< יְהוֹשֻעַ 8 >
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֤ה אֶל־יְהוֹשֻׁ֙עַ֙ אַל־תִּירָ֣א וְאַל־תֵּחָ֔ת קַ֣ח עִמְּךָ֗ אֵ֚ת כָּל־עַ֣ם הַמִּלְחָמָ֔ה וְק֖וּם עֲלֵ֣ה הָעָ֑י רְאֵ֣ה ׀ נָתַ֣תִּי בְיָדְךָ֗ אֶת־מֶ֤לֶךְ הָעַי֙ וְאֶת־עַמּ֔וֹ וְאֶת־עִיר֖וֹ וְאֶת־אַרְצֽוֹ׃ | 1 |
और ख़ुदावन्द ने यशू'अ से कहा, “खौफ़ न खा और न हिरासाँ हो सब जंगी मर्दों को साथ ले और उठ कर एे पर चढ़ाई कर देख मैंने 'ए के बादशाह और उसकी क़ौम और उसके शहर और उसके 'इलाक़े को तेरे क़ब्ज़े में कर दिया है।
וְעָשִׂ֨יתָ לָעַ֜י וּלְמַלְכָּ֗הּ כַּאֲשֶׁ֨ר עָשִׂ֤יתָ לִֽירִיחוֹ֙ וּלְמַלְכָּ֔הּ רַק־שְׁלָלָ֥הּ וּבְהֶמְתָּ֖הּ תָּבֹ֣זּוּ לָכֶ֑ם שִׂים־לְךָ֥ אֹרֵ֛ב לָעִ֖יר מֵאַחֲרֶֽיהָ׃ | 2 |
और तू एे और उसके बादशाह से वही करना जो तूने यरीहू और उसके बादशाह से किया। सिर्फ़ वहाँ के माल — ए — ग़नीमत और चौपायों को तुम अपने लिए लूट के तौर पर ले लेना। इसलिए तू उस शहर के लिए उसी के पीछे अपने आदमी घात में लगा दे।”
וַיָּ֧קָם יְהוֹשֻׁ֛עַ וְכָל־עַ֥ם הַמִּלְחָמָ֖ה לַעֲל֣וֹת הָעָ֑י וַיִּבְחַ֣ר יְ֠הוֹשֻׁעַ שְׁלֹשִׁ֨ים אֶ֤לֶף אִישׁ֙ גִּבּוֹרֵ֣י הַחַ֔יִל וַיִּשְׁלָחֵ֖ם לָֽיְלָה׃ | 3 |
तब यशू'अ और सब जंगी मर्द एे पर चढ़ाई करने को उठे; और यशू'अ ने तीस हज़ार मर्द जो ज़बरदस्त सूरमा थे, चुन कर रात ही को उनको रवाना किया।
וַיְצַ֨ו אֹתָ֜ם לֵאמֹ֗ר רְ֠אוּ אַתֶּ֞ם אֹרְבִ֤ים לָעִיר֙ מֵאַחֲרֵ֣י הָעִ֔יר אַל־תַּרְחִ֥יקוּ מִן־הָעִ֖יר מְאֹ֑ד וִהְיִיתֶ֥ם כֻּלְּכֶ֖ם נְכֹנִֽים׃ | 4 |
और उनको यह हुक्म दिया कि देखो! तुम उस शहर के मुक़ाबिल शहर ही के पीछे घात में बैठना; शहर से बहुत दूर न जाना बल्कि तुम सब तैयार रहना।
וַאֲנִ֗י וְכָל־הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר אִתִּ֔י נִקְרַ֖ב אֶל־הָעִ֑יר וְהָיָ֗ה כִּֽי־יֵצְא֤וּ לִקְרָאתֵ֙נוּ֙ כַּאֲשֶׁ֣ר בָּרִֽאשֹׁנָ֔ה וְנַ֖סְנוּ לִפְנֵיהֶֽם׃ | 5 |
और मैं उन सब आदमियों को लेकर जो मेरे साथ हैं, शहर के नज़दीक आऊँगा; और ऐसा होगा कि जब वह हमारा सामना करने को पहले की तरह निकल आएंगे, तो हम उनके सामने से भागेंगे।
וְיָצְא֣וּ אַחֲרֵ֗ינוּ עַ֣ד הַתִּיקֵ֤נוּ אוֹתָם֙ מִן־הָעִ֔יר כִּ֣י יֹֽאמְר֔וּ נָסִ֣ים לְפָנֵ֔ינוּ כַּאֲשֶׁ֖ר בָּרִֽאשֹׁנָ֑ה וְנַ֖סְנוּ לִפְנֵיהֶֽם׃ | 6 |
और वह हमारे पीछे पीछे निकल चले आयेंगे, यहाँ तक कि हम उनको शहर से दूर निकाल ले जायेंगे; क्यूँकि वह कहेंगे कि यह तो पहले की तरह हमारे सामने से भागे जातें हैं; इसलिए हम उनके आगे से भागेंगे।
וְאַתֶּ֗ם תָּקֻ֙מוּ֙ מֵהָ֣אוֹרֵ֔ב וְהוֹרַשְׁתֶּ֖ם אֶת־הָעִ֑יר וּנְתָנָ֛הּ יְהוָ֥ה אֱלֹֽהֵיכֶ֖ם בְּיֶדְכֶֽם׃ | 7 |
और तुम घात में से उठ कर शहर पर क़ब्ज़ा कर लेना, क्यूँकि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा उसे तुम्हारे क़ब्ज़े में कर देगा।
וְהָיָ֞ה כְּתָפְשְׂכֶ֣ם אֶת־הָעִ֗יר תַּצִּ֤יתוּ אֶת־הָעִיר֙ בָּאֵ֔שׁ כִּדְבַ֥ר יְהוָ֖ה תַּעֲשׂ֑וּ רְא֖וּ צִוִּ֥יתִי אֶתְכֶֽם׃ | 8 |
और जब तुम उस शहर को ले लो तो उसे आग लगा देना; ख़ुदावन्द के कहने के मुताबिक़ काम करना। देखो, मैंने तुमको हुक्म कर दिया।
וַיִּשְׁלָחֵ֣ם יְהוֹשֻׁ֗עַ וַיֵּֽלְכוּ֙ אֶל־הַמַּאְרָ֔ב וַיֵּשְׁב֗וּ בֵּ֧ין בֵּֽית־אֵ֛ל וּבֵ֥ין הָעַ֖י מִיָּ֣ם לָעָ֑י וַיָּ֧לֶן יְהוֹשֻׁ֛עַ בַּלַּ֥יְלָה הַה֖וּא בְּת֥וֹךְ הָעָֽם׃ | 9 |
और यशू'अ ने उनको रवाना किया, और वह आराम गाह में गये और बैत — एल और एे के पश्चिम की तरफ़ जा बैठे; लेकिन यशू'अ उस रात को लोगों के बीच टिका रहा।
וַיַּשְׁכֵּ֤ם יְהוֹשֻׁ֙עַ֙ בַּבֹּ֔קֶר וַיִּפְקֹ֖ד אֶת־הָעָ֑ם וַיַּ֨עַל ה֜וּא וְזִקְנֵ֧י יִשְׂרָאֵ֛ל לִפְנֵ֥י הָעָ֖ם הָעָֽי׃ | 10 |
और यशू'अ ने सुबह सवेरे उठ कर लोगों की मौजूदात ली, और वह बनी इस्राईल के बुज़ुर्गों को साथ लेकर लोगों के आगे आगे एे की तरफ़ चला।
וְכָל־הָעָ֨ם הַמִּלְחָמָ֜ה אֲשֶׁ֣ר אִתּ֗וֹ עָלוּ֙ וַֽיִּגְּשׁ֔וּ וַיָּבֹ֖אוּ נֶ֣גֶד הָעִ֑יר וַֽיַּחֲנוּ֙ מִצְּפ֣וֹן לָעַ֔י וְהַגַּ֖י בֵּינָ֥יו וּבֵין־הָעָֽי׃ | 11 |
और सब जंगी मर्द जो उसके साथ थे चले, और नज़दीक पहुँचकर शहर के सामने आए और एे के उत्तर में डेरे डाले, और यशू'अ और 'ए के बीच एक वादी थी।
וַיִּקַּ֕ח כַּחֲמֵ֥שֶׁת אֲלָפִ֖ים אִ֑ישׁ וַיָּ֨שֶׂם אוֹתָ֜ם אֹרֵ֗ב בֵּ֧ין בֵּֽית־אֵ֛ל וּבֵ֥ין הָעַ֖י מִיָּ֥ם לָעִֽיר׃ | 12 |
तब उस ने कोई पाँच हज़ार आदमियों को लेकर बैतएल और एे के बीच शहर के पश्चिम की तरफ़ उनको आराम गाह में बिठाया।
וַיָּשִׂ֨ימוּ הָעָ֜ם אֶת־כָּל־הַֽמַּחֲנֶ֗ה אֲשֶׁר֙ מִצְּפ֣וֹן לָעִ֔יר וְאֶת־עֲקֵב֖וֹ מִיָּ֣ם לָעִ֑יר וַיֵּ֧לֶךְ יְהוֹשֻׁ֛עַ בַּלַּ֥יְלָה הַה֖וּא בְּת֥וֹךְ הָעֵֽמֶק׃ | 13 |
इसलिए उन्होंने लोगों को या'नी सारी फ़ौज जो शहर के उत्तर में थी, और उनको जो शहर की पश्चिमी तरफ़ घात में थे ठिकाने पर कर दिया; और यशू'अ उसी रात उस वादी में गया।
וַיְהִ֞י כִּרְא֣וֹת מֶֽלֶךְ־הָעַ֗י וַֽיְמַהֲר֡וּ וַיַּשְׁכִּ֡ימוּ וַיֵּצְא֣וּ אַנְשֵֽׁי־הָעִ֣יר לִקְרַֽאת־יִ֠שְׂרָאֵל לַֽמִּלְחָמָ֞ה ה֧וּא וְכָל־עַמּ֛וֹ לַמּוֹעֵ֖ד לִפְנֵ֣י הָֽעֲרָבָ֑ה וְהוּא֙ לֹ֣א יָדַ֔ע כִּֽי־אֹרֵ֥ב ל֖וֹ מֵאַחֲרֵ֥י הָעִֽיר׃ | 14 |
और जब एे के बादशाह ने देखा, तो उन्होंने जल्दी की और सवेरे उठे और शहर के आदमी या'नी वह और उसके सब लोग निकल कर मु'अय्यन वक़्त पर लड़ाई के लिए बनी इस्राईल के मुक़ाबिल मैदान के सामने आए; और उसे ख़बर न थी कि शहर के पीछे उसकी घात में लोग बैठे हुए हैं।
וַיִּנָּֽגְע֛וּ יְהוֹשֻׁ֥עַ וְכָל־יִשְׂרָאֵ֖ל לִפְנֵיהֶ֑ם וַיָּנֻ֖סוּ דֶּ֥רֶךְ הַמִּדְבָּֽר׃ | 15 |
तब यशू'अ और सब इस्राईलियों ने ऐसा दिखाया, गोया उन्होंने उन से शिकस्त खाई और वीराने के रास्ते होकर भागे।
וַיִּזָּעֲק֗וּ כָּל־הָעָם֙ אֲשֶׁ֣ר בָּעַ֔י לִרְדֹּ֖ף אַחֲרֵיהֶ֑ם וַֽיִּרְדְּפוּ֙ אַחֲרֵ֣י יְהוֹשֻׁ֔עַ וַיִּנָּתְק֖וּ מִן־הָעִֽיר׃ | 16 |
और जितने लोग शहर में थे वह उनका पीछा करने के लिए बुलाये गये; और उन्होंने यशू'अ का पीछा किया और शहर से दूर निकले चले गये।
וְלֹֽא־נִשְׁאַ֣ר אִ֗ישׁ בָּעַי֙ וּבֵ֣ית אֵ֔ל אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־יָצְא֖וּ אַחֲרֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל וַיַּעַזְב֤וּ אֶת־הָעִיר֙ פְּתוּחָ֔ה וַֽיִּרְדְּפ֖וּ אַחֲרֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ פ | 17 |
और एे और बैतएल में कोई आदमी बाक़ी न रहा जो इस्राईलियों के पीछे न गया हो; और उन्होंने शहर को खुला छोड़ कर इस्राईलियों का पीछा किया।
וַיֹּ֨אמֶר יְהוָ֜ה אֶל־יְהוֹשֻׁ֗עַ נְ֠טֵה בַּכִּיד֤וֹן אֲשֶׁר־בְּיָֽדְךָ֙ אֶל־הָעַ֔י כִּ֥י בְיָדְךָ֖ אֶתְּנֶ֑נָּה וַיֵּ֧ט יְהוֹשֻׁ֛עַ בַּכִּיד֥וֹן אֲשֶׁר־בְּיָד֖וֹ אֶל־הָעִֽיר׃ | 18 |
तब ख़ुदावन्द ने यशू'अ से कहा कि जो बरछा तेरे हाथ में है उसे एे की तरफ़ बढ़ा दे, क्यूँकि मैं उसे तेरे क़ब्ज़े में कर दूँगा और यशू'अ ने उस बरछे को जो उसके हाथ में था शहर की तरफ़ बढ़ाया।
וְהָאוֹרֵ֡ב קָם֩ מְהֵרָ֨ה מִמְּקוֹמ֤וֹ וַיָּר֙וּצוּ֙ כִּנְט֣וֹת יָד֔וֹ וַיָּבֹ֥אוּ הָעִ֖יר וַֽיִּלְכְּד֑וּהָ וַֽיְמַהֲר֔וּ וַיַּצִּ֥יתוּ אֶת־הָעִ֖יר בָּאֵֽשׁ׃ | 19 |
तब उसके हाथ बढ़ाते ही जो घाट में थे अपनी जगह से निकले, और दौड़ कर शहर में दाख़िल हुए और उसे सर कर लिया, और जल्द शहर में आग लगा दी।
וַיִּפְנ֣וּ אַנְשֵׁי֩ הָעַ֨י אַחֲרֵיהֶ֜ם וַיִּרְא֗וּ וְהִנֵּ֨ה עָלָ֜ה עֲשַׁ֤ן הָעִיר֙ הַשָּׁמַ֔יְמָה וְלֹא־הָיָ֨ה בָהֶ֥ם יָדַ֛יִם לָנ֖וּס הֵ֣נָּה וָהֵ֑נָּה וְהָעָם֙ הַנָּ֣ס הַמִּדְבָּ֔ר נֶהְפַּ֖ךְ אֶל־הָרוֹדֵֽף׃ | 20 |
और जब एे के लोगों ने पीछे मुड़ कर नज़र की, तो देखा, कि शहर का धुंआ आसमान की तरफ़ उठ रहा है और उनका बस न चला कि वह इधर या उधर भागें, और जो लोग वीराने की तरफ़ भागे थे वह पीछा करने वालों पर उलट पड़े।
וִיהוֹשֻׁ֨עַ וְכָֽל־יִשְׂרָאֵ֜ל רָא֗וּ כִּֽי־לָכַ֤ד הָֽאֹרֵב֙ אֶת־הָעִ֔יר וְכִ֥י עָלָ֖ה עֲשַׁ֣ן הָעִ֑יר וַיָּשֻׁ֕בוּ וַיַּכּ֖וּ אֶת־אַנְשֵׁ֥י הָעָֽי׃ | 21 |
और जब यशू'अ और सब इस्राईलियों ने देखा कि घात वालों ने शहर ले लिया और शहर का धुंआ उठ रहा है, तो उन्होंने पलट कर एे के लोगों को क़त्ल किया।
וְאֵ֨לֶּה יָצְא֤וּ מִן־הָעִיר֙ לִקְרָאתָ֔ם וַיִּֽהְי֤וּ לְיִשְׂרָאֵל֙ בַּתָּ֔וֶךְ אֵ֥לֶּה מִזֶּ֖ה וְאֵ֣לֶּה מִזֶּ֑ה וַיַּכּ֣וּ אוֹתָ֔ם עַד־בִּלְתִּ֥י הִשְׁאִֽיר־ל֖וֹ שָׂרִ֥יד וּפָלִֽיט׃ | 22 |
और वह दूसरे भी उनके मुक़ाबले को शहर से निकले; इसलिए वह सब के सब इस्राईलियों के बीच में, जो कुछ तो इधर और उधर थे पड़ गये, और उन्होंने उनको मारा यहाँ तक कि किसी को न बाक़ी छोड़ा न भागने दिया।
וְאֶת־מֶ֥לֶךְ הָעַ֖י תָּ֣פְשׂוּ חָ֑י וַיַּקְרִ֥בוּ אֹת֖וֹ אֶל־יְהוֹשֻֽׁעַ׃ | 23 |
और वह एे के बादशाह को ज़िन्दा गिरफ़्तार करके यशू'अ के पास लाये।
וַיְהִ֣י כְּכַלּ֣וֹת יִשְׂרָאֵ֡ל לַהֲרֹג֩ אֶת־כָּל־יֹשְׁבֵ֨י הָעַ֜י בַּשָּׂדֶ֗ה בַּמִּדְבָּר֙ אֲשֶׁ֣ר רְדָפ֣וּם בּ֔וֹ וַֽיִּפְּל֥וּ כֻלָּ֛ם לְפִי־חֶ֖רֶב עַד־תֻּמָּ֑ם וַיָּשֻׁ֤בוּ כָל־יִשְׂרָאֵל֙ הָעַ֔י וַיַּכּ֥וּ אֹתָ֖הּ לְפִי־חָֽרֶב׃ | 24 |
और जब इस्राईली एे के सब बाशिंदों को मैदान में उस वीराने के बीच जहाँ उन्होंने इनका पीछा किया था क़त्ल कर चुके, और वह सब तलवार से मारे गये यहाँ तक कि बिल्कुल फ़ना हो गये, तो सब इस्राईली एे को फिरे और उसे बर्बाद कर दिया।
וַיְהִי֩ כָל־הַנֹּ֨פְלִ֜ים בַּיּ֤וֹם הַהוּא֙ מֵאִ֣ישׁ וְעַד־אִשָּׁ֔ה שְׁנֵ֥ים עָשָׂ֖ר אָ֑לֶף כֹּ֖ל אַנְשֵׁ֥י הָעָֽי׃ | 25 |
चुनाँचे वह जो उस दिन मारे गये, मर्द 'औरत मिला कर बारह हज़ार या'नी एे के सब लोग थे।
וִיהוֹשֻׁ֙עַ֙ לֹֽא־הֵשִׁ֣יב יָד֔וֹ אֲשֶׁ֥ר נָטָ֖ה בַּכִּיד֑וֹן עַ֚ד אֲשֶׁ֣ר הֶחֱרִ֔ים אֵ֖ת כָּל־יֹשְׁבֵ֥י הָעָֽי׃ | 26 |
क्यूँकि यशू'अ ने अपना हाथ जिस से वह बरछे को बढ़ाये हुए था नहीं खींचा, जब तक कि उस ने एे के सब रहने वालों को बिल्कुल हलाक न कर डाला।
רַ֣ק הַבְּהֵמָ֗ה וּשְׁלַל֙ הָעִ֣יר הַהִ֔יא בָּזְז֥וּ לָהֶ֖ם יִשְׂרָאֵ֑ל כִּדְבַ֣ר יְהוָ֔ה אֲשֶׁ֥ר צִוָּ֖ה אֶת־יְהוֹשֻֽׁעַ׃ | 27 |
और इस्राईलियों ने ख़ुदावन्द के हुक्म के मुताबिक़, जो उस ने यशू'अ को दिया था अपने लिए सिर्फ़ शहर के चौपायों और माल — ए — ग़नीमत को लूट में लिया।
וַיִּשְׂרֹ֥ף יְהוֹשֻׁ֖עַ אֶת־הָעָ֑י וַיְשִׂימֶ֤הָ תֵּל־עוֹלָם֙ שְׁמָמָ֔ה עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ | 28 |
तब यशू'अ ने एे को जला कर हमेशा के लिए उसे एक ढेर और वीराना बना दिया, जो आज के दिन तक है।
וְאֶת־מֶ֧לֶךְ הָעַ֛י תָּלָ֥ה עַל־הָעֵ֖ץ עַד־עֵ֣ת הָעָ֑רֶב וּכְב֣וֹא הַשֶּׁמֶשׁ֩ צִוָּ֨ה יְהוֹשֻׁ֜עַ וַיֹּרִ֧ידוּ אֶת־נִבְלָת֣וֹ מִן־הָעֵ֗ץ וַיַּשְׁלִ֤יכוּ אוֹתָהּ֙ אֶל־פֶּ֙תַח֙ שַׁ֣עַר הָעִ֔יר וַיָּקִ֤ימוּ עָלָיו֙ גַּל־אֲבָנִ֣ים גָּד֔וֹל עַ֖ד הַיּ֥וֹם הַזֶּֽה׃ פ | 29 |
और उस ने एे के बादशाह को शाम तक दरख़्त पर टांग रखा; और जूँ ही सूरज डूबने लगा, उन्होंने यशू'अ के हुक्म से उसकी लाश को दरख़्त से उतार कर शहर के फाटक के सामने डाल दिया, और उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा दिया जो आज के दिन तक है।
אָ֣ז יִבְנֶ֤ה יְהוֹשֻׁ֙עַ֙ מִזְבֵּ֔חַ לַֽיהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל בְּהַ֖ר עֵיבָֽל׃ | 30 |
तब यशू'अ ने कोह — ए — 'एबाल पर ख़ुदावन्द इस्राईल के खुदा के लिए एक मज़बह बनाया।
כַּאֲשֶׁ֣ר צִוָּה֩ מֹשֶׁ֨ה עֶֽבֶד־יְהוָ֜ה אֶת־בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל כַּכָּתוּב֙ בְּסֵ֙פֶר֙ תּוֹרַ֣ת מֹשֶׁ֔ה מִזְבַּח֙ אֲבָנִ֣ים שְׁלֵמ֔וֹת אֲשֶׁ֛ר לֹֽא־הֵנִ֥יף עֲלֵיהֶ֖ן בַּרְזֶ֑ל וַיַּעֲל֨וּ עָלָ֤יו עֹלוֹת֙ לַֽיהוָ֔ה וַֽיִּזְבְּח֖וּ שְׁלָמִֽים׃ | 31 |
जैसा ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने बनी इस्राईल को हुक्म दिया था, और जैसा मूसा की शरी'अत की किताब में लिखा है; यह मज़बह बे खड़े पत्थरों का था जिस पर किसी ने लोहा नहीं लगाया था, और उन्होंने उस पर ख़ुदावन्द के सामने सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ और सलामती के ज़बीहे पेश किये।
וַיִּכְתָּב־שָׁ֖ם עַל־הָאֲבָנִ֑ים אֵ֗ת מִשְׁנֵה֙ תּוֹרַ֣ת מֹשֶׁ֔ה אֲשֶׁ֣ר כָּתַ֔ב לִפְנֵ֖י בְּנֵ֥י יִשְׂרָאֵֽל׃ | 32 |
और उस ने वहाँ उन पत्थरों पर मूसा की शरी'अत की जो उस ने लिखी थीं, सब बनी इस्राईल के सामने एक नक़ल कन्दा की।
וְכָל־יִשְׂרָאֵ֡ל וּזְקֵנָ֡יו וְשֹׁטְרִ֣ים ׀ וְשֹׁפְטָ֡יו עֹמְדִ֣ים מִזֶּ֣ה ׀ וּמִזֶּ֣ה ׀ לָאָר֡וֹן נֶגֶד֩ הַכֹּהֲנִ֨ים הַלְוִיִּ֜ם נֹשְׂאֵ֣י ׀ אֲר֣וֹן בְּרִית־יְהוָ֗ה כַּגֵּר֙ כָּֽאֶזְרָ֔ח חֶצְיוֹ֙ אֶל־מ֣וּל הַר־גְּרִזִ֔ים וְהַֽחֶצְי֖וֹ אֶל־מ֣וּל הַר־עֵיבָ֑ל כַּאֲשֶׁ֨ר צִוָּ֜ה מֹשֶׁ֣ה עֶֽבֶד־יְהוָ֗ה לְבָרֵ֛ךְ אֶת־הָעָ֥ם יִשְׂרָאֵ֖ל בָּרִאשֹׁנָֽה׃ | 33 |
और सब इस्राईली और उनके बुज़ुर्ग और मनसबदार और क़ाज़ी, या'नी देसी और परदेसी दोनों लावी काहिनों के आगे जो ख़ुदावन्द के आगे, जो ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ के उठाने वाले थे, सन्दूक़ के इधर और उधर खड़े हुए। इन में से आधे तो कोह — ए — गरज़ीम के मुक़ाबिल थे जैसा ख़ुदावन्द के बन्दे मूसा ने पहले हुक्म दिया था कि वह इस्राईली लोगों को बरकत दें।
וְאַֽחֲרֵי־כֵ֗ן קָרָא֙ אֶת־כָּל־דִּבְרֵ֣י הַתּוֹרָ֔ה הַבְּרָכָ֖ה וְהַקְּלָלָ֑ה כְּכָל־הַכָּת֖וּב בְּסֵ֥פֶר הַתּוֹרָֽה׃ | 34 |
इसके बाद उस ने शरी'अत की सब बातें, या'नी बरकत और ला'नत जैसी वह शरी'अत की किताब में लिखी हुई हैं, पढ़ कर सुनायीं।
לֹֽא־הָיָ֣ה דָבָ֔ר מִכֹּ֖ל אֲשֶׁר־צִוָּ֣ה מֹשֶׁ֑ה אֲשֶׁ֨ר לֹֽא־קָרָ֜א יְהוֹשֻׁ֗עַ נֶ֣גֶד כָּל־קְהַ֤ל יִשְׂרָאֵל֙ וְהַנָּשִׁ֣ים וְהַטַּ֔ף וְהַגֵּ֖ר הַהֹלֵ֥ךְ בְּקִרְבָּֽם׃ פ | 35 |
चुनाँचे जो कुछ मूसा ने हुक्म दिया था, उस में से एक बात भी ऐसी न थी जिसे यशू'अ ने बनी इस्राईल की सारी जमा'अत, और 'औरतों और बाल बच्चों और उन मुसाफ़िरों के सामने जो उनके साथ मिल कर रहते थे न पढ़ा हो।