< וַיִּקְרָא 11 >
וַיְדַבֵּ֧ר יְהוָ֛ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה וְאֶֽל־אַהֲרֹ֖ן לֵאמֹ֥ר אֲלֵהֶֽם׃ | 1 |
फ़िर ख़ुदावन्द ने मूसा और हारून से कहा,
דַּבְּר֛וּ אֶל־בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵ֖ל לֵאמֹ֑ר זֹ֤את הַֽחַיָּה֙ אֲשֶׁ֣ר תֹּאכְל֔וּ מִכָּל־הַבְּהֵמָ֖ה אֲשֶׁ֥ר עַל־הָאָֽרֶץ׃ | 2 |
“तुम बनी — इस्राईल से कहो कि ज़मीन के सब हैवानात में से जिन जानवरों को तुम खा सकते हो वह यह हैं।
כֹּ֣ל ׀ מַפְרֶ֣סֶת פַּרְסָ֗ה וְשֹׁסַ֤עַת שֶׁ֙סַע֙ פְּרָסֹ֔ת מַעֲלַ֥ת גֵּרָ֖ה בַּבְּהֵמָ֑ה אֹתָ֖הּ תֹּאכֵֽלוּ׃ | 3 |
जानवरों में जिनके पाँव अलग और चिरे हुए हैं और वह जुगाली करते हैं, तुम उनको खाओ।
אַ֤ךְ אֶת־זֶה֙ לֹ֣א תֹֽאכְל֔וּ מִֽמַּעֲלֵי֙ הַגֵּרָ֔ה וּמִמַּפְרִיסֵ֖י הַפַּרְסָ֑ה אֶֽת־הַ֠גָּמָל כִּֽי־מַעֲלֵ֨ה גֵרָ֜ה ה֗וּא וּפַרְסָה֙ אֵינֶ֣נּוּ מַפְרִ֔יס טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ | 4 |
मगर जो जुगाली करते हैं या जिनके पाँव अलग हैं, उन में से तुम इन जानवरों को न खाना; या'नी ऊँट को, क्यूँकि वह जुगाली करता है लेकिन उसके पाँव अलग नहीं, इसलिए वह तुम्हारे लिए नापाक है।
וְאֶת־הַשָּׁפָ֗ן כִּֽי־מַעֲלֵ֤ה גֵרָה֙ ה֔וּא וּפַרְסָ֖ה לֹ֣א יַפְרִ֑יס טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ | 5 |
और साफ़ान को, क्यूँकि वह जुगाली करता है लेकिन उसके पाँव अलग नहीं, वह भी तुम्हारे लिए नापाक है।
וְאֶת־הָאַרְנֶ֗בֶת כִּֽי־מַעֲלַ֤ת גֵּרָה֙ הִ֔וא וּפַרְסָ֖ה לֹ֣א הִפְרִ֑יסָה טְמֵאָ֥ה הִ֖וא לָכֶֽם׃ | 6 |
और ख़रगोश को, क्यूँकि वह जुगाली तो करता है लेकिन उसके पाँव अलग नहीं, वह भी तुम्हारे लिए नापाक है।
וְאֶת־הַ֠חֲזִיר כִּֽי־מַפְרִ֨יס פַּרְסָ֜ה ה֗וּא וְשֹׁסַ֥ע שֶׁ֙סַע֙ פַּרְסָ֔ה וְה֖וּא גֵּרָ֣ה לֹֽא־יִגָּ֑ר טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ | 7 |
और सूअर को, क्यूँकि उसके पाँव अलग और चिरे हुए हैं लेकिन वह जुगाली नहीं करता, वह भी तुम्हारे लिए नापाक है।
מִבְּשָׂרָם֙ לֹ֣א תֹאכֵ֔לוּ וּבְנִבְלָתָ֖ם לֹ֣א תִגָּ֑עוּ טְמֵאִ֥ים הֵ֖ם לָכֶֽם׃ | 8 |
तुम उनका गोश्त न खाना और उन की लाशों को न छूना, वह तुम्हारे लिए नापाक हैं।
אֶת־זֶה֙ תֹּֽאכְל֔וּ מִכֹּ֖ל אֲשֶׁ֣ר בַּמָּ֑יִם כֹּ֣ל אֲשֶׁר־לוֹ֩ סְנַפִּ֨יר וְקַשְׂקֶ֜שֶׂת בַּמַּ֗יִם בַּיַּמִּ֛ים וּבַנְּחָלִ֖ים אֹתָ֥ם תֹּאכֵֽלוּ׃ | 9 |
“जो जानवर पानी में रहते हैं उन में से तुम इनको खाना, या'नी समन्दरों और दरियाओं वग़ैरह के जानवरो में, जिनके पर और छिल्के हों तुम उन्हें खाओ।
וְכֹל֩ אֲשֶׁ֨ר אֵֽין־ל֜וֹ סְנַפִּ֣יר וְקַשְׂקֶ֗שֶׂת בַּיַּמִּים֙ וּבַנְּחָלִ֔ים מִכֹּל֙ שֶׁ֣רֶץ הַמַּ֔יִם וּמִכֹּ֛ל נֶ֥פֶשׁ הַחַיָּ֖ה אֲשֶׁ֣ר בַּמָּ֑יִם שֶׁ֥קֶץ הֵ֖ם לָכֶֽם׃ | 10 |
लेकिन वह सब जानदार जो पानी में या'नी समन्दरों और दरियाओं वग़ैरह में चलते फिरते और रहते हैं, लेकिन उनके पर और छिल्के नहीं होते, वह तुम्हारे लिए मकरूह हैं।
וְשֶׁ֖קֶץ יִהְי֣וּ לָכֶ֑ם מִבְּשָׂרָם֙ לֹ֣א תֹאכֵ֔לוּ וְאֶת־נִבְלָתָ֖ם תְּשַׁקֵּֽצוּ׃ | 11 |
और वह तुम्हारे लिए मकरूह ही रहें। तुम उनका गोश्त न खाना और उन की लाशों से कराहियत करना।
כֹּ֣ל אֲשֶׁ֥ר אֵֽין־ל֛וֹ סְנַפִּ֥יר וְקַשְׂקֶ֖שֶׂת בַּמָּ֑יִם שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לָכֶֽם׃ | 12 |
पानी के जिस किसी जानदार के न पर हों और न छिल्के, वह तुम्हारे लिए मकरूह हैं।
וְאֶת־אֵ֙לֶּה֙ תְּשַׁקְּצ֣וּ מִן־הָע֔וֹף לֹ֥א יֵאָכְל֖וּ שֶׁ֣קֶץ הֵ֑ם אֶת־הַנֶּ֙שֶׁר֙ וְאֶת־הַפֶּ֔רֶס וְאֵ֖ת הָעָזְנִיָּֽה׃ | 13 |
'और परिन्दों में जो मकरूह होने की वजह से कभी खाए न जाएँ और जिन से तुम्हें कराहियत करना है वो यह हैं। उक़ाब और उस्तख़्वान ख़्वार और लगड़,
וְאֶת־הַ֨דָּאָ֔ה וְאֶת־הָאַיָּ֖ה לְמִינָֽהּ׃ | 14 |
और चील और हर क़िस्म का बाज़,
אֵ֥ת כָּל־עֹרֵ֖ב לְמִינֽוֹ׃ | 15 |
और हर क़िस्म के कव्वे,
וְאֵת֙ בַּ֣ת הַֽיַּעֲנָ֔ה וְאֶת־הַתַּחְמָ֖ס וְאֶת־הַשָּׁ֑חַף וְאֶת־הַנֵּ֖ץ לְמִינֵֽהוּ׃ | 16 |
और शुतरमुर्ग़ और चुग़द और कोकिल और हर क़िस्म के शाहीन,
וְאֶת־הַכּ֥וֹס וְאֶת־הַשָּׁלָ֖ךְ וְאֶת־הַיַּנְשֽׁוּף׃ | 17 |
और बूम और हड़गीला और उल्लू,
וְאֶת־הַתִּנְשֶׁ֥מֶת וְאֶת־הַקָּאָ֖ת וְאֶת־הָרָחָֽם׃ | 18 |
और क़ाज़ और हवासिल और गिद्ध,
וְאֵת֙ הַחֲסִידָ֔ה הָאֲנָפָ֖ה לְמִינָ֑הּ וְאֶת־הַדּוּכִיפַ֖ת וְאֶת־הָעֲטַלֵּֽף׃ | 19 |
और लक़लक़ और सब क़िस्म के बगुले और हुद — हुद, और चमगादड़।
כֹּ֚ל שֶׁ֣רֶץ הָע֔וֹף הַהֹלֵ֖ךְ עַל־אַרְבַּ֑ע שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לָכֶֽם׃ ס | 20 |
“और सब परदार रेंगने वाले जानदार जितने चार पाँवों के बल चलते हैं, वह तुम्हारे लिए मकरूह हैं।
אַ֤ךְ אֶת־זֶה֙ תֹּֽאכְל֔וּ מִכֹּל֙ שֶׁ֣רֶץ הָע֔וֹף הַהֹלֵ֖ךְ עַל־אַרְבַּ֑ע אֲשֶׁר־ל֤וֹ כְרָעַ֙יִם֙ מִמַּ֣עַל לְרַגְלָ֔יו לְנַתֵּ֥ר בָּהֵ֖ן עַל־הָאָֽרֶץ׃ | 21 |
मगर परदार रेंगने वाले जानदारों में से जो चार पाँव के बल चलते हैं तुम उन जानदारों को खा सकते हो, जिनके ज़मीन के ऊपर कूदने फाँदने को पाँव के ऊपर टाँगें होती हैं,
אֶת־אֵ֤לֶּה מֵהֶם֙ תֹּאכֵ֔לוּ אֶת־הָֽאַרְבֶּ֣ה לְמִינ֔וֹ וְאֶת־הַסָּלְעָ֖ם לְמִינֵ֑הוּ וְאֶת־הַחַרְגֹּ֣ל לְמִינֵ֔הוּ וְאֶת־הֶחָגָ֖ב לְמִינֵֽהוּ׃ | 22 |
वह जिन्हें तुम खा सकते हो यह हैं, हर क़िस्म की टिड्डी और हर क़िस्म का सुलि'आम और हर क़िस्म का झींगर और हर क़िस्म का टिड्डा।
וְכֹל֙ שֶׁ֣רֶץ הָע֔וֹף אֲשֶׁר־ל֖וֹ אַרְבַּ֣ע רַגְלָ֑יִם שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לָכֶֽם׃ | 23 |
लेकिन सब परदार रेंगने वाले जानदार जिनके चार पाँव हैं, वह तुम्हारे लिए मकरूह हैं।
וּלְאֵ֖לֶּה תִּטַּמָּ֑אוּ כָּל־הַנֹּגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖ם יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ | 24 |
'और इन से तुम नापाक ठहरोगे, जो कोई इन में से किसी की लाश को छुए वह शाम तक नापाक रहेगा।
וְכָל־הַנֹּשֵׂ֖א מִנִּבְלָתָ֑ם יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ | 25 |
और जो कोई इन की लाश में से कुछ भी उठाए वह अपने कपड़े धो डाले और वह शाम तक नापाक रहेगा।
לְֽכָל־הַבְּהֵמָ֡ה אֲשֶׁ֣ר הִוא֩ מַפְרֶ֨סֶת פַּרְסָ֜ה וְשֶׁ֣סַע ׀ אֵינֶ֣נָּה שֹׁסַ֗עַת וְגֵרָה֙ אֵינֶ֣נָּה מַעֲלָ֔ה טְמֵאִ֥ים הֵ֖ם לָכֶ֑ם כָּל־הַנֹּגֵ֥עַ בָּהֶ֖ם יִטְמָֽא׃ | 26 |
और सब चारपाए जिनके पाँव अलग हैं लेकिन वह चिरे हुए नहीं और न वह जुगाली करते हैं, वह तुम्हारे लिए नापाक हैं; जो कोई उन को छुए वह नापाक ठहरेगा।
וְכֹ֣ל ׀ הוֹלֵ֣ךְ עַל־כַּפָּ֗יו בְּכָל־הַֽחַיָּה֙ הַהֹלֶ֣כֶת עַל־אַרְבַּ֔ע טְמֵאִ֥ים הֵ֖ם לָכֶ֑ם כָּל־הַנֹּגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖ם יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ | 27 |
और चार पाँवों पर चलने वाले जानवरों में से जितने अपने पंजों के बल चलते हैं, वह भी तुम्हारे लिए नापाक हैं। जो कोई उन की लाश को छुए वह शाम तक नापाक रहेगा।
וְהַנֹּשֵׂא֙ אֶת־נִבְלָתָ֔ם יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֣א עַד־הָעָ֑רֶב טְמֵאִ֥ים הֵ֖מָּה לָכֶֽם׃ ס | 28 |
और जो कोई उन की लाश को उठाए वह अपने कपड़े धो डाले और वह शाम तक नापाक रहेगा। यह सब तुम्हारे लिए नापाक हैं।
וְזֶ֤ה לָכֶם֙ הַטָּמֵ֔א בַּשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֣ץ עַל־הָאָ֑רֶץ הַחֹ֥לֶד וְהָעַכְבָּ֖ר וְהַצָּ֥ב לְמִינֵֽהוּ׃ | 29 |
“और ज़मीन पर के रेंगने वाले जानवरों में से जो तुम्हारे लिए नापाक हैं वह यह हैं, या'नी नेवला और चूहा और हर क़िस्म की बड़ी छिपकली,
וְהָאֲנָקָ֥ה וְהַכֹּ֖חַ וְהַלְּטָאָ֑ה וְהַחֹ֖מֶט וְהַתִּנְשָֽׁמֶת׃ | 30 |
और हिरजून और गोह और छिपकली और सान्डा और गिरगिट।
אֵ֛לֶּה הַטְּמֵאִ֥ים לָכֶ֖ם בְּכָל־הַשָּׁ֑רֶץ כָּל־הַנֹּגֵ֧עַ בָּהֶ֛ם בְּמֹתָ֖ם יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ | 31 |
सब रेंगने वाले जानदारों में से यह तुम्हारे लिए नापाक हैं, जो कोई उनके मरे पीछे उन को छुए वह शाम तक नापाक रहेगा।
וְכֹ֣ל אֲשֶׁר־יִפֹּל־עָלָיו֩ מֵהֶ֨ם ׀ בְּמֹתָ֜ם יִטְמָ֗א מִכָּל־כְּלִי־עֵץ֙ א֣וֹ בֶ֤גֶד אוֹ־עוֹר֙ א֣וֹ שָׂ֔ק כָּל־כְּלִ֕י אֲשֶׁר־יֵעָשֶׂ֥ה מְלָאכָ֖ה בָּהֶ֑ם בַּמַּ֧יִם יוּבָ֛א וְטָמֵ֥א עַד־הָעֶ֖רֶב וְטָהֵֽר׃ | 32 |
और जिस चीज़ पर वह मरे पीछे गिरें वह चीज़ नापाक होगी, चाहे वह लकडी का बर्तन हो या कपड़ा या चमड़ा या बोरा हो, चाहे किसी का कैसा ही बर्तन हो, ज़रूर है कि वह पानी में डाला जाए और वह शाम तक नापाक रहेगा, इस के बाद वह पाक ठहरेगा।
וְכָל־כְּלִי־חֶ֔רֶשׂ אֲשֶׁר־יִפֹּ֥ל מֵהֶ֖ם אֶל־תּוֹכ֑וֹ כֹּ֣ל אֲשֶׁ֧ר בְּתוֹכ֛וֹ יִטְמָ֖א וְאֹת֥וֹ תִשְׁבֹּֽרוּ׃ | 33 |
और अगर इनमें से कोई किसी मिट्टी के बर्तन में गिर जाए तो जो कुछ उस में है वह नापाक होगा, और बर्तन को तुम तोड़ डालना।
מִכָּל־הָאֹ֜כֶל אֲשֶׁ֣ר יֵאָכֵ֗ל אֲשֶׁ֨ר יָב֥וֹא עָלָ֛יו מַ֖יִם יִטְמָ֑א וְכָל־מַשְׁקֶה֙ אֲשֶׁ֣ר יִשָּׁתֶ֔ה בְּכָל־כְּלִ֖י יִטְמָֽא׃ | 34 |
उसके अन्दर अगर खाने की कोई चीज़ हो जिस में पानी पड़ा हुआ हो, तो वह भी नापाक ठहरेगी; और अगर ऐसे बर्तन में पीने के लिए कुछ हो तो वह नापाक होगा
וְ֠כֹל אֲשֶׁר־יִפֹּ֨ל מִנִּבְלָתָ֥ם ׀ עָלָיו֮ יִטְמָא֒ תַּנּ֧וּר וְכִירַ֛יִם יֻתָּ֖ץ טְמֵאִ֣ים הֵ֑ם וּטְמֵאִ֖ים יִהְי֥וּ לָכֶֽם׃ | 35 |
और जिस चीज़ पर उनकी लाश का कोई हिस्सा गिरे, चाहे वह तनूर हो या चूल्हा, वह नापाक होगी और तोड़ डाली जाए। ऐसी चीज़ें नापाक होती हैं और वह तुम्हारे लिए भी नापाक हों,
אַ֣ךְ מַעְיָ֥ן וּב֛וֹר מִקְוֵה־מַ֖יִם יִהְיֶ֣ה טָה֑וֹר וְנֹגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖ם יִטְמָֽא׃ | 36 |
मगर चश्मा या तालाब जिस में बहुत पानी हो वह पाक रहेगा, लेकिन जो कुछ उन की लाश से छू जाए वह नापाक होगा।
וְכִ֤י יִפֹּל֙ מִנִּבְלָתָ֔ם עַל־כָּל־זֶ֥רַע זֵר֖וּעַ אֲשֶׁ֣ר יִזָּרֵ֑עַ טָה֖וֹר הֽוּא׃ | 37 |
और अगर उन की लाश का कुछ हिस्सा किसी बोने के बीज पर गिरे तो वह बीज पाक रहेगा;
וְכִ֤י יֻתַּן־מַ֙יִם֙ עַל־זֶ֔רַע וְנָפַ֥ל מִנִּבְלָתָ֖ם עָלָ֑יו טָמֵ֥א ה֖וּא לָכֶֽם׃ ס | 38 |
लेकिन अगर बीज पर पानी डाला गया हो और इसके बाद उन की लाश में से कुछ उस पर गिरा हो, तो वह तुम्हारे लिए नापाक होगा।
וְכִ֤י יָמוּת֙ מִן־הַבְּהֵמָ֔ה אֲשֶׁר־הִ֥יא לָכֶ֖ם לְאָכְלָ֑ה הַנֹּגֵ֥עַ בְּנִבְלָתָ֖הּ יִטְמָ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ | 39 |
“और जिन जानवरों को तुम खा सकते हो, अगर उन में से कोई मर जाए तो जो कोई उस की लाश को छुए वह शाम तक नापाक रहेगा।
וְהָֽאֹכֵל֙ מִנִּבְלָתָ֔הּ יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֣א עַד־הָעָ֑רֶב וְהַנֹּשֵׂא֙ אֶת־נִבְלָתָ֔הּ יְכַבֵּ֥ס בְּגָדָ֖יו וְטָמֵ֥א עַד־הָעָֽרֶב׃ | 40 |
और जो कोई उनकी लाश में से कुछ खाए, वह अपने कपड़े धो डाले और वह शाम तक नापाक रहेगा; और जो कोई उन की लाश को उठाए, वह अपने कपड़े धो डाले और वह शाम तक नापाक रहेगा।
וְכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֣ץ עַל־הָאָ֑רֶץ שֶׁ֥קֶץ ה֖וּא לֹ֥א יֵאָכֵֽל׃ | 41 |
'और सब रेंगने वाले जानदार जो ज़मीन पर रेंगते हैं, मकरूह हैं और कभी खाए न जाएँ।
כֹּל֩ הוֹלֵ֨ךְ עַל־גָּח֜וֹן וְכֹ֣ל ׀ הוֹלֵ֣ךְ עַל־אַרְבַּ֗ע עַ֚ד כָּל־מַרְבֵּ֣ה רַגְלַ֔יִם לְכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֣ץ עַל־הָאָ֑רֶץ לֹ֥א תֹאכְל֖וּם כִּי־שֶׁ֥קֶץ הֵֽם׃ | 42 |
और ज़मीन पर के सब रेंगने वाले जानदारों में से, जितने पेट या चार पाँवों के बल चलते हैं या जिनके बहुत से पाँव होते हैं, उनको तुम न खाना क्यूँकि वह मकरूह हैं।
אַל־תְּשַׁקְּצוּ֙ אֶת־נַפְשֹׁ֣תֵיכֶ֔ם בְּכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הַשֹּׁרֵ֑ץ וְלֹ֤א תִֽטַּמְּאוּ֙ בָּהֶ֔ם וְנִטְמֵתֶ֖ם בָּֽם׃ | 43 |
और तुम किसी रेंगने वाले जानदार की वजह से जो ज़मीन पर रेंगता है, अपने आप को मकरूह न बना लेना और न उन से अपने आप को नापाक करना के नजिस हो जाओ;
כִּ֣י אֲנִ֣י יְהוָה֮ אֱלֹֽהֵיכֶם֒ וְהִתְקַדִּשְׁתֶּם֙ וִהְיִיתֶ֣ם קְדֹשִׁ֔ים כִּ֥י קָד֖וֹשׁ אָ֑נִי וְלֹ֤א תְטַמְּאוּ֙ אֶת־נַפְשֹׁ֣תֵיכֶ֔ם בְּכָל־הַשֶּׁ֖רֶץ הָרֹמֵ֥שׂ עַל־הָאָֽרֶץ׃ | 44 |
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ, इसलिए अपने आप को पाक करना और पाक होना क्यूँकि मैं क़ुद्दूस हूँ, इसलिए तुम किसी तरह के रेंगने वाले जानदार से जो ज़मीन पर चलता है, अपने आप को नापाक न करना;
כִּ֣י ׀ אֲנִ֣י יְהוָ֗ה הַֽמַּעֲלֶ֤ה אֶתְכֶם֙ מֵאֶ֣רֶץ מִצְרַ֔יִם לִהְיֹ֥ת לָכֶ֖ם לֵאלֹהִ֑ים וִהְיִיתֶ֣ם קְדֹשִׁ֔ים כִּ֥י קָד֖וֹשׁ אָֽנִי׃ | 45 |
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द हूँ, और तुमको मुल्क — ए — मिस्र से इसी लिए निकाल कर लाया हूँ कि मैं तुम्हारा ख़ुदा ठहरूँ। इसलिए तुम पाक होना क्यूँकि मैं क़ुद्दुस हूँ।”
זֹ֣את תּוֹרַ֤ת הַבְּהֵמָה֙ וְהָע֔וֹף וְכֹל֙ נֶ֣פֶשׁ הַֽחַיָּ֔ה הָרֹמֶ֖שֶׂת בַּמָּ֑יִם וּלְכָל־נֶ֖פֶשׁ הַשֹּׁרֶ֥צֶת עַל־הָאָֽרֶץ׃ | 46 |
हैवानात, और परिन्दों, और आबी जानवरों, और ज़मीन पर के सब रेंगने वाले जानदारों के बारे में शरा' यही है;
לְהַבְדִּ֕יל בֵּ֥ין הַטָּמֵ֖א וּבֵ֣ין הַטָּהֹ֑ר וּבֵ֤ין הַֽחַיָּה֙ הַֽנֶּאֱכֶ֔לֶת וּבֵין֙ הַֽחַיָּ֔ה אֲשֶׁ֖ר לֹ֥א תֵאָכֵֽל׃ פ | 47 |
ताकि पाक और नापाक में, और जो जानवर खाए जा सकते हैं और जो नहीं खाए जा सकते, उनके बीच इम्तियाज़ किया जाए।