< מִשְׁלֵי 16 >
לְאָדָ֥ם מַֽעַרְכֵי־לֵ֑ב וּ֝מֵיְהוָ֗ה מַעֲנֵ֥ה לָשֽׁוֹן׃ | 1 |
दिल की तदबीरें इंसान से हैं, लेकिन ज़बान का जवाब ख़ुदावन्द की तरफ़ से है।
כָּֽל־דַּרְכֵי־אִ֭ישׁ זַ֣ךְ בְּעֵינָ֑יו וְתֹכֵ֖ן רוּח֣וֹת יְהוָֽה׃ | 2 |
इंसान की नज़र में उसके सब चाल चलन पाक हैं, लेकिन ख़ुदावन्द रूहों को जाँचता है।
גֹּ֣ל אֶל־יְהוָ֣ה מַעֲשֶׂ֑יךָ וְ֝יִכֹּ֗נוּ מַחְשְׁבֹתֶֽיךָ׃ | 3 |
अपने सब काम ख़ुदावन्द पर छोड़ दे, तो तेरे इरादे क़ाईम रहेंगे।
כֹּ֤ל פָּעַ֣ל יְ֭הוָה לַֽמַּעֲנֵ֑הוּ וְגַם־רָ֝שָׁ֗ע לְי֣וֹם רָעָֽה׃ | 4 |
ख़ुदावन्द ने हर एक चीज़ ख़ास मक़सद के लिए बनाई, हाँ शरीरों को भी उसने बुरे दिन के लिए बनाया।
תּוֹעֲבַ֣ת יְ֭הוָה כָּל־גְּבַהּ־לֵ֑ב יָ֥ד לְ֝יָ֗ד לֹ֣א יִנָּקֶֽה׃ | 5 |
हर एक से जिसके दिल में गु़रूर है, ख़ुदावन्द को नफ़रत है; यक़ीनन वह बे सज़ा न छूटेगा।
בְּחֶ֣סֶד וֶ֭אֱמֶת יְכֻפַּ֣ר עָוֹ֑ן וּבְיִרְאַ֥ת יְ֝הוָ֗ה ס֣וּר מֵרָֽע׃ | 6 |
शफ़क़त और सच्चाई से बदी का और लोग ख़ुदावन्द के ख़ौफ़ की वजह से बदी से बाज़ आते हैं।
בִּרְצ֣וֹת יְ֭הוָה דַּרְכֵי־אִ֑ישׁ גַּם־א֝וֹיְבָ֗יו יַשְׁלִ֥ם אִתּֽוֹ׃ | 7 |
जब इंसान का चाल चलन ख़ुदावन्द को पसंद आता है तो वह उसके दुश्मनों को भी उसके दोस्त बनाता है।
טוֹב־מְ֭עַט בִּצְדָקָ֑ה מֵרֹ֥ב תְּ֝בוּא֗וֹת בְּלֹ֣א מִשְׁפָּֽט׃ | 8 |
सदाक़त के साथ थोड़ा सा माल, बे इन्साफ़ी की बड़ी आमदनी से बेहतर है।
לֵ֣ב אָ֭דָם יְחַשֵּׁ֣ב דַּרְכּ֑וֹ וַֽ֝יהוָ֗ה יָכִ֥ין צַעֲדֽוֹ׃ | 9 |
आदमी का दिल आपनी राह ठहराता है लेकिन ख़ुदावन्द उसके क़दमों की रहनुमाई करता है।
קֶ֤סֶם ׀ עַֽל־שִׂפְתֵי־מֶ֑לֶךְ בְּ֝מִשְׁפָּ֗ט לֹ֣א יִמְעַל־פִּֽיו׃ | 10 |
कलाम — ए — रब्बानी बादशाह के लबों से निकलता है, और उसका मुँह 'अदालत करने में ख़ता नहीं करता।
פֶּ֤לֶס ׀ וּמֹאזְנֵ֣י מִ֭שְׁפָּט לַֽיהוָ֑ה מַ֝עֲשֵׂ֗הוּ כָּל־אַבְנֵי־כִֽיס׃ | 11 |
ठीक तराजू़ और पलड़े ख़ुदावन्द के हैं, थैली के सब तौल बाट उसका काम हैं।
תּוֹעֲבַ֣ת מְ֭לָכִים עֲשׂ֣וֹת רֶ֑שַׁע כִּ֥י בִ֝צְדָקָ֗ה יִכּ֥וֹן כִּסֵּֽא׃ | 12 |
शरारत करने से बादशाहों को नफ़रत है, क्यूँकि तख़्त का क़याम सदाक़त से है।
רְצ֣וֹן מְ֭לָכִים שִׂפְתֵי־צֶ֑דֶק וְדֹבֵ֖ר יְשָׁרִ֣ים יֶאֱהָֽב׃ | 13 |
सादिक़ लब बादशाहों की ख़ुशनूदी हैं, और वह सच बोलने वालों को दोस्त रखते हैं।
חֲמַת־מֶ֥לֶךְ מַלְאֲכֵי־מָ֑וֶת וְאִ֖ישׁ חָכָ֣ם יְכַפְּרֶֽנָּה׃ | 14 |
बादशाह का क़हर मौत का क़ासिद है, लेकिन 'अक़्लमंद आदमी उसे ठंडा करता है।
בְּאוֹר־פְּנֵי־מֶ֥לֶךְ חַיִּ֑ים וּ֝רְצוֹנ֗וֹ כְּעָ֣ב מַלְקֽוֹשׁ׃ | 15 |
बादशाह के चेहरे के नूर में ज़िन्दगी है, और उसकी नज़र — ए — 'इनायत आख़री बरसात के बादल की तरह है।
קְֽנֹה־חָכְמָ֗ה מַה־טּ֥וֹב מֵחָר֑וּץ וּקְנ֥וֹת בִּ֝ינָ֗ה נִבְחָ֥ר מִכָּֽסֶף׃ | 16 |
हिकमत का हुसूल सोने से बहुत बेहतर है, और समझ का हुसूल चाँदी से बहुत पसन्दीदा है।
מְסִלַּ֣ת יְ֭שָׁרִים ס֣וּר מֵרָ֑ע שֹׁמֵ֥ר נַ֝פְשׁ֗וֹ נֹצֵ֥ר דַּרְכּֽוֹ׃ | 17 |
रास्तकार आदमी की शाहराह यह है कि बदी से भागे, और अपनी राह का निगहबान अपनी जान की हिफ़ाजत करता है।
לִפְנֵי־שֶׁ֥בֶר גָּא֑וֹן וְלִפְנֵ֥י כִ֝שָּׁל֗וֹן גֹּ֣בַהּ רֽוּחַ׃ | 18 |
हलाकत से पहले तकब्बुर, और ज़वाल से पहले ख़ुदबीनी है।
ט֣וֹב שְׁפַל־ר֭וּחַ אֶת־עֲנָוִ֑ים מֵֽחַלֵּ֥ק שָׁ֝לָ֗ל אֶת־גֵּאִֽים׃ | 19 |
ग़रीबों के साथ फ़रोतन बनना, मुतकब्बिरों के साथ लूट का माल तक़सीम करने से बेहतर है।
מַשְׂכִּ֣יל עַל־דָּ֭בָר יִמְצָא־ט֑וֹב וּבוֹטֵ֖חַ בַּיהוָ֣ה אַשְׁרָֽיו׃ | 20 |
जो कलाम पर तवज्जुह करता है, भलाई देखेगा: और जिसका भरोसा ख़ुदावन्द पर है, मुबारक है।
לַחֲכַם־לֵ֭ב יִקָּרֵ֣א נָב֑וֹן וּמֶ֥תֶק שְׂ֝פָתַ֗יִם יֹסִ֥יף לֶֽקַח׃ | 21 |
'अक़्लमंद दिल होशियार कहलाएगा, और शीरीन ज़बानी से 'इल्म की फ़िरावानी होती है।
מְק֣וֹר חַ֭יִּים שֵׂ֣כֶל בְּעָלָ֑יו וּמוּסַ֖ר אֱוִלִ֣ים אִוֶּֽלֶת׃ | 22 |
'अक्लमंद के लिए 'अक़्ल हयात का चश्मा है, लेकिन बेवक़ूफ़ की तरबियत बेवक़ूफ़ ही है।
לֵ֣ב חָ֭כָם יַשְׂכִּ֣יל פִּ֑יהוּ וְעַל־שְׂ֝פָתָ֗יו יֹסִ֥יף לֶֽקַח׃ | 23 |
'अक़्लमंद का दिल उसके मुँह की तरबियत करता है, और उसके लबों को 'इल्म बख़्शता है।
צוּף־דְּ֭בַשׁ אִמְרֵי־נֹ֑עַם מָת֥וֹק לַ֝נֶּפֶשׁ וּמַרְפֵּ֥א לָעָֽצֶם׃ | 24 |
दिलपसंद बातें शहद का छत्ता हैं, वह जी को मीठी लगती हैं और हड्डियों के लिए शिफ़ा हैं।
יֵ֤שׁ דֶּ֣רֶךְ יָ֭שָׁר לִפְנֵי־אִ֑ישׁ וְ֝אַחֲרִיתָ֗הּ דַּרְכֵי־מָֽוֶת׃ | 25 |
ऐसी राह भी है, जो इंसान को सीधी मा'लूम होती है; लेकिन उसकी इन्तिहा में मौत की राहें हैं।
נֶ֣פֶשׁ עָ֭מֵל עָ֣מְלָה לּ֑וֹ כִּֽי־אָכַ֖ף עָלָ֣יו פִּֽיהוּ׃ | 26 |
मेहनत करने वाले की ख़्वाहिश उससे काम कराती है, क्यूँकि उसका पेट उसको उभारता है।
אִ֣ישׁ בְּ֭לִיַּעַל כֹּרֶ֣ה רָעָ֑ה וְעַל־שְׂ֝פָת֗וֹ כְּאֵ֣שׁ צָרָֽבֶת׃ | 27 |
ख़बीस आदमी शरारत को ख़ुद कर निकालता है, और उसके लबों में जैसे जलाने वाली आग है।
אִ֣ישׁ תַּ֭הְפֻּכוֹת יְשַׁלַּ֣ח מָד֑וֹן וְ֝נִרְגָּ֗ן מַפְרִ֥יד אַלּֽוּף׃ | 28 |
टेढ़ा आदमी फ़ितना ओंगेज़ है, और ग़ीबत करने वाला दोस्तों में जुदाई डालता है।
אִ֣ישׁ חָ֭מָס יְפַתֶּ֣ה רֵעֵ֑הוּ וְ֝הוֹלִיכ֗וֹ בְּדֶ֣רֶךְ לֹא־טֽוֹב׃ | 29 |
तुन्दखू़ आदमी अपने पड़ोसियों को वरग़लाता है, और उसको बुरी राह पर ले जाता है।
עֹצֶ֣ה עֵ֭ינָיו לַחְשֹׁ֣ב תַּהְפֻּכ֑וֹת קֹרֵ֥ץ שְׂ֝פָתָ֗יו כִּלָּ֥ה רָעָֽה׃ | 30 |
आँख मारने वाला कजी ईजाद करता है, और लब चबाने वाला फ़साद खड़ा करता है।
עֲטֶ֣רֶת תִּפְאֶ֣רֶת שֵׂיבָ֑ה בְּדֶ֥רֶךְ צְ֝דָקָ֗ה תִּמָּצֵֽא׃ | 31 |
सफ़ेद सिर शौकत का ताज है; वह सदाक़त की राह पर पाया जाएगा।
ט֤וֹב אֶ֣רֶךְ אַ֭פַּיִם מִגִּבּ֑וֹר וּמֹשֵׁ֥ל בְּ֝רוּח֗וֹ מִלֹּכֵ֥ד עִֽיר׃ | 32 |
जो क़हर करने में धीमा है पहलवान से बेहतर है, और वह जो अपनी रूह पर ज़ाबित है उस से जो शहर को ले लेता है।
בַּ֭חֵיק יוּטַ֣ל אֶת־הַגּוֹרָ֑ל וּ֝מֵיְהוָ֗ה כָּל־מִשְׁפָּטֽוֹ׃ | 33 |
पर्ची गोद में डाली जाती है, लेकिन उसका सारा इन्तिज़ाम ख़ुदावन्द की तरफ़ से है।