< בְּמִדְבַּר 4 >
וַיְדַבֵּ֣ר יְהוָ֔ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה וְאֶֽל־אַהֲרֹ֖ן לֵאמֹֽר׃ | 1 |
१फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
נָשֹׂ֗א אֶת־רֹאשׁ֙ בְּנֵ֣י קְהָ֔ת מִתּ֖וֹךְ בְּנֵ֣י לֵוִ֑י לְמִשְׁפְּחֹתָ֖ם לְבֵ֥ית אֲבֹתָֽם׃ | 2 |
२“लेवियों में से कहातियों की, उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार, गिनती करो,
מִבֶּ֨ן שְׁלֹשִׁ֤ים שָׁנָה֙ וָמַ֔עְלָה וְעַ֖ד בֶּן־חֲמִשִּׁ֣ים שָׁנָ֑ה כָּל־בָּא֙ לַצָּבָ֔א לַעֲשׂ֥וֹת מְלָאכָ֖ה בְּאֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 3 |
३अर्थात् तीस वर्ष से लेकर पचास वर्ष तक की आयु वालों में, जितने मिलापवाले तम्बू में काम-काज करने को भर्ती हैं।
זֹ֛את עֲבֹדַ֥ת בְּנֵי־קְהָ֖ת בְּאֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד קֹ֖דֶשׁ הַקֳּדָשִֽׁים׃ | 4 |
४और मिलापवाले तम्बू में परमपवित्र वस्तुओं के विषय कहातियों का यह काम होगा,
וּבָ֨א אַהֲרֹ֤ן וּבָנָיו֙ בִּנְסֹ֣עַ הַֽמַּחֲנֶ֔ה וְהוֹרִ֕דוּ אֵ֖ת פָּרֹ֣כֶת הַמָּסָ֑ךְ וְכִ֨סּוּ־בָ֔הּ אֵ֖ת אֲרֹ֥ן הָעֵדֻֽת׃ | 5 |
५अर्थात् जब जब छावनी का कूच हो तब-तब हारून और उसके पुत्र भीतर आकर, बीचवाले पर्दे को उतार कर उससे साक्षीपत्र के सन्दूक को ढाँप दें;
וְנָתְנ֣וּ עָלָ֗יו כְּסוּי֙ ע֣וֹר תַּ֔חַשׁ וּפָרְשׂ֧וּ בֶֽגֶד־כְּלִ֛יל תְּכֵ֖לֶת מִלְמָ֑עְלָה וְשָׂמ֖וּ בַּדָּֽיו׃ | 6 |
६तब वे उस पर सुइसों की खालों का आवरण डालें, और उसके ऊपर सम्पूर्ण नीले रंग का कपड़ा डालें, और सन्दूक में डंडों को लगाएँ।
וְעַ֣ל ׀ שֻׁלְחַ֣ן הַפָּנִ֗ים יִפְרְשׂוּ֮ בֶּ֣גֶד תְּכֵלֶת֒ וְנָתְנ֣וּ עָ֠לָיו אֶת־הַקְּעָרֹ֤ת וְאֶת־הַכַּפֹּת֙ וְאֶת־הַמְּנַקִּיֹּ֔ת וְאֵ֖ת קְשׂ֣וֹת הַנָּ֑סֶךְ וְלֶ֥חֶם הַתָּמִ֖יד עָלָ֥יו יִהְיֶֽה׃ | 7 |
७फिर भेंटवाली रोटी की मेज पर नीला कपड़ा बिछाकर उस पर परातों, धूपदानों, करछों, और उण्डेलने के कटोरों को रखें; और प्रतिदिन की रोटी भी उस पर हो;
וּפָרְשׂ֣וּ עֲלֵיהֶ֗ם בֶּ֚גֶד תּוֹלַ֣עַת שָׁנִ֔י וְכִסּ֣וּ אֹת֔וֹ בְּמִכְסֵ֖ה ע֣וֹר תָּ֑חַשׁ וְשָׂמ֖וּ אֶת־בַּדָּֽיו׃ | 8 |
८तब वे उन पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसको सुइसों की खालों के आवरण से ढाँपें, और मेज के डंडों को लगा दें।
וְלָקְח֣וּ ׀ בֶּ֣גֶד תְּכֵ֗לֶת וְכִסּ֞וּ אֶת־מְנֹרַ֤ת הַמָּאוֹר֙ וְאֶת־נֵ֣רֹתֶ֔יהָ וְאֶת־מַלְקָחֶ֖יהָ וְאֶת־מַחְתֹּתֶ֑יהָ וְאֵת֙ כָּל־כְּלֵ֣י שַׁמְנָ֔הּ אֲשֶׁ֥ר יְשָׁרְתוּ־לָ֖הּ בָּהֶֽם׃ | 9 |
९फिर वे नीले रंग का कपड़ा लेकर दीपकों, गुलतराशों, और गुलदानों समेत उजियाला देनेवाले दीवट को, और उसके सब तेल के पात्रों को, जिनसे उसकी सेवा टहल होती है, ढाँपें;
וְנָתְנ֤וּ אֹתָהּ֙ וְאֶת־כָּל־כֵּלֶ֔יהָ אֶל־מִכְסֵ֖ה ע֣וֹר תָּ֑חַשׁ וְנָתְנ֖וּ עַל־הַמּֽוֹט׃ | 10 |
१०तब वे सारे सामान समेत दीवट को सुइसों की खालों के आवरण के भीतर रखकर डंडे पर धर दें।
וְעַ֣ל ׀ מִזְבַּ֣ח הַזָּהָ֗ב יִפְרְשׂוּ֙ בֶּ֣גֶד תְּכֵ֔לֶת וְכִסּ֣וּ אֹת֔וֹ בְּמִכְסֵ֖ה ע֣וֹר תָּ֑חַשׁ וְשָׂמ֖וּ אֶת־בַּדָּֽיו׃ | 11 |
११फिर वे सोने की वेदी पर एक नीला कपड़ा बिछाकर उसको सुइसों की खालों के आवरण से ढाँपें, और उसके डंडों को लगा दें;
וְלָקְחוּ֩ אֶת־כָּל־כְּלֵ֨י הַשָּׁרֵ֜ת אֲשֶׁ֧ר יְשָֽׁרְתוּ־בָ֣ם בַּקֹּ֗דֶשׁ וְנָֽתְנוּ֙ אֶל־בֶּ֣גֶד תְּכֵ֔לֶת וְכִסּ֣וּ אוֹתָ֔ם בְּמִכְסֵ֖ה ע֣וֹר תָּ֑חַשׁ וְנָתְנ֖וּ עַל־הַמּֽוֹט׃ | 12 |
१२तब वे सेवा टहल के सारे सामान को लेकर, जिससे पवित्रस्थान में सेवा टहल होती है, नीले कपड़े के भीतर रखकर सुइसों की खालों के आवरण से ढाँपें, और डंडे पर धर दें।
וְדִשְּׁנ֖וּ אֶת־הַמִּזְבֵּ֑חַ וּפָרְשׂ֣וּ עָלָ֔יו בֶּ֖גֶד אַרְגָּמָֽן׃ | 13 |
१३फिर वे वेदी पर से सब राख उठाकर वेदी पर बैंगनी रंग का कपड़ा बिछाएँ;
וְנָתְנ֣וּ עָ֠לָיו אֶֽת־כָּל־כֵּלָ֞יו אֲשֶׁ֣ר יְֽשָׁרְת֧וּ עָלָ֣יו בָּהֶ֗ם אֶת־הַמַּחְתֹּ֤ת אֶת־הַמִּזְלָגֹת֙ וְאֶת־הַיָּעִ֣ים וְאֶת־הַמִּזְרָקֹ֔ת כֹּ֖ל כְּלֵ֣י הַמִּזְבֵּ֑חַ וּפָרְשׂ֣וּ עָלָ֗יו כְּס֛וּי ע֥וֹר תַּ֖חַשׁ וְשָׂמ֥וּ בַדָּֽיו׃ | 14 |
१४तब जिस सामान से वेदी पर की सेवा टहल होती है वह सब, अर्थात् उसके करछे, काँटे, फावड़ियाँ, और कटोरे आदि, वेदी का सारा सामान उस पर रखें; और उसके ऊपर सुइसों की खालों का आवरण बिछाकर वेदी में डंडों को लगाएँ।
וְכִלָּ֣ה אַֽהֲרֹן־וּ֠בָנָיו לְכַסֹּ֨ת אֶת־הַקֹּ֜דֶשׁ וְאֶת־כָּל־כְּלֵ֣י הַקֹּדֶשׁ֮ בִּנְסֹ֣עַ הַֽמַּחֲנֶה֒ וְאַחֲרֵי־כֵ֗ן יָבֹ֤אוּ בְנֵי־קְהָת֙ לָשֵׂ֔את וְלֹֽא־יִגְּע֥וּ אֶל־הַקֹּ֖דֶשׁ וָמֵ֑תוּ אֵ֛לֶּה מַשָּׂ֥א בְנֵֽי־קְהָ֖ת בְּאֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 15 |
१५और जब हारून और उसके पुत्र छावनी के कूच के समय पवित्रस्थान और उसके सारे सामान को ढाँप चुकें, तब उसके बाद कहाती उसके उठाने के लिये आएँ, पर किसी पवित्र वस्तु को न छूएँ, कहीं ऐसा न हो कि मर जाएँ। कहातियों के उठाने के लिये मिलापवाले तम्बू की ये ही वस्तुएँ हैं।
וּפְקֻדַּ֞ת אֶלְעָזָ֣ר ׀ בֶּן־אַהֲרֹ֣ן הַכֹּהֵ֗ן שֶׁ֤מֶן הַמָּאוֹר֙ וּקְטֹ֣רֶת הַסַּמִּ֔ים וּמִנְחַ֥ת הַתָּמִ֖יד וְשֶׁ֣מֶן הַמִּשְׁחָ֑ה פְּקֻדַּ֗ת כָּל־הַמִּשְׁכָּן֙ וְכָל־אֲשֶׁר־בּ֔וֹ בְּקֹ֖דֶשׁ וּבְכֵלָֽיו׃ ס | 16 |
१६“जो वस्तुएँ हारून याजक के पुत्र एलीआजर को देख-रेख के लिये सौंपी जाएँ वे ये हैं, अर्थात् उजियाला देने के लिये तेल, और सुगन्धित धूप, और नित्य अन्नबलि, और अभिषेक का तेल, और सारे निवास, और उसमें की सब वस्तुएँ, और पवित्रस्थान और उसके सम्पूर्ण सामान।”
וַיְדַבֵּ֣ר יְהוָ֔ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה וְאֶֽל־אַהֲרֹ֖ן לֵאמֹֽר׃ | 17 |
१७फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
אַל־תַּכְרִ֕יתוּ אֶת־שֵׁ֖בֶט מִשְׁפְּחֹ֣ת הַקְּהָתִ֑י מִתּ֖וֹךְ הַלְוִיִּֽם׃ | 18 |
१८“कहातियों के कुलों के गोत्रों को लेवियों में से नाश न होने देना;
וְזֹ֣את ׀ עֲשׂ֣וּ לָהֶ֗ם וְחָיוּ֙ וְלֹ֣א יָמֻ֔תוּ בְּגִשְׁתָּ֖ם אֶת־קֹ֣דֶשׁ הַקֳּדָשִׁ֑ים אַהֲרֹ֤ן וּבָנָיו֙ יָבֹ֔אוּ וְשָׂמ֣וּ אוֹתָ֗ם אִ֥ישׁ אִ֛ישׁ עַל־עֲבֹדָת֖וֹ וְאֶל־מַשָּׂאֽוֹ׃ | 19 |
१९उसके साथ ऐसा करो, कि जब वे परमपवित्र वस्तुओं के समीप आएँ, तब न मरें परन्तु जीवित रहें; इस कारण हारून और उसके पुत्र भीतर आकर एक-एक के लिये उसकी सेवकाई और उसका भार ठहरा दें,
וְלֹא־יָבֹ֧אוּ לִרְא֛וֹת כְּבַלַּ֥ע אֶת־הַקֹּ֖דֶשׁ וָמֵֽתוּ׃ פ | 20 |
२०और वे पवित्र वस्तुओं के देखने को क्षण भर के लिये भी भीतर आने न पाएँ, कहीं ऐसा न हो कि मर जाएँ।”
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ | 21 |
२१फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
נָשֹׂ֗א אֶת־רֹ֛אשׁ בְּנֵ֥י גֵרְשׁ֖וֹן גַּם־הֵ֑ם לְבֵ֥ית אֲבֹתָ֖ם לְמִשְׁפְּחֹתָֽם׃ | 22 |
२२“गेर्शोनियों की भी गिनती उनके पितरों के घरानों और कुलों के अनुसार कर;
מִבֶּן֩ שְׁלֹשִׁ֨ים שָׁנָ֜ה וָמַ֗עְלָה עַ֛ד בֶּן־חֲמִשִּׁ֥ים שָׁנָ֖ה תִּפְקֹ֣ד אוֹתָ֑ם כָּל־הַבָּא֙ לִצְבֹ֣א צָבָ֔א לַעֲבֹ֥ד עֲבֹדָ֖ה בְּאֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 23 |
२३तीस वर्ष से लेकर पचास वर्ष तक की आयु वाले, जितने मिलापवाले तम्बू में सेवा करने को भर्ती हों उन सभी को गिन ले।
זֹ֣את עֲבֹדַ֔ת מִשְׁפְּחֹ֖ת הַגֵּרְשֻׁנִּ֑י לַעֲבֹ֖ד וּלְמַשָּֽׂא׃ | 24 |
२४सेवा करने और भार उठाने में गेर्शोनियों के कुलवालों की यह सेवकाई हो;
וְנָ֨שְׂא֜וּ אֶת־יְרִיעֹ֤ת הַמִּשְׁכָּן֙ וְאֶת־אֹ֣הֶל מוֹעֵ֔ד מִכְסֵ֕הוּ וּמִכְסֵ֛ה הַתַּ֥חַשׁ אֲשֶׁר־עָלָ֖יו מִלְמָ֑עְלָה וְאֶ֨ת־מָסַ֔ךְ פֶּ֖תַח אֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 25 |
२५अर्थात् वे निवास के पटों, और मिलापवाले तम्बू और उसके आवरण, और इसके ऊपरवाले सुइसों की खालों के आवरण, और मिलापवाले तम्बू के द्वार के पर्दे,
וְאֵת֩ קַלְעֵ֨י הֶֽחָצֵ֜ר וְאֶת־מָסַ֣ךְ ׀ פֶּ֣תַח ׀ שַׁ֣עַר הֶחָצֵ֗ר אֲשֶׁ֨ר עַל־הַמִּשְׁכָּ֤ן וְעַל־הַמִּזְבֵּ֙חַ֙ סָבִ֔יב וְאֵת֙ מֵֽיתְרֵיהֶ֔ם וְאֶֽת־כָּל־כְּלֵ֖י עֲבֹדָתָ֑ם וְאֵ֨ת כָּל־אֲשֶׁ֧ר יֵעָשֶׂ֛ה לָהֶ֖ם וְעָבָֽדוּ׃ | 26 |
२६और निवास, और वेदी के चारों ओर के आँगन के पर्दों, और आँगन के द्वार के पर्दे, और उनकी डोरियों, और उनमें काम में आनेवाले सारे सामान, इन सभी को वे उठाया करें; और इन वस्तुओं से जितना काम होता है वह सब भी उनकी सेवकाई में आए।
עַל־פִּי֩ אַהֲרֹ֨ן וּבָנָ֜יו תִּהְיֶ֗ה כָּל־עֲבֹדַת֙ בְּנֵ֣י הַגֵּרְשֻׁנִּ֔י לְכָל־מַשָּׂאָ֔ם וּלְכֹ֖ל עֲבֹדָתָ֑ם וּפְקַדְתֶּ֤ם עֲלֵהֶם֙ בְּמִשְׁמֶ֔רֶת אֵ֖ת כָּל־מַשָּׂאָֽם׃ | 27 |
२७और गेर्शोनियों के वंश की सारी सेवकाई हारून और उसके पुत्रों के कहने से हुआ करे, अर्थात् जो कुछ उनको उठाना, और जो-जो सेवकाई उनको करनी हो, उनका सारा भार तुम ही उन्हें सौंपा करो।
זֹ֣את עֲבֹדַ֗ת מִשְׁפְּחֹ֛ת בְּנֵ֥י הַגֵּרְשֻׁנִּ֖י בְּאֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד וּמִ֨שְׁמַרְתָּ֔ם בְּיַד֙ אִֽיתָמָ֔ר בֶּֽן־אַהֲרֹ֖ן הַכֹּהֵֽן׃ פ | 28 |
२८मिलापवाले तम्बू में गेर्शोनियों के कुलों की यही सेवकाई ठहरे; और उन पर हारून याजक का पुत्र ईतामार अधिकार रखे।
בְּנֵ֖י מְרָרִ֑י לְמִשְׁפְּחֹתָ֥ם לְבֵית־אֲבֹתָ֖ם תִּפְקֹ֥ד אֹתָֽם׃ | 29 |
२९“फिर मरारियों को भी तू उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिन लें;
מִבֶּן֩ שְׁלֹשִׁ֨ים שָׁנָ֜ה וָמַ֗עְלָה וְעַ֛ד בֶּן־חֲמִשִּׁ֥ים שָׁנָ֖ה תִּפְקְדֵ֑ם כָּל־הַבָּא֙ לַצָּבָ֔א לַעֲבֹ֕ד אֶת־עֲבֹדַ֖ת אֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 30 |
३०तीस वर्ष से लेकर पचास वर्ष तक की आयु वाले, जितने मिलापवाले तम्बू की सेवा करने को भर्ती हों, उन सभी को गिन ले।
וְזֹאת֙ מִשְׁמֶ֣רֶת מַשָּׂאָ֔ם לְכָל־עֲבֹדָתָ֖ם בְּאֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד קַרְשֵׁי֙ הַמִּשְׁכָּ֔ן וּבְרִיחָ֖יו וְעַמּוּדָ֥יו וַאֲדָנָֽיו׃ | 31 |
३१और मिलापवाले तम्बू में की जिन वस्तुओं के उठाने की सेवकाई उनको मिले वे ये हों, अर्थात् निवास के तख्ते, बेंड़े, खम्भे, और कुर्सियाँ,
וְעַמּוּדֵי֩ הֶחָצֵ֨ר סָבִ֜יב וְאַדְנֵיהֶ֗ם וִֽיתֵדֹתָם֙ וּמֵ֣יתְרֵיהֶ֔ם לְכָל־כְּלֵיהֶ֔ם וּלְכֹ֖ל עֲבֹדָתָ֑ם וּבְשֵׁמֹ֣ת תִּפְקְד֔וּ אֶת־כְּלֵ֖י מִשְׁמֶ֥רֶת מַשָּׂאָֽם׃ | 32 |
३२और चारों ओर आँगन के खम्भे, और इनकी कुर्सियाँ, खूँटे, डोरियाँ, और भाँति-भाँति के काम का सारा सामान ढोने के लिये उनको सौंपा जाए उसमें से एक-एक वस्तु का नाम लेकर तुम गिन लो।
זֹ֣את עֲבֹדַ֗ת מִשְׁפְּחֹת֙ בְּנֵ֣י מְרָרִ֔י לְכָל־עֲבֹדָתָ֖ם בְּאֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד בְּיַד֙ אִֽיתָמָ֔ר בֶּֽן־אַהֲרֹ֖ן הַכֹּהֵֽן׃ | 33 |
३३मरारियों के कुलों की सारी सेवकाई जो उन्हें मिलापवाले तम्बू के विषय करनी होगी वह यही है; वह हारून याजक के पुत्र ईतामार के अधिकार में रहे।”
וַיִּפְקֹ֨ד מֹשֶׁ֧ה וְאַהֲרֹ֛ן וּנְשִׂיאֵ֥י הָעֵדָ֖ה אֶת־בְּנֵ֣י הַקְּהָתִ֑י לְמִשְׁפְּחֹתָ֖ם וּלְבֵ֥ית אֲבֹתָֽם׃ | 34 |
३४तब मूसा और हारून और मण्डली के प्रधानों ने कहातियों के वंश को, उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार,
מִבֶּ֨ן שְׁלֹשִׁ֤ים שָׁנָה֙ וָמַ֔עְלָה וְעַ֖ד בֶּן־חֲמִשִּׁ֣ים שָׁנָ֑ה כָּל־הַבָּא֙ לַצָּבָ֔א לַעֲבֹדָ֖ה בְּאֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 35 |
३५तीस वर्ष से लेकर पचास वर्ष की आयु के, जितने मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने को भर्ती हुए थे, उन सभी को गिन लिया;
וַיִּהְי֥וּ פְקֻדֵיהֶ֖ם לְמִשְׁפְּחֹתָ֑ם אַלְפַּ֕יִם שְׁבַ֥ע מֵא֖וֹת וַחֲמִשִּֽׁים׃ | 36 |
३६और जो अपने-अपने कुल के अनुसार गिने गए, वे दो हजार साढ़े सात सौ थे।
אֵ֤לֶּה פְקוּדֵי֙ מִשְׁפְּחֹ֣ת הַקְּהָתִ֔י כָּל־הָעֹבֵ֖ד בְּאֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד אֲשֶׁ֨ר פָּקַ֤ד מֹשֶׁה֙ וְאַהֲרֹ֔ן עַל־פִּ֥י יְהוָ֖ה בְּיַד־מֹשֶֽׁה׃ ס | 37 |
३७कहातियों के कुलों में से जितने मिलापवाले तम्बू में सेवा करनेवाले गिने गए, वे इतने ही थे; जो आज्ञा यहोवा ने मूसा के द्वारा दी थी उसी के अनुसार मूसा और हारून ने इनको गिन लिया।
וּפְקוּדֵ֖י בְּנֵ֣י גֵרְשׁ֑וֹן לְמִשְׁפְּחוֹתָ֖ם וּלְבֵ֥ית אֲבֹתָֽם׃ | 38 |
३८गेर्शोनियों में से जो अपने कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिने गए,
מִבֶּ֨ן שְׁלֹשִׁ֤ים שָׁנָה֙ וָמַ֔עְלָה וְעַ֖ד בֶּן־חֲמִשִּׁ֣ים שָׁנָ֑ה כָּל־הַבָּא֙ לַצָּבָ֔א לַעֲבֹדָ֖ה בְּאֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 39 |
३९अर्थात् तीस वर्ष से लेकर पचास वर्ष तक की आयु के, जो मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने को दल में भर्ती हुए थे,
וַיִּֽהְיוּ֙ פְּקֻ֣דֵיהֶ֔ם לְמִשְׁפְּחֹתָ֖ם לְבֵ֣ית אֲבֹתָ֑ם אַלְפַּ֕יִם וְשֵׁ֥שׁ מֵא֖וֹת וּשְׁלֹשִֽׁים׃ | 40 |
४०उनकी गिनती उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार दो हजार छः सौ तीस थी।
אֵ֣לֶּה פְקוּדֵ֗י מִשְׁפְּחֹת֙ בְּנֵ֣י גֵרְשׁ֔וֹן כָּל־הָעֹבֵ֖ד בְּאֹ֣הֶל מוֹעֵ֑ד אֲשֶׁ֨ר פָּקַ֥ד מֹשֶׁ֛ה וְאַהֲרֹ֖ן עַל־פִּ֥י יְהוָֽה׃ | 41 |
४१गेर्शोनियों के कुलों में से जितने मिलापवाले तम्बू में सेवा करनेवाले गिने गए, वे इतने ही थे; यहोवा की आज्ञा के अनुसार मूसा और हारून ने इनको गिन लिया।
וּפְקוּדֵ֕י מִשְׁפְּחֹ֖ת בְּנֵ֣י מְרָרִ֑י לְמִשְׁפְּחֹתָ֖ם לְבֵ֥ית אֲבֹתָֽם׃ | 42 |
४२फिर मरारियों के कुलों में से जो अपने कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिने गए,
מִבֶּ֨ן שְׁלֹשִׁ֤ים שָׁנָה֙ וָמַ֔עְלָה וְעַ֖ד בֶּן־חֲמִשִּׁ֣ים שָׁנָ֑ה כָּל־הַבָּא֙ לַצָּבָ֔א לַעֲבֹדָ֖ה בְּאֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 43 |
४३अर्थात् तीस वर्ष से लेकर पचास वर्ष तक की आयु के, जो मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने को भर्ती हुए थे,
וַיִּהְי֥וּ פְקֻדֵיהֶ֖ם לְמִשְׁפְּחֹתָ֑ם שְׁלֹ֥שֶׁת אֲלָפִ֖ים וּמָאתָֽיִם׃ | 44 |
४४उनकी गिनती उनके कुलों के अनुसार तीन हजार दो सौ थी।
אֵ֣לֶּה פְקוּדֵ֔י מִשְׁפְּחֹ֖ת בְּנֵ֣י מְרָרִ֑י אֲשֶׁ֨ר פָּקַ֤ד מֹשֶׁה֙ וְאַהֲרֹ֔ן עַל־פִּ֥י יְהוָ֖ה בְּיַד־מֹשֶֽׁה׃ | 45 |
४५मरारियों के कुलों में से जिनको मूसा और हारून ने, यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार जो मूसा के द्वारा मिली थी, गिन लिया वे इतने ही थे।
כָּֽל־הַפְּקֻדִ֡ים אֲשֶׁר֩ פָּקַ֨ד מֹשֶׁ֧ה וְאַהֲרֹ֛ן וּנְשִׂיאֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל אֶת־הַלְוִיִּ֑ם לְמִשְׁפְּחֹתָ֖ם וּלְבֵ֥ית אֲבֹתָֽם׃ | 46 |
४६लेवियों में से जिनको मूसा और हारून और इस्राएली प्रधानों ने उनके कुलों और पितरों के घरानों के अनुसार गिन लिया,
מִבֶּ֨ן שְׁלֹשִׁ֤ים שָׁנָה֙ וָמַ֔עְלָה וְעַ֖ד בֶּן־חֲמִשִּׁ֣ים שָׁנָ֑ה כָּל־הַבָּ֗א לַעֲבֹ֨ד עֲבֹדַ֧ת עֲבֹדָ֛ה וַעֲבֹדַ֥ת מַשָּׂ֖א בְּאֹ֥הֶל מוֹעֵֽד׃ | 47 |
४७अर्थात् तीस वर्ष से लेकर पचास वर्ष तक की आयु वाले, जितने मिलापवाले तम्बू की सेवकाई करने और बोझ उठाने का काम करने को हाजिर होनेवाले थे,
וַיִּהְי֖וּ פְּקֻדֵיהֶ֑ם שְׁמֹנַ֣ת אֲלָפִ֔ים וַחֲמֵ֥שׁ מֵא֖וֹת וּשְׁמֹנִֽים׃ | 48 |
४८उन सभी की गिनती आठ हजार पाँच सौ अस्सी थी।
עַל־פִּ֨י יְהוָ֜ה פָּקַ֤ד אוֹתָם֙ בְּיַד־מֹשֶׁ֔ה אִ֥ישׁ אִ֛ישׁ עַל־עֲבֹדָת֖וֹ וְעַל־מַשָּׂא֑וֹ וּפְקֻדָ֕יו אֲשֶׁר־צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה אֶת־מֹשֶֽׁה׃ פ | 49 |
४९ये अपनी-अपनी सेवा और बोझ ढोने के लिए यहोवा के कहने पर गए। जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी उसी के अनुसार वे गिने गए।