< בְּמִדְבַּר 32 >
וּמִקְנֶ֣ה ׀ רַ֗ב הָיָ֞ה לִבְנֵ֧י רְאוּבֵ֛ן וְלִבְנֵי־גָ֖ד עָצ֣וּם מְאֹ֑ד וַיִּרְא֞וּ אֶת־אֶ֤רֶץ יַעְזֵר֙ וְאֶת־אֶ֣רֶץ גִּלְעָ֔ד וְהִנֵּ֥ה הַמָּק֖וֹם מְק֥וֹם מִקְנֶֽה׃ | 1 |
इस समय तक रियूबेन तथा गाद के वंशजों का पशु धन बहुत विशाल संख्या में हो चुका था. फिर जब उन्होंने याज़र देश तथा गिलआद देश का विचार किया, तो उन्होंने इसे हर एक रीति से पशु धन के लिए उपयुक्त पाया.
וַיָּבֹ֥אוּ בְנֵֽי־גָ֖ד וּבְנֵ֣י רְאוּבֵ֑ן וַיֹּאמְר֤וּ אֶל־מֹשֶׁה֙ וְאֶל־אֶלְעָזָ֣ר הַכֹּהֵ֔ן וְאֶל־נְשִׂיאֵ֥י הָעֵדָ֖ה לֵאמֹֽר׃ | 2 |
रियूबेन के वंशज तथा गाद के वंशज मोशेह, पुरोहित एलिएज़र तथा सभा के प्रधानों के पास अपनी विनती ले पहुंच गए.
עֲטָר֤וֹת וְדִיבֹן֙ וְיַעְזֵ֣ר וְנִמְרָ֔ה וְחֶשְׁבּ֖וֹן וְאֶלְעָלֵ֑ה וּשְׂבָ֥ם וּנְב֖וֹ וּבְעֹֽן׃ | 3 |
“अतारोथ, दीबोन, याज़र, निमराह, हेशबोन, एलिआलेह, सेबाम, नेबो तथा बेओन,
הָאָ֗רֶץ אֲשֶׁ֨ר הִכָּ֤ה יְהוָה֙ לִפְנֵי֙ עֲדַ֣ת יִשְׂרָאֵ֔ל אֶ֥רֶץ מִקְנֶ֖ה הִ֑וא וְלַֽעֲבָדֶ֖יךָ מִקְנֶֽה׃ ס | 4 |
वह देश, जिसे याहवेह ने इस्राएली सभा के लिए हरा दिया है, पशु धन के लिए अच्छा है और हम, आपके सेवक पशुधनधारी हैं.”
וַיֹּאמְר֗וּ אִם־מָצָ֤אנוּ חֵן֙ בְּעֵינֶ֔יךָ יֻתַּ֞ן אֶת־הָאָ֧רֶץ הַזֹּ֛את לַעֲבָדֶ֖יךָ לַאֲחֻזָּ֑ה אַל־תַּעֲבִרֵ֖נוּ אֶת־הַיַּרְדֵּֽן׃ | 5 |
तब उन्होंने यह भी कहा, “यदि हम पर आपकी कृपादृष्टि बनी है, हम, आपके सेवकों को यह भूमि का भाग दे दिया जाए; हमें अपने साथ यरदन के पार न ले जाइए.”
וַיֹּ֣אמֶר מֹשֶׁ֔ה לִבְנֵי־גָ֖ד וְלִבְנֵ֣י רְאוּבֵ֑ן הַאַֽחֵיכֶ֗ם יָבֹ֙אוּ֙ לַמִּלְחָמָ֔ה וְאַתֶּ֖ם תֵּ֥שְׁבוּ פֹֽה׃ | 6 |
किंतु मोशेह ने इनकार किया, “कैसे संभव है कि तुम्हारे भाई तो युद्ध में जाएंगे और तुम लोग यहां आराम से बैठे रहोगे?
וְלָ֣מָּה תְנִיא֔וּן אֶת־לֵ֖ב בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל מֵֽעֲבֹר֙ אֶל־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־נָתַ֥ן לָהֶ֖ם יְהוָֽה׃ | 7 |
तुम लोग यहीं इस्राएलियों को याहवेह द्वारा दिए गए देश के लिए यरदन पार करने में हतोत्साहित क्यों कर रहे हो?
כֹּ֥ה עָשׂ֖וּ אֲבֹתֵיכֶ֑ם בְּשָׁלְחִ֥י אֹתָ֛ם מִקָּדֵ֥שׁ בַּרְנֵ֖עַ לִרְא֥וֹת אֶת־הָאָֽרֶץ׃ | 8 |
तुम्हारे पूर्वजों ने भी उस अवसर पर यही किया था, जब मैंने उन्हें कादेश-बरनेअ से उस देश का भेद लेने के उद्देश्य से भेजा था.
וַֽיַּעֲל֞וּ עַד־נַ֣חַל אֶשְׁכּ֗וֹל וַיִּרְאוּ֙ אֶת־הָאָ֔רֶץ וַיָּנִ֕יאוּ אֶת־לֵ֖ב בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל לְבִלְתִּי־בֹא֙ אֶל־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁר־נָתַ֥ן לָהֶ֖ם יְהוָֽה׃ | 9 |
वे एशकोल घाटी में थे और वहां से उन्होंने उस देश को देखा, लौटकर उन्होंने इस्राएलियों को हतोत्साहित कर दिया, कि वे उस देश में प्रवेश न करें, जो उन्हें याहवेह द्वारा दिया जा चुका था.
וַיִּֽחַר־אַ֥ף יְהוָ֖ה בַּיּ֣וֹם הַה֑וּא וַיִּשָּׁבַ֖ע לֵאמֹֽר׃ | 10 |
परिणाम यह हुआ कि उस दिन याहवेह का क्रोध भड़क उठा और उन्होंने यह शपथ ले ली:
אִם־יִרְא֨וּ הָאֲנָשִׁ֜ים הָעֹלִ֣ים מִמִּצְרַ֗יִם מִבֶּ֨ן עֶשְׂרִ֤ים שָׁנָה֙ וָמַ֔עְלָה אֵ֚ת הָאֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֥ר נִשְׁבַּ֛עְתִּי לְאַבְרָהָ֥ם לְיִצְחָ֖ק וּֽלְיַעֲקֹ֑ב כִּ֥י לֹא־מִלְא֖וּ אַחֲרָֽי׃ | 11 |
‘मिस्र देश से निकलकर आए बीस वर्ष तथा इससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति उस देश का दर्शन ही न कर पाएगा जिसे देने के शपथ मैंने अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब से की थी; क्योंकि उन्होंने पूरी तरह से मेरा अनुसरण नहीं किया;
בִּלְתִּ֞י כָּלֵ֤ב בֶּן־יְפֻנֶּה֙ הַקְּנִזִּ֔י וִיהוֹשֻׁ֖עַ בִּן־נ֑וּן כִּ֥י מִלְא֖וּ אַחֲרֵ֥י יְהוָֽה׃ | 12 |
सिर्फ कनिज्ज़ी येफुन्नेह के पुत्र कालेब, तथा नून के पुत्र यहोशू के सिवाय, क्योंकि ये दो ही याहवेह का अनुसरण करने में ईमानदार बने रहे थे.’
וַיִּֽחַר־אַ֤ף יְהוָה֙ בְּיִשְׂרָאֵ֔ל וַיְנִעֵם֙ בַּמִּדְבָּ֔ר אַרְבָּעִ֖ים שָׁנָ֑ה עַד־תֹּם֙ כָּל־הַדּ֔וֹר הָעֹשֶׂ֥ה הָרַ֖ע בְּעֵינֵ֥י יְהוָֽה׃ | 13 |
याहवेह का क्रोध इस्राएल पर भड़क उठा और उन्होंने उन्हें निर्जन प्रदेश में चालीस वर्षों तक भटकते रहने के लिए छोड़ दिया, कि वह सारी पीढ़ी, जिन्होंने याहवेह के विरुद्ध यह बुराई की थी, नाश हो जाए.
וְהִנֵּ֣ה קַמְתֶּ֗ם תַּ֚חַת אֲבֹ֣תֵיכֶ֔ם תַּרְבּ֖וּת אֲנָשִׁ֣ים חַטָּאִ֑ים לִסְפּ֣וֹת ע֗וֹד עַ֛ל חֲר֥וֹן אַף־יְהוָ֖ה אֶל־יִשְׂרָאֵֽל׃ | 14 |
“अब देख लो, तुम लोग पापियों की संतान होकर अपने-अपने पूर्वजों के समान व्यवहार कर रहे हो, कि याहवेह के भड़के हुए क्रोध को इस्राएल के विरुद्ध और अधिक भड़का सको.
כִּ֤י תְשׁוּבֻן֙ מֵֽאַחֲרָ֔יו וְיָסַ֣ף ע֔וֹד לְהַנִּיח֖וֹ בַּמִּדְבָּ֑ר וְשִֽׁחַתֶּ֖ם לְכָל־הָעָ֥ם הַזֶּֽה׃ ס | 15 |
क्योंकि यदि तुम रियूबेन और गाद के वंशजों का अनुसरण करना छोड़ दोगे, तो वह एक बार फिर उन्हें निर्जन प्रदेश में अकेला छोड़ देंगे और तुम दोनों इन सब लोगों को नाश कर दोगे.”
וַיִּגְּשׁ֤וּ אֵלָיו֙ וַ֣יֹּאמְר֔וּ גִּדְרֹ֥ת צֹ֛אן נִבְנֶ֥ה לְמִקְנֵ֖נוּ פֹּ֑ה וְעָרִ֖ים לְטַפֵּֽנוּ׃ | 16 |
तब वे मोशेह की उपस्थिति में आकर कहने लगे, “हम यहां अपने पशु धन के लिए भेड़शालाओं का तथा अपनी संतान के लिए नगर बनाएंगे.
וַאֲנַ֜חְנוּ נֵחָלֵ֣ץ חֻשִׁ֗ים לִפְנֵי֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל עַ֛ד אֲשֶׁ֥ר אִם־הֲבִֽיאֹנֻ֖ם אֶל־מְקוֹמָ֑ם וְיָשַׁ֤ב טַפֵּ֙נוּ֙ בְּעָרֵ֣י הַמִּבְצָ֔ר מִפְּנֵ֖י יֹשְׁבֵ֥י הָאָֽרֶץ׃ | 17 |
किंतु स्वयं हम इस्राएलियों के आगे-आगे युद्ध के लिए शस्त्रों से तैयार हो जाया करेंगे, जब तक हम उन्हें उस देश में न पहुंचा दें, जबकि हमारी संतान इस देश के वासियों के कारण गढ़ नगरों में निवास कर रही होगी.
לֹ֥א נָשׁ֖וּב אֶל־בָּתֵּ֑ינוּ עַ֗ד הִתְנַחֵל֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אִ֖ישׁ נַחֲלָתֽוֹ׃ | 18 |
हम उस समय तक अपने-अपने घरों में नहीं लौटेंगे, जब तक हर एक इस्राएली अपने-अपने भाग के अधिकार को प्राप्त नहीं कर लेता है.
כִּ֣י לֹ֤א נִנְחַל֙ אִתָּ֔ם מֵעֵ֥בֶר לַיַּרְדֵּ֖ן וָהָ֑לְאָה כִּ֣י בָ֤אָה נַחֲלָתֵ֙נוּ֙ אֵלֵ֔ינוּ מֵעֵ֥בֶר הַיַּרְדֵּ֖ן מִזְרָֽחָה׃ פ | 19 |
क्योंकि हम यरदन के उस पार तथा उससे भी दूर तक किसी भी भाग के अधिकार का दावा नहीं करेंगे, क्योंकि हमारा उत्तराधिकार हमें यरदन के इसी ओर, पूर्व दिशा में मिल चुका है.”
וַיֹּ֤אמֶר אֲלֵיהֶם֙ מֹשֶׁ֔ה אִֽם־תַּעֲשׂ֖וּן אֶת־הַדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה אִם־תֵּחָֽלְצ֛וּ לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה לַמִּלְחָמָֽה׃ | 20 |
यह सुन मोशेह ने उत्तर दिया, “यदि तुम यही करोगे; तुम याहवेह के सामने स्वयं को युद्ध के लिए तैयार कर लोगे,
וְעָבַ֨ר לָכֶ֧ם כָּל־חָל֛וּץ אֶת־הַיַּרְדֵּ֖ן לִפְנֵ֣י יְהוָ֑ה עַ֧ד הוֹרִישׁ֛וֹ אֶת־אֹיְבָ֖יו מִפָּנָֽיו׃ | 21 |
तुम सभी युद्ध के लिए सशस्त्र योद्धा याहवेह के सामने यरदन नदी पार करोगे, जब तक तुम याहवेह के सामने से उनके शत्रुओं को खदेड़ न दोगे,
וְנִכְבְּשָׁ֨ה הָאָ֜רֶץ לִפְנֵ֤י יְהוָה֙ וְאַחַ֣ר תָּשֻׁ֔בוּ וִהְיִיתֶ֧ם נְקִיִּ֛ים מֵיְהוָ֖ה וּמִיִּשְׂרָאֵ֑ל וְ֠הָיְתָה הָאָ֨רֶץ הַזֹּ֥את לָכֶ֛ם לַאֲחֻזָּ֖ה לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 22 |
तथा वह देश याहवेह के सामने अधीन न हो जाए; यह पूरा हो जाने के बाद ही तुम लौट सकोगे, तथा याहवेह एवं इस्राएल के प्रति इस वाचा से छूट जाओगे और यह देश याहवेह के सामने तुम्हारा निज भाग हो जाएगा.
וְאִם־לֹ֤א תַעֲשׂוּן֙ כֵּ֔ן הִנֵּ֥ה חֲטָאתֶ֖ם לַיהוָ֑ה וּדְעוּ֙ חַטַּאתְכֶ֔ם אֲשֶׁ֥ר תִּמְצָ֖א אֶתְכֶֽם׃ | 23 |
“किंतु यदि तुम ऐसा न करो, तो देख लेना, तुम याहवेह के प्रति पाप कर चुके होगे; यह तय समझो कि तुम्हारा पाप ही तुम्हें पकड़वा देगा.
בְּנֽוּ־לָכֶ֤ם עָרִים֙ לְטַפְּכֶ֔ם וּגְדֵרֹ֖ת לְצֹנַאֲכֶ֑ם וְהַיֹּצֵ֥א מִפִּיכֶ֖ם תַּעֲשֽׂוּ׃ | 24 |
अपनी संतान के लिए नगरों का निर्माण करो, भेड़ों के लिए भेड़-शालाएं भी तथा वही करो, जिसकी प्रतिज्ञा तुमने की है.”
וַיֹּ֤אמֶר בְּנֵי־גָד֙ וּבְנֵ֣י רְאוּבֵ֔ן אֶל־מֹשֶׁ֖ה לֵאמֹ֑ר עֲבָדֶ֣יךָ יַעֲשׂ֔וּ כַּאֲשֶׁ֥ר אֲדֹנִ֖י מְצַוֶּֽה׃ | 25 |
गाद एवं रियूबेन के वंशजों ने मोशेह से कहा, “आपके सेवक ठीक वही करेंगे, जैसा आदेश हमारे स्वामी देंगे.
טַפֵּ֣נוּ נָשֵׁ֔ינוּ מִקְנֵ֖נוּ וְכָל־בְּהֶמְתֵּ֑נוּ יִֽהְיוּ־שָׁ֖ם בְּעָרֵ֥י הַגִּלְעָֽד׃ | 26 |
हमारी संतान, हमारी पत्नियां, हमारा पशु धन तथा हमारे सारे पशु गिलआद के इन्हीं नगरों में रह जाएंगे.
וַעֲבָדֶ֨יךָ יַֽעַבְר֜וּ כָּל־חֲל֥וּץ צָבָ֛א לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה לַמִּלְחָמָ֑ה כַּאֲשֶׁ֥ר אֲדֹנִ֖י דֹּבֵֽר׃ | 27 |
जब आपके सेवक, हर एक, जो युद्ध के लिए तैयार है, युद्ध के लिए याहवेह के सामने इस नदी के पार जाएगा-ठीक जैसा हमारे स्वामी का आदेश है.”
וַיְצַ֤ו לָהֶם֙ מֹשֶׁ֔ה אֵ֚ת אֶלְעָזָ֣ר הַכֹּהֵ֔ן וְאֵ֖ת יְהוֹשֻׁ֣עַ בִּן־נ֑וּן וְאֶת־רָאשֵׁ֛י אֲב֥וֹת הַמַּטּ֖וֹת לִבְנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 28 |
तब मोशेह ने इनके विषय में पुरोहित एलिएज़र तथा नून के पुत्र यहोशू तथा इस्राएलियों के गोत्रों के प्रधानों को आदेश दिया.
וַיֹּ֨אמֶר מֹשֶׁ֜ה אֲלֵהֶ֗ם אִם־יַעַבְר֣וּ בְנֵי־גָ֣ד וּבְנֵי־רְאוּבֵ֣ן ׀ אִ֠תְּכֶם אֶֽת־הַיַּרְדֵּ֞ן כָּל־חָל֤וּץ לַמִּלְחָמָה֙ לִפְנֵ֣י יְהוָ֔ה וְנִכְבְּשָׁ֥ה הָאָ֖רֶץ לִפְנֵיכֶ֑ם וּנְתַתֶּ֥ם לָהֶ֛ם אֶת־אֶ֥רֶץ הַגִּלְעָ֖ד לַאֲחֻזָּֽה׃ | 29 |
मोशेह ने उनसे कहा, “यदि गाद एवं रियूबेन के ये वंशज, हर एक, जो युद्ध के लिए तैयार है, याहवेह के सामने यरदन नदी को पार करेगा तथा वह देश तुम्हारे वश में कर दिया जाता है, तब तुम उन्हें स्वामित्व के लिए गिलआद प्रदान कर दोगे.
וְאִם־לֹ֧א יַֽעַבְר֛וּ חֲלוּצִ֖ים אִתְּכֶ֑ם וְנֹֽאחֲז֥וּ בְתֹכְכֶ֖ם בְּאֶ֥רֶץ כְּנָֽעַן׃ | 30 |
किंतु यदि वे शस्त्रों से तैयार हो तुम्हारे साथ नदी के पार न जाएं, तब उन्हें कनान देश में ही तुम्हारे बीच भूमि बांटी जाएगी.”
וַיַּֽעֲנ֧וּ בְנֵי־גָ֛ד וּבְנֵ֥י רְאוּבֵ֖ן לֵאמֹ֑ר אֵת֩ אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֧ר יְהוָ֛ה אֶל־עֲבָדֶ֖יךָ כֵּ֥ן נַעֲשֶֽׂה׃ | 31 |
गाद एवं रियूबेन के वंशजों ने उत्तर दिया, “आपके इन सेवकों को याहवेह ने जैसा आदेश दिया है, हम ठीक वैसा ही करेंगे.
נַ֣חְנוּ נַעֲבֹ֧ר חֲלוּצִ֛ים לִפְנֵ֥י יְהוָ֖ה אֶ֣רֶץ כְּנָ֑עַן וְאִתָּ֙נוּ֙ אֲחֻזַּ֣ת נַחֲלָתֵ֔נוּ מֵעֵ֖בֶר לַיַּרְדֵּֽן׃ | 32 |
हम स्वयं याहवेह की उपस्थिति में सशस्त्र कनान देश में प्रवेश करेंगे तथा हमारी निज भूमि हमारे लिए यरदन के इसी पार रहेगी.”
וַיִּתֵּ֣ן לָהֶ֣ם ׀ מֹשֶׁ֡ה לִבְנֵי־גָד֩ וְלִבְנֵ֨י רְאוּבֵ֜ן וְלַחֲצִ֣י ׀ שֵׁ֣בֶט ׀ מְנַשֶּׁ֣ה בֶן־יוֹסֵ֗ף אֶת־מַמְלֶ֙כֶת֙ סִיחֹן֙ מֶ֣לֶךְ הָֽאֱמֹרִ֔י וְאֶת־מַמְלֶ֔כֶת ע֖וֹג מֶ֣לֶךְ הַבָּשָׁ֑ן הָאָ֗רֶץ לְעָרֶ֙יהָ֙ בִּגְבֻלֹ֔ת עָרֵ֥י הָאָ֖רֶץ סָבִֽיב׃ | 33 |
इसलिये मोशेह ने गाद, रियूबेन तथा योसेफ़ के पुत्र मनश्शेह के आधे गोत्र को अमोरियों के राजा सीहोन तथा बाशान के राजा ओग का राज्य, सारे देश इनके नगर तथा इनकी सीमाएं तथा निकटवर्ती देशों के नगर दे दिए.
וַיִּבְנ֣וּ בְנֵי־גָ֔ד אֶת־דִּיבֹ֖ן וְאֶת־עֲטָרֹ֑ת וְאֵ֖ת עֲרֹעֵֽר׃ | 34 |
गाद के वंशजों ने दीबोन, अतारोथ, अरोअर,
וְאֶת־עַטְרֹ֥ת שׁוֹפָ֛ן וְאֶת־יַעְזֵ֖ר וְיָגְבֳּהָֽה׃ | 35 |
अतारोथ-षोपान, याज़र, योगबेहाह
וְאֶת־בֵּ֥ית נִמְרָ֖ה וְאֶת־בֵּ֣ית הָרָ֑ן עָרֵ֥י מִבְצָ֖ר וְגִדְרֹ֥ת צֹֽאן׃ | 36 |
बेथ-निमराह तथा बेथ-हारान को गढ़ नगरों के रूप में बना दिया, साथ ही भेड़ों के लिए भेड़-शालाएं भी बना दीं.
וּבְנֵ֤י רְאוּבֵן֙ בָּנ֔וּ אֶת־חֶשְׁבּ֖וֹן וְאֶת־אֶלְעָלֵ֑א וְאֵ֖ת קִרְיָתָֽיִם׃ | 37 |
रियूबेन के वंशजों ने हेशबोन, एलिआलेह, किरयथाईम,
וְאֶת־נְב֞וֹ וְאֶת־בַּ֧עַל מְע֛וֹן מֽוּסַבֹּ֥ת שֵׁ֖ם וְאֶת־שִׂבְמָ֑ה וַיִּקְרְא֣וּ בְשֵׁמֹ֔ת אֶת־שְׁמ֥וֹת הֶעָרִ֖ים אֲשֶׁ֥ר בָּנֽוּ׃ | 38 |
नेबो, बाल-मेओन (इन नामों को बदल दिया गया) और सिबमाह नगर बसाए. उन नगरों को उन्होंने नए नाम दिए, जिनका वे निर्माण करते रहे थे.
וַיֵּ֨לְכ֜וּ בְּנֵ֨י מָכִ֧יר בֶּן־מְנַשֶּׁ֛ה גִּלְעָ֖דָה וַֽיִּלְכְּדֻ֑הָ וַיּ֖וֹרֶשׁ אֶת־הָאֱמֹרִ֥י אֲשֶׁר־בָּֽהּ׃ | 39 |
मनश्शेह के पुत्र माखीर के वंशजों ने गिलआद जाकर उस पर अधिकार कर लिया और उसमें रह रहे अमोरियों को वहां से निकाल दिया.
וַיִּתֵּ֤ן מֹשֶׁה֙ אֶת־הַגִּלְעָ֔ד לְמָכִ֖יר בֶּן־מְנַשֶּׁ֑ה וַיֵּ֖שֶׁב בָּֽהּ׃ | 40 |
तब मोशेह ने गिलआद को मनश्शेह के पुत्र माखीर के नाम कर दिया और वे वहां बस गए.
וְיָאִ֤יר בֶּן־מְנַשֶּׁה֙ הָלַ֔ךְ וַיִּלְכֹּ֖ד אֶת־חַוֹּתֵיהֶ֑ם וַיִּקְרָ֥א אֶתְהֶ֖ן חַוֹּ֥ת יָאִֽיר׃ | 41 |
मनश्शेह के पुत्र याईर ने जाकर इस क्षेत्र के नगरों पर अधिकार कर लिया और उन्हें हव्वोथ-याईर नाम दे दिया.
וְנֹ֣בַח הָלַ֔ךְ וַיִּלְכֹּ֥ד אֶת־קְנָ֖ת וְאֶת־בְּנֹתֶ֑יהָ וַיִּקְרָ֧א לָ֦ה נֹ֖בַח בִּשְׁמֽוֹ׃ פ | 42 |
नोबाह ने जाकर केनाथ तथा इसके गांवों पर अधिकार करके उसे अपना ही नाम, नोबाह, दे दिया.