< דניאל 2 >
וּבִשְׁנַת שְׁתַּיִם לְמַלְכוּת נְבֻֽכַדְנֶצַּר חָלַם נְבֻֽכַדְנֶצַּר חֲלֹמוֹת וַתִּתְפָּעֶם רוּחוֹ וּשְׁנָתוֹ נִהְיְתָה עָלָֽיו׃ | 1 |
और नबूकदनज़र ने अपनी सल्तनत के दूसरे साल में ऐसे ख़्वाब देखे जिनसे उसका दिल घबरा गया और उसकी नींद जाती रही।
וַיֹּאמֶר הַמֶּלֶךְ לִקְרֹא לַֽחַרְטֻמִּים וְלָֽאַשָּׁפִים וְלַֽמְכַשְּׁפִים וְלַכַּשְׂדִּים לְהַגִּיד לַמֶּלֶךְ חֲלֹמֹתָיו וַיָּבֹאוּ וַיַּֽעַמְדוּ לִפְנֵי הַמֶּֽלֶךְ׃ | 2 |
तब बादशाह ने हुक्म दिया कि फ़ालगीरों और नजूमियों और जादूगरों और कसदियों को बुलाएँ कि बादशाह के ख़्वाब उसे बताएँ। चुनाँचे वह आए और बादशाह के सामने खड़े हुए।
וַיֹּאמֶר לָהֶם הַמֶּלֶךְ חֲלוֹם חָלָמְתִּי וַתִּפָּעֶם רוּחִי לָדַעַת אֶֽת־הַחֲלֽוֹם׃ | 3 |
और बादशाह ने उनसे कहा, कि “मैने एक ख़्वाब देखा है, और उस ख़्वाब को दरियाफ़्त करने के लिए मेरी जान बेताब है।”
וַֽיְדַבְּרוּ הַכַּשְׂדִּים לַמֶּלֶךְ אֲרָמִית מַלְכָּא לְעָלְמִין חֱיִי אֱמַר חֶלְמָא לעבדיך לְעַבְדָךְ וּפִשְׁרָא נְחַוֵּֽא׃ | 4 |
तब कसदियों ने बादशाह के सामने अरामी ज़बान में 'अर्ज़ किया, कि ऐ बादशाह, हमेशा तक जीता रह! अपने ख़ादिमों से ख़्वाब बयान कर, और हम उसकी ता'बीर करेंगे।
עָנֵה מַלְכָּא וְאָמַר לכשדיא לְכַשְׂדָּאֵי מִלְּתָא מִנִּי אַזְדָּא הֵן לָא תְהֽוֹדְעוּנַּנִי חֶלְמָא וּפִשְׁרֵהּ הַדָּמִין תִּתְעַבְדוּן וּבָתֵּיכוֹן נְוָלִי יִתְּשָׂמֽוּן׃ | 5 |
बादशाह ने कसदियों को जवाब दिया, 'मैं तो ये हुक्म दे चुका हूँ कि अगर तुम ख़्वाब न बताओ और उसकी ता'बीर न करो, तो टुकड़े टुकड़े किए जाओगे और तुम्हारे घर मज़बले हो जाएँगे।
וְהֵן חֶלְמָא וּפִשְׁרֵהּ תְּֽהַחֲוֺן מַתְּנָן וּנְבִזְבָּה וִיקָר שַׂגִּיא תְּקַבְּלוּן מִן־קֳדָמָי לָהֵן חֶלְמָא וּפִשְׁרֵהּ הַחֲוֺֽנִי׃ | 6 |
लेकिन अगर ख़्वाब और उसकी ता'बीर बताओ, तो मुझ से इन'आम और बदला और बड़ी 'इज़्ज़त हासिल करोगे; इसलिए ख़्वाब और उसकी ता'बीर मुझ से बयान करो।
עֲנוֹ תִנְיָנוּת וְאָמְרִין מַלְכָּא חֶלְמָא יֵאמַר לְעַבְדוֹהִי וּפִשְׁרָה נְהַחֲוֵֽה׃ | 7 |
उन्होंने फिर 'अर्ज़ किया, कि “बादशाह अपने ख़ादिमों से ख़्वाब बयान करे, तो हम उसकी ता'बीर करेंगे।”
עָנֵה מַלְכָּא וְאָמַר מִן־יַצִּיב יָדַע אֲנָה דִּי עִדָּנָא אַנְתּוּן זָבְנִין כָּל־קֳבֵל דִּי חֲזֵיתוֹן דִּי אַזְדָּא מִנִּי מִלְּתָֽא׃ | 8 |
बादशाह ने जवाब दिया, कि “मैं खू़ब जानता हूँ कि तुम टालना चाहते हो, क्यूँकि तुम जानते हो कि मैं हुक्म दे चुका हूँ।
דִּי הֵן־חֶלְמָא לָא תְהֽוֹדְעֻנַּנִי חֲדָה־הִיא דָֽתְכוֹן וּמִלָּה כִדְבָה וּשְׁחִיתָה הזמנתון הִזְדְּמִנְתּוּן לְמֵאמַר קָֽדָמַי עַד דִּי עִדָּנָא יִשְׁתַּנֵּא לָהֵן חֶלְמָא אֱמַרוּ לִי וֽ͏ְאִנְדַּע דִּי פִשְׁרֵהּ תְּהַחֲוֻנַּֽנִי׃ | 9 |
लेकिन अगर तुम मुझ को ख़्वाब न बताओगे, तो तुम्हारे लिए एक ही हुक्म है, क्यूँकि तुम ने झूट और बहाने की बातें बनाई ताकि मेरे सामने बयान करो कि वक़्त टल जाए; इसलिए ख़्वाब बताओ तो मैं जानूँ कि तुम उसकी ता'बीर भी बयान कर सकते हो।”
עֲנוֹ כשדיא כַשְׂדָּאֵי קֳדָם־מַלְכָּא וְאָמְרִין לָֽא־אִיתַי אֲנָשׁ עַל־יַבֶּשְׁתָּא דִּי מִלַּת מַלְכָּא יוּכַל לְהַחֲוָיָה כָּל־קֳבֵל דִּי כָּל־מֶלֶךְ רַב וְשַׁלִּיט מִלָּה כִדְנָה לָא שְׁאֵל לְכָל־חַרְטֹּם וְאָשַׁף וְכַשְׂדָּֽי׃ | 10 |
कसदियों ने बादशाह से 'अर्ज़ किया, कि “इस ज़मीन पर ऐसा तो कोई भी नहीं जो बादशाह की बात बता सके, और न कोई बादशाह या अमीर या हाकिम ऐसा हुआ है जिसने कभी ऐसा सवाल किसी फ़ालगीर या नजूमी या कसदी से किया हो।
וּמִלְּתָא דִֽי־מַלְכָּה שָׁאֵל יַקִּירָה וְאָחֳרָן לָא אִיתַי דִּי יְחַוִּנַּהּ קֳדָם מַלְכָּא לָהֵן אֱלָהִין דִּי מְדָרְהוֹן עִם־בִּשְׂרָא לָא אִיתֽוֹהִי׃ | 11 |
और जो बात बादशाह तलब करता है, निहायत मुश्किल है, और मा'बूदों के सिवा जिनकी सुकूनत इंसान के साथ नहीं, बादशाह के सामने कोई उसको बयान नहीं कर सकता।”
כָּל־קֳבֵל דְּנָה מַלְכָּא בְּנַס וּקְצַף שַׂגִּיא וַאֲמַר לְהוֹבָדָה לְכֹל חַכִּימֵי בָבֶֽל׃ | 12 |
इसलिए बादशाह ग़ज़बनाक और सख़्त ग़ुस्सा हुआ और उसने हुक्म किया कि बाबुल के तमाम हकीमों को हलाक करें।
וְדָתָא נֶפְקַת וְחַכִּֽימַיָּא מִֽתְקַטְּלִין וּבְעוֹ דָּנִיֵּאל וְחַבְרוֹהִי לְהִתְקְטָלָֽה׃ | 13 |
तब यह हुक्म जगह जगह पहुँचा कि हकीम क़त्ल किए जाएँ, तब दानीएल और उसके साथियों को भी ढूँडने लगे कि उनको क़त्ल करें।
בֵּאדַיִן דָּנִיֵּאל הֲתִיב עֵטָא וּטְעֵם לְאַרְיוֹךְ רַב־טַבָּחַיָּא דִּי מַלְכָּא דִּי נְפַק לְקַטָּלָה לְחַכִּימֵי בָּבֶֽל׃ | 14 |
तब दानीएल ने बादशाह के जिलौदारों के सरदार अरयूक को, जो बाबुल के हकीमों को क़त्ल करने को निकला था, खै़रमन्दी और 'अक़्ल से जवाब दिया।
עָנֵה וְאָמַר לְאַרְיוֹךְ שַׁלִּיטָא דִֽי־מַלְכָּא עַל־מָה דָתָא מְהַחְצְפָה מִן־קֳדָם מַלְכָּא אֱדַיִן מִלְּתָא הוֹדַע אַרְיוֹךְ לְדָנִיֵּֽאל׃ | 15 |
उसने बादशाह के जिलौदारों के सरदार अरयूक से पूछा, “बादशाह ने ऐसा सख़्त हुक्म क्यूँ जारी किया?” तब अरयूक ने दानीएल से इसकी हक़ीक़त बताई।
וְדָנִיֵּאל עַל וּבְעָה מִן־מַלְכָּא דִּי זְמָן יִנְתֵּן־לֵהּ וּפִשְׁרָא לְהַֽחֲוָיָה לְמַלְכָּֽא׃ | 16 |
और दानीएल ने अन्दर जाकर बादशाह से 'अर्ज़ किया कि मुझे मुहलत मिले, तो मैं बादशाह के सामने ता'बीर बयान करूँगा।
אֱדַיִן דָּֽנִיֵּאל לְבַיְתֵהּ אֲזַל וְלַחֲנַנְיָה מִֽישָׁאֵל וַעֲזַרְיָה חַבְרוֹהִי מִלְּתָא הוֹדַֽע׃ | 17 |
तब दानीएल ने अपने घर जाकर हननियाह और मीसाएल और 'अज़रियाह अपने साथियों को ख़बर दी,
וְרַחֲמִין לְמִבְעֵא מִן־קֳדָם אֱלָהּ שְׁמַיָּא עַל־רָזָה דְּנָה דִּי לָא יְהֹֽבְדוּן דָּנִיֵּאל וְחַבְרוֹהִי עִם־שְׁאָר חַכִּימֵי בָבֶֽל׃ | 18 |
ताकि वह इस राज़ के बारे में आसमान के ख़ुदा से रहमत तलब करें कि दानीएल और उसके साथी बाबुल के बाक़ी हकीमों के साथ हलाक न हों।
אֱדַיִן לְדָנִיֵּאל בְּחֶזְוָא דִֽי־לֵילְיָא רָזָה גֲלִי אֱדַיִן דָּֽנִיֵּאל בָּרִךְ לֶאֱלָהּ שְׁמַיָּֽא׃ | 19 |
फिर रात को ख़्वाब में दानीएल पर वह राज़ खुल गया, और उसने आसमान के ख़ुदा को मुबारक कहा।
עָנֵה דָֽנִיֵּאל וְאָמַר לֶהֱוֵא שְׁמֵהּ דִּֽי־אֱלָהָא מְבָרַךְ מִן־עָלְמָא וְעַד־עָלְמָא דִּי חָכְמְתָא וּגְבוּרְתָא דִּי לֵֽהּ־הִֽיא׃ | 20 |
दानीएल ने कहा: “ख़ुदा का नाम हमेशा तक मुबारक हो, क्यूँकि हिकमत और कु़दरत उसी की है।
וְהוּא מְהַשְׁנֵא עִדָּנַיָּא וְזִמְנַיָּא מְהַעְדֵּה מַלְכִין וּמְהָקֵים מַלְכִין יָהֵב חָכְמְתָא לְחַכִּימִין וּמַנְדְּעָא לְיָדְעֵי בִינָֽה׃ | 21 |
वही वक़्तों और ज़मानों को तब्दील करता है, वही बादशाहों को मा'जू़ल और क़ायम करता है, वही हकीमों को हिकमत और अक़्लमन्दों को 'इल्म इनायत करता है।
הוּא גָּלֵא עַמִּיקָתָא וּמְסַתְּרָתָא יָדַע מָה בַחֲשׁוֹכָא ונהירא וּנְהוֹרָא עִמֵּהּ שְׁרֵֽא׃ | 22 |
वही गहरी और छुपी चीज़ों को ज़ाहिर करता है, और जो कुछ अँधेरे में है उसे जानता है और नूर उसी के साथ है।
לָךְ ׀ אֱלָהּ אֲבָהָתִי מְהוֹדֵא וּמְשַׁבַּח אֲנָה דִּי חָכְמְתָא וּגְבוּרְתָא יְהַבְתְּ לִי וּכְעַן הֽוֹדַעְתַּנִי דִּֽי־בְעֵינָא מִנָּךְ דִּֽי־מִלַּת מַלְכָּא הוֹדַעְתֶּֽנָא׃ | 23 |
मैं तेरा शुक्र करता हूँ और तेरी 'इबा'दत करता हूँ ऐ मेरे बाप — दादा के ख़ुदा, जिसने मुझे हिकमत और कु़दरत बख़्शी और जो कुछ हम ने तुझ से माँगा तू ने मुझ पर ज़ाहिर किया, क्यूँकि तू ने बादशाह का मुआ'मिला हम पर ज़ाहिर किया है।”
כָּל־קֳבֵל דְּנָה דָּֽנִיֵּאל עַל עַל־אַרְיוֹךְ דִּי מַנִּי מַלְכָּא לְהוֹבָדָה לְחַכִּימֵי בָבֶל אֲזַל ׀ וְכֵן אֲמַר־לֵהּ לְחַכִּימֵי בָבֶל אַל־תְּהוֹבֵד הַעֵלְנִי קֳדָם מַלְכָּא וּפִשְׁרָא לְמַלְכָּא אֲחַוֵּֽא׃ | 24 |
तब दानीएल अरयूक के पास गया, जो बादशाह की तरफ़ से बाबुल के हकीमों के क़त्ल पर मुक़र्रर हुआ था, और उस से यूँ कहा, कि “बाबुल के हकीमों को हलाक न कर, मुझे बादशाह के सामने ले चल, मैं बादशाह को ता'बीर बता दूँगा।”
אֱדַיִן אַרְיוֹךְ בְּהִתְבְּהָלָה הַנְעֵל לְדָנִיֵּאל קֳדָם מַלְכָּא וְכֵן אֲמַר־לֵהּ דִּֽי־הַשְׁכַּחַת גְּבַר מִן־בְּנֵי גָֽלוּתָא דִּי יְהוּד דִּי פִשְׁרָא לְמַלְכָּא יְהוֹדַֽע׃ | 25 |
तब अरयूक दानीएल को जल्दी से बादशाह के सामने ले गया और 'अर्ज़ किया, कि “मुझे यहूदाह के ग़ुलामों में एक शख़्स मिल गया है, जो बादशाह को ता'बीर बता देगा।”
עָנֵה מַלְכָּא וְאָמַר לְדָנִיֵּאל דִּי שְׁמֵהּ בֵּלְטְשַׁאצַּר האיתיך הַֽאִיתָךְ כָּהֵל לְהוֹדָעֻתַנִי חֶלְמָא דִֽי־חֲזֵית וּפִשְׁרֵֽהּ׃ | 26 |
बादशाह ने दानीएल से जिसका लक़ब बेल्तशज़र था पूछा, क्या तू उस ख़्वाब को जो मैने देखा, और उसकी ता'बीर को मुझ से बयान कर सकता है?
עָנֵה דָנִיֵּאל קֳדָם מַלְכָּא וְאָמַר רָזָה דִּֽי־מַלְכָּא שָׁאֵל לָא חַכִּימִין אָֽשְׁפִין חַרְטֻמִּין גָּזְרִין יָכְלִין לְהַֽחֲוָיָה לְמַלְכָּֽא׃ | 27 |
दानीएल ने बादशाह के सामने 'अर्ज़ किया, कि वह राज़ जो बादशाह ने पूछा, हुक्मा और नजूमी और जादूगर और फ़ालगीर बादशाह को बता नहीं सकते।
בְּרַם אִיתַי אֱלָהּ בִּשְׁמַיָּא גָּלֵא רָזִין וְהוֹדַע לְמַלְכָּא נְבֽוּכַדְנֶצַּר מָה דִּי לֶהֱוֵא בְּאַחֲרִית יוֹמַיָּא חֶלְמָךְ וְחֶזְוֵי רֵאשָׁךְ עַֽל־מִשְׁכְּבָךְ דְּנָה הֽוּא׃ | 28 |
लेकिन आसमान पर एक ख़ुदा है जो राज़ की बातें ज़ाहिर करता है, और उसने नबूकदनज़र बादशाह पर ज़ाहिर किया है कि आख़िरी दिनों में क्या होने को आएगा; तेरा ख़्वाब और तेरे दिमाग़ी ख़्याल जो तू ने अपने पलंग पर देखे यह हैं:
אַנְתְּה מַלְכָּא רַעְיוֹנָךְ עַל־מִשְׁכְּבָךְ סְלִקוּ מָה דִּי לֶהֱוֵא אַחֲרֵי דְנָה וְגָלֵא רָזַיָּא הוֹדְעָךְ מָה־דִי לֶהֱוֵֽא׃ | 29 |
ऐ बादशाह, तू अपने पलंग पर लेटा हुआ ख़्याल करने लगा कि आइन्दा को क्या होगा, तब वह जो राज़ों का खोलने वाला है, तुझ पर ज़ाहिर करता है कि क्या कुछ होगा।
וַאֲנָה לָא בְחָכְמָה דִּֽי־אִיתַי בִּי מִן־כָּל־חַיַּיָּא רָזָא דְנָה גֱּלִי לִי לָהֵן עַל־דִּבְרַת דִּי פִשְׁרָא לְמַלְכָּא יְהוֹדְעוּן וְרַעְיוֹנֵי לִבְבָךְ תִּנְדַּֽע׃ | 30 |
लेकिन इस राज़ के मुझ पर ज़ाहिर होने की वजह यह नहीं कि मुझ में किसी और ज़ी हयात से ज़्यादा हिकमत है, बल्कि यह कि इसकी ता'बीर बादशाह से बयान की जाए और तू अपने दिल के ख़्यालात को पहचाने।
אַנְתְּה מַלְכָּא חָזֵה הֲוַיְתָ וַאֲלוּ צְלֵם חַד שַׂגִּיא צַלְמָא דִּכֵּן רַב וְזִיוֵהּ יַתִּיר קָאֵם לְקָבְלָךְ וְרֵוֵהּ דְּחִֽיל׃ | 31 |
ऐ बादशाह, तू ने एक बड़ी मूरत देखी; वह बड़ी मूरत जिसकी रौनक़ बेनिहायत थी, तेरे सामने खड़ी हुई और उसकी सूरत हैबतनाक थी।
הוּא צַלְמָא רֵאשֵׁהּ דִּֽי־דְהַב טָב חֲדוֹהִי וּדְרָעוֹהִי דִּי כְסַף מְעוֹהִי וְיַרְכָתֵהּ דִּי נְחָֽשׁ׃ | 32 |
उस मूरत का सिर ख़ालिस सोने का था, उसका सीना और उसके बाज़ू चाँदी के, उसका शिकम और उसकी राने तॉम्बे की थीं;
שָׁקוֹהִי דִּי פַרְזֶל רַגְלוֹהִי מנהון מִנְּהֵין דִּי פַרְזֶל ומנהון וּמִנְּהֵין דִּי חֲסַֽף׃ | 33 |
उसकी टाँगे लोहे की, और उसके पाँव कुछ लोहे के और कुछ मिट्टी के थे।
חָזֵה הֲוַיְתָ עַד דִּי הִתְגְּזֶרֶת אֶבֶן דִּי־לָא בִידַיִן וּמְחָת לְצַלְמָא עַל־רַגְלוֹהִי דִּי פַרְזְלָא וְחַסְפָּא וְהַדֵּקֶת הִמּֽוֹן׃ | 34 |
तू उसे देखता रहा, यहाँ तक कि एक पत्थर हाथ लगाए बगै़र ही काटा गया, और उस मूरत के पाँव पर जो लोहे और मिट्टी के थे लगा और उनको टुकड़े — टुकड़े कर दिया।
בֵּאדַיִן דָּקוּ כַחֲדָה פַּרְזְלָא חַסְפָּא נְחָשָׁא כַּסְפָּא וְדַהֲבָא וַהֲווֹ כְּעוּר מִן־אִדְּרֵי־קַיִט וּנְשָׂא הִמּוֹן רוּחָא וְכָל־אֲתַר לָא־הִשְׁתֲּכַח לְהוֹן וְאַבְנָא ׀ דִּֽי־מְחָת לְצַלְמָא הֲוָת לְטוּר רַב וּמְלָת כָּל־אַרְעָֽא׃ | 35 |
तब लोहा और मिट्टी और ताँम्बा और चाँदी और सोना, टुकड़े टुकड़े किए गए और ताबिस्तानी खलीहान के भूसे की तरह हुए, और हवा उनको उड़ा ले गई, यहाँ तक कि उनका पता न मिला; और वह पत्थर जिसने उस मूरत को तोड़ा, एक बड़ा पहाड़ बन गया और सारी ज़मीन में फैल गया।
דְּנָה חֶלְמָא וּפִשְׁרֵהּ נֵאמַר קֳדָם־מַלְכָּֽא׃ | 36 |
“वह ख़्वाब यह है; और उसकी ता'बीर बादशाह के सामने बयान करता हूँ।
אַנְתְּה מַלְכָּא מֶלֶךְ מַלְכַיָּא דִּי אֱלָהּ שְׁמַיָּא מַלְכוּתָא חִסְנָא וְתָקְפָּא וִֽיקָרָא יְהַב־לָֽךְ׃ | 37 |
ऐ बादशाह, तू शहनशाह है, जिसको आसमान के ख़ुदा ने बादशाही और — तवानाई और कु़दरत — ओ — शौकत बख़्शी है।
וּבְכָל־דִּי דארין דָֽיְרִין בְּֽנֵי־אֲנָשָׁא חֵיוַת בָּרָא וְעוֹף־שְׁמַיָּא יְהַב בִּידָךְ וְהַשְׁלְטָךְ בְּכָלְּהוֹן אַנְתְּה־הוּא רֵאשָׁה דִּי דַהֲבָֽא׃ | 38 |
और जहाँ कहीं बनी आदम रहा करते हैं, उसने मैदान के जानवर और हवा के परिन्दे तेरे हवाले करके तुझ को उन सब का हाकिम बनाया है; वह सोने का सिर तू ही है।
וּבָתְרָךְ תְּקוּם מַלְכוּ אָחֳרִי אֲרַעארעא מִנָּךְ וּמַלְכוּ תליתיא תְלִיתָאָה אָחֳרִי דִּי נְחָשָׁא דִּי תִשְׁלַט בְּכָל־אַרְעָֽא׃ | 39 |
और तेरे बाद एक और सल्तनत खड़ी होगी, जो तुझ से छोटी होगी और उसके बाद एक और सल्तनत ताम्बे की जो पूरी ज़मीन पर हुकूमत करेगी।
וּמַלְכוּ רביעיה רְבִיעָאָה תֶּהֱוֵא תַקִּיפָה כְּפַרְזְלָא כָּל־קֳבֵל דִּי פַרְזְלָא מְהַדֵּק וְחָשֵׁל כֹּלָּא וּֽכְפַרְזְלָא דִּֽי־מְרָעַע כָּל־אִלֵּין תַּדִּק וְתֵרֹֽעַ׃ | 40 |
और चौथी सल्तनत लोहे की तरह मज़बूत होगी, और जिस तरह लोहा तोड़ डालता है और सब चीज़ों पर ग़ालिब आता है; हाँ, जिस तरह लोहा सब चीज़ों को टुकड़े — टुकड़े करता और कुचलता है उसी तरह वह टुकड़े — टुकड़े करेगी और कुचल डालेगी।
וְדִֽי־חֲזַיְתָה רַגְלַיָּא וְאֶצְבְּעָתָא מנהון מִנְּהֵן חֲסַף דִּֽי־פֶחָר ומנהון וּמִנְּהֵין פַּרְזֶל מַלְכוּ פְלִיגָה תֶּהֱוֵה וּמִן־נִצְבְּתָא דִי פַרְזְלָא לֶֽהֱוֵא־בַהּ כָּל־קֳבֵל דִּי חֲזַיְתָה פַּרְזְלָא מְעָרַב בַּחֲסַף טִינָֽא׃ | 41 |
और जो तू ने देखा कि उसके पाँव और उँगलियाँ, कुछ तो कुम्हार की मिट्टी की और कुछ लोहे की थी; इसलिए उस सल्तनत में फ़ूट होगी, मगर जैसा तू ने देखा कि उसमें लोहा मिट्टी से मिला हुआ था, उसमें लोहे की मज़बूती होगी।
וְאֶצְבְּעָת רַגְלַיָּא מנהון מִנְּהֵין פַּרְזֶל ומנהון וּמִנְּהֵין חֲסַף מִן־קְצָת מַלְכוּתָא תֶּהֱוֵה תַקִּיפָה וּמִנַּהּ תֶּהֱוֵה תְבִירָֽה׃ | 42 |
और चूँकि पाँव की उँगलियाँ कुछ लोहे की और कुछ मिट्टी की थीं, इसलिए सल्तनत कुछ मज़बूत और कुछ कमज़ोर होगी।
די וְדִי חֲזַיְתָ פַּרְזְלָא מְעָרַב בַּחֲסַף טִינָא מִתְעָרְבִין לֶהֱוֺן בִּזְרַע אֲנָשָׁא וְלָֽא־לֶהֱוֺן דָּבְקִין דְּנָה עִם־דְּנָה הֵֽא־כְדִי פַרְזְלָא לָא מִתְעָרַב עִם־חַסְפָּֽא׃ | 43 |
और जैसा तूने देखा कि लोहा मिट्टी से मिला हुआ था, वह बनी आदम से मिले हुए होंगे, लेकिन जैसे लोहा मिट्टी से मेल नहीं खाता वैसे ही वह भी आपस में मेल न खाएँगे।
וּֽבְיוֹמֵיהוֹן דִּי מַלְכַיָּא אִנּוּן יְקִים אֱלָהּ שְׁמַיָּא מַלְכוּ דִּי לְעָלְמִין לָא תִתְחַבַּל וּמַלְכוּתָה לְעַם אָחֳרָן לָא תִשְׁתְּבִק תַּדִּק וְתָסֵיף כָּל־אִלֵּין מַלְכְוָתָא וְהִיא תְּקוּם לְעָלְמַיָּֽא׃ | 44 |
और उन बादशाहों के दिनों में आसमान का ख़ुदा एक सल्तनत खड़ा करेगा, जो हमेशा बर्बाद न होगी और उसकी हुकूमत किसी दूसरी क़ौम के हवाले न की जाएगी, बल्कि वह इन तमाम हुकूमतों को टुकड़े — टुकड़े और बर्बाद करेगी, और वही हमेशा तक क़ायम रहेगी।
כָּל־קֳבֵל דִּֽי־חֲזַיְתָ דִּי מִטּוּרָא אִתְגְּזֶרֶת אֶבֶן דִּי־לָא בִידַיִן וְהַדֶּקֶת פַּרְזְלָא נְחָשָׁא חַסְפָּא כַּסְפָּא וְדַהֲבָא אֱלָהּ רַב הוֹדַע לְמַלְכָּא מָה דִּי לֶהֱוֵא אַחֲרֵי דְנָה וְיַצִּיב חֶלְמָא וּמְהֵימַן פִּשְׁרֵֽהּ׃ | 45 |
जैसा तू ने देखा कि वह पत्थर हाथ लगाए बगै़र ही पहाड़ से काटा गया, और उसने लोहे और ताँम्बे और मिट्टी और चाँदी और सोने को टुकड़े — टुकड़े किया; ख़ुदा त'आला ने बादशाह को वह कुछ दिखाया जो आगे को होने वाला हैं, और यह ख़्वाब यक़ीनी है और उसकी ता'बीर यक़ीनी।”
בֵּאדַיִן מַלְכָּא נְבֽוּכַדְנֶצַּר נְפַל עַל־אַנְפּוֹהִי וּלְדָנִיֵּאל סְגִד וּמִנְחָה וְנִיחֹחִין אֲמַר לְנַסָּכָה לֵֽהּ׃ | 46 |
तब नबूकदनज़र बादशाह ने मुँह के बल गिर कर दानीएल को सिज्दा किया, और हुक्म दिया कि उसे हदिया दें और उसके सामने ख़ुशबू जलाएँ।
עָנֵה מַלְכָּא לְדָנִיֵּאל וְאָמַר מִן־קְשֹׁט דִּי אֱלָהֲכוֹן הוּא אֱלָהּ אֱלָהִין וּמָרֵא מַלְכִין וְגָלֵה רָזִין דִּי יְכֵלְתָּ לְמִגְלֵא רָזָה דְנָֽה׃ | 47 |
बादशाह ने दानीएल से कहा, “हक़ीक़त में तेरा ख़ुदा मा'बूदों का मा'बूद और बादशाहों का ख़ुदावन्द और राज़ों का खोलने वाला है, क्यूँकि तू इस राज़ को खोल सका।”
אֱדַיִן מַלְכָּא לְדָנִיֵּאל רַבִּי וּמַתְּנָן רַבְרְבָן שַׂגִּיאָן יְהַב־לֵהּ וְהַשְׁלְטֵהּ עַל כָּל־מְדִינַת בָּבֶל וְרַב־סִגְנִין עַל כָּל־חַכִּימֵי בָבֶֽל׃ | 48 |
तब बादशाह ने दानीएल को सरफ़राज़ किया, और उसे बहुत से बड़े — बड़े तोहफ़े 'अता किए; और उसको बाबुल के तमाम सूबों पर इख़्तियार दिया, और बाबुल के तमाम हकीमों पर हुक्मरानी 'इनायत की।
וְדָנִיֵּאל בְּעָא מִן־מַלְכָּא וּמַנִּי עַל עֲבִֽידְתָּא דִּי מְדִינַת בָּבֶל לְשַׁדְרַךְ מֵישַׁךְ וַעֲבֵד נְגוֹ וְדָנִיֵּאל בִּתְרַע מַלְכָּֽא׃ | 49 |
तब दानीएल ने बादशाह से दरख़्वास्त की और उसने सदरक मीसक और 'अबदनजू को बाबुल के सूबे की ज़िम्मेदारी पर मुक़र्रर किया, लेकिन दानीएल बादशाह के दरबार में रहा।