< שֹׁפְטִים 9 >
וַיֵּ֨לֶךְ אֲבִימֶ֤לֶךְ בֶּן־יְרֻבַּ֙עַל֙ שְׁכֶ֔מָה אֶל־אֲחֵ֖י אִמּ֑וֹ וַיְדַבֵּ֣ר אֲלֵיהֶ֔ם וְאֶל־כָּל־מִשְׁפַּ֛חַת בֵּית־אֲבִ֥י אִמּ֖וֹ לֵאמֹֽר׃ | 1 |
यरूबाल का पुत्र अबीमेलेक अपने मामाओं से भेंटकरने शेकेम गया. वहां उसने अपने नाना के सारे घराने को इकट्ठा कर उनसे कहा,
דַּבְּרוּ־נָ֞א בְּאָזְנֵ֨י כָל־בַּעֲלֵ֣י שְׁכֶם֮ מַה־טּ֣וֹב לָכֶם֒ הַמְשֹׁ֨ל בָּכֶ֜ם שִׁבְעִ֣ים אִ֗ישׁ כֹּ֚ל בְּנֵ֣י יְרֻבַּ֔עַל אִם־מְשֹׁ֥ל בָּכֶ֖ם אִ֣ישׁ אֶחָ֑ד וּזְכַרְתֶּ֕ם כִּֽי־עַצְמֵכֶם וּבְשַׂרְכֶ֖ם אָנִֽי׃ | 2 |
“शेकेम के सारे अगुओं के सामने आप मुझे बताइए, ‘क्या बेहतर है, यरूबाल के सत्तर पुत्र आप पर शासन करें या सिर्फ एक व्यक्ति?’ आप लोग यह न भूलें कि मैं आपकी ही हड्डी और आपका ही मांस हूं.”
וַיְדַבְּר֨וּ אֲחֵֽי־אִמּ֜וֹ עָלָ֗יו בְּאָזְנֵי֙ כָּל־בַּעֲלֵ֣י שְׁכֶ֔ם אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים הָאֵ֑לֶּה וַיֵּ֤ט לִבָּם֙ אַחֲרֵ֣י אֲבִימֶ֔לֶךְ כִּ֥י אָמְר֖וּ אָחִ֥ינוּ הֽוּא׃ | 3 |
उसकी माता के भाइयों ने उसकी यह बात शेकेम के अगुओं के सामने दोहरा दी. वे अबीमेलेक का अनुसरण करने के लिए तैयार हो गए. उनका विचार था, “वह हमारा ही संबंधी है.”
וַיִּתְּנוּ־לוֹ֙ שִׁבְעִ֣ים כֶּ֔סֶף מִבֵּ֖יתּ בַ֣עַל בְּרִ֑ית וַיִּשְׂכֹּ֨ר בָּהֶ֜ם אֲבִימֶ֗לֶךְ אֲנָשִׁ֤ים רֵיקִים֙ וּפֹ֣חֲזִ֔ים וַיֵּלְכ֖וּ אַחֲרָֽיו׃ | 4 |
उन्होंने उसे बाल-बेरिथ के मंदिर में से चांदी के सत्तर सिक्के दे दीं, जिनसे अबीमेलेक ने नीच और लुच्चे लोगों को अपने पीछे होने के उद्देश्य से भाड़े पर ले लिया.
וַיָּבֹ֤א בֵית־אָבִיו֙ עָפְרָ֔תָה וַֽיַּהֲרֹ֞ג אֶת־אֶחָ֧יו בְּנֵֽי־יְרֻבַּ֛עַל שִׁבְּעִ֥ים אִ֖ישׁ עַל־אֶ֣בֶן אֶחָ֑ת וַיִּוָּתֵ֞ר יוֹתָ֧ם בֶּן־יְרֻבַּ֛עַל הַקָּטֹ֖ן כִּ֥י נֶחְבָּֽא׃ ס | 5 |
फिर वह ओफ़राह में अपने पिता के घर पर गया और वहां अपने भाइयों को—यरूबाल के सत्तर पुत्रों को—एक ही चट्टान पर ले जाकर मार दिया, किंतु यरूबाल का छोटा पुत्र योथाम बचा रह गया, क्योंकि वह छिप गया था.
וַיֵּאָ֨סְפ֜וּ כָּל־בַּעֲלֵ֤י שְׁכֶם֙ וְכָל־בֵּ֣ית מִלּ֔וֹא וַיֵּ֣לְכ֔וּ וַיַּמְלִ֥יכוּ אֶת־אֲבִימֶ֖לֶךְ לְמֶ֑לֶךְ עִם־אֵל֥וֹן מֻצָּ֖ב אֲשֶׁ֥ר בִּשְׁכֶֽם׃ | 6 |
सभी शेकेमवासी एवं सभी बेथ-मिल्लोवासी इकट्ठे हो गए तथा उन्होंने शेकेम में खंभे के बांज वृक्ष के पास अबीमेलेक का राजाभिषेक कर दिया.
וַיַּגִּ֣דוּ לְיוֹתָ֗ם וַיֵּ֙לֶךְ֙ וַֽיַּעֲמֹד֙ בְּרֹ֣אשׁ הַר־גְּרִזִ֔ים וַיִּשָּׂ֥א קוֹל֖וֹ וַיִּקְרָ֑א וַיֹּ֣אמֶר לָהֶ֗ם שִׁמְע֤וּ אֵלַי֙ בַּעֲלֵ֣י שְׁכֶ֔ם וְיִשְׁמַ֥ע אֲלֵיכֶ֖ם אֱלֹהִֽים׃ | 7 |
जब योथाम को इसकी सूचना दी गई, वह गेरिज़िम पर्वत शिखर पर जा खड़ा हुआ. वहां से उसने ऊंची आवाज में कहा, “सुनो, शेकेम के शासको, कि परमेश्वर भी तुम्हारी सुनें.
הָל֤וֹךְ הָֽלְכוּ֙ הָעֵצִ֔ים לִמְשֹׁ֥חַ עֲלֵיהֶ֖ם מֶ֑לֶךְ וַיֹּאמְר֥וּ לַזַּ֖יִת מָלְכָ֥ה עָלֵֽינוּ׃ | 8 |
वृक्षों ने अपने लिए राजा चुनने की योजना बनाई. उन्होंने जैतून वृक्ष से कहा, ‘हम पर शासन करो!’
וַיֹּ֤אמֶר לָהֶם֙ הַזַּ֔יִת הֶחֳדַ֙לְתִּי֙ אֶת־דִּשְׁנִ֔י אֲשֶׁר־בִּ֛י יְכַבְּד֥וּ אֱלֹהִ֖ים וַאֲנָשִׁ֑ים וְהָ֣לַכְתִּ֔י לָנ֖וּעַ עַל־הָעֵצִֽים׃ | 9 |
“जैतून वृक्ष ने उत्तर में कहा, ‘क्या मैं अपना वह अमूल्य तेल बनाना रोक दूं; जिसके द्वारा देवता तथा मनुष्य सम्मानित किए जाते हैं; और अन्य वृक्षों के ऊपर जाकर लहराता रहूं?’
וַיֹּאמְר֥וּ הָעֵצִ֖ים לַתְּאֵנָ֑ה לְכִי־אַ֖תְּ מָלְכִ֥י עָלֵֽינוּ׃ | 10 |
“वृक्षों ने अंजीर वृक्ष से विनती की, ‘आइए, हम पर शासन कीजिए!’
וַתֹּ֤אמֶר לָהֶם֙ הַתְּאֵנָ֔ה הֶחֳדַ֙לְתִּי֙ אֶת־מָתְקִ֔י וְאֶת־תְּנוּבָתִ֖י הַטּוֹבָ֑ה וְהָ֣לַכְתִּ֔י לָנ֖וּעַ עַל־הָעֵצִֽים׃ | 11 |
“मगर अंजीर वृक्ष ने उन्हें उत्तर दिया, ‘क्या मैं अपनी मिठास और अच्छे फल उगाना छोड़ दूं और अन्य पेड़ों के ऊपर जाकर लहराता रहूं?’
וַיֹּאמְר֥וּ הָעֵצִ֖ים לַגָּ֑פֶן לְכִי־אַ֖תְּ מָלְכִ֥י עָלֵֽינוּ׃ | 12 |
“तब वृक्षों ने अंगूर की बेल से विनती की, ‘आइए, हम पर शासन कीजिए!’
וַתֹּ֤אמֶר לָהֶם֙ הַגֶּ֔פֶן הֶחֳדַ֙לְתִּי֙ אֶת־תִּ֣ירוֹשִׁ֔י הַֽמְשַׂמֵּ֥חַ אֱלֹהִ֖ים וַאֲנָשִׁ֑ים וְהָ֣לַכְתִּ֔י לָנ֖וּעַ עַל־הָעֵצִֽים׃ | 13 |
“किंतु अंगूर की बेल ने उत्तर में कहा, ‘क्या मैं अपना दाखमधु बनाना छोड़ दूं, जो देवताओं और मनुष्यों को आनंदित कर देती है और अन्य पेड़ों के ऊपर जाकर लहराती रहूं?’
וַיֹּאמְר֥וּ כָל־הָעֵצִ֖ים אֶל־הָאָטָ֑ד לֵ֥ךְ אַתָּ֖ה מְלָךְ־עָלֵֽינוּ׃ | 14 |
“अंत में सभी वृक्षों ने झड़बेरी से कहा, ‘आइए, हम पर शासन कीजिए!’
וַיֹּ֣אמֶר הָאָטָד֮ אֶל־הָעֵצִים֒ אִ֡ם בֶּאֱמֶ֣ת אַתֶּם֩ מֹשְׁחִ֨ים אֹתִ֤י לְמֶ֙לֶךְ֙ עֲלֵיכֶ֔ם בֹּ֖אוּ חֲס֣וּ בְצִלִּ֑י וְאִם־אַ֕יִן תֵּ֤צֵא אֵשׁ֙ מִן־הָ֣אָטָ֔ד וְתֹאכַ֖ל אֶת־אַרְזֵ֥י הַלְּבָנֽוֹן׃ | 15 |
“झड़बेरी ने वृक्षों से उत्तर में कहा, ‘यदि आप लोग सच में मेरा राजाभिषेक करना चाह रहे हैं, तो आकर मेरी छाया में आसरा ले लीजिए; और अगर नहीं, तो झड़बेरी से आग निकलें और लबानोन के देवदार के पेड़ भस्म हो जाएं.’
וְעַתָּ֗ה אִם־בֶּאֱמֶ֤ת וּבְתָמִים֙ עֲשִׂיתֶ֔ם וַתַּמְלִ֖יכוּ אֶת־אֲבִימֶ֑לֶךְ וְאִם־טוֹבָ֤ה עֲשִׂיתֶם֙ עִם־יְרֻבַּ֣עַל וְעִם־בֵּית֔וֹ וְאִם־כִּגְמ֥וּל יָדָ֖יו עֲשִׂ֥יתֶם לֽוֹ׃ | 16 |
“क्या, आप लोगों ने सच्चे मन से अबीमेलेक को राजा बनाया है, तथा ऐसा करने के द्वारा आप लोगों ने यरूबाल एवं उसके परिवार का भला किया है? क्या आपने वही किया है जिसके लिए वह योग्य था?
אֲשֶׁר־נִלְחַ֥ם אָבִ֖י עֲלֵיכֶ֑ם וַיַּשְׁלֵ֤ךְ אֶת־נַפְשׁוֹ֙ מִנֶּ֔גֶד וַיַּצֵּ֥ל אֶתְכֶ֖ם מִיַּ֥ד מִדְיָֽן׃ | 17 |
तुम्हारी भलाई के लिए मेरे पिता ने युद्ध किया, अपने प्राण खतरे में डाले तथा आप लोगों को मिदियानियों की अधीनता से छुड़ाया;
וְאַתֶּ֞ם קַמְתֶּ֨ם עַל־בֵּ֤ית אָבִי֙ הַיּ֔וֹם וַתַּהַרְג֧וּ אֶת־בָּנָ֛יו שִׁבְעִ֥ים אִ֖ישׁ עַל־אֶ֣בֶן אֶחָ֑ת וַתַּמְלִ֜יכוּ אֶת־אֲבִימֶ֤לֶךְ בֶּן־אֲמָתוֹ֙ עַל־בַּעֲלֵ֣י שְׁכֶ֔ם כִּ֥י אֲחִיכֶ֖ם הֽוּא׃ | 18 |
किंतु आज आप लोगों ने मेरे पिता के परिवार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया है, आपने उस एक ही चट्टान पर उनके सत्तर पुत्रों का वध कर दिया और आपने उनकी सेविका के पुत्र अबीमेलेक को शेकेम पर राजा बना दिया है, केवल इसलिये कि वह आपका संबंधी है!
וְאִם־בֶּאֱמֶ֨ת וּבְתָמִ֧ים עֲשִׂיתֶ֛ם עִם־יְרֻבַּ֥עַל וְעִם־בֵּית֖וֹ הַיּ֣וֹם הַזֶּ֑ה שִׂמְחוּ֙ בַּאֲבִימֶ֔לֶךְ וְיִשְׂמַ֥ח גַּם־ה֖וּא בָּכֶֽם׃ | 19 |
यदि आप लोगों ने आज यरूबाल तथा उनके परिवार के साथ निष्कपट भाव से, सच्चाई में व्यवहार किया है, तो अबीमेलेक में ही आपका आनंद हो तथा वह भी आप में ही प्रसन्न रहे.
וְאִם־אַ֕יִן תֵּ֤צֵא אֵשׁ֙ מֵאֲבִימֶ֔לֶךְ וְתֹאכַ֛ל אֶת־בַּעֲלֵ֥י שְׁכֶ֖ם וְאֶת־בֵּ֣ית מִלּ֑וֹא וְתֵצֵ֨א אֵ֜שׁ מִבַּעֲלֵ֤י שְׁכֶם֙ וּמִבֵּ֣ית מִלּ֔וֹא וְתֹאכַ֖ל אֶת־אֲבִימֶֽלֶךְ׃ | 20 |
किंतु यदि नहीं, तो अबीमेलेक द्वारा आग भेजी जाए और शेकेम तथा बेथ-मिल्लो के लोग इसमें भस्म हो जाएं, और शेकेम तथा बेथ-मिल्लो के अगुओं की ओर से आग निकलकर अबीमेलेक को भस्म कर दे.”
וַיָּ֣נָס יוֹתָ֔ם וַיִּבְרַ֖ח וַיֵּ֣לֶךְ בְּאֵ֑רָה וַיֵּ֣שֶׁב שָׁ֔ם מִפְּנֵ֖י אֲבִימֶ֥לֶךְ אָחִֽיו׃ פ | 21 |
यह कहकर योथाम वहां से भाग निकला. वहां से वह बएर जा पहुंचा और अपने भाई अबीमेलेक के डर से वहीं रहने लगा.
וַיָּ֧שַׂר אֲבִימֶ֛לֶךְ עַל־יִשְׂרָאֵ֖ל שָׁלֹ֥שׁ שָׁנִֽים׃ | 22 |
अबीमेलेक इस्राएल पर तीन साल तक शासन करता रहा.
וַיִּשְׁלַ֤ח אֱלֹהִים֙ ר֣וּחַ רָעָ֔ה בֵּ֣ין אֲבִימֶ֔לֶךְ וּבֵ֖ין בַּעֲלֵ֣י שְׁכֶ֑ם וַיִּבְגְּד֥וּ בַעֲלֵי־שְׁכֶ֖ם בַּאֲבִימֶֽלֶךְ׃ | 23 |
तब परमेश्वर ने अबीमेलेक तथा शेकेमवासियों के बीच एक बुरी आत्मा भेज दी. परिणामस्वरूप शेकेमवासियों ने अबीमेलेक से विश्वासघात किया,
לָב֕וֹא חֲמַ֖ס שִׁבְעִ֣ים בְּנֵֽי־יְרֻבָּ֑עַל וְדָמָ֗ם לָשׂ֞וּם עַל־אֲבִימֶ֤לֶךְ אֲחִיהֶם֙ אֲשֶׁ֣ר הָרַ֣ג אוֹתָ֔ם וְעַל֙ בַּעֲלֵ֣י שְׁכֶ֔ם אֲשֶׁר־חִזְּק֥וּ אֶת־יָדָ֖יו לַהֲרֹ֥ג אֶת־אֶחָֽיו׃ | 24 |
इसलिये कि यरूबाल के सत्तर पुत्रों से की गई हिंसा का बदला लिया जा सके, और उनके खून का दोष उनके भाई अबीमेलेक पर लगाया जा सके, जिसने उनकी हत्या की थी तथा शेकेम के व्यक्तियों पर भी, जिन्होंने उसे अपने भाइयों की हत्या के लिए उकसाया था.
וַיָּשִׂ֣ימוּ לוֹ֩ בַעֲלֵ֨י שְׁכֶ֜ם מְאָרְבִ֗ים עַ֚ל רָאשֵׁ֣י הֶהָרִ֔ים וַיִּגְזְל֗וּ אֵ֛ת כָּל־אֲשֶׁר־יַעֲבֹ֥ר עֲלֵיהֶ֖ם בַּדָּ֑רֶךְ וַיֻּגַּ֖ד לַאֲבִימֶֽלֶךְ׃ פ | 25 |
उसके लिए शेकेम के लोगों ने पहाड़ों की चोटियों पर अपने लोगों को घात में लगा दिए, जो वहां से निकलते हुए यात्रियों को लूट करते थे. इसकी सूचना अबीमेलेक को दे दी गई.
וַיָּבֹ֞א גַּ֤עַל בֶּן־עֶ֙בֶד֙ וְאֶחָ֔יו וַיַּעַבְר֖וּ בִּשְׁכֶ֑ם וַיִּבְטְחוּ־ב֖וֹ בַּעֲלֵ֥י שְׁכֶֽם׃ | 26 |
एबेद का पुत्र गाअल अपने संबंधियों के साथ शेकेम गया. वह शेकेमवासियों का विश्वासपात्र बन गया.
וַיֵּצְא֨וּ הַשָּׂדֶ֜ה וַֽיִּבְצְר֤וּ אֶת־כַּרְמֵיהֶם֙ וַֽיִּדְרְכ֔וּ וַֽיַּעֲשׂ֖וּ הִלּוּלִ֑ים וַיָּבֹ֙אוּ֙ בֵּ֣ית אֱֽלֹֽהֵיהֶ֔ם וַיֹּֽאכְלוּ֙ וַיִּשְׁתּ֔וּ וַֽיְקַלְל֖וּ אֶת־אֲבִימֶֽלֶךְ׃ | 27 |
उन्होंने अपने अंगूर के बगीचों में जाकर अंगूर इकट्ठे किए, अंगूर रौन्दे और अपने देवता के मंदिर में उत्सव मनाया. वहां उन्होंने भोजन किया, पेय पान किया और फिर अबीमेलेक को शाप भी दिया.
וַיֹּ֣אמֶר ׀ גַּ֣עַל בֶּן־עֶ֗בֶד מִֽי־אֲבִימֶ֤לֶךְ וּמִֽי־שְׁכֶם֙ כִּ֣י נַעַבְדֶ֔נּוּ הֲלֹ֥א בֶן־יְרֻבַּ֖עַל וּזְבֻ֣ל פְּקִיד֑וֹ עִבְד֗וּ אֶת־אַנְשֵׁ֤י חֲמוֹר֙ אֲבִ֣י שְׁכֶ֔ם וּמַדּ֖וּעַ נַעַבְדֶ֥נּוּ אֲנָֽחְנוּ׃ | 28 |
तब एबेद के पुत्र गाअल ने कहा, “कौन होता है अबीमेलेक, और कौन होता है शेकेम, कि हम इनकी सेवा करें? क्या वह यरूबाल का पुत्र नहीं, क्या ज़बुल उसका सहायक नहीं? हां, शेकेम के पिता हामोर के साथियों की सेवा अवश्य करो, किंतु हम भला अबीमेलेक की सेवा क्यों करें?
וּמִ֨י יִתֵּ֜ן אֶת־הָעָ֤ם הַזֶּה֙ בְּיָדִ֔י וְאָסִ֖ירָה אֶת־אֲבִימֶ֑לֶךְ וַיֹּ֙אמֶר֙ לַאֲבִימֶ֔לֶךְ רַבֶּ֥ה צְבָאֲךָ֖ וָצֵֽאָה׃ | 29 |
अच्छा होता कि ये लोग मेरे अधिकार में होते! तब मैं अबीमेलेक को ही हटा देता. तब उसने अबीमेलेक से कहा, ‘अपनी सेना को बढ़ाकर मुझसे युद्ध के लिए आ जाओ.’”
וַיִּשְׁמַ֗ע זְבֻל֙ שַׂר־הָעִ֔יר אֶת־דִּבְרֵ֖י גַּ֣עַל בֶּן־עָ֑בֶד וַיִּ֖חַר אַפּֽוֹ׃ | 30 |
जब नगर अध्यक्ष ज़बुल ने एबेद के पुत्र गाअल का यह बातें सुनी वह क्रोध से भड़क गया.
וַיִּשְׁלַ֧ח מַלְאָכִ֛ים אֶל־אֲבִימֶ֖לֶךְ בְּתָרְמָ֣ה לֵאמֹ֑ר הִנֵּה֩ גַ֨עַל בֶּן־עֶ֤בֶד וְאֶחָיו֙ בָּאִ֣ים שְׁכֶ֔מָה וְהִנָּ֛ם צָרִ֥ים אֶת־הָעִ֖יר עָלֶֽיךָ׃ | 31 |
उसने तोरमाह नगर को अबीमेलेक के पास अपने दूत भेजे. संदेश यह था: “देखिए, एबेद का पुत्र गाअल तथा उसके संबंधी शेकेम आ गए हैं. यहां वे नगर को आपके विरुद्ध उकसा रहे हैं.
וְעַתָּה֙ ק֣וּם לַ֔יְלָה אַתָּ֖ה וְהָעָ֣ם אֲשֶׁר־אִתָּ֑ךְ וֶאֱרֹ֖ב בַּשָּׂדֶֽה׃ | 32 |
इस कारण अब आप अपनी सेना को लेकर रात में मैदान में घात लगा दीजिए.
וְהָיָ֤ה בַבֹּ֙קֶר֙ כִּזְרֹ֣חַ הַשֶּׁ֔מֶשׁ תַּשְׁכִּ֖ים וּפָשַׁטְתָּ֣ עַל־הָעִ֑יר וְהִנֵּה־ה֞וּא וְהָעָ֤ם אֲשֶׁר־אִתּוֹ֙ יֹצְאִ֣ים אֵלֶ֔יךָ וְעָשִׂ֣יתָ לּ֔וֹ כַּאֲשֶׁ֖ר תִּמְצָ֥א יָדֶֽךָ׃ ס | 33 |
सूरज उगते ही आप नगर पर टूट पड़िए. जब गाअल अपनी सेना के साथ आप पर हमला करेगा, आप उसके साथ वही कीजिए, जो आपको सही लगे.”
וַיָּ֧קָם אֲבִימֶ֛לֶךְ וְכָל־הָעָ֥ם אֲשֶׁר־עִמּ֖וֹ לָ֑יְלָה וַיֶּאֶרְב֣וּ עַל־שְׁכֶ֔ם אַרְבָּעָ֖ה רָאשִֽׁים׃ | 34 |
अबीमेलेक तथा उसके साथ के सारे सैनिक रात में चार दल बनाकर शेकेम के लिए घात लगाकर छिप गए.
וַיֵּצֵא֙ גַּ֣עַל בֶּן־עֶ֔בֶד וַיַּעֲמֹ֕ד פֶּ֖תַח שַׁ֣עַר הָעִ֑יר וַיָּ֧קָם אֲבִימֶ֛לֶךְ וְהָעָ֥ם אֲשֶׁר־אִתּ֖וֹ מִן־הַמַּאְרָֽב׃ | 35 |
एबेद का पुत्र गाअल जाकर नगर द्वार पर खड़ा हो गया. अबीमेलेक तथा उसके सैनिक घात से बाहर आए.
וַיַּרְא־גַּעַל֮ אֶת־הָעָם֒ וַיֹּ֣אמֶר אֶל־זְבֻ֔ל הִנֵּה־עָ֣ם יוֹרֵ֔ד מֵרָאשֵׁ֖י הֶהָרִ֑ים וַיֹּ֤אמֶר אֵלָיו֙ זְבֻ֔ל אֵ֣ת צֵ֧ל הֶהָרִ֛ים אַתָּ֥ה רֹאֶ֖ה כָּאֲנָשִֽׁים׃ ס | 36 |
यह देखकर गाअल ने ज़बुल से कहा, “देखो, लोग पहाड़ की चोटियों से नीचे आ रहे हैं!” किंतु ज़बुल ने उसे उत्तर दिया, “आपको तो पर्वतों की छाया ही सेना जैसी दिखाई दे रही है.”
וַיֹּ֨סֶף ע֣וֹד גַּעַל֮ לְדַבֵּר֒ וַיֹּ֕אמֶר הִנֵּה־עָם֙ יֽוֹרְדִ֔ים מֵעִ֖ם טַבּ֣וּר הָאָ֑רֶץ וְרֹאשׁ־אֶחָ֣ד בָּ֔א מִדֶּ֖רֶךְ אֵל֥וֹן מְעוֹנְנִֽים׃ | 37 |
गाअल ने दोबारा बताया, “देश के बीचों-बीच से लोग नीचे आ रहे हैं, तथा शकुन शास्त्रियों का एक दल बांज वृक्ष के मार्ग से आ रहा है.”
וַיֹּ֨אמֶר אֵלָ֜יו זְבֻ֗ל אַיֵּ֨ה אֵפ֥וֹא פִ֙יךָ֙ אֲשֶׁ֣ר תֹּאמַ֔ר מִ֥י אֲבִימֶ֖לֶךְ כִּ֣י נַעַבְדֶ֑נּוּ הֲלֹ֨א זֶ֤ה הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר מָאַ֣סְתָּה בּ֔וֹ צֵא־נָ֥א עַתָּ֖ה וְהִלָּ֥חֶם בּֽוֹ׃ ס | 38 |
इसे सुन ज़बुल ने उससे कहा, “क्या हुआ आपकी उन डींगों का, जब आप कह रहे थे, ‘कौन है अबीमेलेक, कि हम उसकी सेवा करें?’ क्या ये वे ही लोग नहीं जिनसे आप घृणा करते रहे? अब जाइए और कीजिए उनसे युद्ध!”
וַיֵּ֣צֵא גַ֔עַל לִפְנֵ֖י בַּעֲלֵ֣י שְׁכֶ֑ם וַיִּלָּ֖חֶם בַּאֲבִימֶֽלֶךְ׃ | 39 |
गाअल गया और शेकेम के पुरुषों की अगुवाई करके अबीमेलेक से युद्ध किया.
וַיִּרְדְּפֵ֣הוּ אֲבִימֶ֔לֶךְ וַיָּ֖נָס מִפָּנָ֑יו וַֽיִּפְּל֛וּ חֲלָלִ֥ים רַבִּ֖ים עַד־פֶּ֥תַח הַשָּֽׁעַר׃ | 40 |
अबीमेलेक ने गाअल को खदेड़ दिया, और गाअल तथा सैनिक भागने लगे. नगर द्वार के सामने अनेक सैनिक जो भाग रहे थे, वे घायल होकर मर गये.
וַיֵּ֥שֶׁב אֲבִימֶ֖לֶךְ בָּארוּמָ֑ה וַיְגָ֧רֶשׁ זְבֻ֛ל אֶת־גַּ֥עַל וְאֶת־אֶחָ֖יו מִשֶּׁ֥בֶת בִּשְׁכֶֽם׃ | 41 |
अबीमेलेक अरूमाह में ही ठहरा रहा, किंतु ज़बुल ने गाअल तथा उसके संबंधियों को भगा दिया कि वे शेकेम में न रह सकें.
וַֽיְהִי֙ מִֽמָּחֳרָ֔ת וַיֵּצֵ֥א הָעָ֖ם הַשָּׂדֶ֑ה וַיַּגִּ֖דוּ לַאֲבִימֶֽלֶךְ׃ | 42 |
दूसरे दिन शेकेम के नागरिक मैदान में निकल आए. इसकी सूचना अबीमेलेक को दे दी गई.
וַיִּקַּ֣ח אֶת־הָעָ֗ם וַֽיֶּחֱצֵם֙ לִשְׁלֹשָׁ֣ה רָאשִׁ֔ים וַיֶּאֱרֹ֖ב בַּשָּׂדֶ֑ה וַיַּ֗רְא וְהִנֵּ֤ה הָעָם֙ יֹצֵ֣א מִן־הָעִ֔יר וַיָּ֥קָם עֲלֵיהֶ֖ם וַיַּכֵּֽם׃ | 43 |
तब उसने अपनी सेना को तीन भागों में बांट दिया और वे घात लगाकर बैठ गए. जब उसने देखा कि लोग नगर से बाहर आ रहे हैं, उसने उन पर आक्रमण कर उनको मार दिया.
וַאֲבִימֶ֗לֶךְ וְהָרָאשִׁים֙ אֲשֶׁ֣ר עִמּ֔וֹ פָּשְׁט֕וּ וַיַּ֣עַמְד֔וּ פֶּ֖תַח שַׁ֣עַר הָעִ֑יר וּשְׁנֵ֣י הָֽרָאשִׁ֗ים פָּֽשְׁט֛וּ עַֽל־כָּל־אֲשֶׁ֥ר בַּשָּׂדֶ֖ה וַיַּכּֽוּם׃ | 44 |
फिर अबीमेलेक तथा उसके सैनिक दौड़कर नगर फाटक पर जा पहुंचे. दूसरे दो दल दौड़-दौड़ कर उनको मारते चले गए, जो नगर से बाहर आ गए थे.
וַאֲבִימֶ֜לֶךְ נִלְחָ֣ם בָּעִ֗יר כֹּ֚ל הַיּ֣וֹם הַה֔וּא וַיִּלְכֹּד֙ אֶת־הָעִ֔יר וְאֶת־הָעָ֥ם אֲשֶׁר־בָּ֖הּ הָרָ֑ג וַיִּתֹּץ֙ אֶת־הָעִ֔יר וַיִּזְרָעֶ֖הָ מֶֽלַח׃ פ | 45 |
अबीमेलेक दिन भर शेकेम से युद्ध करता रहा. उसने शेकेम पर अधिकार कर लिया, और सभी नगरवासियों को मार दिया. उसने नगर को पूरी तरह से गिराकर नगर क्षेत्र में नमक बिखेर दिया.
וַֽיִּשְׁמְע֔וּ כָּֽל־בַּעֲלֵ֖י מִֽגְדַּל־שְׁכֶ֑ם וַיָּבֹ֣אוּ אֶל־צְרִ֔יחַ בֵּ֖ית אֵ֥ל בְּרִֽית׃ | 46 |
जब शेकेम के मीनार पर रहनेवाले सभी अधिकारियों ने यह सब सुना, वे एल-बरिथ मंदिर के भीतरी कमरे में इकट्ठे हो गए.
וַיֻּגַּ֖ד לַאֲבִימֶ֑לֶךְ כִּ֣י הִֽתְקַבְּצ֔וּ כָּֽל־בַּעֲלֵ֖י מִֽגְדַּל־שְׁכֶֽם׃ | 47 |
अतः अबीमेलेक अपनी सेना के साथ ज़लमोन पर्वत पर चला गया.
וַיַּ֨עַל אֲבִימֶ֜לֶךְ הַר־צַלְמ֗וֹן הוּא֮ וְכָל־הָעָ֣ם אֲשֶׁר־אִתּוֹ֒ וַיִּקַּח֩ אֲבִימֶ֨לֶךְ אֶת־הַקַּרְדֻּמּ֜וֹת בְּיָד֗וֹ וַיִּכְרֹת֙ שׂוֹכַ֣ת עֵצִ֔ים וַיִּ֨שָּׂאֶ֔הָ וַיָּ֖שֶׂם עַל־שִׁכְמ֑וֹ וַיֹּ֜אמֶר אֶל־הָעָ֣ם אֲשֶׁר־עִמּ֗וֹ מָ֤ה רְאִיתֶם֙ עָשִׂ֔יתִי מַהֲר֖וּ עֲשׂ֥וּ כָמֽוֹנִי׃ | 48 |
वहां अबीमेलेक ने कुल्हाड़ी लेकर वृक्ष की एक शाखा काटी, उसे अपने कंधे पर उठा लिया और अपने साथ के सैनिकों को आदेश दिया, “जैसा तुमने मुझे करते देखा है, तुम भी वैसा ही करो.”
וַיִּכְרְת֨וּ גַם־כָּל־הָעָ֜ם אִ֣ישׁ שׂוֹכֹ֗ה וַיֵּ֨לְכ֜וּ אַחֲרֵ֤י אֲבִימֶ֙לֶךְ֙ וַיָּשִׂ֣ימוּ עַֽל־הַצְּרִ֔יחַ וַיַּצִּ֧יתוּ עֲלֵיהֶ֛ם אֶֽת־הַצְּרִ֖יחַ בָּאֵ֑שׁ וַיָּמֻ֜תוּ גַּ֣ם כָּל־אַנְשֵׁ֧י מִֽגְדַּל־שְׁכֶ֛ם כְּאֶ֖לֶף אִ֥ישׁ וְאִשָּֽׁה׃ פ | 49 |
सभी ने अपने लिए एक-एक शाखा काटी, और अबीमेलेक के पीछे-पीछे चले गए. उन सबने ये शाखाएं भीतरी कमरों में रख दीं और उसमें आग लगा दी. वहां सभी अगुए इकट्ठे थे, इस कारण शेकेम के मीनार के कमरे में जो थे उन सभी अधिकारियों की मृत्यु हो गई, ये लगभग एक हज़ार स्त्री-पुरुष थे.
וַיֵּ֥לֶךְ אֲבִימֶ֖לֶךְ אֶל־תֵּבֵ֑ץ וַיִּ֥חַן בְּתֵבֵ֖ץ וַֽיִּלְכְּדָֽהּ׃ | 50 |
इसके बाद अबीमेलेक तेबेज़ नगर को गया, नगर की घेराबंदी की और उसे अपने वश में कर लिया.
וּמִגְדַּל־עֹז֮ הָיָ֣ה בְתוֹךְ־הָעִיר֒ וַיָּנֻ֨סוּ שָׁ֜מָּה כָּל־הָאֲנָשִׁ֣ים וְהַנָּשִׁ֗ים וְכֹל֙ בַּעֲלֵ֣י הָעִ֔יר וַֽיִּסְגְּר֖וּ בַּעֲדָ֑ם וַֽיַּעֲל֖וּ עַל־גַּ֥ג הַמִּגְדָּֽל׃ | 51 |
किंतु नगर के बीच में एक मजबूत मीनार था. नगर के बचे हुए सभी स्त्री-पुरुषों ने एवं अगुओं ने भागकर उसी में सहारा लिया और दरवाजे बंद कर लिए और वे सब मीनार की छत पर चढ़ गए.
וַיָּבֹ֤א אֲבִימֶ֙לֶךְ֙ עַד־הַמִּגְדָּ֔ל וַיִּלָּ֖חֶם בּ֑וֹ וַיִּגַּ֛שׁ עַד־פֶּ֥תַח הַמִּגְדָּ֖ל לְשָׂרְפ֥וֹ בָאֵֽשׁ׃ | 52 |
अबीमेलेक ने आकर उस मीनार पर हमला किया. वह मीनार में आग लगाने के उद्देश्य से द्वार के पास आया ही था,
וַתַּשְׁלֵ֞ךְ אִשָּׁ֥ה אַחַ֛ת פֶּ֥לַח רֶ֖כֶב עַל־רֹ֣אשׁ אֲבִימֶ֑לֶךְ וַתָּ֖רִץ אֶת־גֻּלְגָּלְתּֽוֹ׃ | 53 |
कि एक स्त्री ने चक्की का ऊपरी पाट अबीमेलेक के ऊपर गिरा दिया. इससे उसकी खोपड़ी कुचल गई.
וַיִּקְרָ֨א מְהֵרָ֜ה אֶל־הַנַּ֣עַר ׀ נֹשֵׂ֣א כֵלָ֗יו וַיֹּ֤אמֶר לוֹ֙ שְׁלֹ֤ף חַרְבְּךָ֙ וּמ֣וֹתְתֵ֔נִי פֶּן־יֹ֥אמְרוּ לִ֖י אִשָּׁ֣ה הֲרָגָ֑תְהוּ וַיִּדְקְרֵ֥הוּ נַעֲר֖וֹ וַיָּמֹֽת׃ | 54 |
उसने तुरंत अपने युवा हथियार ढोनेवाले को बुलाकर आदेश दिया, “अपनी तलवार निकालो और आज़ाद करो मुझे इस स्थिति से, ताकि मेरे संबंध में यह न कहा जाए: ‘एक स्त्री ने उसकी हत्या कर दी.’” सो उस युवा ने उसे तलवार से बेध दिया, उसकी मृत्यु हो गई.
וַיִּרְא֥וּ אִֽישׁ־יִשְׂרָאֵ֖ל כִּ֣י מֵ֣ת אֲבִימֶ֑לֶךְ וַיֵּלְכ֖וּ אִ֥ישׁ לִמְקֹמֽוֹ׃ | 55 |
जब इस्राएलियों ने देखा कि अबीमेलेक की मृत्यु हो गई है, वे सब अपने-अपने घर लौट गए.
וַיָּ֣שֶׁב אֱלֹהִ֔ים אֵ֖ת רָעַ֣ת אֲבִימֶ֑לֶךְ אֲשֶׁ֤ר עָשָׂה֙ לְאָבִ֔יו לַהֲרֹ֖ג אֶת־שִׁבְעִ֥ים אֶחָֽיו׃ | 56 |
इस प्रकार परमेश्वर ने अबीमेलेक से उस दुष्टता का बदला ले लिया, जो उसने अपने सत्तर भाइयों की हत्या करने के द्वारा अपने पिता के विरुद्ध की थी.
וְאֵ֗ת כָּל־רָעַת֙ אַנְשֵׁ֣י שְׁכֶ֔ם הֵשִׁ֥יב אֱלֹהִ֖ים בְּרֹאשָׁ֑ם וַתָּבֹ֣א אֲלֵיהֶ֔ם קִֽלֲלַ֖ת יוֹתָ֥ם בֶּן־יְרֻבָּֽעַל׃ פ | 57 |
इसके अलावा परमेश्वर ने शेकेम निवासियों की सारी दुष्टता का भी बदला ले लिया, और यरूबाल के पुत्र योथाम का शाप उनके सिर पर आ पड़ा.