< תְהִלִּים 84 >
לַמְנַצֵּ֥חַ עַֽל־הַגִּתִּ֑ית לִבְנֵי־קֹ֥רַח מִזְמֽוֹר׃ מַה־יְּדִיד֥וֹת מִשְׁכְּנוֹתֶ֗יךָ יְהוָ֥ה צְבָאֽוֹת׃ | 1 |
१प्रधान बजानेवाले के लिये गित्तीथ में कोरहवंशियों का भजन हे सेनाओं के यहोवा, तेरे निवास क्या ही प्रिय हैं!
נִכְסְפָ֬ה וְגַם־כָּלְתָ֨ה ׀ נַפְשִׁי֮ לְחַצְר֪וֹת יְה֫וָ֥ה לִבִּ֥י וּבְשָׂרִ֑י יְ֝רַנְּנ֗וּ אֶ֣ל אֵֽל־חָֽי׃ | 2 |
२मेरा प्राण यहोवा के आँगनों की अभिलाषा करते-करते मूर्छित हो चला; मेरा तन मन दोनों जीविते परमेश्वर को पुकार रहे।
גַּם־צִפּ֨וֹר ׀ מָ֪צְאָה בַ֡יִת וּדְר֤וֹר ׀ קֵ֥ן לָהּ֮ אֲשֶׁר־שָׁ֪תָה אֶפְרֹ֫חֶ֥יהָ אֶֽת־מִ֭זְבְּחוֹתֶיךָ יְהוָ֣ה צְבָא֑וֹת מַ֝לְכִּ֗י וֵאלֹהָֽי׃ | 3 |
३हे सेनाओं के यहोवा, हे मेरे राजा, और मेरे परमेश्वर, तेरी वेदियों में गौरैया ने अपना बसेरा और शूपाबेनी ने घोंसला बना लिया है जिसमें वह अपने बच्चे रखे।
אַ֭שְׁרֵי יוֹשְׁבֵ֣י בֵיתֶ֑ךָ ע֝֗וֹד יְֽהַלְל֥וּךָ סֶּֽלָה׃ | 4 |
४क्या ही धन्य हैं वे, जो तेरे भवन में रहते हैं; वे तेरी स्तुति निरन्तर करते रहेंगे। (सेला)
אַשְׁרֵ֣י אָ֭דָם עֽוֹז־ל֥וֹ בָ֑ךְ מְ֝סִלּ֗וֹת בִּלְבָבָֽם׃ | 5 |
५क्या ही धन्य है वह मनुष्य, जो तुझ से शक्ति पाता है, और वे जिनको सिय्योन की सड़क की सुधि रहती है।
עֹבְרֵ֤י ׀ בְּעֵ֣מֶק הַ֭בָּכָא מַעְיָ֣ן יְשִׁית֑וּהוּ גַּם־בְּ֝רָכ֗וֹת יַעְטֶ֥ה מוֹרֶֽה׃ | 6 |
६वे रोने की तराई में जाते हुए उसको सोतों का स्थान बनाते हैं; फिर बरसात की अगली वृष्टि उसमें आशीष ही आशीष उपजाती है।
יֵ֭לְכוּ מֵחַ֣יִל אֶל־חָ֑יִל יֵרָאֶ֖ה אֶל־אֱלֹהִ֣ים בְּצִיּֽוֹן׃ | 7 |
७वे बल पर बल पाते जाते हैं; उनमें से हर एक जन सिय्योन में परमेश्वर को अपना मुँह दिखाएगा।
יְה֘וָ֤ה אֱלֹהִ֣ים צְ֭בָאוֹת שִׁמְעָ֣ה תְפִלָּתִ֑י הַאֲזִ֨ינָה אֱלֹהֵ֖י יַעֲקֹ֣ב סֶֽלָה׃ | 8 |
८हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, हे याकूब के परमेश्वर, कान लगा! (सेला)
מָ֭גִנֵּנוּ רְאֵ֣ה אֱלֹהִ֑ים וְ֝הַבֵּ֗ט פְּנֵ֣י מְשִׁיחֶֽךָ׃ | 9 |
९हे परमेश्वर, हे हमारी ढाल, दृष्टि कर; और अपने अभिषिक्त का मुख देख!
כִּ֤י טֽוֹב־י֥וֹם בַּחֲצֵרֶ֗יךָ מֵ֫אָ֥לֶף בָּחַ֗רְתִּי הִ֭סְתּוֹפֵף בְּבֵ֣ית אֱלֹהַ֑י מִ֝דּ֗וּר בְּאָהֳלֵי־רֶֽשַׁע׃ | 10 |
१०क्योंकि तेरे आँगनों में एक दिन और कहीं के हजार दिन से उत्तम है। दुष्टों के डेरों में वास करने से अपने परमेश्वर के भवन की डेवढ़ी पर खड़ा रहना ही मुझे अधिक भावता है।
כִּ֤י שֶׁ֨מֶשׁ ׀ וּמָגֵן֮ יְהוָ֪ה אֱלֹ֫הִ֥ים חֵ֣ן וְ֭כָבוֹד יִתֵּ֣ן יְהוָ֑ה לֹ֥א יִמְנַע־ט֝֗וֹב לַֽהֹלְכִ֥ים בְּתָמִֽים׃ | 11 |
११क्योंकि यहोवा परमेश्वर सूर्य और ढाल है; यहोवा अनुग्रह करेगा, और महिमा देगा; और जो लोग खरी चाल चलते हैं; उनसे वह कोई अच्छी वस्तु रख न छोड़ेगा।
יְהוָ֥ה צְבָא֑וֹת אַֽשְׁרֵ֥י אָ֝דָ֗ם בֹּטֵ֥חַ בָּֽךְ׃ | 12 |
१२हे सेनाओं के यहोवा, क्या ही धन्य वह मनुष्य है, जो तुझ पर भरोसा रखता है!