< נחמיה 13 >

בַּיּ֣וֹם הַה֗וּא נִקְרָ֛א בְּסֵ֥פֶר מֹשֶׁ֖ה בְּאָזְנֵ֣י הָעָ֑ם וְנִמְצָא֙ כָּת֣וּב בּ֔וֹ אֲ֠שֶׁר לֹא־יָב֨וֹא עַמֹּנִ֧י וּמֹאָבִ֛י בִּקְהַ֥ל הָאֱלֹהִ֖ים עַד־עוֹלָֽם׃ 1
उस दिन सभा के लिए मोशेह की पुस्तक ऊंची आवाज में पढ़ी गई. इस पुस्तक में यह लिखा हुआ पाया गया कि परमेश्वर की सभा में न तो किसी अम्मोनी के और न किसी मोआबी के प्रवेश की आज्ञा है,
כִּ֣י לֹ֧א קִדְּמ֛וּ אֶת־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל בַּלֶּ֣חֶם וּבַמָּ֑יִם וַיִּשְׂכֹּ֨ר עָלָ֤יו אֶת־בִּלְעָם֙ לְקַֽלְל֔וֹ וַיַּהֲפֹ֧ךְ אֱלֹהֵ֛ינוּ הַקְּלָלָ֖ה לִבְרָכָֽה׃ 2
क्योंकि उन्होंने इस्राएल के लिए भोजन और पानी का इंतजाम करने की बजाय उन पर शाप देने के लक्ष्य से बिलआम को पैसे दिए थे. मगर हमारे परमेश्वर ने शाप को आशीर्वाद में बदल दिया.
וַיְהִ֖י כְּשָׁמְעָ֣ם אֶת־הַתּוֹרָ֑ה וַיַּבְדִּ֥ילוּ כָל־עֵ֖רֶב מִיִּשְׂרָאֵֽל׃ 3
इसलिये जब उन्होंने उस व्यवस्था को सुना, उन्होंने सभी विदेशियों को इस्राएल में से बाहर कर दिया.
וְלִפְנֵ֣י מִזֶּ֔ה אֶלְיָשִׁיב֙ הַכֹּהֵ֔ן נָת֖וּן בְּלִשְׁכַּ֣ת בֵּית־אֱלֹהֵ֑ינוּ קָר֖וֹב לְטוֹבִיָּֽה׃ 4
इसके पहले, पुरोहित एलियाशिब, जिसे हमारे परमेश्वर के भवन के कमरों का अधिकारी चुना गया था, वास्तव में तोबियाह का रिश्तेदार था.
וַיַּ֨עַשׂ ל֜וֹ לִשְׁכָּ֣ה גְדוֹלָ֗ה וְשָׁ֣ם הָי֪וּ לְפָנִ֟ים נֹ֠תְנִים אֶת־הַמִּנְחָ֨ה הַלְּבוֹנָ֜ה וְהַכֵּלִ֗ים וּמַעְשַׂ֤ר הַדָּגָן֙ הַתִּיר֣וֹשׁ וְהַיִּצְהָ֔ר מִצְוַת֙ הַלְוִיִּ֔ם וְהַמְשֹׁרְרִ֖ים וְהַשֹּׁעֲרִ֑ים וּתְרוּמַ֖ת הַכֹּהֲנִֽים׃ 5
उसने तोबियाह के लिए एक बड़े कमरे को बना रखा था, जहां इसके पहले अन्‍नबलि, लोबान, तरह-तरह के बर्तन और लेवियों, गायकों, द्वारपालों और पुरोहितों के लिए इकट्ठा दानों के ठहराए गए अन्‍न, अंगूर के रस और तेल का दसवां भाग जमा किया जाता था.
וּבְכָל־זֶ֕ה לֹ֥א הָיִ֖יתִי בִּֽירוּשָׁלִָ֑ם כִּ֡י בִּשְׁנַת֩ שְׁלֹשִׁ֨ים וּשְׁתַּ֜יִם לְאַרְתַּחְשַׁ֤סְתְּא מֶֽלֶךְ־בָּבֶל֙ בָּ֣אתִי אֶל־הַמֶּ֔לֶךְ וּלְקֵ֥ץ יָמִ֖ים נִשְׁאַ֥לְתִּי מִן־הַמֶּֽלֶךְ׃ 6
मगर ऐसा हुआ कि इस समय में मैं येरूशलेम में था ही नहीं, क्योंकि बाबेल के राजा, अर्तहषस्ता के समय के बत्तीसवें साल में मैं राजा से मिलने गया हुआ था, मगर यहां कुछ समय रहने के बाद मैंने राजा की आज्ञा ली
וָאָב֖וֹא לִֽירוּשָׁלִָ֑ם וָאָבִ֣ינָה בָרָעָ֗ה אֲשֶׁ֨ר עָשָׂ֤ה אֶלְיָשִׁיב֙ לְט֣וֹבִיָּ֔ה לַעֲשׂ֥וֹת לוֹ֙ נִשְׁכָּ֔ה בְּחַצְרֵ֖י בֵּ֥ית הָאֱלֹהִֽים׃ 7
और येरूशलेम आ गया. मुझे उस बुराई के बारे में पता चला, जो एलियाशिब ने तोबियाह के लिए किया—उसने परमेश्वर के भवन के आंगन में तोबियाह के लिए एक कमरा तैयार किया था.
וַיֵּ֥רַֽע לִ֖י מְאֹ֑ד וָֽאַשְׁלִ֜יכָה אֶֽת־כָּל־כְּלֵ֧י בֵית־טוֹבִיָּ֛ה הַח֖וּץ מִן־הַלִּשְׁכָּֽה׃ 8
इससे मैं बहुत नाराज़ हुआ; तब मैंने तोबियाह का सारा सामान उस कमरे के बाहर फेंक दिया.
וָאֹ֣מְרָ֔ה וַֽיְטַהֲר֖וּ הַלְּשָׁכ֑וֹת וָאָשִׁ֣יבָה שָּׁ֗ם כְּלֵי֙ בֵּ֣ית הָאֱלֹהִ֔ים אֶת־הַמִּנְחָ֖ה וְהַלְּבוֹנָֽה׃ פ 9
तब मेरे आदेश पर वे कमरे शुद्ध किए गए. मैंने परमेश्वर के भवन के बर्तन, अन्‍नबलि और लोबान दोबारा उस कमरे में रखाव दिए.
וָאֵ֣דְעָ֔ה כִּֽי־מְנָי֥וֹת הַלְוִיִּ֖ם לֹ֣א נִתָּ֑נָה וַיִּבְרְח֧וּ אִישׁ־לְשָׂדֵ֛הוּ הַלְוִיִּ֥ם וְהַמְשֹׁרְרִ֖ים עֹשֵׂ֥י הַמְּלָאכָֽה׃ 10
तब मुझे यह भी पता चला कि लेवियों के लिए ठहराया हुआ भाग उन्हें दिया ही नहीं गया था, फलस्वरूप तरह-तरह की सेवाओं के लिए चुने गए लेवी और गायक सेवा का काम छोड़कर जा चुके थे-अपने-अपने खेतों में खेती करने.
וָאָרִ֙יבָה֙ אֶת־הַסְּגָנִ֔ים וָאֹ֣מְרָ֔ה מַדּ֖וּעַ נֶעֱזַ֣ב בֵּית־הָאֱלֹהִ֑ים וָֽאֶ֨קְבְּצֵ֔ם וָֽאַעֲמִדֵ֖ם עַל־עָמְדָֽם׃ 11
इसलिये मैंने अधिकारियों को फटकार लगाई, “परमेश्वर का भवन क्यों छोड़ दिया गया है?” तब मैंने उन सबको वापस बुलाकर उन्हें सेवा के काम पर दोबारा नियुक्त कर दिया.
וְכָל־יְהוּדָ֗ה הֵבִ֜יאוּ מַעְשַׂ֧ר הַדָּגָ֛ן וְהַתִּיר֥וֹשׁ וְהַיִּצְהָ֖ר לָאוֹצָרֽוֹת׃ 12
तब सारे यहूदिया के लोगों ने भंडार में अनाज, अंगूर का रस और तेल का दसवां भाग रखवा दिया.
וָאוֹצְרָ֣ה עַל־א֠וֹצָרוֹת שֶׁלֶמְיָ֨ה הַכֹּהֵ֜ן וְצָד֣וֹק הַסּוֹפֵ֗ר וּפְדָיָה֙ מִן־הַלְוִיִּ֔ם וְעַל־יָדָ֔ם חָנָ֥ן בֶּן־זַכּ֖וּר בֶּן־מַתַּנְיָ֑ה כִּ֤י נֶאֱמָנִים֙ נֶחְשָׁ֔בוּ וַעֲלֵיהֶ֖ם לַחֲלֹ֥ק לַאֲחֵיהֶֽם׃ פ 13
तब मैंने पुरोहित शेलेमियाह को, शासक सादोक को और लेवियों में से पेदाइयाह को भंडारों का अधिकारी ठहरा दिया. उनके अलावा मैंने, मत्तनियाह के पोते ज़क्‍कूर के पुत्र हनान को चुना, क्योंकि ये सभी विश्वासयोग्य पाए गए. इनकी जवाबदारी थी अपने रिश्तेदारों में सामग्री बांटना.
זָכְרָה־לִּ֥י אֱלֹהַ֖י עַל־זֹ֑את וְאַל־תֶּ֣מַח חֲסָדַ֗י אֲשֶׁ֥ר עָשִׂ֛יתִי בְּבֵ֥ית אֱלֹהַ֖י וּבְמִשְׁמָרָֽיו׃ 14
मेरे परमेश्वर, इस काम के लिए आप मुझे याद रखें. सच्चाई से किए गए मेरे कामों को, जो मैंने परमेश्वर के भवन और इसकी सेवा में किए हैं, आप मिटा न दीजिए.
בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֡מָּה רָאִ֣יתִי בִֽיהוּדָ֣ה ׀ דֹּֽרְכִֽים־גִּתּ֣וֹת ׀ בַּשַּׁבָּ֡ת וּמְבִיאִ֣ים הָעֲרֵמ֣וֹת וְֽעֹמְסִ֪ים עַל־הַחֲמֹרִ֟ים וְאַף־יַ֜יִן עֲנָבִ֤ים וּתְאֵנִים֙ וְכָל־מַשָּׂ֔א וּמְבִיאִ֥ים יְרוּשָׁלִַ֖ם בְּי֣וֹם הַשַּׁבָּ֑ת וָאָעִ֕יד בְּי֖וֹם מִכְרָ֥ם צָֽיִד׃ 15
उन्हीं दिनों में मेरे सामने यह भी आया कि यहूदिया में कुछ व्यक्ति ऐसे थे, जो शब्बाथ पर अंगूर रौंद रहे थे, कुछ अनाज के बोरे नगर में ला रहे थे, कुछ इन्हें गधों पर लाद रहे थे, सभी प्रकार का सामान शब्बाथ पर येरूशलेम में लाया जा रहा था, वैसे ही अंगूर का रस, अंगूर, अंजीर और सभी प्रकार के बोझ. इसलिये मैंने शब्बाथ पर भोजन बेचने पर उन्हें डांटा.
וְהַצֹּרִים֙ יָ֣שְׁבוּ בָ֔הּ מְבִיאִ֥ים דָּ֖אג וְכָל־מֶ֑כֶר וּמֹכְרִ֧ים בַּשַּׁבָּ֛ת לִבְנֵ֥י יְהוּדָ֖ה וּבִירוּשָׁלִָֽם׃ 16
येरूशलेम में कुछ सोरवासी भी रहने लगे थे, जो मछली और सब प्रकार का बिकने वाला सामान वहां से बिक्री कर रहे थे. वे यह सब यहूदाह के वंशजों को शब्बाथ पर बेच रहे थे; हां, येरूशलेम ही में!
וָאָרִ֕יבָה אֵ֖ת חֹרֵ֣י יְהוּדָ֑ה וָאֹמְרָ֣ה לָהֶ֗ם מָֽה־הַדָּבָ֨ר הָרָ֤ע הַזֶּה֙ אֲשֶׁ֣ר אַתֶּ֣ם עֹשִׂ֔ים וּֽמְחַלְּלִ֖ים אֶת־י֥וֹם הַשַּׁבָּֽת׃ 17
तब मैंने यहूदिया के रईसों को फटकार लगाई. मैंने उनसे कहा, “आप लोग शब्बाथ को अपवित्र कर यह कैसी बुराई कर रहे हैं?
הֲל֨וֹא כֹ֤ה עָשׂוּ֙ אֲבֹ֣תֵיכֶ֔ם וַיָּבֵ֨א אֱלֹהֵ֜ינוּ עָלֵ֗ינוּ אֵ֚ת כָּל־הָרָעָ֣ה הַזֹּ֔את וְעַ֖ל הָעִ֣יר הַזֹּ֑את וְאַתֶּ֞ם מוֹסִיפִ֤ים חָרוֹן֙ עַל־יִשְׂרָאֵ֔ל לְחַלֵּ֖ל אֶת־הַשַּׁבָּֽת׃ פ 18
क्या आपके पूर्वजों ने यह नहीं किया था, जिसके फलस्वरूप हमारे परमेश्वर ने हम पर और इस नगर पर यह सारी विपत्ति ड़ाल दी है? यह होने पर भी आप लोग शब्बाथ को अपवित्र करके इस्राएल पर परमेश्वर के क्रोध को बढ़ा रहे हैं.”
וַיְהִ֡י כַּאֲשֶׁ֣ר צָֽלֲלוּ֩ שַׁעֲרֵ֨י יְרוּשָׁלִַ֜ם לִפְנֵ֣י הַשַּׁבָּ֗ת וָאֹֽמְרָה֙ וַיִּסָּגְר֣וּ הַדְּלָת֔וֹת וָאֹ֣מְרָ֔ה אֲשֶׁר֙ לֹ֣א יִפְתָּח֔וּם עַ֖ד אַחַ֣ר הַשַּׁבָּ֑ת וּמִנְּעָרַ֗י הֶֽעֱמַ֙דְתִּי֙ עַל־הַשְּׁעָרִ֔ים לֹא־יָב֥וֹא מַשָּׂ֖א בְּי֥וֹם הַשַּׁבָּֽת׃ 19
तब यह हुआ कि शब्बाथ शुरू होने के ठीक पहले, जब येरूशलेम के फाटकों पर अंधेरा छा ही रहा था, मैंने आदेश दिया कि फाटक बंद कर दिए जाएं और वे शब्बाथ खत्म होने के पहले बिलकुल न खोले जाएं. इसके बाद मैंने अपने ही कुछ सेवकों को फाटकों पर ठहरा दिया कि शब्बाथ पर किसी भी बोझ को अंदर न आने दिया जाए.
וַיָּלִ֨ינוּ הָרֹכְלִ֜ים וּמֹכְרֵ֧י כָל־מִמְכָּ֛ר מִח֥וּץ לִירוּשָׁלִָ֖ם פַּ֥עַם וּשְׁתָּֽיִם׃ 20
एक या दो मौके ही ऐसे गए होंगे, जब विभिन्‍न प्रकार के व्यापारियों और बेचने वालों ने येरूशलेम के बाहर रात बिताई थी.
וָאָעִ֣ידָה בָהֶ֗ם וָאֹמְרָ֤ה אֲלֵיהֶם֙ מַדּ֜וּעַ אַתֶּ֤ם לֵנִים֙ נֶ֣גֶד הַחוֹמָ֔ה אִם־תִּשְׁנ֕וּ יָ֖ד אֶשְׁלַ֣ח בָּכֶ֑ם מִן־הָעֵ֣ת הַהִ֔יא לֹא־בָ֖אוּ בַּשַּׁבָּֽת׃ ס 21
तब मैंने उन्हें इस प्रकार चेतावनी दी, “क्यों आप लोग शहरपनाह के पास रात बिताते हैं? यदि आप दोबारा यह करते पाए जाएंगे, तो मुझे आप पर ताकत का इस्तेमाल करना पड़ेगा.” इस चेतावनी के बाद वे शब्बाथ पर येरूशलेम कभी नहीं आए.
וָאֹמְרָ֣ה לַלְוִיִּ֗ם אֲשֶׁ֨ר יִֽהְי֤וּ מִֽטַּהֲרִים֙ וּבָאִים֙ שֹׁמְרִ֣ים הַשְּׁעָרִ֔ים לְקַדֵּ֖שׁ אֶת־י֣וֹם הַשַּׁבָּ֑ת גַּם־זֹאת֙ זָכְרָה־לִּ֣י אֱלֹהַ֔י וְח֥וּסָה עָלַ֖י כְּרֹ֥ב חַסְדֶּֽךָ׃ פ 22
तब मैंने लेवियों को आदेश दिया कि शब्बाथ को पवित्र करने के उद्देश्य से वे अपने आपको शुद्ध कर द्वारपाल के समान आया करें. मेरे परमेश्वर, इस भले काम के लिए भी आप मुझे याद रखिए और अपनी बड़ी करुणा के अनुसार मुझ पर अपनी दया हमेशा बनाए रखिए.
גַּ֣ם ׀ בַּיָּמִ֣ים הָהֵ֗ם רָאִ֤יתִי אֶת־הַיְּהוּדִים֙ הֹשִׁ֗יבוּ נָשִׁים֙ אַשְׁדֳּדִיּ֔וֹת עַמֳּנִיּ֖וֹת מוֹאֲבִיּֽוֹת׃ 23
उन्हीं दिनों में मेरा ध्यान इस सच्चाई की ओर भी गया, कि यहूदियों ने अशदोद, अम्मोन और मोआब की स्त्रियों से विवाह किया हुआ था.
וּבְנֵיהֶ֗ם חֲצִי֙ מְדַבֵּ֣ר אַשְׁדּוֹדִ֔ית וְאֵינָ֥ם מַכִּירִ֖ים לְדַבֵּ֣ר יְהוּדִ֑ית וְכִלְשׁ֖וֹן עַ֥ם וָעָֽם׃ 24
उनकी संतान के विषय में सच्चाई यह है कि उनकी संतान के आधे लोग अशदोद की भाषा बोलते है, उनमें से कोई भी यहूदिया की भाषा में बातचीत कर ही नहीं सकता, बल्कि वे सिर्फ अपने ही लोगों की भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
וָאָרִ֤יב עִמָּם֙ וָאֲקַֽלְלֵ֔ם וָאַכֶּ֥ה מֵהֶ֛ם אֲנָשִׁ֖ים וָֽאֶמְרְטֵ֑ם וָאַשְׁבִּיעֵ֣ם בֵּֽאלֹהִ֗ים אִם־תִּתְּנ֤וּ בְנֹֽתֵיכֶם֙ לִבְנֵיהֶ֔ם וְאִם־תִּשְׂאוּ֙ מִבְּנֹ֣תֵיהֶ֔ם לִבְנֵיכֶ֖ם וְלָכֶֽם׃ 25
इसलिये मैंने उनसे बहस की, उन्हें धिक्कारा, उनमें से कुछ पर तो मैंने हाथ भी छोड़ दिया और कुछ के बाल नोचे. तब मैंने उन्हें परमेश्वर की शपथ दी, “तुम उनके पुत्रों को अपनी पुत्रियां विवाह के लिए नहीं दोगे और न उनकी पुत्रियां को अपने पुत्रों के लिए या खुद अपने विवाह के लिए लोगे.
הֲל֣וֹא עַל־אֵ֣לֶּה חָטָֽא־שְׁלֹמֹ֣ה מֶ֣לֶךְ יִשְׂרָאֵ֡ל וּבַגּוֹיִ֣ם הָרַבִּים֩ לֹֽא־הָיָ֨ה מֶ֜לֶךְ כָּמֹ֗הוּ וְאָה֤וּב לֵֽאלֹהָיו֙ הָיָ֔ה וַיִּתְּנֵ֣הוּ אֱלֹהִ֔ים מֶ֖לֶךְ עַל־כָּל־יִשְׂרָאֵ֑ל גַּם־אוֹת֣וֹ הֶחֱטִ֔יאוּ הַנָּשִׁ֖ים הַנָּכְרִיּֽוֹת׃ 26
क्या इस्राएल के राजा शलोमोन ने इन्हीं विषयों में पाप नहीं किया था? इतना होने पर भी अनेकों देशों में उनके समान राजा कोई न था. उन पर उनके परमेश्वर का प्रेम स्थिर था और परमेश्वर ने उन्हें सारे इस्राएल पर राजा ठहराया दिया; फिर भी, उन विदेशी स्त्रियों ने उन्हें तक पाप करने के लिए फेर दिया था.
וְלָכֶ֣ם הֲנִשְׁמַ֗ע לַעֲשֹׂת֙ אֵ֣ת כָּל־הָרָעָ֤ה הַגְּדוֹלָה֙ הַזֹּ֔את לִמְעֹ֖ל בֵּֽאלֹהֵ֑ינוּ לְהֹשִׁ֖יב נָשִׁ֥ים נָכְרִיּֽוֹת׃ 27
तब क्या यह सही होगा कि हम आपसे सहमत होकर यह बड़ी बुराई करें और विदेशी स्त्रियों से विवाह करने के द्वारा अपने परमेश्वर के विरुद्ध विश्वासघात करें?”
וּמִבְּנֵ֨י יוֹיָדָ֤ע בֶּן־אֶלְיָשִׁיב֙ הַכֹּהֵ֣ן הַגָּד֔וֹל חָתָ֖ן לְסַנְבַלַּ֣ט הַחֹרֹנִ֑י וָאַבְרִיחֵ֖הוּ מֵעָלָֽי׃ 28
यहां तक कि महापुरोहित एलियाशिब के पुत्रों में से एक योइयादा, होरोनी के सनबल्लत का दामाद था. मैंने उसे वहां से निकाल दिया.
זָכְרָ֥ה לָהֶ֖ם אֱלֹהָ֑י עַ֚ל גָּאֳלֵ֣י הַכְּהֻנָּ֔ה וּבְרִ֥ית הַכְּהֻנָּ֖ה וְהַלְוִיִּֽם׃ 29
मेरे परमेश्वर, आप इन्हें याद रखिए, क्योंकि इन्होंने पुरोहित के पद को और पुरोहित की और लेवियों की वाचा को अशुद्ध किया है.
וְטִֽהַרְתִּ֖ים מִכָּל־נֵכָ֑ר וָאַעֲמִ֧ידָה מִשְׁמָר֛וֹת לַכֹּהֲנִ֥ים וְלַלְוִיִּ֖ם אִ֥ישׁ בִּמְלַאכְתּֽוֹ׃ 30
इस प्रकार मैंने उन्हें उन सभी से शुद्ध कर दिया, जो कुछ विदेशी था. मैंने पुरोहितों और लेवियों के लिए उनके कामों को ठहरा भी दिया-हर एक के लिए निश्चित काम.
וּלְקֻרְבַּ֧ן הָעֵצִ֛ים בְּעִתִּ֥ים מְזֻמָּנ֖וֹת וְלַבִּכּוּרִ֑ים זָכְרָה־לִּ֥י אֱלֹהַ֖י לְטוֹבָֽה׃ 31
मैंने ठहराए गए अवसरों के लिए लकड़ी और पहले फलों को देने का भी प्रबंध कर दिया. मेरे परमेश्वर, मेरी भलाई के लिए मुझे याद रखिये!

< נחמיה 13 >