< מִשְׁלֵי 19 >

טֽוֹב־רָ֭שׁ הוֹלֵ֣ךְ בְּתֻמּ֑וֹ מֵעִקֵּ֥שׁ שְׂ֝פָתָ֗יו וְה֣וּא כְסִֽיל׃ 1
रास्तरौ ग़रीब, कजगो और बेवक़ूफ़ से बेहतर है।
גַּ֤ם בְּלֹא־דַ֣עַת נֶ֣פֶשׁ לֹא־ט֑וֹב וְאָ֖ץ בְּרַגְלַ֣יִם חוֹטֵֽא׃ 2
ये भी अच्छा नहीं कि रूह 'इल्म से खाली रहे? जो चलने में जल्द बाज़ी करता है, भटक जाता है।
אִוֶּ֣לֶת אָ֭דָם תְּסַלֵּ֣ף דַּרְכּ֑וֹ וְעַל־יְ֝הוָ֗ה יִזְעַ֥ף לִבּֽוֹ׃ 3
आदमी की बेवक़ूफ़ी उसे गुमराह करती है, और उसका दिल ख़ुदावन्द से बेज़ार होता है।
ה֗וֹן יֹ֭סִיף רֵעִ֣ים רַבִּ֑ים וְ֝דָ֗ל מֵרֵ֥עהוּ יִפָּרֵֽד׃ 4
दौलत बहुत से दोस्त पैदा करती है, लेकिन ग़रीब अपने ही दोस्त से बेगाना है।
עֵ֣ד שְׁ֭קָרִים לֹ֣א יִנָּקֶ֑ה וְיָפִ֥יחַ כְּ֝זָבִ֗ים לֹ֣א יִמָּלֵֽט׃ 5
झूटा गवाह बे सज़ा न छूटेगा, और झूट बोलने वाला रिहाई न पाएगा।
רַ֭בִּים יְחַלּ֣וּ פְנֵֽי־נָדִ֑יב וְכָל־הָ֝רֵ֗עַ לְאִ֣ישׁ מַתָּֽן׃ 6
बहुत से लोग सख़ी की ख़ुशामद करते हैं, और हर एक आदमी इना'म देने वाले का दोस्त है।
כָּ֥ל אֲחֵי־רָ֨שׁ ׀ שְֽׂנֵאֻ֗הוּ אַ֤ף כִּ֣י מְ֭רֵעֵהוּ רָחֲק֣וּ מִמֶּ֑נּוּ מְרַדֵּ֖ף אֲמָרִ֣ים לוֹ הֵֽמָּה׃ 7
जब मिस्कीन के सब भाई ही उससे नफ़रत करते है, तो उसके दोस्त कितने ज़्यादा उससे दूर भागेंगे। वह बातों से उनका पीछा करता है, लेकिन उनको नहीं पाता।
קֹֽנֶה־לֵּ֭ב אֹהֵ֣ב נַפְשׁ֑וֹ שֹׁמֵ֥ר תְּ֝בוּנָ֗ה לִמְצֹא־טֽוֹב׃ 8
जो हिकमत हासिल करता है अपनी जान को 'अज़ीज़ रखता है; जो समझ की मुहाफ़िज़त करता है फ़ाइदा उठाएगा।
עֵ֣ד שְׁ֭קָרִים לֹ֣א יִנָּקֶ֑ה וְיָפִ֖יחַ כְּזָבִ֣ים יֹאבֵֽד׃ פ 9
झूटा गवाह बे सज़ा न छूटेगा, और जो झूठ बोलता है फ़ना होगा।
לֹֽא־נָאוֶ֣ה לִכְסִ֣יל תַּעֲנ֑וּג אַ֝֗ף כִּֽי־לְעֶ֤בֶד ׀ מְשֹׁ֬ל בְּשָׂרִֽים׃ 10
जब बेवक़ूफ़ के लिए नाज़ — ओ — ने'मत ज़ेबा नहीं तो ख़ादिम का शहज़ादों पर हुक्मरान होनाऔर भी मुनासिब नहीं।
שֵׂ֣כֶל אָ֭דָם הֶאֱרִ֣יךְ אַפּ֑וֹ וְ֝תִפאַרְתּ֗וֹ עֲבֹ֣ר עַל־פָּֽשַׁע׃ 11
आदमी की तमीज़ उसको क़हर करने में धीमा बनाती है, और ख़ता से दरगुज़र करने में उसकी शान है।
נַ֣הַם כַּ֭כְּפִיר זַ֣עַף מֶ֑לֶךְ וּכְטַ֖ל עַל־עֵ֣שֶׂב רְצוֹנֽוֹ׃ 12
बादशाह का ग़ज़ब शेर की गरज की तरह है, और उसकी नज़र — ए — 'इनायत घास पर शबनम की तरह।
הַוֹּ֣ת לְ֭אָבִיו בֵּ֣ן כְּסִ֑יל וְדֶ֥לֶף טֹ֝רֵ֗ד מִדְיְנֵ֥י אִשָּֽׁה׃ 13
बेवक़ूफ़ बेटा अपने बाप के लिए बला है, और बीवी का झगड़ा रगड़ा सदा का टपका।
בַּ֣יִת וָ֭הוֹן נַחֲלַ֣ת אָב֑וֹת וּ֝מֵיְהוָ֗ה אִשָּׁ֥ה מַשְׂכָּֽלֶת׃ 14
घर और माल तो बाप दादा से मीरास में मिलते हैं, लेकिन अक़्लमंद बीवी ख़ुदावन्द से मिलती है।
עַ֭צְלָה תַּפִּ֣יל תַּרְדֵּמָ֑ה וְנֶ֖פֶשׁ רְמִיָּ֣ה תִרְעָֽב׃ 15
काहिली नींद में गर्क़ कर देती है, और काहिल आदमी भूका रहेगा।
שֹׁמֵ֣ר מִ֭צְוָה שֹׁמֵ֣ר נַפְשׁ֑וֹ בּוֹזֵ֖ה דְרָכָ֣יו יָמֽוּת׃ 16
जो फ़रमान बजा लाता है अपनी जान की मुहाफ़ज़त पर जो अपनी राहों से ग़ाफ़िल है, मरेगा।
מַלְוֵ֣ה יְ֭הוָה ח֣וֹנֵֽן דָּ֑ל וּ֝גְמֻל֗וֹ יְשַׁלֶּם־לֽוֹ׃ 17
जो ग़रीबों पर रहम करता है, ख़ुदावन्द को क़र्ज़ देता है, और वह अपनी नेकी का बदला पाएगा।
יַסֵּ֣ר בִּ֭נְךָ כִּי־יֵ֣שׁ תִּקְוָ֑ה וְאֶל־הֲ֝מִית֗וֹ אַל־תִּשָּׂ֥א נַפְשֶֽׁךָ׃ 18
जब तक उम्मीद है अपने बेटे की तादीब किए जा और उसकी बर्बादी पर दिल न लगा।
גְּֽדָל חֵ֭מָה נֹ֣שֵׂא עֹ֑נֶשׁ כִּ֥י אִם־תַּ֝צִּ֗יל וְע֣וֹד תּוֹסִֽף׃ 19
ग़ुस्सावर आदमी सज़ा पाएगा; क्यूँकि अगर तू उसे रिहाई दे तो तुझे बार बार ऐसा ही करना होगा।
שְׁמַ֣ע עֵ֭צָה וְקַבֵּ֣ל מוּסָ֑ר לְ֝מַ֗עַן תֶּחְכַּ֥ם בְּאַחֲרִיתֶֽךָ׃ 20
मश्वरत को सुन और तरबियत पज़ीर हो, ताकि तू आख़िर कार 'अक़्लमन्द हो जाए।
רַבּ֣וֹת מַחֲשָׁב֣וֹת בְּלֶב־אִ֑ישׁ וַעֲצַ֥ת יְ֝הוָ֗ה הִ֣יא תָקֽוּם׃ 21
आदमी के दिल में बहुत से मन्सूबे हैं, लेकिन सिर्फ़ ख़ुदावन्द का इरादा ही क़ाईम रहेगा।
תַּאֲוַ֣ת אָדָ֣ם חַסְדּ֑וֹ וְטֽוֹב־רָ֝שׁ מֵאִ֥ישׁ כָּזָֽב׃ 22
आदमी की मक़बूलियत उसके एहसान से है, और कंगाल झूठे आदमी से बेहतर है।
יִרְאַ֣ת יְהוָ֣ה לְחַיִּ֑ים וְשָׂבֵ֥עַ יָ֝לִ֗ין בַּל־יִפָּ֥קֶד רָֽע׃ 23
ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ ज़िन्दगी बख़्श है, और ख़ुदा तरस सेर होगा, और बदी से महफ़ूज़ रहेगा।
טָ֘מַ֤ן עָצֵ֣ל יָ֭דוֹ בַּצַּלָּ֑חַת גַּם־אֶל־פִּ֝֗יהוּ לֹ֣א יְשִׁיבֶֽנָּה׃ 24
सुस्त आदमी अपना हाथ थाली में डालता है, और इतना भी नहीं करता की फिर उसे अपने मुँह तक लाए।
לֵ֣ץ תַּ֭כֶּה וּפֶ֣תִי יַעְרִ֑ם וְהוֹכִ֥יחַ לְ֝נָב֗וֹן יָבִ֥ין דָּֽעַת׃ 25
ठट्ठा करने वाले को मार, इससे सादा दिल होशियार हो जाएगा, और समझदार को तम्बीह कर, वह 'इल्म हासिल करेगा।
מְֽשַׁדֶּד־אָ֭ב יַבְרִ֣יחַ אֵ֑ם בֵּ֝֗ן מֵבִ֥ישׁ וּמַחְפִּֽיר׃ 26
जो अपने बाप से बदसुलूकी करता और माँ को निकाल देता है, शर्मिन्दगी का ज़रिया'और रुस्वाई लाने वाला बेटा है।
חַֽדַל־בְּ֭נִי לִשְׁמֹ֣עַ מוּסָ֑ר לִ֝שְׁג֗וֹת מֵֽאִמְרֵי־דָֽעַת׃ 27
ऐ मेरे बेटे, अगर तू 'इल्म से बरगश्ता होता है, तो ता'लीम सुनने से क्या फ़ायदा?
עֵ֣ד בְּ֭לִיַּעַל יָלִ֣יץ מִשְׁפָּ֑ט וּפִ֥י רְ֝שָׁעִ֗ים יְבַלַּע־אָֽוֶן׃ 28
ख़बीस गवाह 'अद्ल पर हँसता है, और शरीर का मुँह बदी निगलता रहता है।
נָכ֣וֹנוּ לַלֵּצִ֣ים שְׁפָטִ֑ים וּ֝מַהֲלֻמ֗וֹת לְגֵ֣ו כְּסִילִֽים׃ 29
ठठ्ठा करने वालों के लिए सज़ाएँ ठहराई जाती हैं, और बेवक़ूफ़ों की पीठ के लिए कोड़े हैं।

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