< בְּמִדְבַּר 14 >
וַתִּשָּׂא֙ כָּל־הָ֣עֵדָ֔ה וַֽיִּתְּנ֖וּ אֶת־קוֹלָ֑ם וַיִּבְכּ֥וּ הָעָ֖ם בַּלַּ֥יְלָה הַהֽוּא׃ | 1 |
तब सारी जमा'अत ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी और वह लोग उस रात रोते ही रहे।
וַיִּלֹּ֙נוּ֙ עַל־מֹשֶׁ֣ה וְעַֽל־אַהֲרֹ֔ן כֹּ֖ל בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַֽיֹּאמְר֨וּ אֲלֵהֶ֜ם כָּל־הָעֵדָ֗ה לוּ־מַ֙תְנוּ֙ בְּאֶ֣רֶץ מִצְרַ֔יִם א֛וֹ בַּמִּדְבָּ֥ר הַזֶּ֖ה לוּ־מָֽתְנוּ׃ | 2 |
और कुल बनी — इस्राईल मूसा और हारून की शिकायत करने लगे, और सारी जमा'त उनसे कहने लगी हाय काश हम मिस्र ही में मर जाते या काश इस वीरान ही में मरते।
וְלָמָ֣ה יְ֠הוָה מֵבִ֨יא אֹתָ֜נוּ אֶל־הָאָ֤רֶץ הַזֹּאת֙ לִנְפֹּ֣ל בַּחֶ֔רֶב נָשֵׁ֥ינוּ וְטַפֵּ֖נוּ יִהְי֣וּ לָבַ֑ז הֲל֧וֹא ט֦וֹב לָ֖נוּ שׁ֥וּב מִצְרָֽיְמָה׃ | 3 |
ख़ुदावन्द क्यूँ हम को उस मुल्क में ले जा कर तलवार से क़त्ल कराना चाहता है?
וַיֹּאמְר֖וּ אִ֣ישׁ אֶל־אָחִ֑יו נִתְּנָ֥ה רֹ֖אשׁ וְנָשׁ֥וּבָה מִצְרָֽיְמָה׃ | 4 |
“फिर तो हमारी बीवियाँ और बाल बच्चे लूट का माल ठहरेंगे, क्या हमारे लिए बेहतर न होगा कि हम मिस्र को वापस चले जाएँ?” फिर वह आपस में कहने लगे, “आओ हम किसी को अपना सरदार बना लें, और मिस्र को लौट चलें।”
וַיִּפֹּ֥ל מֹשֶׁ֛ה וְאַהֲרֹ֖ן עַל־פְּנֵיהֶ֑ם לִפְנֵ֕י כָּל־קְהַ֥ל עֲדַ֖ת בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 5 |
तब मूसा और हारून बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत के सामने औधे मुँह हो गए।
וִיהוֹשֻׁ֣עַ בִּן־נ֗וּן וְכָלֵב֙ בֶּן־יְפֻנֶּ֔ה מִן־הַתָּרִ֖ים אֶת־הָאָ֑רֶץ קָרְע֖וּ בִּגְדֵיהֶֽם׃ | 6 |
और नून का बेटा यशू'अ और यफुन्ना का बेटा कालिब, जो उस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने वालों में से थे, अपने — अपने कपड़े फाड़ कर
וַיֹּ֣אמְר֔וּ אֶל־כָּל־עֲדַ֥ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר הָאָ֗רֶץ אֲשֶׁ֨ר עָבַ֤רְנוּ בָהּ֙ לָת֣וּר אֹתָ֔הּ טוֹבָ֥ה הָאָ֖רֶץ מְאֹ֥ד מְאֹֽד׃ | 7 |
बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत से कहने लगे कि “वह मुल्क जिसका हाल दरियाफ़्त करने को हम उसमें से गुज़रे, बहुत अच्छा मुल्क है।
אִם־חָפֵ֥ץ בָּ֙נוּ֙ יְהוָ֔ה וְהֵבִ֤יא אֹתָ֙נוּ֙ אֶל־הָאָ֣רֶץ הַזֹּ֔את וּנְתָנָ֖הּ לָ֑נוּ אֶ֕רֶץ אֲשֶׁר־הִ֛וא זָבַ֥ת חָלָ֖ב וּדְבָֽשׁ׃ | 8 |
अगर ख़ुदा हम से राज़ी रहे तो वह हम को उस मुल्क में पहुँचाएगा, और वही मुल्क जिस में दूध और शहद बहता है हम को देगा।
אַ֣ךְ בַּֽיהוָה֮ אַל־תִּמְרֹדוּ֒ וְאַתֶּ֗ם אַל־תִּֽירְאוּ֙ אֶת־עַ֣ם הָאָ֔רֶץ כִּ֥י לַחְמֵ֖נוּ הֵ֑ם סָ֣ר צִלָּ֧ם מֵעֲלֵיהֶ֛ם וַֽיהוָ֥ה אִתָּ֖נוּ אַל־תִּירָאֻֽם׃ | 9 |
सिर्फ़ इतना हो कि तुम ख़ुदावन्द से बग़ावत न करो और न उस मुल्क के लोगों से डरो; वह तो हमारी ख़ुराक हैं, उनकी पनाह उनके सिर पर से जाती रही है और हमारे साथ ख़ुदावन्द है; इसलिए उनका ख़ौफ़ न करो।”
וַיֹּֽאמְרוּ֙ כָּל־הָ֣עֵדָ֔ה לִרְגּ֥וֹם אֹתָ֖ם בָּאֲבָנִ֑ים וּכְב֣וֹד יְהוָ֗ה נִרְאָה֙ בְּאֹ֣הֶל מוֹעֵ֔ד אֶֽל־כָּל־בְּנֵ֖י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ | 10 |
तब सारी जमा'अत बोल उठी कि इनको संगसार करो। उस वक़्त ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में सब बनी — इस्राईल के सामने ख़ुदावन्द का जलाल नुमायाँ हुआ।
וַיֹּ֤אמֶר יְהוָה֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה עַד־אָ֥נָה יְנַאֲצֻ֖נִי הָעָ֣ם הַזֶּ֑ה וְעַד־אָ֙נָה֙ לֹא־יַאֲמִ֣ינוּ בִ֔י בְּכֹל֙ הָֽאֹת֔וֹת אֲשֶׁ֥ר עָשִׂ֖יתִי בְּקִרְבּֽוֹ׃ | 11 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि “यह लोग कब तक मेरी तौहीन करते रहेंगे? और बावजूद उन सब निशान — आत को जो मैंने इनके बीच किए हैं, कब तक मुझ पर ईमान नहीं लाएँगे?
אַכֶּ֥נּוּ בַדֶּ֖בֶר וְאוֹרִשֶׁ֑נּוּ וְאֶֽעֱשֶׂה֙ אֹֽתְךָ֔ לְגוֹי־גָּד֥וֹל וְעָצ֖וּם מִמֶּֽנּוּ׃ | 12 |
में इनको वबा से मारूँगा और मीरास से ख़ारिज करूँगा, और तुझे एक ऐसी क़ौम बनाऊँगा जो इनसे कहीं बड़ी और ज़्यादा ज़ोरावर हो।”
וַיֹּ֥אמֶר מֹשֶׁ֖ה אֶל־יְהוָ֑ה וְשָׁמְע֣וּ מִצְרַ֔יִם כִּֽי־הֶעֱלִ֧יתָ בְכֹחֲךָ֛ אֶת־הָעָ֥ם הַזֶּ֖ה מִקִּרְבּֽוֹ׃ | 13 |
मूसा ने ख़ुदावन्द से कहा, “तब तो मिस्री, जिनके बीच से तू इन लोगों को अपने ज़ोर — ए — बाज़ू से निकाल ले आया यह सुनेंगे,
וְאָמְר֗וּ אֶל־יוֹשֵׁב֮ הָאָ֣רֶץ הַזֹּאת֒ שָֽׁמְעוּ֙ כִּֽי־אַתָּ֣ה יְהוָ֔ה בְּקֶ֖רֶב הָעָ֣ם הַזֶּ֑ה אֲשֶׁר־עַ֨יִן בְּעַ֜יִן נִרְאָ֣ה ׀ אַתָּ֣ה יְהוָ֗ה וַעֲנָֽנְךָ֙ עֹמֵ֣ד עֲלֵהֶ֔ם וּבְעַמֻּ֣ד עָנָ֗ן אַתָּ֨ה הֹלֵ֤ךְ לִפְנֵיהֶם֙ יוֹמָ֔ם וּבְעַמּ֥וּד אֵ֖שׁ לָֽיְלָה׃ | 14 |
और उसे इस मुल्क के बाशिन्दों को बताएँगे। उन्होंने सुना है कि तू जो ख़ुदावन्द है इन लोगों के बीच रहता है, क्यूँकि तू ऐ ख़ुदावन्द सरीह तौर पर दिखाई देता है, और तेरा बादल इन पर साया किए रहता है, और तू दिन को बादल के सुतून में और रात को आग के सुतून में हो कर इनके आगे — आगे चलता है।
וְהֵמַתָּ֛ה אֶת־הָעָ֥ם הַזֶּ֖ה כְּאִ֣ישׁ אֶחָ֑ד וְאָֽמְרוּ֙ הַגּוֹיִ֔ם אֲשֶׁר־שָׁמְע֥וּ אֶֽת־שִׁמְעֲךָ֖ לֵאמֹֽר׃ | 15 |
तब अगर तू इस क़ौम को एक अकेले आदमी की तरह जान से मार डाले, तो वह क़ौमें जिन्होंने तेरी शोहरत सुनी कहेंगी;
מִבִּלְתִּ֞י יְכֹ֣לֶת יְהוָ֗ה לְהָבִיא֙ אֶת־הָעָ֣ם הַזֶּ֔ה אֶל־הָאָ֖רֶץ אֲשֶׁר־נִשְׁבַּ֣ע לָהֶ֑ם וַיִּשְׁחָטֵ֖ם בַּמִּדְבָּֽר׃ | 16 |
कि चूँकि ख़ुदावन्द इस क़ौम को उस मुल्क में, जिसे उसने इनको देने की क़सम खाई थी पहुँचा न सका, इसलिए उसने इनको वीरान में हलाक कर दिया।
וְעַתָּ֕ה יִגְדַּל־נָ֖א כֹּ֣חַ אֲדֹנָ֑י כַּאֲשֶׁ֥ר דִּבַּ֖רְתָּ לֵאמֹֽר׃ | 17 |
तब ख़ुदावन्द की क़ुदरत की 'अज़मत तेरे ही इस क़ौल के मुताबिक़ ज़ाहिर हो,
יְהוָ֗ה אֶ֤רֶךְ אַפַּ֙יִם֙ וְרַב־חֶ֔סֶד נֹשֵׂ֥א עָוֹ֖ן וָפָ֑שַׁע וְנַקֵּה֙ לֹ֣א יְנַקֶּ֔ה פֹּקֵ֞ד עֲוֹ֤ן אָבוֹת֙ עַל־בָּנִ֔ים עַל־שִׁלֵּשִׁ֖ים וְעַל־רִבֵּעִֽים׃ | 18 |
कि ख़ुदावन्द क़हर करने में धीमा और शफ़क़त में ग़नी है, वह गुनाह और ख़ता को बख़्श देता है लेकिन मुजरिम को हरगिज़ बरी नहीं करेगा, क्यूँकि वह बाप दादा के गुनाह की सज़ा उनकी औलाद को तीसरी और चौथी नसल तक देता है।
סְלַֽח־נָ֗א לַעֲוֹ֛ן הָעָ֥ם הַזֶּ֖ה כְּגֹ֣דֶל חַסְדֶּ֑ךָ וְכַאֲשֶׁ֤ר נָשָׂ֙אתָה֙ לָעָ֣ם הַזֶּ֔ה מִמִּצְרַ֖יִם וְעַד־הֵֽנָּה׃ | 19 |
इसलिए तू अपनी रहमत की फ़िरावानी से इस उम्मत का गुनाह, जैसे तू मिस्र से लेकर यहाँ तक इन लोगों को मु'आफ़ करता रहा है अब भी मु'आफ़ कर दे।”
וַיֹּ֣אמֶר יְהוָ֔ה סָלַ֖חְתִּי כִּדְבָרֶֽךָ׃ | 20 |
ख़ुदावन्द ने कहा, “मैंने तेरी दरख़्वास्त के मुताबिक़ मुआफ़ किया;
וְאוּלָ֖ם חַי־אָ֑נִי וְיִמָּלֵ֥א כְבוֹד־יְהוָ֖ה אֶת־כָּל־הָאָֽרֶץ׃ | 21 |
लेकिन मुझे अपनी हयात की क़सम और ख़ुदावन्द के जलाल की क़सम जिससे सारी ज़मीन मा'मूर होगी,
כִּ֣י כָל־הָאֲנָשִׁ֗ים הָרֹאִ֤ים אֶת־כְּבֹדִי֙ וְאֶת־אֹ֣תֹתַ֔י אֲשֶׁר־עָשִׂ֥יתִי בְמִצְרַ֖יִם וּבַמִּדְבָּ֑ר וַיְנַסּ֣וּ אֹתִ֗י זֶ֚ה עֶ֣שֶׂר פְּעָמִ֔ים וְלֹ֥א שָׁמְע֖וּ בְּקוֹלִֽי׃ | 22 |
चूँकि इन सब लोगों ने जिन्होंने बावजूद मेरे जलाल के देखने के, और बावजूद उन निशान — आत को जो मैंने मिस्र में और इस वीरान में दिखाए, फिर भी दस बार मुझे आज़माया और मेरी बात नहीं मानी;
אִם־יִרְאוּ֙ אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֥ר נִשְׁבַּ֖עְתִּי לַאֲבֹתָ֑ם וְכָל־מְנַאֲצַ֖י לֹ֥א יִרְאֽוּהָ׃ | 23 |
इसलिए वह उस मुल्क को जिसके देने की क़सम मैंने उनके बाप दादा से खाई थी देखने भी न पायेंगे और जिन्होंने मेरी तौहीन की है उन में से भी कोई उसे देखने नहीं पाएगा।
וְעַבְדִּ֣י כָלֵ֗ב עֵ֣קֶב הָֽיְתָ֞ה ר֤וּחַ אַחֶ֙רֶת֙ עִמּ֔וֹ וַיְמַלֵּ֖א אַחֲרָ֑י וַהֲבִֽיאֹתִ֗יו אֶל־הָאָ֙רֶץ֙ אֲשֶׁר־בָּ֣א שָׁ֔מָּה וְזַרְע֖וֹ יוֹרִשֶֽׁנָּה׃ | 24 |
लेकिन इसलिए कि मेरे बन्दे कालिब का कुछ और ही मिज़ाज था और उसने मेरी पूरी पैरवी की है, मैं उसको उस मुल्क में जहाँ वह हो आया है पहुँचाऊँगा और उसकी औलाद उसकी वारिस होगी।
וְהָֽעֲמָלֵקִ֥י וְהַֽכְּנַעֲנִ֖י יוֹשֵׁ֣ב בָּעֵ֑מֶק מָחָ֗ר פְּנ֨וּ וּסְע֥וּ לָכֶ֛ם הַמִּדְבָּ֖ר דֶּ֥רֶךְ יַם־סֽוּף׃ פ | 25 |
और वादी में तो 'अमालीकी और कना'नी बसे हुए हैं, इसलिए कल तुम घूम कर उस रास्ते से जो बहर — ए — कु़लजु़म को जाता है वीरान में दाख़िल हो जाओ।”
וַיְדַבֵּ֣ר יְהוָ֔ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה וְאֶֽל־אַהֲרֹ֖ן לֵאמֹֽר׃ | 26 |
और ख़ुदावन्द ने मूसा और हारून से कहा,
עַד־מָתַ֗י לָעֵדָ֤ה הָֽרָעָה֙ הַזֹּ֔את אֲשֶׁ֛ר הֵ֥מָּה מַלִּינִ֖ים עָלָ֑י אֶת־תְּלֻנּ֞וֹת בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל אֲשֶׁ֨ר הֵ֧מָּה מַלִּינִ֛ים עָלַ֖י שָׁמָֽעְתִּי׃ | 27 |
“मैं कब तक इस ख़बीस गिरोह की जो मेरी शिकायत करती रहती है, बर्दाश्त करूँ? बनी — इस्राईल जो मेरे बरख़िलाफ़ शिकायतें करते रहते हैं, मैंने वह सब शिकायतें सुनी हैं।
אֱמֹ֣ר אֲלֵהֶ֗ם חַי־אָ֙נִי֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה אִם־לֹ֕א כַּאֲשֶׁ֥ר דִּבַּרְתֶּ֖ם בְּאָזְנָ֑י כֵּ֖ן אֶֽעֱשֶׂ֥ה לָכֶֽם׃ | 28 |
इसलिए तुम उससे कह दो, ख़ुदावन्द कहता है, मुझे अपनी हयात की क़सम है कि जैसा तुम ने मेरे सुनते कहा है, मैं तुम से ज़रूर वैसा ही करूँगा।
בַּמִּדְבָּ֣ר הַ֠זֶּה יִפְּל֨וּ פִגְרֵיכֶ֜ם וְכָל־פְּקֻדֵיכֶם֙ לְכָל־מִסְפַּרְכֶ֔ם מִבֶּ֛ן עֶשְׂרִ֥ים שָׁנָ֖ה וָמָ֑עְלָה אֲשֶׁ֥ר הֲלִֽינֹתֶ֖ם עָלָֽי׃ | 29 |
तुम्हारी लाशें इसी वीरान में पड़ी रहेंगी, और तुम्हारी सारी ता'दाद में से या 'नी बीस बरस से लेकर उससे ऊपर — ऊपर की उम्र के तुम सब जितने गिने गए, और मुझ पर शिकायत करते रहे,
אִם־אַתֶּם֙ תָּבֹ֣אוּ אֶל־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֤ר נָשָׂ֙אתִי֙ אֶת־יָדִ֔י לְשַׁכֵּ֥ן אֶתְכֶ֖ם בָּ֑הּ כִּ֚י אִם־כָּלֵ֣ב בֶּן־יְפֻנֶּ֔ה וִיהוֹשֻׁ֖עַ בִּן־נֽוּן׃ | 30 |
इनमें से कोई उस मुल्क में, जिसके बारे में मैने क़सम खाई थी कि तुमको वहाँ बसाऊँगा, जाने न पाएगा, अलावा यफ़ुन्ना के बेटे कालिब और नून के बेटे यशू'अ के।
וְטַ֨פְּכֶ֔ם אֲשֶׁ֥ר אֲמַרְתֶּ֖ם לָבַ֣ז יִהְיֶ֑ה וְהֵבֵיאתִ֣י אֹתָ֔ם וְיָֽדְעוּ֙ אֶת־הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֥ר מְאַסְתֶּ֖ם בָּֽהּ׃ | 31 |
और तुम्हारे बाल — बच्चे जिनके बारे में तुम ने यह कहा कि वह तो लूट का माल ठहरेंगे, उनको मैं वहाँ पहुँचाऊगा, और जिस मुल्क को तुम ने हक़ीर जाना वह उसकी हक़ीक़त पहचानेंगे।
וּפִגְרֵיכֶ֖ם אַתֶּ֑ם יִפְּל֖וּ בַּמִּדְבָּ֥ר הַזֶּֽה׃ | 32 |
और तुम्हारा यह हाल होगा कि तुम्हारी लाशें इसी वीरान में पड़ी रहेंगी।
וּ֠בְנֵיכֶם יִהְי֨וּ רֹעִ֤ים בַּמִּדְבָּר֙ אַרְבָּעִ֣ים שָׁנָ֔ה וְנָשְׂא֖וּ אֶת־זְנוּתֵיכֶ֑ם עַד־תֹּ֥ם פִּגְרֵיכֶ֖ם בַּמִּדְבָּֽר׃ | 33 |
और तुम्हारे लड़के बाले चालीस बरस तक वीरान में आवारा फिरते और तुम्हारी ज़िनाकारियों का फल पाते रहेंगे, जब तक कि तुम्हारी लाशें वीरान में गल न जाएँ।
בְּמִסְפַּ֨ר הַיָּמִ֜ים אֲשֶׁר־תַּרְתֶּ֣ם אֶת־הָאָרֶץ֮ אַרְבָּעִ֣ים יוֹם֒ י֣וֹם לַשָּׁנָ֞ה י֣וֹם לַשָּׁנָ֗ה תִּשְׂאוּ֙ אֶת־עֲוֹנֹ֣תֵיכֶ֔ם אַרְבָּעִ֖ים שָׁנָ֑ה וִֽידַעְתֶּ֖ם אֶת־תְּנוּאָתִֽי׃ | 34 |
उन चालीस दिनों के हिसाब से जिनमें तुम उस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करते रहे थे, अब दिन पीछे एक — एक बरस या'नी चालीस बरस तक, तुम अपने गुनाहों का फल पाते रहोगे; तब तुम मेरे मुख़ालिफ़ हो जाने को समझोगे।
אֲנִ֣י יְהוָה֮ דִּבַּרְתִּי֒ אִם־לֹ֣א ׀ זֹ֣את אֶֽעֱשֶׂ֗ה לְכָל־הָעֵדָ֤ה הָֽרָעָה֙ הַזֹּ֔את הַנּוֹעָדִ֖ים עָלָ֑י בַּמִּדְבָּ֥ר הַזֶּ֛ה יִתַּ֖מּוּ וְשָׁ֥ם יָמֻֽתוּ׃ | 35 |
मैं ख़ुदावन्द यह कह चुका हूँ कि मैं इस पूरी ख़बीस गिरोह से जो मेरी मुखालिफ़त पर मुत्तफ़िक़ है क़त'ई ऐसा ही करूँगा, इनका ख़ातमा इसी वीरान में होगा और वह यहीं मरेंगे।”
וְהָ֣אֲנָשִׁ֔ים אֲשֶׁר־שָׁלַ֥ח מֹשֶׁ֖ה לָת֣וּר אֶת־הָאָ֑רֶץ וַיָּשֻׁ֗בוּ וַיַּלִּ֤ינוּ עָלָיו֙ אֶת־כָּל־הָ֣עֵדָ֔ה לְהוֹצִ֥יא דִבָּ֖ה עַל־הָאָֽרֶץ׃ | 36 |
और जिन आदमियों को मूसा ने मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने को भेजा था, जिन्होंने लौट कर उस मुल्क की ऐसी बुरी ख़बर सुनाई थी, जिससे सारी जमा'अत मूसा पर कुड़कुड़ाने लगी,
וַיָּמֻ֙תוּ֙ הָֽאֲנָשִׁ֔ים מוֹצִאֵ֥י דִבַּת־הָאָ֖רֶץ רָעָ֑ה בַּמַּגֵּפָ֖ה לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ | 37 |
इसलिए वह आदमी जिन्होंने मुल्क की बुरी ख़बर दी थी ख़ुदावन्द के सामने वबा से मर गए।
וִיהוֹשֻׁ֣עַ בִּן־נ֔וּן וְכָלֵ֖ב בֶּן־יְפֻנֶּ֑ה חָיוּ֙ מִן־הָאֲנָשִׁ֣ים הָהֵ֔ם הַֽהֹלְכִ֖ים לָת֥וּר אֶת־הָאָֽרֶץ׃ | 38 |
लेकिन जो आदमी उस मुल्क का हाल दरियाफ़्त करने गए थे उनमें से नून का बेटा यशू'अ और यफ़ुन्ना का बेटा कालिब दोनों जीते बचे रहे।
וַיְדַבֵּ֤ר מֹשֶׁה֙ אֶת־הַדְּבָרִ֣ים הָאֵ֔לֶּה אֶֽל־כָּל־בְּנֵ֖י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיִּֽתְאַבְּל֥וּ הָעָ֖ם מְאֹֽד׃ | 39 |
और मूसा ने यह बातें सब बनी इस्राईल से कहीं, तब वह लोग ज़ार — ज़ार रोए।
וַיַּשְׁכִּ֣מוּ בַבֹּ֔קֶר וַיַּֽעֲל֥וּ אֶל־רֹאשׁ־הָהָ֖ר לֵאמֹ֑ר הִנֶּ֗נּוּ וְעָלִ֛ינוּ אֶל־הַמָּק֛וֹם אֲשֶׁר־אָמַ֥ר יְהוָ֖ה כִּ֥י חָטָֽאנוּ׃ | 40 |
और वह दूसरे दिन सुबह सवेरे उठ कर यह कहते हुए पहाड़ की चोटी पर चढ़ने लगे, कि हम हाज़िर हैं और जिस जगह का वा'दा ख़ुदावन्द ने किया है वहाँ जाएँगे क्यूँकि हम से ख़ता हुई है।
וַיֹּ֣אמֶר מֹשֶׁ֔ה לָ֥מָּה זֶּ֛ה אַתֶּ֥ם עֹבְרִ֖ים אֶת־פִּ֣י יְהוָ֑ה וְהִ֖וא לֹ֥א תִצְלָֽח׃ | 41 |
मूसा ने कहा, “तुम क्यूँ अब ख़ुदावन्द की हुक्म उदूली करते हो? इससे कोई फ़ाइदा न होगा।
אַֽל־תַּעֲל֔וּ כִּ֛י אֵ֥ין יְהוָ֖ה בְּקִרְבְּכֶ֑ם וְלֹא֙ תִּנָּ֣גְפ֔וּ לִפְנֵ֖י אֹיְבֵיכֶֽם׃ | 42 |
ऊपर मत चढ़ो क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारे बीच नहीं है ऐसा न हो कि अपने दुश्मनों के मुक़ाबले में शिकस्त खाओ।
כִּי֩ הָעֲמָלֵקִ֨י וְהַכְּנַעֲנִ֥י שָׁם֙ לִפְנֵיכֶ֔ם וּנְפַלְתֶּ֖ם בֶּחָ֑רֶב כִּֽי־עַל־כֵּ֤ן שַׁבְתֶּם֙ מֵאַחֲרֵ֣י יְהוָ֔ה וְלֹא־יִהְיֶ֥ה יְהוָ֖ה עִמָּכֶֽם׃ | 43 |
क्यूँकि वहाँ तुम से आगे 'अमालीक़ी और कना'नी लोग हैं, इसलिए तुम तलवार से मारे जाओगे; क्यूँकि ख़ुदावन्द से तुम फिर गए हो, इसलिए ख़ुदावन्द तुम्हारे साथ नहीं रहेगा।”
וַיַּעְפִּ֕לוּ לַעֲל֖וֹת אֶל־רֹ֣אשׁ הָהָ֑ר וַאֲר֤וֹן בְּרִית־יְהוָה֙ וּמֹשֶׁ֔ה לֹא־מָ֖שׁוּ מִקֶּ֥רֶב הַֽמַּחֲנֶֽה׃ | 44 |
लेकिन वह शोख़ी करके पहाड़ की चोटी तक चढ़े चले गए, लेकिन ख़ुदावन्द के 'अहद का सन्दूक़ और मूसा लश्करगाह से बाहर न निकले।
וַיֵּ֤רֶד הָעֲמָלֵקִי֙ וְהַֽכְּנַעֲנִ֔י הַיֹּשֵׁ֖ב בָּהָ֣ר הַה֑וּא וַיַּכּ֥וּם וַֽיַּכְּת֖וּם עַד־הַֽחָרְמָֽה׃ פ | 45 |
तब 'अमालीक़ी और कना'नी जो उस पहाड़ पर रहते थे, उन पर आ पड़े और उनको क़त्ल किया और हुरमा तक उनको मारते चले आए।