< בְּמִדְבַּר 34 >

וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 1
फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि,
צַ֞ו אֶת־בְּנֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵהֶ֔ם כִּֽי־אַתֶּ֥ם בָּאִ֖ים אֶל־הָאָ֣רֶץ כְּנָ֑עַן זֹ֣את הָאָ֗רֶץ אֲשֶׁ֨ר תִּפֹּ֤ל לָכֶם֙ בְּֽנַחֲלָ֔ה אֶ֥רֶץ כְּנַ֖עַן לִגְבֻלֹתֶֽיהָ׃ 2
“बनी — इस्राईल को हुक्म कर, और उनको कह दे कि जब तुम मुल्क — ए — कना'न में दाख़िल हो; यह वही मुल्क है जो तुम्हारी मीरास होगा, या'नी कनान का मुल्क म'ए अपनी हुदूद — ए — अरबा' के
וְהָיָ֨ה לָכֶ֧ם פְּאַת־נֶ֛גֶב מִמִּדְבַּר־צִ֖ן עַל־יְדֵ֣י אֱד֑וֹם וְהָיָ֤ה לָכֶם֙ גְּב֣וּל נֶ֔גֶב מִקְצֵ֥ה יָם־הַמֶּ֖לַח קֵֽדְמָה׃ 3
तो तुम्हारी दख्खिनी सिम्त सीन के जंगल से लेकर मुल्क — ए — अदोम के किनारे किनारे हो, और तुम्हारी दख्खिनी सरहद दरिया — ए — शोर के आख़िर से शुरू' होकर पश्चिम को जाए।
וְנָסַ֣ב לָכֶם֩ הַגְּב֨וּל מִנֶּ֜גֶב לְמַעֲלֵ֤ה עַקְרַבִּים֙ וְעָ֣בַר צִ֔נָה וְהָיוּ֙ תּֽוֹצְאֹתָ֔יו מִנֶּ֖גֶב לְקָדֵ֣שׁ בַּרְנֵ֑עַ וְיָצָ֥א חֲצַר־אַדָּ֖ר וְעָבַ֥ר עַצְמֹֽנָה׃ 4
वहाँ से तुम्हारी सरहद 'अक़राबियम की चढ़ाई के दख्खिन तक पहुँच कर मुड़े, और सीन से होती हुई क़ादिस बर्नी'अ के दख्खिन में जाकर निकले, और हसर अद्दार से होकर 'अज़मून तक पहुँचे।
וְנָסַ֧ב הַגְּב֛וּל מֵעַצְמ֖וֹן נַ֣חְלָה מִצְרָ֑יִם וְהָי֥וּ תוֹצְאֹתָ֖יו הַיָּֽמָּה׃ 5
फिर यही सरहद 'अज़मून से होकर घूमती हुई मिस्र की नहर तक जाए और समन्दर के किनारे पर ख़त्म हो।
וּגְב֣וּל יָ֔ם וְהָיָ֥ה לָכֶ֛ם הַיָּ֥ם הַגָּד֖וֹל וּגְב֑וּל זֶֽה־יִהְיֶ֥ה לָכֶ֖ם גְּב֥וּל יָֽם׃ 6
“और पश्चिमी सिम्त में बड़ा समन्दर और उसका साहिल हो, इसलिए यही तुम्हारी पश्चिमी सरहद ठहरे।
וְזֶֽה־יִהְיֶ֥ה לָכֶ֖ם גְּב֣וּל צָפ֑וֹן מִן־הַיָּם֙ הַגָּדֹ֔ל תְּתָא֥וּ לָכֶ֖ם הֹ֥ר הָהָֽר׃ 7
“और उत्तरी सिम्त में तुम बड़े समन्दर से कोह — ए — होर तक अपनी हद्द रखना।
מֵהֹ֣ר הָהָ֔ר תְּתָא֖וּ לְבֹ֣א חֲמָ֑ת וְהָי֛וּ תּוֹצְאֹ֥ת הַגְּבֻ֖ל צְדָֽדָה׃ 8
फिर कोह — ए — होर से हमात के मदख़ल तक तुम इस तरह अपनी हद्द मुक़र्रर करना कि वह सिदाद से जा मिले।
וְיָצָ֤א הַגְּבֻל֙ זִפְרֹ֔נָה וְהָי֥וּ תוֹצְאֹתָ֖יו חֲצַ֣ר עֵינָ֑ן זֶֽה־יִהְיֶ֥ה לָכֶ֖ם גְּב֥וּל צָפֽוֹן׃ 9
और वहाँ से होती हुई ज़िफ़रून को निकल जाए और हसर 'एनान पर जाकर ख़त्म हो, यह तुम्हारी उत्तरी सरहद हो।
וְהִתְאַוִּיתֶ֥ם לָכֶ֖ם לִגְב֣וּל קֵ֑דְמָה מֵחֲצַ֥ר עֵינָ֖ן שְׁפָֽמָה׃ 10
“और तुम अपनी पूरबी सरहद हसर 'एनान से लेकर सफ़ाम तक बाँधना।
וְיָרַ֨ד הַגְּבֻ֧ל מִשְּׁפָ֛ם הָרִבְלָ֖ה מִקֶּ֣דֶם לָעָ֑יִן וְיָרַ֣ד הַגְּב֔וּל וּמָחָ֛ה עַל־כֶּ֥תֶף יָם־כִּנֶּ֖רֶת קֵֽדְמָה׃ 11
और यह सरहद सफ़ाम से रिबला तक जो 'ऐन के पश्चिम में है जाए, और वहाँ से नीचे को उतरती हुई किन्नरत की झील के पूरबी किनारे तक पहुँचे:
וְיָרַ֤ד הַגְּבוּל֙ הַיַּרְדֵּ֔נָה וְהָי֥וּ תוֹצְאֹתָ֖יו יָ֣ם הַמֶּ֑לַח זֹאת֩ תִּהְיֶ֨ה לָכֶ֥ם הָאָ֛רֶץ לִגְבֻלֹתֶ֖יהָ סָבִֽיב׃ 12
और फिर यरदन के किनारे किनारे नीचे को जाकर दरिया — ए — शोर पर ख़त्म हो। इन हदों के अन्दर का मुल्क तुम्हारा होगा।”
וַיְצַ֣ו מֹשֶׁ֔ה אֶת־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר זֹ֣את הָאָ֗רֶץ אֲשֶׁ֨ר תִּתְנַחֲל֤וּ אֹתָהּ֙ בְּגוֹרָ֔ל אֲשֶׁר֙ צִוָּ֣ה יְהוָ֔ה לָתֵ֛ת לְתִשְׁעַ֥ת הַמַּטּ֖וֹת וַחֲצִ֥י הַמַּטֶּֽה׃ 13
तब मूसा ने बनी — इस्राईल को हुक्म दिया, “यही वह ज़मीन है जिसे तुम पर्ची डाल कर मीरास में लोगे, और इसी के बारे में ख़ुदावन्द ने हुक्म दिया है कि वह साढ़े नौ क़बीलों को दी जाए।
כִּ֣י לָקְח֞וּ מַטֵּ֨ה בְנֵ֤י הָראוּבֵנִי֙ לְבֵ֣ית אֲבֹתָ֔ם וּמַטֵּ֥ה בְנֵֽי־הַגָּדִ֖י לְבֵ֣ית אֲבֹתָ֑ם וַחֲצִי֙ מַטֵּ֣ה מְנַשֶּׁ֔ה לָקְח֖וּ נַחֲלָתָֽם׃ 14
क्यूँकि बनी रूबिन के क़बीले ने अपने आबाई ख़ान्दानों के मुवाफ़िक, और बनी जद्द के क़बीले ने भी अपने आबाई ख़ान्दानों के मुताबिक़ मीरास पा ली, और बनी मनस्सी के आधे क़बीले ने भी अपनी मीरास पा ली;
שְׁנֵ֥י הַמַּטּ֖וֹת וַחֲצִ֣י הַמַּטֶּ֑ה לָקְח֣וּ נַחֲלָתָ֗ם מֵעֵ֛בֶר לְיַרְדֵּ֥ן יְרֵח֖וֹ קֵ֥דְמָה מִזְרָֽחָה׃ פ 15
या'नी इन ढाई क़बीलों को यरदन के इसी पार यरीहू के सामने पश्चिम की तरफ़ जिधर से सूरज निकलता है मीरास मिल चुकी है।”
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃ 16
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि,
אֵ֚לֶּה שְׁמ֣וֹת הָֽאֲנָשִׁ֔ים אֲשֶׁר־יִנְחֲל֥וּ לָכֶ֖ם אֶת־הָאָ֑רֶץ אֶלְעָזָר֙ הַכֹּהֵ֔ן וִיהוֹשֻׁ֖עַ בִּן־נֽוּן׃ 17
'जो अश्ख़ास इस मुल्क को मीरास के तौर पर तुम को बाँट देंगे उन के नाम यह हैं, या'नी इली'एलियाज़र काहिन और नून का बेटा यशू'अ।
וְנָשִׂ֥יא אֶחָ֛ד נָשִׂ֥יא אֶחָ֖ד מִמַּטֶּ֑ה תִּקְח֖וּ לִנְחֹ֥ל אֶת־הָאָֽרֶץ׃ 18
और तुम ज़मीन को मीरास के तौर पर बाँटने के लिए हर क़बीले से एक सरदार को लेना।
וְאֵ֖לֶּה שְׁמ֣וֹת הָאֲנָשִׁ֑ים לְמַטֵּ֣ה יְהוּדָ֔ה כָּלֵ֖ב בֶּן־יְפֻנֶּֽה׃ 19
और उन आदमियों के नाम यह हैं: यहूदाह के क़बीले से यफुना का बेटा कालिब,
וּלְמַטֵּה֙ בְּנֵ֣י שִׁמְע֔וֹן שְׁמוּאֵ֖ל בֶּן־עַמִּיהֽוּד׃ 20
और बनी शमौन के क़बीले से अम्मीहूद का बेटा समूएल,
לְמַטֵּ֣ה בִנְיָמִ֔ן אֱלִידָ֖ד בֶּן־כִּסְלֽוֹן׃ 21
और बिनयमीन के क़बीले से किसलून का बेटा इलीदाद,
וּלְמַטֵּ֥ה בְנֵי־דָ֖ן נָשִׂ֑יא בֻּקִּ֖י בֶּן־יָגְלִֽי׃ 22
और बनी दान के क़बीले से एक सरदार बुक्की बिन युगली,
לִבְנֵ֣י יוֹסֵ֔ף לְמַטֵּ֥ה בְנֵֽי־מְנַשֶּׁ֖ה נָשִׂ֑יא חַנִּיאֵ֖ל בֶּן־אֵפֹֽד׃ 23
और बनी यूसुफ़ में से या'नी बनी मनस्सी के क़बीले से एक सरदार हनीएल बिन अफ़ूद,
וּלְמַטֵּ֥ה בְנֵֽי־אֶפְרַ֖יִם נָשִׂ֑יא קְמוּאֵ֖ל בֶּן־שִׁפְטָֽן׃ 24
और बनी इफ़्राईम के क़बीले से एक सरदार क़मूएल बिन सिफ़्तान,
וּלְמַטֵּ֥ה בְנֵֽי־זְבוּלֻ֖ן נָשִׂ֑יא אֱלִיצָפָ֖ן בֶּן־פַּרְנָֽךְ׃ 25
और बनी ज़बूलून के क़बीले से एक सरदार इलिसफ़न बिन फ़रनाक,
וּלְמַטֵּ֥ה בְנֵֽי־יִשָׂשכָ֖ר נָשִׂ֑יא פַּלְטִיאֵ֖ל בֶּן־עַזָּֽן׃ 26
और बनी इश्कार के क़बीले से एक सरदार फ़लतीएल बिन 'अज़्ज़ान,
וּלְמַטֵּ֥ה בְנֵי־אָשֵׁ֖ר נָשִׂ֑יא אֲחִיה֖וּד בֶּן־שְׁלֹמִֽי׃ 27
और बनी आशर के क़बीले से एक सरदार अखीहूद बिन शलूमी,
וּלְמַטֵּ֥ה בְנֵֽי־נַפְתָּלִ֖י נָשִׂ֑יא פְּדַהְאֵ֖ל בֶּן־עַמִּיהֽוּד׃ 28
और बनी नफ़्ताली के क़बीले से एक सरदार फ़िदाहेल बिन 'अम्मीहूद।”
אֵ֕לֶּה אֲשֶׁ֖ר צִוָּ֣ה יְהוָ֑ה לְנַחֵ֥ל אֶת־בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל בְּאֶ֥רֶץ כְּנָֽעַן׃ פ 29
यह वह लोग हैं जिनको ख़ुदावन्द ने हुक्म दिया कि मुल्क — ए — कना'न में बनी — इस्राईल को मीरास तक़्सीम कर दें।

< בְּמִדְבַּר 34 >