< תְהִלִּים 77 >

לַמְנַצֵּ֥חַ עַֽל־יְדוּת֗וּן לְאָסָ֥ף מִזְמֽוֹר׃ קוֹלִ֣י אֶל־אֱלֹהִ֣ים וְאֶצְעָ֑קָה קוֹלִ֥י אֶל־אֱ֝לֹהִ֗ים וְהַאֲזִ֥ין אֵלָֽי׃ 1
प्रधान बजानेवाले के लिये: यदूतून की राग पर, आसाप का भजन मैं परमेश्वर की दुहाई चिल्ला चिल्लाकर दूँगा, मैं परमेश्वर की दुहाई दूँगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा।
בְּי֥וֹם צָרָתִי֮ אֲדֹנָ֪י דָּ֫רָ֥שְׁתִּי יָדִ֤י ׀ לַ֣יְלָה נִ֭גְּרָה וְלֹ֣א תָפ֑וּג מֵאֲנָ֖ה הִנָּחֵ֣ם נַפְשִֽׁי׃ 2
संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शान्ति आई ही नहीं।
אֶזְכְּרָ֣ה אֱלֹהִ֣ים וְאֶֽהֱמָיָ֑ה אָשִׂ֓יחָה ׀ וְתִתְעַטֵּ֖ף רוּחִ֣י סֶֽלָה׃ 3
मैं परमेश्वर का स्मरण कर करके कराहता हूँ; मैं चिन्ता करते-करते मूर्छित हो चला हूँ। (सेला)
אָ֭חַזְתָּ שְׁמֻר֣וֹת עֵינָ֑י נִ֝פְעַ֗מְתִּי וְלֹ֣א אֲדַבֵּֽר׃ 4
तू मुझे झपकी लगने नहीं देता; मैं ऐसा घबराया हूँ कि मेरे मुँह से बात नहीं निकलती।
חִשַּׁ֣בְתִּי יָמִ֣ים מִקֶּ֑דֶם שְׁ֝נ֗וֹת עוֹלָמִֽים׃ 5
मैंने प्राचीनकाल के दिनों को, और युग-युग के वर्षों को सोचा है।
אֶֽזְכְּרָ֥ה נְגִינָתִ֗י בַּ֫לָּ֥יְלָה עִם־לְבָבִ֥י אָשִׂ֑יחָה וַיְחַפֵּ֥שׂ רוּחִֽי׃ 6
मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूँ, और मन में भली भाँति विचार करता हूँ:
הַֽ֭לְעוֹלָמִים יִזְנַ֥ח ׀ אֲדֹנָ֑י וְלֹֽא־יֹסִ֖יף לִרְצ֣וֹת עֽוֹד׃ 7
“क्या प्रभु युग-युग के लिये मुझे छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा?
הֶאָפֵ֣ס לָנֶ֣צַח חַסְדּ֑וֹ גָּ֥מַר אֹ֝֗מֶר לְדֹ֣ר וָדֹֽר׃ 8
क्या उसकी करुणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी-पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है?
הֲשָׁכַ֣ח חַנּ֣וֹת אֵ֑ל אִם־קָפַ֥ץ בְּ֝אַ֗ף רַחֲמָ֥יו סֶֽלָה׃ 9
क्या परमेश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध करके अपनी सब दया को रोक रखा है?” (सेला)
וָ֭אֹמַר חַלּ֣וֹתִי הִ֑יא שְׁ֝נ֗וֹת יְמִ֣ין עֶלְיֽוֹן׃ 10
१०मैंने कहा, “यह तो मेरा दुःख है, कि परमप्रधान का दाहिना हाथ बदल गया है।”
אֶזְכּ֥וֹר מַֽעַלְלֵי־יָ֑הּ כִּֽי־אֶזְכְּרָ֖ה מִקֶּ֣דֶם פִּלְאֶֽךָ׃ 11
११मैं यहोवा के बड़े कामों की चर्चा करूँगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीनकालवाले अद्भुत कामों को स्मरण करूँगा।
וְהָגִ֥יתִי בְכָל־פָּעֳלֶ֑ךָ וּֽבַעֲלִ֖ילוֹתֶ֣יךָ אָשִֽׂיחָה׃ 12
१२मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूँगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूँगा।
אֱ֭לֹהִים בַּקֹּ֣דֶשׁ דַּרְכֶּ֑ךָ מִי־אֵ֥ל גָּ֝ד֗וֹל כֵּֽאלֹהִֽים׃ 13
१३हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है?
אַתָּ֣ה הָ֭אֵל עֹ֣שֵׂה פֶ֑לֶא הוֹדַ֖עְתָּ בָעַמִּ֣ים עֻזֶּֽךָ׃ 14
१४अद्भुत काम करनेवाला परमेश्वर तू ही है, तूने देश-देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।
גָּאַ֣לְתָּ בִּזְר֣וֹעַ עַמֶּ֑ךָ בְּנֵי־יַעֲקֹ֖ב וְיוֹסֵ֣ף סֶֽלָה׃ 15
१५तूने अपने भुजबल से अपनी प्रजा, याकूब और यूसुफ के वंश को छुड़ा लिया है। (सेला)
רָ֘א֤וּךָ מַּ֨יִם ׀ אֱֽלֹהִ֗ים רָא֣וּךָ מַּ֣יִם יָחִ֑ילוּ אַ֝֗ף יִרְגְּז֥וּ תְהֹמֽוֹת׃ 16
१६हे परमेश्वर, समुद्र ने तुझे देखा, समुद्र तुझे देखकर डर गया, गहरा सागर भी काँप उठा।
זֹ֤רְמוּ מַ֨יִם ׀ עָב֗וֹת ק֭וֹל נָתְנ֣וּ שְׁחָקִ֑ים אַף־חֲ֝צָצֶ֗יךָ יִתְהַלָּֽכוּ׃ 17
१७मेघों से बड़ी वर्षा हुई; आकाश से शब्द हुआ; फिर तेरे तीर इधर-उधर चले।
ק֤וֹל רַעַמְךָ֨ ׀ בַּגַּלְגַּ֗ל הֵאִ֣ירוּ בְרָקִ֣ים תֵּבֵ֑ל רָגְזָ֖ה וַתִּרְעַ֣שׁ הָאָֽרֶץ׃ 18
१८बवंडर में तेरे गरजने का शब्द सुन पड़ा था; जगत बिजली से प्रकाशित हुआ; पृथ्वी काँपी और हिल गई।
בַּיָּ֤ם דַּרְכֶּ֗ךָ וּֽ֭שְׁבִֽילְךָ בְּמַ֣יִם רַבִּ֑ים וְ֝עִקְּבוֹתֶ֗יךָ לֹ֣א נֹדָֽעוּ׃ 19
१९तेरा मार्ग समुद्र में है, और तेरा रास्ता गहरे जल में हुआ; और तेरे पाँवों के चिन्ह मालूम नहीं होते।
נָחִ֣יתָ כַצֹּ֣אן עַמֶּ֑ךָ בְּֽיַד־מֹשֶׁ֥ה וְאַהֲרֹֽן׃ 20
२०तूने मूसा और हारून के द्वारा, अपनी प्रजा की अगुआई भेड़ों की सी की।

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