< תְהִלִּים 145 >
תְּהִלָּ֗ה לְדָ֫וִ֥ד אֲרוֹמִמְךָ֣ אֱלוֹהַ֣י הַמֶּ֑לֶךְ וַאֲבָרֲכָ֥ה שִׁ֝מְךָ֗ לְעוֹלָ֥ם וָעֶֽד׃ | 1 |
एक स्तवन गीत. दावीद की रचना. परमेश्वर, मेरे महाराजा, मैं आपका स्तवन करता हूं; मैं सदा-सर्वदा आपके नाम का गुणगान करूंगा.
בְּכָל־י֥וֹם אֲבָרֲכֶ֑ךָּ וַאֲהַלְלָ֥ה שִׁ֝מְךָ֗ לְעוֹלָ֥ם וָעֶֽד׃ | 2 |
प्रतिदिन मैं आपकी वंदना करूंगा, मैं सदा-सर्वदा आपके नाम का गुणगान करूंगा.
גָּ֘ד֤וֹל יְהוָ֣ה וּמְהֻלָּ֣ל מְאֹ֑ד וְ֝לִגְדֻלָּת֗וֹ אֵ֣ין חֵֽקֶר׃ | 3 |
सर्वोच्च हैं याहवेह, स्तुति के सर्वाधिक योग्य; अगम है उनकी सर्वोच्चता.
דּ֣וֹר לְ֭דוֹר יְשַׁבַּ֣ח מַעֲשֶׂ֑יךָ וּגְב֖וּרֹתֶ֣יךָ יַגִּֽידוּ׃ | 4 |
आपके कार्य एक पीढ़ी से दूसरी को बताए जाएंगे; वे आपके महाकार्य की उद्घोषणा करेंगे.
הֲ֭דַר כְּב֣וֹד הוֹדֶ֑ךָ וְדִבְרֵ֖י נִפְלְאוֹתֶ֣יךָ אָשִֽׂיחָה׃ | 5 |
आपकी प्रभुसत्ता के भव्य प्रताप पर तथा आपके अद्भुत कार्यों पर मैं मनन करता रहूंगा.
וֶעֱז֣וּז נוֹרְאֹתֶ֣יךָ יֹאמֵ֑רוּ וּגְדוּלָּתְךָ֥ אֲסַפְּרֶֽנָּה׃ | 6 |
मनुष्य आपके अद्भुत कार्यों की सामर्थ्य की घोषणा करेंगे, मैं आपके महान कार्यों की उद्घोषणा करूंगा.
זֵ֣כֶר רַב־טוּבְךָ֣ יַבִּ֑יעוּ וְצִדְקָתְךָ֥ יְרַנֵּֽנוּ׃ | 7 |
लोग आपकी बड़ी भलाई की कीर्ति का वर्णन करेंगे तथा उच्च स्वर में आपकी धार्मिकता का गुणगान करेंगे.
חַנּ֣וּן וְרַח֣וּם יְהוָ֑ה אֶ֥רֶךְ אַ֝פַּ֗יִם וּגְדָל־חָֽסֶד׃ | 8 |
याहवेह उदार एवं कृपालु हैं, वह शीघ्र क्रोधित नहीं होते और बड़ी है उनकी करुणा.
טוֹב־יְהוָ֥ה לַכֹּ֑ל וְ֝רַחֲמָ֗יו עַל־כָּל־מַעֲשָֽׂיו׃ | 9 |
याहवेह सभी के प्रति भले हैं; तथा उनकी कृपा उनकी हर एक कृति पर स्थिर रहती है.
יוֹד֣וּךָ יְ֭הוָה כָּל־מַעֲשֶׂ֑יךָ וַ֝חֲסִידֶ֗יךָ יְבָרֲכֽוּכָה׃ | 10 |
याहवेह, आपके द्वारा बनाए गए समस्त सृष्टि आपके प्रति आभार व्यक्त करेंगे, और आपके समस्त सात्विक आपका स्तवन करेंगे.
כְּב֣וֹד מַלְכוּתְךָ֣ יֹאמֵ֑רוּ וּגְבוּרָתְךָ֥ יְדַבֵּֽרוּ׃ | 11 |
वे आपके साम्राज्य की महिमा का वर्णन तथा आपके सामर्थ्य की उद्घोषणा करेंगे.
לְהוֹדִ֤יעַ ׀ לִבְנֵ֣י הָ֭אָדָם גְּבוּרֹתָ֑יו וּ֝כְב֗וֹד הֲדַ֣ר מַלְכוּתֽוֹ׃ | 12 |
कि समस्त मनुष्यों को आपके महाकार्य ज्ञात हो जाएं और उन्हें आपके साम्राज्य के अप्रतिम वैभव का बोध हो जाए.
מַֽלְכוּתְךָ֗ מַלְכ֥וּת כָּל־עֹֽלָמִ֑ים וּ֝מֶֽמְשֶׁלְתְּךָ֗ בְּכָל־דּ֥וֹר וָדֽוֹר׃ נֶאֱמָן יְהוָה בְּכָל־דְּבָרָיו וְחָסִיד בְּכָל־מַעֲשָׂיו׃ | 13 |
आपका साम्राज्य अनंत साम्राज्य है, तथा आपका प्रभुत्व पीढ़ी से पीढ़ी बना रहता है. याहवेह अपनी समस्त प्रतिज्ञाओं में निष्ठ हैं; उनके समस्त कार्यों में उनकी कृपा बनी रहती है.
סוֹמֵ֣ךְ יְ֭הוָה לְכָל־הַנֹּפְלִ֑ים וְ֝זוֹקֵ֗ף לְכָל־הַכְּפוּפִֽים׃ | 14 |
उन सभी को, जो गिरने पर होते हैं, याहवेह संभाल लेते हैं और जो झुके जा रहे हैं, उन्हें वह थाम कर सीधे खड़ा कर देते हैं.
עֵֽינֵי־כֹ֭ל אֵלֶ֣יךָ יְשַׂבֵּ֑רוּ וְאַתָּ֤ה נֽוֹתֵן־לָהֶ֖ם אֶת־אָכְלָ֣ם בְּעִתּֽוֹ׃ | 15 |
सभी की दृष्टि अपेक्षा में आपकी ओर लगी रहती है, और आप उपयुक्त अवसर पर उन्हें आहार प्रदान करते हैं.
פּוֹתֵ֥חַ אֶת־יָדֶ֑ךָ וּמַשְׂבִּ֖יעַ לְכָל־חַ֣י רָצֽוֹן׃ | 16 |
आप अपना हाथ उदारतापूर्वक खोलते हैं; आप हर एक जीवित प्राणी की इच्छा को पूरी करते हैं.
צַדִּ֣יק יְ֭הוָה בְּכָל־דְּרָכָ֑יו וְ֝חָסִ֗יד בְּכָל־מַעֲשָֽׂיו׃ | 17 |
याहवेह अपनी समस्त नीतियों में सीधे हैं, उनकी सभी गतिविधियों में सच्चा हैं.
קָר֣וֹב יְ֭הוָה לְכָל־קֹרְאָ֑יו לְכֹ֤ל אֲשֶׁ֖ר יִקְרָאֻ֣הוּ בֶאֱמֶֽת׃ | 18 |
याहवेह उन सभी के निकट होते हैं, जो उन्हें पुकारते हैं, उनके निकट, जो सच्चाई में उन्हें पुकारते हैं.
רְצוֹן־יְרֵאָ֥יו יַעֲשֶׂ֑ה וְֽאֶת־שַׁוְעָתָ֥ם יִ֝שְׁמַ֗ע וְיוֹשִׁיעֵֽם׃ | 19 |
वह अपने श्रद्धालुओं की अभिलाषा पूर्ण करते हैं; वह उनकी पुकार सुनकर उनकी रक्षा भी करते हैं.
שׁוֹמֵ֣ר יְ֭הוָה אֶת־כָּל־אֹהֲבָ֑יו וְאֵ֖ת כָּל־הָרְשָׁעִ֣ים יַשְׁמִֽיד׃ | 20 |
याहवेह उन सभी की रक्षा करते हैं, जिन्हें उनसे प्रेम है, किंतु वह दुष्टों को नष्ट कर देंगे.
תְּהִלַּ֥ת יְהוָ֗ה יְֽדַבֶּ֫ר־פִּ֥י וִיבָרֵ֣ךְ כָּל־בָּ֭שָׂר שֵׁ֥ם קָדְשׁ֗וֹ לְעוֹלָ֥ם וָעֶֽד׃ | 21 |
मेरा मुख याहवेह का गुणगान करेगा. सभी सदा-सर्वदा उनके पवित्र नाम का स्तवन करते रहें.