< תְהִלִּים 122 >
שִׁ֥יר הַֽמַּעֲל֗וֹת לְדָ֫וִ֥ד שָׂ֭מַחְתִּי בְּאֹמְרִ֣ים לִ֑י בֵּ֖ית יְהוָ֣ה נֵלֵֽךְ׃ | 1 |
मैं ख़ुश हुआ जब वह मुझ से कहने लगे “आओ ख़ुदावन्द के घर चलें।”
עֹ֭מְדוֹת הָי֣וּ רַגְלֵ֑ינוּ בִּ֝שְׁעָרַ֗יִךְ יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 2 |
ऐ येरूशलेम! हमारे क़दम, तेरे फाटकों के अन्दर हैं।
יְרוּשָׁלִַ֥ם הַבְּנוּיָ֑ה כְּ֝עִ֗יר שֶׁחֻבְּרָה־לָּ֥הּ יַחְדָּֽו׃ | 3 |
ऐ येरूशलेम तू ऐसे शहर के तरह है जो गुनजान बना हो।
שֶׁשָּׁ֨ם עָל֪וּ שְׁבָטִ֡ים שִׁבְטֵי־יָ֭הּ עֵד֣וּת לְיִשְׂרָאֵ֑ל לְ֝הֹד֗וֹת לְשֵׁ֣ם יְהוָֽה׃ | 4 |
जहाँ क़बीले या'नी ख़ुदावन्द के क़बीले, इस्राईल की शहादत के लिए, ख़ुदावन्द के नाम का शुक्र करने को जातें हैं।
כִּ֤י שָׁ֨מָּה ׀ יָשְׁב֣וּ כִסְא֣וֹת לְמִשְׁפָּ֑ט כִּ֝סְא֗וֹת לְבֵ֣ית דָּוִֽיד׃ | 5 |
क्यूँकि वहाँ 'अदालत के तख़्त, या'नी दाऊद के ख़ान्दान के तख़्त क़ाईम हैं।
שַׁ֭אֲלוּ שְׁל֣וֹם יְרוּשָׁלִָ֑ם יִ֝שְׁלָ֗יוּ אֹהֲבָֽיִךְ׃ | 6 |
येरूशलेम की सलामती की दुआ करो, वह जो तुझ से मुहब्बत रखते हैं इकबालमंद होंगे।
יְהִֽי־שָׁל֥וֹם בְּחֵילֵ֑ךְ שַׁ֝לְוָ֗ה בְּאַרְמְנוֹתָֽיִךְ׃ | 7 |
तेरी फ़सील के अन्दर सलामती, और तेरे महलों में इकबालमंदी हो।
לְ֭מַעַן אַחַ֣י וְרֵעָ֑י אֲדַבְּרָה־נָּ֖א שָׁל֣וֹם בָּֽךְ׃ | 8 |
मैं अपने भाइयों और दोस्तों की ख़ातिर, अब कहूँगा तुझ में सलामती रहे!
לְ֭מַעַן בֵּית־יְהוָ֣ה אֱלֹהֵ֑ינוּ אֲבַקְשָׁ֖ה ט֣וֹב לָֽךְ׃ | 9 |
ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के घर की ख़ातिर, मैं तेरी भलाई का तालिब रहूँगा।