< תְהִלִּים 140 >
לַמְנַצֵּ֗חַ מִזְמ֥וֹר לְדָוִֽד׃ חַלְּצֵ֣נִי יְ֭הוָה מֵאָדָ֣ם רָ֑ע מֵאִ֖ישׁ חֲמָסִ֣ים תִּנְצְרֵֽנִי׃ | 1 |
ऐ ख़ुदावन्द! मुझे बुरे आदमी से रिहाई बख़्श; मुझे टेढ़े आदमी से महफूज़ रख।
אֲשֶׁ֤ר חָשְׁב֣וּ רָע֣וֹת בְּלֵ֑ב כָּל־י֝֗וֹם יָג֥וּרוּ מִלְחָמֽוֹת׃ | 2 |
जो दिल में शरारत के मन्सूबे बाँधते हैं; वह हमेशा मिलकर जंग के लिए जमा' हो जाते हैं।
שָֽׁנֲנ֣וּ לְשׁוֹנָם֮ כְּֽמוֹ־נָ֫חָ֥שׁ חֲמַ֥ת עַכְשׁ֑וּב תַּ֖חַת שְׂפָתֵ֣ימוֹ סֶֽלָה׃ | 3 |
उन्होंने अपनी ज़बान साँप की तरह तेज़ कर रखी है। उनके होटों के नीचे अज़दहा का ज़हर है।
שָׁמְרֵ֤נִי יְהוָ֨ה ׀ מִ֘ידֵ֤י רָשָׁ֗ע מֵאִ֣ישׁ חֲמָסִ֣ים תִּנְצְרֵ֑נִי אֲשֶׁ֥ר חָ֝שְׁב֗וּ לִדְח֥וֹת פְּעָמָֽי׃ | 4 |
ऐ ख़ुदावन्द! मुझे शरीर के हाथ से बचा मुझे टेढ़े आदमी से महफूज़ रख, जिनका इरादा है कि मेरे पाँव उखाड़ दें।
טָֽמְנֽוּ־גֵאִ֨ים ׀ פַּ֡ח לִ֗י וַחֲבָלִ֗ים פָּ֣רְשׂוּ רֶ֭שֶׁת לְיַד־מַעְגָּ֑ל מֹקְשִׁ֖ים שָֽׁתוּ־לִ֣י סֶֽלָה׃ | 5 |
मग़रूरों ने मेरे लिए फंदे और रस्सियों को छिपाया है, उन्होंने राह के किनारे जाल लगाया है; उन्होंने मेरे लिए दाम बिछा रख्खे हैं। (सिलाह)
אָמַ֣רְתִּי לַ֭יהוָה אֵ֣לִי אָ֑תָּה הַאֲזִ֥ינָה יְ֝הוָ֗ה ק֣וֹל תַּחֲנוּנָֽי׃ | 6 |
मैंने ख़ुदावन्द से कहा, मेरा ख़ुदा तू ही है। ऐ ख़ुदावन्द, मेरी इल्तिजा की आवाज़ पर कान लगा।
יְהֹוִ֣ה אֲ֭דֹנָי עֹ֣ז יְשׁוּעָתִ֑י סַכֹּ֥תָה לְ֝רֹאשִׁ֗י בְּי֣וֹם נָֽשֶׁק׃ | 7 |
ऐ ख़ुदावन्द मेरे मालिक, ऐ मेरी नजात की ताक़त, तूने जंग के दिन मेरे सिर पर साया किया है।
אַל־תִּתֵּ֣ן יְ֭הוָה מַאֲוַיֵּ֣י רָשָׁ֑ע זְמָמ֥וֹ אַל־תָּ֝פֵ֗ק יָר֥וּמוּ סֶֽלָה׃ | 8 |
ऐ ख़ुदावन्द, शरीर की मुराद पूरी न कर, उसके बुरे मन्सूबे को अंजाम न दे ताकि वह डींग न मारे। (सिलाह)
רֹ֥אשׁ מְסִבָּ֑י עֲמַ֖ל שְׂפָתֵ֣ימוֹ יְכַסֵּֽמוֹ׃ | 9 |
मुझे घेरने वालों की मुँह के शरारत, उन्हीं के सिर पर पड़े।
יִמּ֥וֹטוּ עֲלֵיהֶ֗ם גֶּֽחָ֫לִ֥ים בָּאֵ֥שׁ יַפִּלֵ֑ם בְּ֝מַהֲמֹר֗וֹת בַּֽל־יָקֽוּמוּ׃ | 10 |
उन पर अंगारे गिरें! वह आग में डाले जाएँ! और ऐसे गढ़ों में कि फिर न उठे।
אִ֥ישׁ לָשׁוֹן֮ בַּל־יִכּ֪וֹן בָּ֫אָ֥רֶץ אִישׁ־חָמָ֥ס רָ֑ע יְ֝צוּדֶ֗נּוּ לְמַדְחֵפֹֽת׃ | 11 |
बदज़बान आदमी की ज़मीन पर क़याम न होगा। आफ़त टेढ़े आदमी को दौड़ा कर हलाक करेगी।
יָדַ֗עְתִּי כִּֽי־יַעֲשֶׂ֣ה יְ֭הוָה דִּ֣ין עָנִ֑י מִ֝שְׁפַּ֗ט אֶבְיֹנִֽים׃ | 12 |
मैं जानता हूँ कि ख़ुदावन्द मुसीब तज़दा के मु'आमिले की, और मोहताज के हक़ की ताईद करेगा।
אַ֣ךְ צַ֭דִּיקִים יוֹד֣וּ לִשְׁמֶ֑ךָ יֵשְׁב֥וּ יְ֝שָׁרִ֗ים אֶת־פָּנֶֽיךָ׃ | 13 |
यक़ीनन सादिक़ तेरे नाम का शुक्र करेंगे, और रास्तबाज़ तेरे सामने में रहेंगे।