< תְהִלִּים 91 >
יֹ֭שֵׁב בְּסֵ֣תֶר עֶלְי֑וֹן בְּצֵ֥ל שַׁ֝דַּ֗י יִתְלוֹנָֽן׃ | 1 |
१जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा।
אֹמַ֗ר לַֽ֭יהוָה מַחְסִ֣י וּמְצוּדָתִ֑י אֱ֝לֹהַ֗י אֶבְטַח־בּֽוֹ׃ | 2 |
२मैं यहोवा के विषय कहूँगा, “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, जिस पर मैं भरोसा रखता हूँ”
כִּ֤י ה֣וּא יַ֭צִּֽילְךָ מִפַּ֥ח יָק֗וּשׁ מִדֶּ֥בֶר הַוּֽוֹת׃ | 3 |
३वह तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा;
בְּאֶבְרָת֨וֹ ׀ יָ֣סֶךְ לָ֭ךְ וְתַֽחַת־כְּנָפָ֣יו תֶּחְסֶ֑ה צִנָּ֖ה וְֽסֹחֵרָ֣ה אֲמִתּֽוֹ׃ | 4 |
४वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके परों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी।
לֹא־תִ֭ירָא מִפַּ֣חַד לָ֑יְלָה מֵ֝חֵ֗ץ יָע֥וּף יוֹמָֽם׃ | 5 |
५तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,
מִ֭דֶּבֶר בָּאֹ֣פֶל יַהֲלֹ֑ךְ מִ֝קֶּ֗טֶב יָשׁ֥וּד צָהֳרָֽיִם׃ | 6 |
६न उस मरी से जो अंधेरे में फैलती है, और न उस महारोग से जो दिन-दुपहरी में उजाड़ता है।
יִפֹּ֤ל מִצִּדְּךָ֨ ׀ אֶ֗לֶף וּרְבָבָ֥ה מִימִינֶ֑ךָ אֵ֝לֶ֗יךָ לֹ֣א יִגָּֽשׁ׃ | 7 |
७तेरे निकट हजार, और तेरी दाहिनी ओर दस हजार गिरेंगे; परन्तु वह तेरे पास न आएगा।
רַ֭ק בְּעֵינֶ֣יךָ תַבִּ֑יט וְשִׁלֻּמַ֖ת רְשָׁעִ֣ים תִּרְאֶֽה׃ | 8 |
८परन्तु तू अपनी आँखों की दृष्टि करेगा और दुष्टों के अन्त को देखेगा।
כִּֽי־אַתָּ֣ה יְהוָ֣ה מַחְסִ֑י עֶ֝לְי֗וֹן שַׂ֣מְתָּ מְעוֹנֶֽךָ׃ | 9 |
९हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तूने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है,
לֹֽא־תְאֻנֶּ֣ה אֵלֶ֣יךָ רָעָ֑ה וְ֝נֶ֗גַע לֹא־יִקְרַ֥ב בְּאָהֳלֶֽךָ׃ | 10 |
१०इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दुःख तेरे डेरे के निकट आएगा।
כִּ֣י מַ֭לְאָכָיו יְצַוֶּה־לָּ֑ךְ לִ֝שְׁמָרְךָ֗ בְּכָל־דְּרָכֶֽיךָ׃ | 11 |
११क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहाँ कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।
עַל־כַּפַּ֥יִם יִשָּׂא֑וּנְךָ פֶּן־תִּגֹּ֖ף בָּאֶ֣בֶן רַגְלֶֽךָ׃ | 12 |
१२वे तुझको हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे।
עַל־שַׁ֣חַל וָפֶ֣תֶן תִּדְרֹ֑ךְ תִּרְמֹ֖ס כְּפִ֣יר וְתַנִּֽין׃ | 13 |
१३तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।
כִּ֤י בִ֣י חָ֭שַׁק וַאֲפַלְּטֵ֑הוּ אֲ֝שַׂגְּבֵ֗הוּ כִּֽי־יָדַ֥ע שְׁמִֽי׃ | 14 |
१४उसने जो मुझसे स्नेह किया है, इसलिए मैं उसको छुड़ाऊँगा; मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूँगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।
יִקְרָאֵ֨נִי ׀ וְֽאֶעֱנֵ֗הוּ עִמּֽוֹ־אָנֹכִ֥י בְצָרָ֑ה אֲ֝חַלְּצֵ֗הוּ וַֽאֲכַבְּדֵֽהוּ׃ | 15 |
१५जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूँगा; संकट में मैं उसके संग रहूँगा, मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊँगा।
אֹ֣רֶךְ יָ֭מִים אַשְׂבִּיעֵ֑הוּ וְ֝אַרְאֵ֗הוּ בִּֽישׁוּעָתִֽי׃ | 16 |
१६मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूँगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊँगा।