोगों के बीच 'ऐलान किया, कि वह येरूशलेम में इकट्ठे हो जाएँ;
וְכֹל אֲשֶׁר לֹֽא־יָבוֹא לִשְׁלֹשֶׁת הַיָּמִים כַּעֲצַת הַשָּׂרִים וְהַזְּקֵנִים יָחֳרַם כָּל־רְכוּשׁוֹ וְהוּא יִבָּדֵל מִקְּהַל הַגּוֹלָֽה׃ | 8 |
और जो कोई सरदारों और बुज़ुर्गों की सलाह के मुताबिक़ तीन दिन के अन्दर न आए, उसका सारा माल ज़ब्त हो और वह ख़ुद ग़ुलामों की जमा'अत से अलग किया जाए।
וַיִּקָּבְצוּ כָל־אַנְשֵֽׁי־יְהוּדָה וּבִנְיָמִן ׀ יְרוּשָׁלִַם לִשְׁלֹשֶׁת הַיָּמִים הוּא חֹדֶשׁ הַתְּשִׁיעִי בְּעֶשְׂרִים בַּחֹדֶשׁ וַיֵּשְׁבוּ כָל־הָעָם בִּרְחוֹב בֵּית הָאֱלֹהִים מַרְעִידִים עַל־הַדָּבָר וּמֵהַגְּשָׁמִֽים׃ | 9 |
तब यहूदाह और बिनयमीन के सब आदमी उन तीन दिनों के अन्दर येरूशलेम में इकट्ठे हुए; महीना नवाँ था, और उसकी बीसवीं तारीख़ थी; और सब लोग इस मु'आमिले और बड़ी बारिश की वजह से ख़ुदा के घर के सामने के मैदान में बैठे काँप रहे थे।
וַיָּקָם עֶזְרָא הַכֹּהֵן וַיֹּאמֶר אֲלֵהֶם אַתֶּם מְעַלְתֶּם וַתֹּשִׁיבוּ נָשִׁים נָכְרִיּוֹת לְהוֹסִיף עַל־אַשְׁמַת יִשְׂרָאֵֽל׃ | 10 |
तब एज्रा काहिन खड़ा होकर उनसे कहने लगा कि तुम ने ख़ता की है और इस्राईल का गुनाह बढ़ाने को अजनबी 'औरतें ब्याह ली हैं।
וְעַתָּה תְּנוּ תוֹדָה לַיהוָה אֱלֹהֵֽי־אֲבֹתֵיכֶם וַעֲשׂוּ רְצוֹנוֹ וְהִבָּֽדְלוּ מֵעַמֵּי הָאָרֶץ וּמִן־הַנָּשִׁים הַנָּכְרִיּֽוֹת׃ | 11 |
फिर ख़ुदावन्द अपने बाप — दादा के ख़ुदा के आगे इक़रार करो, और उसकी मर्ज़ी पर 'अमल करो, और इस सरज़मीन के लोगों और अजनबी 'औरतों से अलग हो जाओ।
וַיַּֽעְנוּ כָֽל־הַקָּהָל וַיֹּאמְרוּ קוֹל גָּדוֹל כֵּן כדבריך כִּדְבָרְךָ עָלֵינוּ לַעֲשֽׂוֹת׃ | 12 |
तब सारी जमा'अत ने जवाब दिया, और बुलन्द आवाज़ से कहा कि जैसा तू ने कहा, वैसा ही हम को करना लाज़िम है।
אֲבָל הָעָם רָב וְהָעֵת גְּשָׁמִים וְאֵין כֹּחַ לַעֲמוֹד בַּחוּץ וְהַמְּלָאכָה לֹֽא־לְיוֹם אֶחָד וְלֹא לִשְׁנַיִם כִּֽי־הִרְבִּינוּ לִפְשֹׁעַ בַּדָּבָר הַזֶּֽה׃ | 13 |
लेकिन लोग बहुत हैं, और इस वक़्त ज़ोर की बारिश हो रही है और हम बाहर खड़े नहीं रह सकते, और न ये एक दो दिन का काम है; क्यूँकि हम ने इस मु'आमिले में बड़ा ग़ुनाह किया है।
יַֽעֲמְדוּ־נָא שָׂרֵינוּ לְֽכָל־הַקָּהָל וְכֹל ׀ אֲשֶׁר בֶּעָרֵינוּ הַהֹשִׁיב נָשִׁים נָכְרִיּוֹת יָבֹא לְעִתִּים מְזֻמָּנִים וְעִמָּהֶם זִקְנֵי־עִיר וָעִיר וְשֹׁפְטֶיהָ עַד לְהָשִׁיב חֲרוֹן אַף־אֱלֹהֵינוּ מִמֶּנּוּ עַד לַדָּבָר הַזֶּֽה׃ | 14 |
अब सारी जमा'अत के लिए हमारे सरदार मुक़र्रर हों, और हमारे शहरों में जिन्होंने अजनबी 'औरतें ब्याह ली हैं, वह सब मुक़र्ररा वक़्तों पर आएँ और उनके साथ हर शहर के बुज़ुर्ग और क़ाज़ी हों, जब तक कि हमारे ख़ुदा का क़हर — ए — शदीद हम पर से टल न जाए और इस मु'आमिले का फ़ैसला न हो जाए।
אַךְ יוֹנָתָן בֶּן־עֲשָׂהאֵל וְיַחְזְיָה בֶן־תִּקְוָה עָמְדוּ עַל־זֹאת וּמְשֻׁלָּם וְשַׁבְּתַי הַלֵּוִי עֲזָרֻֽם׃ | 15 |
सिर्फ़ यूनतन बिन 'असाहेल और यहाज़ियाह बिन तिकवह इस बात के ख़िलाफ़ खड़े हुए, और मसुल्लाम और सब्बती लावी ने उनकी मदद की।
וַיּֽ͏ַעֲשׂוּ־כֵן בְּנֵי הַגּוֹלָה וַיִּבָּדְלוּ עֶזְרָא הַכֹּהֵן אֲנָשִׁים רָאשֵׁי הָאָבוֹת לְבֵית אֲבֹתָם וְכֻלָּם בְּשֵׁמוֹת וַיֵּשְׁבוּ בְּיוֹם אֶחָד לַחֹדֶשׁ הָעֲשִׂירִי לְדַרְיוֹשׁ הַדָּבָֽר׃ | 16 |
लेकिन ग़ुलामी के लोगों ने वैसा ही किया। और एज्रा काहिन और आबाई खान्दानों के सरदारों में से कुछ अपने अपने आबाई खान्दानों की तरफ़ से सब नाम — ब — नाम अलग किए गए, और वह दसवें महीने की पहली तारीख़ को इस बात की तहक़ीक़ात के लिए बैठे;
וַיְכַלּוּ בַכֹּל אֲנָשִׁים הַהֹשִׁיבוּ נָשִׁים נָכְרִיּוֹת עַד יוֹם אֶחָד לַחֹדֶשׁ הָרִאשֽׁוֹן׃ | 17 |
और पहले महीने के पहले दिन तक, उन सब आदमियों के मु'आमिले का फ़ैसला किया जिन्होंने अजनबी 'औरतें ब्याह ली थीं।
וַיִּמָּצֵא מִבְּנֵי הַכֹּהֲנִים אֲשֶׁר הֹשִׁיבוּ נָשִׁים נָכְרִיּוֹת מִבְּנֵי יֵשׁוּעַ בֶּן־יֽוֹצָדָק וְאֶחָיו מַֽעֲשֵׂיָה וֽ͏ֶאֱלִיעֶזֶר וְיָרִיב וּגְדַלְיָֽה׃ | 18 |
और काहिनों की औलाद में ये लोग मिले जिन्होंने अजनबी 'औरतें ब्याह ली थीं: या'नी, बनी यशू'अ में से, यूसदक़ का बेटा, और उसके भाई मासियाह और इली'एलियाज़र और यारिब और जिदलियाह।
וַיִּתְּנוּ יָדָם לְהוֹצִיא נְשֵׁיהֶם וַאֲשֵׁמִים אֵֽיל־צֹאן עַל־אַשְׁמָתָֽם׃ | 19 |
उन्होंने अपनी बीवियों को दूर करने का वा'दा किया, और गुनाहगार होने की वजह से उन्होंने अपने गुनाह के लिए अपने अपने रेवड़ में से एक एक मेंढा क़ुर्बान किया।
וּמִבְּנֵי אִמֵּר חֲנָנִי וּזְבַדְיָֽה׃ | 20 |
और बनी इम्मेर में से, हनानी और ज़बदियाह;
וּמִבְּנֵי חָרִם מַעֲשֵׂיָה וְאֵֽלִיָּה וּֽשְׁמַֽעְיָה וִיחִיאֵל וְעֻזִיָּֽה׃ | 21 |
और बनी हारिम में से, मासियाह और एलियाह, और समा'याह और यहीएल और 'उज़्ज़ियाह;
וּמִבְּנֵי פַּשְׁחוּר אֶלְיוֹעֵינַי מַֽעֲשֵׂיָה יִשְׁמָעֵאל נְתַנְאֵל יוֹזָבָד וְאֶלְעָשָֽׂה׃ | 22 |
और बनी फ़शहूर में से, इलीयू'ऐनी और मासियाह और इस्मा'ईल और नतनीएल और यूज़बाद और 'इलिसा।
וּמִֽן־הַלְוִיִּם יוֹזָבָד וְשִׁמְעִי וְקֵֽלָיָה הוּא קְלִיטָא פְּתַֽחְיָה יְהוּדָה וֶאֱלִיעֶֽזֶר׃ | 23 |
और लावियों में से, यूज़बाद और सिमई और क़िलायाह जो क़लीता भी कहलाता है, फ़तहयाह और यहूदाह और इली'एलियाज़र;
וּמִן־הַמְשֹׁרְרִים אֶלְיָשִׁיב וּמִן־הַשֹּׁעֲרִים שַׁלֻּם וָטֶלֶם וְאוּרִֽי׃ | 24 |
और गानेवालों में से, इलियासब; और दरबानों में से, सलूम और तलम और ऊरी।
וּמִֽיִּשְׂרָאֵל מִבְּנֵי פַרְעֹשׁ רַמְיָה וְיִזִּיָּה וּמַלְכִּיָּה וּמִיָּמִן וְאֶלְעָזָר וּמַלְכִּיָּה וּבְנָיָֽה׃ | 25 |
और इस्राईल में से: बनी पर'ऊस में से, रमियाह और यज़ियाह और मलकियाह और मियामीन और इली'एलियाज़र और मलकियाह और बिनायाह
וּמִבְּנֵי עֵילָם מַתַּנְיָה זְכַרְיָה וִיחִיאֵל וְעַבְדִּי וִירֵמוֹת וְאֵלִיָּֽה׃ | 26 |
और बनी 'ऐलाम में से, मतनियाह और ज़करियाह और यहीएल और 'अबदी और यरीमोत और एलियाह;
וּמִבְּנֵי זַתּוּא אֶלְיוֹעֵנַי אֶלְיָשִׁיב מַתַּנְיָה וִֽירֵמוֹת וְזָבָד וַעֲזִיזָֽא׃ | 27 |
और बनी ज़त्तू में से, इलीयू'ऐनी और इलियासब और मत्तनियाह और यरीमोत और ज़ाबाद और 'अज़ीज़ा,
וּמִבְּנֵי בֵּבָי יְהוֹחָנָן חֲנַנְיָה זַבַּי עַתְלָֽי׃ | 28 |
और बनी बबई में से, यहूहानान और हननियाह और ज़ब्बी और 'अतलै
וּמִבְּנֵי בָּנִי מְשֻׁלָּם מַלּוּךְ וַעֲדָיָה יָשׁוּב וּשְׁאָל ירמות וְרָמֽוֹת׃ | 29 |
और बनी बानी में से, मसुल्लाम और मलूक और 'अदायाह और यासूब और सियाल और यरामोत।
וּמִבְּנֵי פַּחַת מוֹאָב עַדְנָא וּכְלָל בְּנָיָה מַעֲשֵׂיָה מַתַּנְיָה בְצַלְאֵל וּבִנּוּי וּמְנַשֶּֽׁה׃ | 30 |
और बनी पख़त — मोआब में से, 'अदना और किलाल और बिनायाह और मासियाह और मत्तनियाह और बज़लीएल और बिनवी और मनस्सी,
וּבְנֵי חָרִם אֱלִיעֶזֶר יִשִּׁיָּה מַלְכִּיָּה שְׁמַֽעְיָה שִׁמְעֽוֹן׃ | 31 |
और बनी हारिम में से, इली'एलियाज़र और यशियाह और मलकियाह और समा'याह और शमौन,
בְּנְיָמִן מַלּוּךְ שְׁמַרְיָֽה׃ | 32 |
बिनयमीन और मलूक और समरियाह;
מִבְּנֵי חָשֻׁם מַתְּנַי מַתַּתָּה זָבָד אֱלִיפֶלֶט יְרֵמַי מְנַשֶּׁה שִׁמְעִֽי׃ | 33 |
और बनी हाशूम में से, मत्तने और मतताह और ज़ाबाद और इलिफ़ालत और यरीमै और मनस्सी और सिमई,
מִבְּנֵי בָנִי מַעֲדַי עַמְרָם וְאוּאֵֽל׃ | 34 |
और बनी बानी में से, मा'दै और 'अमराम और ऊएल,
בְּנָיָה בֵדְיָה כלהי כְּלֽוּהוּ׃ | 35 |
बिनायाह और बदियाह और कलूह,
וַנְיָה מְרֵמוֹת אֶלְיָשִֽׁיב׃ | 36 |
और वनियाह और मरीमोत और इलियासब,
מַתַּנְיָה מַתְּנַי ויעשו וְיַעֲשָֽׂי׃ | 37 |
और मत्तनियाह और मतने और या'सौ,
וּבָנִי וּבִנּוּי שִׁמְעִֽי׃ | 38 |
और बानी और बिनवी और सिमई,
וְשֶֽׁלֶמְיָה וְנָתָן וַעֲדָיָֽה׃ | 39 |
और सलमियाह और नातन और 'अदायाह,
מַכְנַדְבַי שָׁשַׁי שָׁרָֽי׃ | 40 |
मकनदबै, सासै, सारै
עֲזַרְאֵל וְשֶׁלֶמְיָהוּ שְׁמַרְיָֽה׃ | 41 |
'अज़रिएल और सलमियाह, समरियाह,
שַׁלּוּם אֲמַרְיָה יוֹסֵֽף׃ | 42 |
सलूम, अमरियाह, यूसुफ़।
מִבְּנֵי נְבוֹ יְעִיאֵל מַתִּתְיָה זָבָד זְבִינָא ידו יַדַּי וְיוֹאֵל בְּנָיָֽה׃ | 43 |
बनी नबू में से, य'ईएल, मतित्तियाह, ज़ाबाद, ज़बीना, यद्दो और यूएल, बिनायाह।
כָּל־אֵלֶּה נשאי נָשְׂאוּ נָשִׁים נָכְרִיּוֹת וְיֵשׁ מֵהֶם נָשִׁים וַיָּשִׂימוּ בָּנִֽים׃ 280 10 4 4 | 44 |
ये सब अजनबी 'औरतों को ब्याह लाए थे, और कुछ की बीवियाँ ऐसी थीं जिनसे उनके औलाद थी।