< מִיכָה 1 >
דְּבַר־יְהוָ֣ה ׀ אֲשֶׁ֣ר הָיָ֗ה אֶל־מִיכָה֙ הַמֹּ֣רַשְׁתִּ֔י בִּימֵ֥י יוֹתָ֛ם אָחָ֥ז יְחִזְקִיָּ֖ה מַלְכֵ֣י יְהוּדָ֑ה אֲשֶׁר־חָזָ֥ה עַל־שֹׁמְר֖וֹן וִירֽוּשָׁלִָֽם׃ | 1 |
सामरिया और येरूशलेम के बारे में ख़ुदावन्द का कलाम जो शाहान — ए — यहूदाह यूताम, आख़ज़ — ओ — हिज़क़ियाह के दिनों में मीकाह मोरशती पर ख्व़ाब में नाज़िल हुआ।
שִׁמְעוּ֙ עַמִּ֣ים כֻּלָּ֔ם הַקְשִׁ֖יבִי אֶ֣רֶץ וּמְלֹאָ֑הּ וִיהִי֩ אֲדֹנָ֨י יְהוִ֤ה בָּכֶם֙ לְעֵ֔ד אֲדֹנָ֖י מֵהֵיכַ֥ל קָדְשֽׁוֹ׃ | 2 |
ऐ सब लोगों, सुनो! ऐ ज़मीन और उसकी मा'मूरी कान लगाओ! हाँ ख़ुदावन्द अपने मुक़द्दस घर से तुम पर गवाही दे।
כִּֽי־הִנֵּ֥ה יְהוָ֖ה יֹצֵ֣א מִמְּקוֹמ֑וֹ וְיָרַ֥ד וְדָרַ֖ךְ עַל־בָּ֥מֳתֵי אָֽרֶץ׃ | 3 |
क्यूँकि देख, ख़ुदावन्द अपने घर से बाहर आता है, और नाज़िल होकर ज़मीन के ऊँचे मक़ामों को पायमाल करेगा।
וְנָמַ֤סּוּ הֶֽהָרִים֙ תַּחְתָּ֔יו וְהָעֲמָקִ֖ים יִתְבַּקָּ֑עוּ כַּדּוֹנַג֙ מִפְּנֵ֣י הָאֵ֔שׁ כְּמַ֖יִם מֻגָּרִ֥ים בְּמוֹרָֽד׃ | 4 |
और पहाड़ उनके नीचे पिघल जाएँगे, और वादियाँ फट जाएँगी, जैसे मोम आग से पिघल जाता और पानी कराड़े पर से बह जाता है।
בְּפֶ֤שַׁע יַֽעֲקֹב֙ כָּל־זֹ֔את וּבְחַטֹּ֖אות בֵּ֣ית יִשְׂרָאֵ֑ל מִֽי־פֶ֣שַׁע יַעֲקֹ֗ב הֲלוֹא֙ שֹֽׁמְר֔וֹן וּמִי֙ בָּמ֣וֹת יְהוּדָ֔ה הֲל֖וֹא יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 5 |
ये सब या'क़ूब की ख़ता और इस्राईल के घराने के गुनाह का नतीजा है। या'क़ूब की ख़ता क्या है? क्या सामरिया नहीं? और यहूदाह के ऊँचे मक़ाम क्या हैं? क्या येरूशलेम नहीं?
וְשַׂמְתִּ֥י שֹׁמְר֛וֹן לְעִ֥י הַשָּׂדֶ֖ה לְמַטָּ֣עֵי כָ֑רֶם וְהִגַּרְתִּ֤י לַגַּי֙ אֲבָנֶ֔יהָ וִיסֹדֶ֖יהָ אֲגַלֶּֽה׃ | 6 |
इसलिए मैं सामरिया को खेत के तूदे की तरह, और ताकिस्तान लगाने की जगह की तरह बनाऊँगा, और मैं उसके पत्थरों को वादी में ढलकाऊँगा और उसकी बुनियाद उखाड़ दूँगा।
וְכָל־פְּסִילֶ֣יהָ יֻכַּ֗תּוּ וְכָל־אֶתְנַנֶּ֙יהָ֙ יִשָּׂרְפ֣וּ בָאֵ֔שׁ וְכָל־עֲצַבֶּ֖יהָ אָשִׂ֣ים שְׁמָמָ֑ה כִּ֠י מֵאֶתְנַ֤ן זוֹנָה֙ קִבָּ֔צָה וְעַד־אֶתְנַ֥ן זוֹנָ֖ה יָשֽׁוּבוּ׃ | 7 |
और उसकी सब खोदी हुई मूरतें चूर — चूर की जाएँगी, और जो कुछ उसने मज़दूरी में पाया आग से जलाया जाएगा; और मैं उसके सब बुतों को तोड़ डालूँगा क्यूँकि उसने ये सब कुछ कस्बी की मज़दूरी से पैदा किया है; और वह फिर कस्बी की मज़दूरी हो जाएगा।
עַל־זֹאת֙ אֶסְפְּדָ֣ה וְאֵילִ֔ילָה אֵילְכָ֥ה שׁוֹלָ֖ל וְעָר֑וֹם אֶעֱשֶׂ֤ה מִסְפֵּד֙ כַּתַּנִּ֔ים וְאֵ֖בֶל כִּבְנ֥וֹת יַעֲנָֽה׃ | 8 |
इसलिए मैं मातम — ओ — नौहा करूँगा; मैं नंगा और बरहना होकर फिरूँगा; मैं गीदड़ों की तरह चिल्लाऊँगा और शुतरमुर्ग़ों की तरह ग़म करूँगा।
כִּ֥י אֲנוּשָׁ֖ה מַכּוֹתֶ֑יהָ כִּי־בָ֙אָה֙ עַד־יְהוּדָ֔ה נָגַ֛ע עַד־שַׁ֥עַר עַמִּ֖י עַד־יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 9 |
क्यूँकि उसका ज़ख़्म लाइलाज़ है, वह यहूदाह तक भी आया; वह मेरे लोगों के फाटक तक बल्कि येरूशलेम तक पहुँचा।
בְּגַת֙ אַל־תַּגִּ֔ידוּ בָּכ֖וֹ אַל־תִּבְכּ֑וּ בְּבֵ֣ית לְעַפְרָ֔ה עָפָ֖ר הִתְפַּלָּֽשִׁי׃ | 10 |
जात में उसकी ख़बर न दो, और हरगिज़ नौहा न करो; बैत 'अफ़रा में ख़ाक पर लोटो।
עִבְרִ֥י לָכֶ֛ם יוֹשֶׁ֥בֶת שָׁפִ֖יר עֶרְיָה־בֹ֑שֶׁת לֹ֤א יָֽצְאָה֙ יוֹשֶׁ֣בֶת צַֽאֲנָ֔ן מִסְפַּד֙ בֵּ֣ית הָאֵ֔צֶל יִקַּ֥ח מִכֶּ֖ם עֶמְדָּתֽוֹ׃ | 11 |
ऐ सफ़ीर की रहने वाली, तू बरहना — ओ — रुस्वा होकर चली जा; ज़ानान की रहने वाली निकल नहीं सकती। बैतएज़ल के मातम के ज़रिए' उसकी पनाहगाह तुम से ले ली जाएगी।
כִּֽי־חָ֥לָֽה לְט֖וֹב יוֹשֶׁ֣בֶת מָר֑וֹת כִּֽי־יָ֤רַד רָע֙ מֵאֵ֣ת יְהוָ֔ה לְשַׁ֖עַר יְרוּשָׁלִָֽם׃ | 12 |
मारोत की रहने वाली भलाई के इन्तिज़ार में तड़पती है, क्यूँकि ख़ुदावन्द की तरफ़ से बला नाज़िल हुई, जो येरूशलेम के फाटक तक पहुँची।
רְתֹ֧ם הַמֶּרְכָּבָ֛ה לָרֶ֖כֶשׁ יוֹשֶׁ֣בֶת לָכִ֑ישׁ רֵאשִׁ֨ית חַטָּ֥את הִיא֙ לְבַת־צִיּ֔וֹן כִּי־בָ֥ךְ נִמְצְא֖וּ פִּשְׁעֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 13 |
ऐ लकीस की रहने वाली बादपा घोड़ों को रथ में जोत; तू बिन्त — ए — सिय्यून के गुनाह का आग़ाज़ हुई क्यूँकि इस्राईल की ख़ताएँ भी तुझ में पाई गईं।
לָכֵן֙ תִּתְּנִ֣י שִׁלּוּחִ֔ים עַ֖ל מוֹרֶ֣שֶׁת גַּ֑ת בָּתֵּ֤י אַכְזִיב֙ לְאַכְזָ֔ב לְמַלְכֵ֖י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 14 |
इसलिए तू मोरसत जात को तलाक़ देगी; अकज़ीब के घराने इस्राईल के बादशाहों से दग़ाबाज़ी करेंगे।
עֹ֗ד הַיֹּרֵשׁ֙ אָ֣בִי לָ֔ךְ יוֹשֶׁ֖בֶת מָֽרֵשָׁ֑ה עַד־עֲדֻּלָּ֥ם יָב֖וֹא כְּב֥וֹד יִשְׂרָאֵֽל׃ | 15 |
ऐ मरेसा की रहने वाली, तुझ पर क़ब्ज़ा करने वाले को तेरे पास लाऊँगा; इस्राईल की शौकत 'अदूल्लाम में आएगी।
קָרְחִ֣י וָגֹ֔זִּי עַל־בְּנֵ֖י תַּעֲנוּגָ֑יִךְ הַרְחִ֤בִי קָרְחָתֵךְ֙ כַּנֶּ֔שֶׁר כִּ֥י גָל֖וּ מִמֵּֽךְ׃ ס | 16 |
अपने प्यारे बच्चों के लिए सिर मुंडाकर चंदली हो जा; गिद्ध की तरह अपने चंदलेपन को ज़्यादा कर क्यूँकि वह तेरे पास से ग़ुलाम होकर चले गए।