< תְהִלִּים 5 >
לַמְנַצֵּ֥חַ אֶֽל־הַנְּחִיל֗וֹת מִזְמ֥וֹר לְדָוִֽד׃ אֲמָרַ֖י הַאֲזִ֥ינָה ׀ יְהוָ֗ה בִּ֣ינָה הֲגִֽיגִי׃ | 1 |
ऐ ख़ुदावन्द मेरी बातो पर कान लगा! मेरी आहों पर तवज्जुह कर!
הַקְשִׁ֤יבָה ׀ לְק֬וֹל שַׁוְעִ֗י מַלְכִּ֥י וֵאלֹהָ֑י כִּֽי־אֵ֝לֶ֗יךָ אֶתְפַּלָּֽל׃ | 2 |
ऐ मेरे बादशाह! ऐ मेरे ख़ुदा! मेरी फ़रियाद की आवाज़ की तरफ़ मुतवज्जिह हो, क्यूँकि मैं तुझ ही से दुआ करता हूँ।
יְֽהוָ֗ה בֹּ֭קֶר תִּשְׁמַ֣ע קוֹלִ֑י בֹּ֥קֶר אֶֽעֱרָךְ־לְ֝ךָ֗ וַאֲצַפֶּֽה׃ | 3 |
ऐ ख़ुदावन्द तू सुबह को मेरी आवाज़ सुनेगा। मैं सवेरे ही तुझ से दुआ करके इन्तिज़ार करूँगा।
כִּ֤י ׀ לֹ֤א אֵֽל־חָפֵ֘ץ רֶ֥שַׁע ׀ אָ֑תָּה לֹ֖א יְגֻרְךָ֣ רָֽע׃ | 4 |
क्यूँकि तू ऐसा ख़ुदा नहीं जो शरारत से खु़श हो। गुनाह तेरे साथ नहीं रह सकता।
לֹֽא־יִתְיַצְּב֣וּ הֽ֭וֹלְלִים לְנֶ֣גֶד עֵינֶ֑יךָ שָׂ֝נֵ֗אתָ כָּל־פֹּ֥עֲלֵי אָֽוֶן׃ | 5 |
घमंडी तेरे सामने खड़े न होंगे। तुझे सब बदकिरदारों से नफ़रत है।
תְּאַבֵּד֮ דֹּבְרֵ֪י כָ֫זָ֥ב אִישׁ־דָּמִ֥ים וּמִרְמָ֗ה יְתָ֘עֵ֥ב ׀ יְהוָֽה׃ | 6 |
तू उनको जो झूट बोलते हैं हलाक करेगा। ख़ुदावन्द को खू़ँख़्वार और दग़ाबाज़ आदमी से नफ़रत है।
וַאֲנִ֗י בְּרֹ֣ב חַ֭סְדְּךָ אָב֣וֹא בֵיתֶ֑ךָ אֶשְׁתַּחֲוֶ֥ה אֶל־הֵֽיכַל־קָ֝דְשְׁךָ֗ בְּיִרְאָתֶֽךָ׃ | 7 |
लेकिन मैं तेरी शफ़क़त की कसरत से तेरे घर में आऊँगा। मैं तेरा रौ'ब मानकर तेरी पाक हैकल की तरफ़ रुख़ करके सिज्दा करूँगा।
יְהוָ֤ה ׀ נְחֵ֬נִי בְצִדְקָתֶ֗ךָ לְמַ֥עַן שׁוֹרְרָ֑י הַיְשַׁ֖ר לְפָנַ֣י דַּרְכֶּֽךָ׃ | 8 |
ऐ ख़ुदावन्द! मेरे दुश्मनों की वजह से मुझे अपनी सदाक़त में चला; मेरे आगे आगे अपनी राह को साफ़ कर दे।
כִּ֤י אֵ֪ין בְּפִ֡יהוּ נְכוֹנָה֮ קִרְבָּ֪ם הַ֫וּ֥וֹת קֶֽבֶר־פָּת֥וּחַ גְּרוֹנָ֑ם לְ֝שׁוֹנָ֗ם יַחֲלִֽיקוּן׃ | 9 |
क्यूँकि उनके मुँह में ज़रा सच्चाई नहीं, उनका बातिन सिर्फ़ बुराई है। उनका गला खुली क़ब्र है, वह अपनी ज़बान से ख़ुशामद करते हैं।
הַֽאֲשִׁימֵ֨ם ׀ אֱֽלֹהִ֗ים יִפְּלוּ֮ מִֽמֹּעֲצ֪וֹתֵ֫יהֶ֥ם בְּרֹ֣ב פִּ֭שְׁעֵיהֶם הַדִּיחֵ֑מוֹ כִּי־מָ֥רוּ בָֽךְ׃ | 10 |
ऐ ख़ुदा तू उनको मुजरिम ठहरा; वह अपने ही मश्वरों से तबाह हों। उनको उनके गुनाहों की ज़्यादती की वजह से ख़ारिज कर दे; क्यूँकि उन्होंने तुझ से बग़ावत की है।
וְיִשְׂמְח֨וּ כָל־ח֪וֹסֵי בָ֡ךְ לְעוֹלָ֣ם יְ֭רַנֵּנוּ וְתָסֵ֣ךְ עָלֵ֑ימוֹ וְֽיַעְלְצ֥וּ בְ֝ךָ֗ אֹהֲבֵ֥י שְׁמֶֽךָ׃ | 11 |
लेकिन वह सब जो तुझ पर भरोसा रखते हैं, शादमान हों, वह सदा ख़ुशी से ललकारें, क्यूँकि तू उनकी हिमायत करता है। और जो तेरे नाम से मुहब्बत रखते हैं, तुझ में ख़ुश रहें।
כִּֽי־אַתָּה֮ תְּבָרֵ֪ךְ צַ֫דִּ֥יק יְהוָ֑ה כַּ֝צִּנָּ֗ה רָצ֥וֹן תַּעְטְרֶֽנּוּ׃ | 12 |
क्यूँकि तू सादिक़ को बरकत बख़्शेगा। ऐ ख़ुदावन्द! तू उसे करम से ढाल की तरह ढाँक लेगा।